धान खरीद मूल्य: MSP, खरीद प्रक्रिया और चुनौतियाँ
धान खरीद मूल्य (Minimum Support Price - MSP) किसानों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य है, जिस पर उनकी फसल खरीदी जाती है। भारत में धान एक प्रमुख फसल है, और इसके उत्पादन व खरीद प्रक्रिया का सीधा संबंध किसानों की आय और कृषि क्षेत्र की समृद्धि से है। MSP किसानों को उनकी लागत से अधिक मूल्य देकर सुरक्षा प्रदान करता है, ताकि वे अपनी फसल बाजार के अस्थिर भाव से प्रभावित हुए बिना बेच सकें। इस लेख में हम धान खरीद मूल्य, उसकी प्रक्रिया, और MSP से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
धान खरीद मूल्य (MSP) क्या है?
धान का खरीद मूल्य किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम मूल्य प्रदान करने का एक सरकारी प्रयास है। MSP सरकार द्वारा तय की गई वह राशि है, जिस पर किसान अपनी फसल सरकारी एजेंसियों को बेच सकते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य देना और उन्हें बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करना है।
MSP का निर्धारण कैसे होता है?
भारत सरकार के कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा धान का MSP निर्धारित किया जाता है। CACP निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखकर MSP की सिफारिश करता है:
1. उत्पादन लागत
2. बाजार में आपूर्ति और मांग
3. किसानों की आजीविका और आय
4. कृषि क्षेत्र की स्थिति
5. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में धान की कीमतें
CACP का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि किसानों को उनकी लागत के आधार पर लाभ मिल सके और उन्हें खेती करने के लिए प्रोत्साहन मिले।
धान की खरीद प्रक्रिया
धान खरीदने के लिए सरकार ने एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया बनाई है, जिसमें मुख्य रूप से तीन चरण होते हैं:
1. सरकारी एजेंसियों की भूमिका : भारतीय खाद्य निगम (FCI), राज्य सरकार की मंडियां, और सहकारी समितियाँ धान की खरीद में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
2. किसानों की भागीदारी : किसान अपनी फसल को मंडियों में लाकर MSP पर बेचते हैं। इसके बाद खरीदी गई फसल का भंडारण और वितरण किया जाता है।
3. भंडारण और वितरण : सरकारी एजेंसियाँ खरीदी गई फसल को सुरक्षित रखती हैं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से गरीबों तक पहुँचाती हैं।
MSP में बदलाव और चुनौतियाँ
हाल के वर्षों में सरकार ने धान के MSP में बढ़ोतरी की है। हालांकि, कुछ प्रमुख चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं:
1. बाजार की अस्थिरता : बाजार में कीमतें MSP से ऊपर-नीचे होती रहती हैं, जिससे किसानों को उपज बेचने में समस्या आ सकती है।
2. भंडारण की कमी : ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त भंडारण की कमी है, जिससे फसलों को समय पर सुरक्षित रखने में दिक्कत होती है।
3. किसानों की जागरूकता : कई किसान MSP के बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण अपनी फसल कम कीमत पर बेचने को मजबूर होते हैं।
सरकार की नीतियाँ और सुधार
धान खरीद प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने के लिए सरकार कई योजनाएँ चला रही है, जैसे डिजिटल मंडियों की स्थापना, किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए नकद सहायता, और MSP को अधिक पारदर्शी बनाने के प्रयास। इसके साथ ही भंडारण सुविधाओं में सुधार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी सुदृढ़ किया जा रहा है।
निष्कर्ष
धान खरीद मूल्य किसानों की आर्थिक स्थिति और कृषि क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, MSP से जुड़े कई लाभ हैं, फिर भी किसानों को बाजार की अस्थिरता, भंडारण की समस्याएँ, और जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। MSP प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है, ताकि किसान सशक्त हो सकें और कृषि क्षेत्र का समग्र विकास हो सके।
धान खरीद कि नितियॉ
1. धान खरीद मूल्य
2. धान MSP
3. धान समर्थन मूल्य
4. MSP क्या है
5. धान की खरीद प्रक्रिया
6. किसानों की MSP
7. कृषि में धान खरीद
8. भारत में धान समर्थन मूल्य
9. MSP के फायदे
10. धान खरीद मूल्य 2024
FAQs (Frequently Asked Questions)
1. धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या होता है?
MSP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है।
2. धान का MSP कैसे निर्धारित होता है?
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) विभिन्न कारकों के आधार पर MSP की सिफारिश करता है।
3. धान की खरीद प्रक्रिया क्या है?
सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियाँ किसानों से MSP पर धान खरीदती हैं और भंडारण व वितरण की प्रक्रिया पूरी करती हैं।
4. धान खरीद मूल्य 2024 में क्या बदलाव हुए हैं?
हर साल सरकार धान के MSP में परिवर्तन करती है, और 2024 में भी MSP में वृद्धि की संभावना है।
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग: योजनाएं, उद्देश्य और लाभ
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग क्या है?
