किसान पंजीकरण अनिवार्य क्यों है?
किसान पंजीकरण (Farmer Registration) किसानों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है। पंजीकरण के माध्यम से सरकार किसानों तक योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाने और कृषि में पारदर्शिता लाने का प्रयास कर रही है। यहां यह जानना जरूरी है कि किसान पंजीकरण क्यों अनिवार्य है और इसके क्या फायदे हैं:
1. सीधे लाभ हस्तांतरण (DBT)
किसान पंजीकरण के माध्यम से किसानों को सरकारी योजनाओं की वित्तीय सहायता सीधे उनके बैंक खाते में प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में पंजीकृत किसानों को ₹6000 प्रति वर्ष की आर्थिक सहायता दी जाती है।
2. कृषि योजनाओं में पारदर्शिता
किसान पंजीकरण से सरकार को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि केवल पात्र किसानों को ही योजनाओं का लाभ मिले। इससे कृषि योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता आती है और भ्रष्टाचार की संभावनाएं कम होती हैं।
3. डेटा संग्रह और नीतियां बनाने में सहायक
पंजीकरण के जरिए सरकार किसानों की सही जानकारी, जैसे उनकी भूमि की स्थिति, फसल, और संसाधनों का डेटा जुटाती है। इस डेटा का उपयोग कृषि नीतियां बनाने और किसानों के विकास के लिए किया जाता है।
4. कर्ज़ माफी और बीमा योजनाओं का लाभ
कई बार किसानों के लिए कर्ज़ माफी या फसल बीमा जैसी योजनाएं चलाई जाती हैं। पंजीकृत किसानों को इनका सीधा लाभ मिलता है, जबकि अपंजीकृत किसान इस लाभ से वंचित रह सकते हैं।
5. किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का लाभ
पंजीकृत किसान आसानी से किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें कृषि कर्ज़ मिलना आसान होता है। KCC के बिना कृषि कार्यों के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
6. राहत पैकेज और आपदा सहायता
प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़ या सूखा के दौरान, सरकार पंजीकृत किसानों को राहत पैकेज और अन्य सहायता प्रदान करती है। पंजीकरण के बिना इस तरह की सहायता प्राप्त करना कठिन हो सकता है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan): किसानों की आर्थिक सहायता
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan), भारतीय किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। इस योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष ₹6000 की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिसे तीन किस्तों में सीधे उनके बैंक खातों में जमा किया जाता है। यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के उद्देश्य से चलाई जा रही है।
PM-Kisan योजना का उद्देश्य
PM-Kisan योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी खेती-बाड़ी में मदद करना और कृषि संबंधित खर्चों को कम करना है। इस योजना के माध्यम से किसानों को बीज, खाद, कृषि उपकरण, और अन्य आवश्यक सामग्रियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
PM-Kisan योजना के लाभ
1. आर्थिक सहायता: प्रति वर्ष ₹6000 तीन किस्तों में मिलते हैं।
2. सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर: आर्थिक सहायता सीधे किसानों के बैंक खातों में जाती है।
3. कर्ज़ से राहत: छोटे किसानों को कर्ज लेने की जरूरत कम होती है।
4. सभी किसानों के लिए उपलब्ध: छोटे एवं सीमांत किसानों के साथ-साथ बड़े किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
PM-Kisan योजना के लिए पात्रता
- भारतीय नागरिक होना आवश्यक।
- किसान के पास खेती योग्य भूमि होनी चाहिए।
- सरकारी कर्मचारियों और करदाताओं को योजना का लाभ नहीं मिलता।
- बैंक खाता और आधार कार्ड लिंक होना जरूरी है।
योजना की प्रमुख चुनौतियाँ
- आधार और बैंक खाते का लिंक न होना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता की कमी।
- योजना के क्रियान्वयन में कहीं-कहीं भ्रष्टाचार की शिकायतें।
PM-Kisan योजना का महत्व
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ने देश के लाखों किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है। इस योजना के माध्यम से किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं और कृषि में नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