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग का मुख्य उद्देश्य किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारना है। इसके तहत कृषि क्षेत्र में सुधार, नई तकनीकों को बढ़ावा देने और किसानों को वित्तीय सहायता देने की योजनाएं चलाई जाती हैं। इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में वृद्धि होती है।
किसान कल्याण विभाग की योजनाएं और लाभ
1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN):
यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। प्रत्येक किसान को सालाना 6,000 रुपये की मदद दी जाती है, जिससे उनकी आय में सुधार हो सके।
2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) :
यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान से सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है ताकि वे अपने नुकसान की भरपाई कर सकें।
3. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY):
किसानों को सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने के लिए यह योजना चलाई गई है। इसका उद्देश्य "हर खेत को पानी " और "अधिक फसल, हर बूंद" के सिद्धांत पर आधारित है।
4. राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM):
यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो किसानों को अपनी उपज सीधे बाजार में बेचने का अवसर देता है। इससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सकता है और बिचौलियों से छुटकारा मिलता है।
5. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:
इस योजना के अंतर्गत किसानों को उनके खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी दी जाती है, ताकि वे फसल के अनुसार उर्वरक और पोषक तत्वों का उपयोग कर सकें। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और फसल उत्पादन में सुधार होता है।
कृषि विभाग के उद्देश्य
- आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रचार-प्रसार: किसानों को आधुनिक तकनीकों और उन्नत कृषि पद्धतियों से जोड़ना ताकि उनकी उत्पादकता में वृद्धि हो।
- किसानों की आय में वृद्धि: नई योजनाओं और तकनीकों के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य पर काम करना।
- कृषि अवसंरचना का विकास: सिंचाई, भंडारण और विपणन के लिए आधारभूत ढांचे का विकास, जिससे किसानों को फसल उत्पादन और बिक्री में मदद मिल सके।
- पर्यावरणीय स्थिरता: जैविक खेती और प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग को प्रोत्साहित करना ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।
किसान कल्याण और कृषि विभाग की प्रमुख चुनौतियां
किसान कल्याण विभाग ने कई सुधार किए हैं, लेकिन फिर भी कुछ प्रमुख चुनौतियां बरकरार हैं:
- जलवायु परिवर्तन और बदलते मौसम की अनिश्चितताएं।
- कृषि उत्पादों के उचित मूल्य निर्धारण में अस्थिरता।
- सीमित संसाधनों के कारण किसानों के लिए आधुनिक तकनीकों का पहुंच से बाहर होना।
निष्कर्ष
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग किसानों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विभाग योजनाओं और नीतियों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में सुधार कर रहा है। अगर आप किसान हैं या कृषि से संबंधित जानकारी की तलाश में हैं, तो इस विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी उत्पादकता और आय में वृद्धि कर सकते हैं।
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भूमिका: किसान पंजीकरण क्या है ?
भारत कृषि प्रधान देश है, जहां की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। किसानों की मदद के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं लागू करती है, लेकिन इन योजनाओं का सही लाभ तभी मिल सकता है जब किसान पंजीकृत हों। इसी कारण किसान पंजीकरण (Farmer Registration) का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यह लेख किसान पंजीकरण क्या है, इसकी प्रक्रिया, लाभ और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करता है।
किसान पंजीकरण क्या है?
किसान पंजीकरण(Farmer Registration) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसानों की व्यक्तिगत और कृषि संबंधी जानकारी एकत्रित की जाती है। यह जानकारी सरकार के डेटाबेस में दर्ज की जाती है, ताकि किसान विभिन्न सरकारी योजनाओं, सब्सिडी, और सुविधाओं का लाभ उठा सकें। इसके अंतर्गत किसान की पहचान, खेती की भूमि, फसल का प्रकार आदि जानकारी शामिल होती है।
किसान पंजीकरण के उद्देश्य:
1. सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना: पंजीकृत किसानों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके।किसान पंजीकरण (Farmer Registration)
2. डेटा संग्रह और विश्लेषण: किसान पंजीकरण से सरकार को कृषि संबंधित आंकड़े इकट्ठा करने में मदद मिलती है, जो भविष्य की योजनाओं और नीतियों के निर्माण में सहायक होता है।
3. कृषि सुधार: पंजीकृत किसानों को उन्नत तकनीक, खेती के संसाधन, और नवीनतम कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जाती है, जिससे उत्पादन में सुधार होता है।
4. प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): पंजीकृत किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता है, जिससे बिचौलियों का खतरा समाप्त हो जाता है।
किसान पंजीकरण की प्रक्रिया:
ऑनलाइन और ऑफलाइन किसान पंजीकरण प्रक्रिया के दो मुख्य तरीके हैं।
1. ऑनलाइन किसान पंजीकरण:
- किसान पीएम किसान पोर्टल या राज्य सरकार के पोर्टल पर जाकर खुद को पंजीकृत कर सकते हैं।
- इसके लिए आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, और भूमि की जानकारी देना आवश्यक है।
- सफल पंजीकरण के बाद किसान को एक यूनिक किसान आईडी प्रदान की जाती है।
2. ऑफलाइन किसान पंजीकरण:
- किसान नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या कृषि कार्यालय में जाकर पंजीकरण करवा सकते हैं।
- आधार कार्ड और भूमि के दस्तावेजों की जरूरत होती है, जिसके आधार पर जानकारी दर्ज की जाती है।
किसान पंजीकरण के फायदे:
1. सरकारी योजनाओं का लाभ: पंजीकृत किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan), फसल बीमा, और कृषि यंत्रों पर सब्सिडी जैसी योजनाओं का लाभ मिलता है।
2. कृषि ऋण और वित्तीय सहायता: पंजीकृत किसान आसानी से कृषि ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे अपनी खेती में निवेश कर सकते हैं।
3. फसल बीमा और प्राकृतिक आपदा सहायता: किसान पंजीकरण के माध्यम से किसानों को फसल नुकसान होने पर बीमा और आपदा सहायता प्रदान की जाती है।
4. उन्नत तकनीक तक पहुंच: पंजीकृत किसानों को कृषि तकनीक और यंत्रों पर सब्सिडी मिलती है, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ती है।
किसान पंजीकरण की चुनौतियाँ:
1. डिजिटल ज्ञान की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसानों के पास इंटरनेट या तकनीकी जानकारी की कमी होती है, जिससे ऑनलाइन पंजीकरण कठिन हो जाता है।
2. दस्तावेजों की कमी: कुछ किसानों के पास अपनी जमीन के पक्के दस्तावेज नहीं होते, जो पंजीकरण में समस्या पैदा कर सकते हैं।
3. जागरूकता का अभाव: कई किसानों को किसान पंजीकरण की प्रक्रिया और लाभ के बारे में जानकारी नहीं होती, जिससे वे इसका फायदा नहीं उठा पाते।
निष्कर्ष:
किसान पंजीकरण किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो उन्हें सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और वित्तीय सहायता का लाभ पहुंचाने में मदद करती है। सरकार को इस प्रक्रिया को और सरल बनाने के साथ-साथ किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।
महत्वपूर्ण जानकारी
- किसान पंजीकरण (Farmer Registration)
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan)
- फसल बीमा
- कृषि ऋण
- ऑनलाइन किसान पंजीकरण
- ऑफलाइन किसान पंजीकरण
- किसान आईडी
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT)
- सरकारी योजनाएं
- किसान सब्सिडी
- कृषि तकनीक
Farming: भारत में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की खेती होती है, और हर साल लाखों किसान इसके बेहतर उत्पादन के लिए प्रयास करते हैं। अगर आप भी गेहूं की खेती करते हैं और ज्यादा उत्पादन के साथ कम लागत में मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो ये जानकारी आपके लिए बेहद काम की है। सही बुवाई तकनीक और कुछ छोटे बदलाव अपनाकर आप अपनी फसल को बंपर उत्पादन दे सकते हैं।
आमतौर पर किसान परंपरागत तरीकों से बुवाई करते हैं, लेकिन समय के साथ नई तकनीकों का उपयोग करके न केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि लागत भी कम की जा सकती है। तो आइए जानते हैं गेहूं की बुवाई का सही तरीका और इससे होने वाले बड़े फायदे।
कई किसान अब भी हाथ से छिड़काव कर गेहूं की बुवाई करते हैं, लेकिन यह तरीका उत्पादन में कमी लाता है। छिड़काव से बीज असमान रूप से गिरते हैं, जिससे कुछ जगहों पर पौधे सघन होते हैं और उन्हें पर्याप्त धूप, पोषण और खाद नहीं मिल पाती। इसके बजाय, मशीन से बुवाई करें जिससे बीज और खाद एकसमान गिरते हैं, जिससे पौधों को सही दूरी पर रोपने में मदद मिलती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।
मशीन से गेहूं की बुवाई न केवल उत्पादन में वृद्धि करती है, बल्कि इसमें खर्च भी कम होता है। पौधों को सही मात्रा में खाद और पोषण मिलने से उनके विकास में सुधार होता है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है।
इस विधि से गेहूं की खेती करने से किसान भाई कम लागत में ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
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Pik Vima Yojana 2024: खरीप 2023 हंगामासाठी राज्यात मंजूर झालेली एकूण 7,621 कोटी रुपयांची विमा नुकसान भरपाई शेतकऱ्यांसाठी दिलासा ठरली आहे. पिक विमा योजना बीड पॅटर्ननुसार राबविण्यात येत असून, ज्या ठिकाणी 110 टक्क्यांपेक्षा अधिक नुकसान भरपाई मंजूर झाली आहे, त्या ठिकाणी राज्य शासन अतिरिक्त नुकसान भरपाई प्रदान करते.
या हंगामातील विमा कंपनीकडून 5469 कोटी रुपये आधीच शेतकऱ्यांच्या खात्यावर जमा झाले आहेत. मात्र उर्वरित 1927 कोटी रुपये नुकसान भरपाई वाटप अद्याप बाकी होते. विशेषतः नगर जिल्ह्यातील शेतकऱ्यांना ओरिएंटल इन्शुरन्स कंपनीकडून सर्वाधिक रक्कम मिळणे बाकी होते.
या परिस्थितीमुळे शेतकरी संघटनांनी आंदोलनाची घोषणा केली होती. मात्र, 30 सप्टेंबर रोजी ओरिएंटल इन्शुरन्स कंपनीने 1927.52 कोटी रुपयांची नुकसान भरपाई देण्यास मंजुरी दिल्याचे आदेश जाहीर केले. त्यामुळे अनेक जिल्ह्यांतील शेतकऱ्यांनी समाधान व्यक्त केले आहे.
10 ऑक्टोबरनंतर शेतकऱ्यांच्या खात्यावर ही रक्कम जमा होण्यास सुरुवात होईल. या रकमेचा समावेश नाशिक 656 कोटी, जळगाव 470 कोटी, अहमदनगर 713 कोटी, सोलापूर 1.66 कोटी, सातारा 27.73कोटी, व चंद्रपूर 58.90 कोटी रुपये यांचा होतो. या रकमेचे वितरण तातडीने पूर्ण करण्यात येणार आहे.
शेतकऱ्यांनी आपले खात्याचे तपशील अद्ययावत ठेवून, आपल्या बँक खात्यात अनुदान जमा झाले आहे का याची तपासणी करणे गरजेचे आहे.
Sarkari Yojana 2024: नमस्कार शेतकरी मित्रांनो! तुम्हाला एक आनंदाची बातमी आहे. प्रधानमंत्री किसान सन्मान निधी योजना आणि नमो शेतकरी महासन्मान निधी योजनेच्या माध्यमातून महाराष्ट्रातील शेतकऱ्यांच्या खात्यात 4 हजार रुपये जमा होणार आहेत. हा विशेष हप्ता ऑगस्ट 2024 ते नोव्हेंबर 2024 या कालावधीतील अनुक्रमे 18 वा आणि 5 वा हप्ता म्हणून देण्यात येणार आहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यांच्या शुभहस्ते, शनिवार 5 ऑक्टोबर 2024 रोजी सकाळी 11 वाजता वाशिम येथील कार्यक्रमात हा हप्ता वितरीत केला जाईल.
या कार्यक्रमात महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, यवतमाळ-वाशिमचे पालकमंत्री संजय राठोड आणि कृषीमंत्री धनंजय मुंडे हे मान्यवर उपस्थित राहणार आहेत. या योजनांमुळे शेतकऱ्यांना निश्चित आर्थिक सहाय्य मिळत आहे.
शेतकऱ्यांना आर्थिक स्थैर्य देण्यासाठी केंद्र सरकारने 2019 साली प्रधानमंत्री किसान सन्मान निधी (पी. एम. किसान) योजना सुरू केली. या योजनेनुसार, पात्र शेतकरी कुटुंबांना दरवर्षी तीन हप्त्यांमध्ये 6,000 रुपये मिळतात. प्रत्येक हप्ता 2,000 रुपयांचा असतो आणि हा रक्कम थेट त्यांच्या आधार संलग्न बँक खात्यात जमा होते.
30 सप्टेंबर 2024 पर्यंत, महाराष्ट्रातील सुमारे 1.20 कोटी शेतकरी कुटुंबांना या योजनेच्या माध्यमातून एकूण 32,000 कोटी रुपये मिळाले आहेत. आता या कार्यक्रमात शेतकऱ्यांना 2,000 रुपये प्रधानमंत्री किसान सन्मान निधी योजनेतून आणि 2,000 रुपये नमो शेतकरी महासन्मान निधी योजनेतून मिळणार आहेत. म्हणजेच एकूण 4,000 रुपये 91.52 लाख शेतकरी कुटुंबांच्या खात्यात जमा होतील.