गिरदावली कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो किसान की भूमि, फसल और खेती से संबंधित आवश्यक जानकारी को रिकॉर्ड करता है। गिरदावली के बिना, किसानों को कई प्रकार की प्रशासनिक, कानूनी और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। आइए जानते हैं कि किसान गिरदावली के बिना आने वाली समस्याओं से कैसे बच सकते हैं।
1. गिरदावली का नियमित अद्यतन
सबसे पहला और महत्वपूर्ण उपाय है कि किसान अपनी गिरदावली को नियमित रूप से अद्यतन रखें। जब भी कोई भूमि की खरीद-बिक्री हो या फसल का प्रकार बदले, तो किसान को तुरंत अपनी गिरदावली में यह बदलाव दर्ज करवाना चाहिए। कई बार किसानों की गिरदावली पुरानी हो जाती है, जिससे उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में दिक्कत होती है। इसलिए नियमित अद्यतन आवश्यक है।
2. डिजिटल सेवाओं का लाभ उठाना
कई राज्य सरकारों ने गिरदावली की जानकारी को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की सुविधा दी है। किसान ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपनी गिरदावली की स्थिति को जांच सकते हैं और समय-समय पर आवश्यक बदलाव कर सकते हैं। डिजिटल सेवाओं का उपयोग कर किसान अपनी गिरदावली को सुरक्षित और अद्यतित रख सकते हैं।
3. राजस्व विभाग से संपर्क में रहें
गिरदावली से संबंधित किसी भी समस्या या त्रुटि की जानकारी प्राप्त होने पर किसान को तुरंत स्थानीय राजस्व विभाग से संपर्क करना चाहिए। इससे किसी भी प्रकार की भूमि या फसल से संबंधित समस्या को जल्दी सुलझाया जा सकता है। राजस्व विभाग की मदद से किसान भूमि के स्वामित्व और अधिकार संबंधी विवादों से भी बच सकते हैं।
4. भूमि के स्वामित्व के दस्तावेज़ सुरक्षित रखें
गिरदावली के साथ-साथ भूमि के अन्य स्वामित्व से जुड़े दस्तावेज जैसे कि पट्टा, रजिस्ट्री, और खसरा को भी सुरक्षित रखें। ये दस्तावेज भविष्य में भूमि संबंधी किसी भी विवाद या समस्या का हल निकालने में सहायक हो सकते हैं। यदि गिरदावली में कोई त्रुटि होती है, तो ये दस्तावेज़ आपकी सही जानकारी साबित करने में मदद करेंगे।
5. फसल बीमा और ऋण के लिए प्री-अप्रूव्ड योजना
किसानों को फसल बीमा और कृषि ऋण योजनाओं का लाभ उठाने के लिए समय से पहले योजना बनानी चाहिए। गिरदावली को अद्यतित रखकर किसान फसल बीमा, कृषि ऋण और अन्य सरकारी सहायता प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए गिरदावली का सही रिकॉर्ड होना अनिवार्य है।
6. कृषि संगठनों और सलाहकारों से मदद लें
कई बार गिरदावली के बारे में जानकारी का अभाव किसानों के लिए समस्याएँ उत्पन्न करता है। इसके लिए किसान कृषि संगठनों, सलाहकारों, और स्थानीय पंचायत के सदस्यों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। ये संस्थाएँ किसानों को गिरदावली से संबंधित प्रक्रियाओं में मार्गदर्शन करती हैं और सरकारी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराती हैं।
7. कानूनी सहायता लें
यदि गिरदावली से संबंधित कोई बड़ा विवाद उत्पन्न होता है या भूमि स्वामित्व पर कोई प्रश्न खड़ा होता है, तो किसान को कानूनी सहायता लेने में देर नहीं करनी चाहिए। किसी वकील की सलाह लेकर किसान अपनी भूमि का सही अधिकार साबित कर सकते हैं और सरकारी नियमों का पालन कर सकते हैं।
मध्य प्रदेश में 2024-25 धान खरीद: तिथियां, प्रक्रिया और MSP के बारे में पूरी जानकारी
मध्य प्रदेश में 2024-25 के खरीफ सत्र के लिए धान खरीद की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। यह लेख आपको धान खरीद की तिथि, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), पंजीकरण प्रक्रिया, और खरीद केंद्रों के बारे में सभी जरूरी जानकारी देगा। मध्य प्रदेश सरकार ने धान खरीद को पारदर्शी और सुगम बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं ताकि किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल सके।
धान खरीद की तिथि: मध्य प्रदेश 2024-25
मध्य प्रदेश में धान खरीद 19 नवंबर 2024 से शुरू होगी और 10 जनवरी 2025 तक चलेगी। सरकार ने सभी जिलों में खरीद केंद्र स्थापित किए हैं, जहां किसान अपनी फसल निर्धारित समय पर बेच सकते हैं। यह तिथियां राज्य में कटाई के समय और फसल की तैयारी के अनुसार तय की गई हैं ताकि सभी किसानों को अपनी फसल बेचने का पर्याप्त समय मिल सके।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2024-25