या योजनांमुळे महाराष्ट्रातील शेतकऱ्यांना मोठा दिलासा मिळत असून, त्यांच्या आर्थिक स्थितीत सुधारणा होण्यास मदत होईल.
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PM Kisan Nidhi Yojana: देश के करोड़ों किसानों के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। पीएम किसान योजना PM Kisan Nidhi Yojana की 18वीं किस्त की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। 5 अक्टूबर 2024 को किसानों के खातों में यह राशि ट्रांसफर की जाएगी। यह खबर किसानों के लिए एक बड़ी राहत है, जो हर साल इस योजना से आर्थिक सहायता प्राप्त करते हैं।
अगर आप PM Kisan Nidhi Yojana का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपको जल्द से जल्द ई-केवाईसी (E-KYC) प्रक्रिया पूरी करनी होगी। बिना ई-केवाईसी और जमीन के सत्यापन के, किसान 18वीं किस्त का लाभ नहीं उठा सकेंगे। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आपने यह प्रक्रिया पूरी कर ली है।
ई-केवाईसी न करने वाले किसानों को इस योजना के तहत मिलने वाली राशि नहीं मिलेगी। इसलिए, इस महत्वपूर्ण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करें ताकि आप इस योजना का पूरा लाभ उठा सकें।
PM Kisan Nidhi Yojana के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। यह राशि तीन किस्तों में वितरित की जाती है, प्रत्येक किस्त में 2,000 रुपये की रकम किसानों के खातों में जमा की जाती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना और उनकी कृषि कार्यों में सहायता प्रदान करना है।
पिछले साल, जून 2024 में 17वीं किस्त जारी की गई थी, जिससे किसानों को काफी राहत मिली थी। अब 5 अक्टूबर 2024 को 18वीं किस्त की राशि किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाएगी, जिसका वे बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
ई-केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करना बेहद सरल है। यहां कुछ आसान स्टेप्स दिए जा रहे हैं जिनका पालन कर आप ई-केवाईसी कर सकते हैं:
PM Kisan Nidhi Yojana की 18वीं किस्त का लाभ उठाने के लिए किसानों को ई-केवाईसी प्रक्रिया को अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। केंद्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारना है, जिससे वे अपनी खेती में अधिकतम प्रगति कर सकें।
सरकार द्वारा 5 अक्टूबर 2024 को होने वाली राशि ट्रांसफर की प्रक्रिया का सभी किसान बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह एक सुनहरा अवसर है, जिसे किसानों को सही समय पर और सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।
Success Story: आपला देश कृषीप्रधान असल्यामुळे अनेक शेतकरी नवनवीन प्रयोग करत आपली शेती फायदेशीर बनवत असतात. असाच एक यशस्वी प्रयोग सोलापूर जिल्ह्यातील मोहोळ तालुक्यातील हराडवाडी गावात राहणारे शेतकरी लक्ष्मण दत्तात्रय शेळके यांनी केला आहे. त्यांनी ऊसाच्या शेतात आंतरपीक म्हणून कोथिंबीरची लागवड केली आणि फक्त तीन दिवसांत 50 हजार रुपयांची कमाई केली.
सध्या बाजारात कोथिंबीरच्या किमतीत मोठी वाढ झाली आहे. एका पेंढीला 50 ते 60 रुपयांचा भाव मिळत आहे. ही संधी ओळखून लक्ष्मण शेळके यांनी 30 ते 35 किलो धने लावून कोथिंबीरची लागवड ऊसाच्या शेतात केली. तीन दिवसांतच त्यांनी बाजारात कोथिंबीर विकून 50 हजार रुपयांचा नफा कमावला.
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उन्हाळ्यात कोथिंबीर पिकवणे कठीण जाते, परंतु लक्ष्मण शेळके यांनी पाईपद्वारे पाणी देऊन पिकाची काळजी घेतली. त्यामुळे मे महिन्यातील कडक उन्हात देखील त्यांच्या पिकाला चांगले पाणी मिळत राहिले, ज्यामुळे पीक चांगले आले. जर कोथिंबीरचा भाव असाच राहिला तर त्यांना 1 लाख रुपयांपर्यंत उत्पन्न मिळू शकते, असे ते म्हणतात.
शेतकरी लक्ष्मण शेळके यांच्या यशस्वी प्रयोगाने प्रेरणा घेऊन इतर शेतकरी देखील ऊसासारख्या मुख्य पिकांसोबत कोथिंबीरची आंतरपीक लागवड करू शकतात आणि भरघोस नफा मिळवू शकतात.
My khabar 24 :--डोंगरगाव येथे जंगली हत्तींचा धुमाकूळ; शेतपिकांची नासधूस*
*आमदार कृष्णा गजबे हे शेतकऱ्यांच्या बांधावर*
**देसाईगंज:- देसाईगंज तालुक्याच्या डोंगरगाव येथे जंगली हत्तींनी धुमाकूळ घालीत परिसरातील शेतकऱ्यांच्या शेतपिकांना पायदळी तुडवून मोठ्या प्रमाणावर नासधूस केली आहे.त्यामुळे शेतकरी हवालदिल होऊन आर्थिक विवंचनेत सापडला आहे. शेतकऱ्यांच्या शेतपिकांची मोठ्या प्रमाणावर जंगली हत्तींनी नासधूस केल्याची माहिती आमदार कृष्णा गजबे यांना कळताच, आज,१० सप्टेंबरला परिसरातील शेतकऱ्यांच्या शेत बांधावर जाऊन स्वतः पाहणी केली.**
*सध्या स्थितीत जंगली हत्ती देसाईगंज तालुका परिसरात वास्तव्यास आहेत.दोन दिवसांपूर्वी कुरखेडा तालुक्यातील गुरूनुली, अरततोंडी, शिरपूर व परिसरातील शेतकऱ्यांच्या धान पिकांची नासधूस केली होती.अशातच आता देसाईगंज तालुक्यात हत्तींनी धुमाकूळ घातला असल्याने देसाईगंज वन परिक्षेत्र अधिकारी मेहर यांना पाचारण करून तात्काळ शेतीच्या नुकसानीचे पंचनामे करून; नुकसाभरपाईची रक्कम शेतकरी बांधवांना देण्याची मागणी आमदार कृष्णा गजबे यांनी केली आहे.तसेच जंगली हत्तींचा बंदोबस्त तात्काळ करण्यात यावा; असेही या प्रसंगी गजबे यांनी वनाधिकारी यांना सांगितले आहे.*
*यावेळी आरमोरी विधानसभा क्षेत्राचे आमदार कृष्णा गजबे, भाजपा तालुका अध्यक्ष सुनील पारधी, तालुका महामंत्री वसंतरावजी दोनाडकर, सामाजिक कार्यकर्ते रोशन ठाकरे, कृषी उत्पन्न बाजार समितीचे संचालक हिरालालजी शेंडे, कैलाशजी पारधी, भास्कर बनसोड, भोलेनाथ धनबाते, श्रीराम ठाकरे व डोंगरगाव येथील शेतकरी बांधव उपस्थित होते.*
- शेतकऱ्यांना लाभ मिळवून देण्यात आमदार बंटी भांगडिया यांचा मोलाचा वाटा.
चिमूर -
भाजप महायुती शासनाने शेतकऱ्यांच्या हितासाठी, कल्याणासाठी ऐतिहासिक निर्णय घेतलेले असताना चिमूर तालुक्यातील शेतकऱ्यांना मोठया प्रमाणात लाभ मिळाला. त्यात आमदार बंटी भांगडिया यांचा मोलाचा वाटा असल्याने तालुक्यातील शेतकऱ्यांच्या वतीने आमदार बंटी भांगडिया यांचा सत्कार ५ सप्टेंबर गुरुवारला दु. २ वाजता भांगडीया नविन वाडा पिंपळनेरी रोड, चिमूर येथे करणार असल्याची माहिती संयोजक भाजप किसान आघाडी चिमूर विधानसभा एकनाथ थुटे यांनी दिली आहे.
महायुती सरकारने दोन वर्षात शेतकऱ्यांना पीक विमा, कापूस, सोयाबीन अनुदान, धान बोनस रक्कम, वीज बिल माफ, दिवसा शेती साठी १२ तास वीज पुरवठा असे अनेक शेतकरी वर्गाला सुखी करणारे निर्णय घेतले आहे. आमदार बंटी भांगडिया यांनी सतत पाठपुरवठा करीत शेतकऱ्यांना अनुदान मिळवून देण्यात त्यांचा सिंहाचा वाटा आहे. शेतकऱ्यांत आमदार भांगडीया विषयी एक आनंदाची पर्वणी आहे.
कोंढाळा या गावात पहिल्यांदाच बैलांसोबत चक्क "घोड्याला '' घेऊन
" बैल पोळा’ साजरा करण्यात आला...!
My khabar 24 :-
कोंढाळा : दिनांक 2 सप्टेंबर २०२४ सोमवार ला बैल पोळ्याचा सण कोंढाळ्या च्या दत्त मंदिर पटांगणात दरवर्षी प्रमाणे यावर्षी सुद्धा खूप वेगळ्या पद्धतीने साजरा करण्यात आला...!
सोबतच गडचिरोली जिल्ह्यातील जुन्या परंपरेनुसार चालत आलेली झडत्या पण घेण्यात आलं
आता तुम्हाला वाटत असेल की झडत्या हा काय प्रकार आहे. तर ही सम्पूर्ण महाराष्ट्राची लोकसंस्कृती आहे
जी फक्त तुम्हाला विदर्भातच बघायला मिळेल
बैल पोळ्याचा सण साजरा करताना हे झडती बोलावी लागते.
आणि कोंढाळा या गावी याचे विशेष परंपरा आहे.
जी सातत्याने हजारो वर्षांपासून ही संस्कृती
कोंढाळा या गावच्या लोकांनी जोपासून ठेवली आहे. आणि झडत्या घेतल्या शिवाय तर पोळा पूर्ण होतच नाही..! हीच तर झाडीपट्टीतील खरी संस्कृती आहे.
जी आपण वर्षानुवर्षे आतापर्यंत टिकवून ठेवलं आहे..!
झडती: वाटी रे वाटी खोबर्याची वाटी, महादेव रडे दोन पैशासाठी, पारबतीच्या लुगड्याले छप्पन गाठी, देव कवा धावला गरिबांसाठी' एक नमन गोरा पार्वती, हर बोला हर-हर महादेव'.
झडती: बळी रे बळी लिंब बनी, अशी कथा सांगेल कोणी', 'राम-लक्ष्मण गेले हो वनी, राम-लक्ष्मणाने आणली वनफुले', ते महादेव पारबतीच्या हाती, तिनशे साठ नंदी एक नमन..गौरा पार्वती हर बोला हर - हर महादेव..!
झडती: मेंढी रे मेंढी शेंबडी मेंढी ते खाते आला-पाला तिचा गुरू माहा चेला लाथ मरून सरका केला.' एक नमन कवळा पारबती. हर बोला हरहर महादेव
पोळा किंवा बैलपोळा हा श्रावण अमावस्या किंवा भाद्रपद अमावास्या या तिथीला प्रदेशानुसार साजरा करण्यात येणारा बैलांचा सण आहे. बैलांप्रती कृतज्ञता व्यक्त करणारा हा एक मराठी सण असून हा विशेषतः विदर्भात भव्य पातळीवर साजरा केला जातो, विदर्भातील सीमेवर असलेल्या मध्य प्रदेश व तेलंगण सीमाभागातसुद्धा हा सण साजरा होतो.
सर्जा-राजाची कृतज्ञता व्यक्त करण्याचा सण म्हणजेच "बैल पोळा''
अशातच जर गडचिरोली जिल्ह्यातील कोंढाळा या गावात बैलांसोबत घोड्याचाही समावेश झालं तर स्वर्गाहुन सुंदरच की फक्त घोड्याच कौशल्य
बघण्याकरिता कोंढाळा या गावातील हजारो लोकांची गर्दी आणि उत्सुकता अजून वाढली आणि दरवर्षी प्रमाणे यावर्षी सुध्दा खूप छान प्रकारे हा सण या गावात पार पडलं...!
स्वप्न भंगले तरुण मंडळी फडफडले
सरकारी नोकरीसाठी वाट पाहू पाहू थकले
जागा नाही निगत म्हणून रडू रडू बसले
खोट्या भाषणाने बळी पडून माझे मतच वाया गेले
रोजगार द्या म्हणू म्हणू सगळे बेरोजगारच होऊन बसले
बोला एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर- हर महादेव...!
Farmers News: वातावरणातील बदलामुळे धान पिकावर खोडकिड्याचा प्रादुर्भाव वाढला आहे. खोडकिडा हा धानासाठी अतिशय घातक रोग आहे. अगदी खोडाचे रस या किडी शोषून घेत असल्याने धान पीक खोडापासूनच वाळते. त्यामुळे त्याचा वेळीच बंदोबस्त करणे आवश्यक आहे.
धान रोवणीच्या कालावधीपासून खोडकिड्याचा प्रादुर्भाव यावर्षी आढळून येत आहे.
सुरुवातीच्या कालावधीत अत्यंत कमी ठिकाणी याचा प्रादुर्भाव आढळतो.
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मात्र वेळीच उपाययोजना न केल्यास त्याचा प्रादुर्भाव मोठ्या प्रमाणात वाढू शकतो. शेतकऱ्यांनी या रोगाचा वेळीच बंदोबस्त करावा. अनेक रासायनिक कीटकनाशके उपलब्ध आहेत. तसेच खतासोबत टाकायची कीटकनाशकेसुद्धा उपलब्ध आहेत. यांचा वेळीच वापर करणे गरजेचे आहे.
पोळ्याच्या झडत्या - १*
बैना ओ बैना, लाडाची बहिणा
लाडाच्या बहिणीला पंधराशे महिना
पंधराशे रुपयाचे खावा गोलगप्पे
लाडाच्या भावाला द्या ठपाठप ठप्पे
मायबाप सरकार म्हणते लाडाची बैना
पाटलाची पाटी उरली जावयाची दैना
लाडाच्या बहिणीच्या नवऱ्याचे हाल
कुत्रंबी हुंगत नाही शेतातला माल
तुर केली आयात, पाडून टाकले भाव
स्वस्तामध्ये सोयाबीन, लुटून नेलं गाव
जावयाच्या छाताडावर कर्जाची रास
पंधराशेत जहर घ्यावं की घ्यावा गळफास
जरांगे म्हणतात ते खरं आहे भाऊ
घामाचं दाम नाही तर
अभय आरक्षणच घेऊ
बोला! एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
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*पोळ्याच्या झडत्या - २*
हेला रे हेला, राजकारणी हेला
सरकारच्या धोरणापायी
शेतकरी मेला
शेतकरी मेला तर
लाख रुपये देते
जिवंत जगतो म्हणाल तर
खमसून रक्त पेते
शेतमालाला भाव नाही तर
आरक्षण तरी द्या
तुमच्या हिश्याच्या नोकऱ्या
आमच्या लेकराले द्या
प्रेमानं दिलं नाही तर
हिसकून घ्या आता
नव्या दमानं लिहू अभय
शेतकऱ्याची गाथा
बोला! एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
*पोळ्याच्या झडत्या - ३*
पोयी रे पोयी पुरणाची पोयी
पवारांच्या पालखीला उद्धवचे भोई
शिंदेसेनेच्या घोड्यांना
भाजप घालते चारा
दादाच्या घड्याळात
वाजून गेले बारा
कपाळावर नाही उरली
निष्ठेची टिकली
खुर्चीसाठी साऱ्यांनीच
लाज शरम विकली
बोला! एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
*पोळ्याच्या झडत्या - ४*
वाडा रे वाडा इंद्राचा वाडा
भाजपच्या चड्डीले उद्धवचा नाडा
भाजपने सोडली उद्धवची साथ
तर भाजपचाच झाला सुफडासाफ
बोला! एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
*पोळ्याच्या झडत्या - ५*
नवं नवं सरकार नवी नवी थीम
नवी नवी योजना नवी नवी स्कीम
लाडाचा भाऊ लाडाची बहीण
लाडाचा ब्याही लाडाची विहीन
मत द्या आम्हाले
सारं फुकट तुम्हाले
धान्य फुकट, तेलबी फुकट
धोतर फुकट, चोळीबी फुकट
नवऱ्याले एक एक बायको फुकट
बायकोले एक एक नवरा फुकट
फुकट फुकट फुकट
फुकट फुकट फुकट
जोडप्याले दोन दोन लेकरं बी फुकट
मत द्या आम्हाले
सारं फुकट तुम्हाले
बोला! एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
*पोळ्याच्या झडत्या - ६*
माशी रे माशी,
गांधीलची माशी
शेतकऱ्याच्या नाकात
घुसली गोमाशी
मोदीभाऊ म्हणे
मी काढू कशी
राहुलभाऊ म्हणे
राहू दे तशीच
बोला! एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
पोळ्याच्या झडत्या - ७*
कॅटली रे कॅटली, दुधाची कॅटली
दुधावरची साय सांगा कोणी चाटली?
शेतमालाले भाव म्हणलं तर
सरकारची चड्डी
मांडीवर फाटते
वेतन आयोगावर सरकार
जम्मुन खिरापत वाटते
उद्योगांचे अरबो खरबो
कर्ज झटक्यात माफ करते
हजाराच्या कर्जासाठी
इकडे शेतकरी मरते
घोरसून सांगा लोकहो
शेतमालाले भाव दे
नायतर
आरक्षण दे जरा
जमत असण तर जमव
नायतर
घ्या म्हणा झोलाझेंडी
अन्
व्हा आपल्या घरी
बोला! एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
=
पोळ्याच्या झडत्या - १
वाडा रे वाडा,
शेतकऱ्याचा वाडा
शेतकऱ्याच्या वाड्यात
चांदीचा गाडा
चांदीच्या गाड्यावर
सोन्याचे मोर
मोरावर बसते
शेतकऱ्याचं पोर
एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
=-=-=-=-=
*पोळ्याच्या झडत्या - ३*
आटली रे आटली
तिजोरी आटली
सरकारची चड्डी
मंधामंधी फाटली
फाटलेल्या चड्डीले
ठिगळ काही बसेना
कांदे, टमाटर, सोयाबीनले
काळं कुत्रं पुसेना
इंडिया गेला चंद्रावर
भारताची झाली माती
आगुदर दे आमच्या शेतमालाले भाव
तवा सांग तुही छप्पन इंची छाती
एक नमन गौरा पार्वती हर बोला हर हर महादेव
Big news for farmers: चंद्रपूर जिल्ह्यात धान पिकांसह कापूस, सोयाबीन पीक मोठ्या प्रमाणात घेतले जाते. मात्र, मागील काही वर्षांपासून शेतकऱ्यांचे गुलाबी बोंडअळीमुळे मोठ्या प्रमाणात नुकसान होत आहे. या वर्षी कापूस पिकावर बोंडअळी प्रादुर्भाव केला आहे. काही शेतकऱ्यांच्या शेतामध्ये प्रादुर्भाव आढळून आला असून, डोमकळ्यामुळे मोठ्या प्रमाणात नुकसान होत आहे. त्यामुळे शेतकऱ्यांनी वेळीच सावध होऊन किडीचा प्रादुर्भाव रोखण्यासाठी व्यवस्थापन करावे, असे आवाहन कृषी विभागाने केले आहे.
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सध्या कपाशी पीक 50 ते 60 दिवसांचे झाले असून, बऱ्याच ठिकाणी फुलावर येत आहे. गुलाबी बोंडअळीचा प्रादुर्भाव डोमकळ्याच्या स्वरूपात ऑगस्ट महिन्याच्या पहिल्या आठवड्यापासूनच दिसून येत आहे. कीटकशास्त्र विभागाच्या चमूने शेतकऱ्यांच्या शेतावर भेटी दिल्या असता, कपाशी जेथे फुलावस्थेत आहे अशा ठिकाणी डोमकळ्या आढळून आल्या आहेत.
सततचे ढगाळ वातावरण पिकावरील किडींना पोषक असते. किडींचे व्यवस्थापन करण्यास उशीर केल्यास या किडीचा प्रादुर्भाव झपाट्याने वाढण्याची शक्यता असते. शेतकऱ्यांनी त्वरित कपाशीवरील गुलाबी बोंडअळीचे नियोजन करावे, असे आवाहन डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषी विद्यापीठ अकोला व कृषी विभागामार्फत करण्यात आले आहे.
पिकातील डोमकळ्या नियमित शोधून त्या अळीसहित नष्ट कराव्यात. दर पंधरा | दिवसांनी 5 टक्के निंबोळी अर्काची किंवा ॲझेंडिरेक्टिन 300 पीपीएम 50 मिली किंवा 1500 पीपीएम 25 मिली प्रति 10 लीटर पाणी या प्रमाणे फवारणी करावी. कामगंध सापळ्याचा वापर करावा. पिकाच्या उंचीनुसार किमान एक फूट उंच अंतर ठेवावे, कामगंध सापळ्याचा प्रभाव वातावरणात पसरण्यास मदत होईल. यासाठी एकरी दोन कामगंध सापळे लावावेत. सतत तीन दिवस या सापळ्यामध्ये आठ ते दहा पतंग आढळल्यास गुलाबी बोंडअळीच्या व्यवस्थापनाचे उपाय करावेत, मास ट्रॅपिंगकरिता हेक्टरी 15 ते 20 कामगंध सापळे लावावेत.
प्रतिनिधित्व करतील, अशी 20 झाडे निवडलेल्या प्रत्येक झाडावरील फुले, पात्या व बोंडांची संख्या मोजून त्यात गुलाबी बोंडअळीग्रस्त फुले, पात्या व बोंडे यांची टक्केवारी काढावी व प्रादुर्भावग्रस्ताची टक्केवारी 5 टक्केपेक्षा जास्त आढळल्यास रासायनिक कीटकनाशकाची फवारणी करावी.
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भिसी, जांबुळघाट आणि नेरी येथून पोहचला चिमूर शहरात शेतकऱ्यांचा बैलबंडी, ट्रॅक्टर व पायदळ मोर्चा
चिमूर -
चिमूर तालुक्यात अतिवृष्टी होवून शेत पीके नष्ट झाली. अनेक कुंटूब बेघर होवून उद्धवस्त झाली. परंतू राज्यात असलेल महायुतीच सरकार शेतकऱ्यांकडे लक्ष द्यायला तयार नाही. सरकारचे लक्ष वेदण्यासाठी गडचिरोली चिमूर लोकसभा क्षेत्राचे खासदार डॉ नामदेव किरसान व चिमूर विधानसभा क्षेत्राचे समन्वयक डॉ सतिश वारजूकर यांच्या नेतृत्वात शेतकरी शेतमजूर यांना न्याय मिळवून देण्यासाठी शेतकरी विरोधी सरकारच्या विरोधात काँग्रेसने विवीध मागण्यासाठी बुधवार ला दहा वाजता राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज आंबोली चौरस्ता येथून तुकडोजी महाराजाच्या पुतळ्याचे पूजन करून शेतकरी न्याय यात्रा व हल्ला बोल मोर्चाला सुरुवात करण्यात आली. ही न्याय यात्रा भिसी शहरातील महापुरुषाच्या पुतळ्यांना अभिवादन व करून जांबुळघाट, नेरी मार्गे चिमूर पंचायत समिती कार्यालय समोरून श्रीहरी बालाजी देवस्थान येथे दिड वाजता शेतकरी न्याय यात्रा पोहचली. दरम्यान श्रीहरी बालाजी महाराज देवस्थान ते चिमूर तहसिल कार्यालय पर्यंत शेतकऱ्यांचा बैलबंडी, ट्रॅक्टर व पायदळ मोर्चा मुख्य रस्त्याने काढण्यात आला.
तहसिल कार्यालया समोरील मोर्चाचे रुपांतर सभेत झाले दरम्यान उपस्थित मान्यवरांनी शेतकरी मोर्चेकऱ्यांना संबोधीत केले. अतिवृष्टीबाधित शेतकऱ्यांना सरसकट हेक्टरी रुपरे 50 हजार तात्काळ मदत करावी, शेतकऱ्यांना पीक विमा तात्काळ जाहीर करून संपूर्ण कर्जमाफी करावी. अतिवृष्टीमुळे घरे पडलेल्या कुटुंबांना तात्काळ घरकुल मंजूर करण्यात यावे, कृषी पंपांना रात्री मिळणारी वीज दिवस पाळी करून 24 तास पुरविण्यात यावी, शेतकऱ्यांचे प्रलंबित असलेली प्रोत्साहनपर राशीचे 50 हजार रुपये देऊन 2 लाखाचेवर जुने कर्ज असलेल्या शेतकऱ्यांचे कर्ज माफ करण्यात यावे, घरगुती वीज वापरासाठी लावण्यात येणारे स्मार्ट मीटर लावण्यात येऊ नये, मोखाबर्डी उपसासिंचन योजनेचे काम त्वरित पूर्ण करण्यात यावे, रोजगार हमीच्या कामावर असलेल्या मजुरांचे व कुशल कामांचे पैसे तात्काळ देण्यात यावे, वन जमिनींचे पट्टे लाभार्थ्यांना लवकरात-लवकर देण्यात यावे,घरकुल योजनांचे पैसे जराही विलंब न करता लाभार्थ्यांना लवकर देण्यात यावे, अतिवृष्टीमुळे पडलेले घर व गुरांचे गोठे पीडित कुटुंबांना तात्काळ मदत करण्यात यावी, वाढविण्यात आलेली वीज दरवाढ मागे घेण्यात यावी, ताडोबा अभयारण्याला लागून असलेल्या शेतकऱ्यांना शेतमालाचे वन्य प्राण्यांपासून संरक्षण करण्याकरिता मागेल त्या शेतकऱ्याला सरसकट जाळीचे कुंपण मोफत पुरविण्यात यावे, वन जमिनीवरील शेतकऱ्यांचे अतिक्रमण काढण्याची कार्यवाही वन विभागाने त्वरित थांबवावी. आदी मागण्यांचे निवेदन नायब तहसीलदार दिनेश पवार मार्फत मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, यांना देण्यात आले.
निवेदन देताना खासदार डॉ नामदेव किरसान, सरचिटणीस महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस कमिटी तथा माजी. आमदार, अध्यक्ष खनिकर्म महामंडळ (राज्यमंत्री) दर्जा डॉ अविनाश वारजूकर, सेवादल सहसचिव प्रा राम राऊत, समन्वयक चिमूर विधानसभा काँग्रेस तथा उपाध्यक्ष महाराष्ट्र प्रदेश ओबीसी महासंघ डॉ सतिश वारजूकर, महाराष्ट प्रदेश काँग्रेस ओबीसी संघटक धनराज मुंगले, माजी जि प सदस्य पंजाबराव गावडे, तालुकाध्यक्ष काँग्रेस कमिटी डॉ विजय गावडे, महासचिव जिल्हा काँग्रेस कमिटी गजानन बुटके, शहर अध्यक्ष काँग्रेस कमिटी अविनाश अगडे, उपाध्यक्ष काँग्रेस कमिटी विवेक कापसे, महासचिव प्रदेश युवक काँग्रेस महाराष्ट्र साईश वारजूकर, काँग्रेस सेवादल किशोर शिंगरे, पप्पू शेख, आदी काँग्रेस पदाधिकारी कार्यकर्ते व मोर्चात हजारो शेतकरी शेतमजूर उपस्थित होते.
Ladka Shetkari Yojana: शेतकऱ्याला थेट मार्केट उपलब्ध करून देण्याचं महायुती सरकारचं काम आहे. कष्टकरी, वारकरी आणि सुखी शेतकरी हेच आमच्या सरकारचं धोरण आहे. आम्ही मुख्यमंत्री लाडकी बहीण योजना आणली. त्यानंतर अन्नपूर्णा योजना आणली. लाडका भाऊ योजना आणली. आता आम्ही लाडका शेतकरी योजना राबवणार आहोत, अशी घोषणा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी बुधवारी केली.
सर्व भाऊ लाडके झाले, सर्व बहिणी लाडक्या झाल्या, आता शेतकरही लाडका होणार, असे मुख्यमंत्री शिंदे म्हणाले. विधानसभा निवडणुकीच्या पार्श्वभूमीवर सर्वच राजकीय पक्ष जोरदार कामाला लागले आहेत. भाजप, शिवसेना, राष्ट्रवादी, कॉंग्रेस या पक्षांनी संपर्क मोहिमा सुरू केल्या आहेत.
शिंदे म्हणाले, “पंतप्रधान नरेंद्र मोदी आणि कृषीमंत्री शिवराज सिंह चौहान यांच्याकडे आम्ही मागणी करणार आहोत की, आमच्या शेतकऱ्यांच्या सोयाबीन आणि कापसाला चांगला भाव मिळाला पाहिजे. शेतकऱ्यांचंही कल्याण झालं पाहिजे. आज आपण सोयाबीन आणि कापसाला हेक्टरी 5 हजार रुपये देण्याचा निर्णय घेत आहोत. ही मर्यादा 2 हेक्टरपर्यंत असणार आहे.
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आता आपण ई-पीक पाहणी वगेरे बाजूला ठेवणार आहोत.. ज्या शेतकऱ्यांच्या सातबारावर सोयाबीन आणि कापसाची नोंद आहे, त्या शेतकऱ्यांना मदत देणार आहोत. एवढंच नाही तर शेतीपंपाची वीज बिलंही माफ करत आहोत. मागेल त्याला शेततळं आणि मागेल त्याला सोलर, अशा अनेक योजना सरकारने सुरु केल्या आहेत", असंही मुख्यमंत्री शिंदे . यावेळी म्हणाले.
अशाच सरकारी योजना संबंधित माहिती जनून घेण्यासाठी आमच्या WhatsApp ग्रुप ला जॉइन करा, ग्रुप जॉइन करण्यासाठी खालील बटन ला क्लिक करा.