धान के लिए सरकार ने 2024-25 के सत्र में MSP निर्धारित किया है, ताकि किसानों को बाजार की अस्थिरता से बचाया जा सके। इस साल के लिए घोषित MSP इस प्रकार हैं:
- साधारण धान: ₹2,300 प्रति क्विंटल
- ग्रेड-ए धान: ₹2,320 प्रति क्विंटल
यह MSP सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम मूल्य मिलेगा, भले ही बाजार में कीमतें कम क्यों न हों।
धान खरीद प्रक्रिया: पंजीकरण और दस्तावेज़
मध्य प्रदेश में धान बेचने के लिए किसानों को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। बिना पंजीकरण के कोई भी किसान अपनी फसल खरीद केंद्र पर नहीं बेच सकता। पंजीकरण प्रक्रिया ऑनलाइन होगी, जिसे राज्य के कृषि पोर्टल पर किया जा सकता है। पंजीकरण के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है:
- आधार कार्ड या पहचान पत्र
- बैंक खाता विवरण (बैंक पासबुक)
- भूमि के दस्तावेज (खसरा, खतौनी)
- पंजीकरण प्रमाण पत्र
पंजीकरण के बाद, किसान को राज्य सरकार द्वारा स्थापित खरीद केंद्र पर अपनी फसल लेकर जाना होगा, जहां नमी और गुणवत्ता की जांच की जाएगी। धान में नमी की मात्रा अधिकतम 17% होनी चाहिए। यदि धान में नमी का स्तर अधिक होता है तो उसे अस्वीकार कर दिया जाएगा।
धान की गुणवत्ता और भुगतान प्रक्रिया
धान की गुणवत्ता जांचने के बाद, केंद्र पर स्वीकार किए गए धान का भुगतान सीधे किसान के बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से किया जाएगा। सरकार ने भुगतान प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने के लिए यह व्यवस्था की है ताकि किसानों को समय पर उनकी फसल का मूल्य मिल सके।
किसानों के लिए जरूरी सुझाव
1. समय पर पंजीकरण करें: पंजीकरण प्रक्रिया अनिवार्य है, इसलिए किसान समय रहते राज्य के पोर्टल पर जाकर अपना पंजीकरण कराएं।
2. धान को अच्छी तरह सुखाएं: धान की नमी 17% से अधिक न हो, इसके लिए फसल की कटाई के बाद उसे अच्छी तरह से सुखाना बेहद जरूरी है। इससे खरीद केंद्र पर फसल की जांच में कोई समस्या नहीं होगी।
3. सभी दस्तावेज तैयार रखें: खरीद केंद्र पर पंजीकरण से जुड़े दस्तावेज और पहचान पत्र साथ ले जाएं ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो।
4. खरीद केंद्र पर समय से जाएं: धान खरीद प्रक्रिया के दौरान भीड़ और लंबी कतारों से बचने के लिए समय पर खरीद केंद्र पहुंचना फायदेमंद होगा।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में 2024-25 के धान खरीद अभियान के तहत राज्य सरकार ने किसानों के हित में कई आवश्यक कदम उठाए हैं। MSP में बढ़ोतरी, DBT के माध्यम से पारदर्शी भुगतान, और खरीद केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण जांच जैसे उपायों से किसानों को फसल का उचित मूल्य मिलेगा। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे समय पर पंजीकरण कराएं, गुणवत्ता मानकों का पालन करें, और अपनी फसल बेचने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार रखें।
धान खरीद प्रक्रिया की पूरी जानकारी के साथ, यह सुनिश्चित करें कि आप सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए अपनी फसल का लाभ उठाएं।
सहकारिता में वेतन संघर्ष एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जिसमें कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने और सुविधाओं की कमी के कारण असंतोष बढ़ रहा है। यह समस्या न केवल कर्मचारियों के व्यक्तिगत जीवन पर असर डाल रही है, बल्कि सहकारी संगठनों की कार्यक्षमता और सामुदायिक विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। इस लेख में हम सहकारिता संगठनों में वेतन संघर्ष के प्रमुख कारण, इसके प्रभाव और समाधान के सुझावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
सहकारिता संगठनों में वेतन संघर्ष के प्रमुख कारण
1. अवसरों की कमी: सरकारी और निजी क्षेत्रों की तुलना में सहकारिता संगठनों में कर्मचारियों के लिए अवसर सीमित होते हैं, जिससे उनका वेतन अपेक्षाकृत कम रहता है।
2. वित्तीय संकट: कई सहकारी समितियाँ वित्तीय कुप्रबंधन और घाटे में चल रही हैं, जिससे कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पाता है।
3. प्रशासनिक उपेक्षा: उच्च स्तर पर प्रशासनिक उदासीनता के कारण कर्मचारियों के वेतन और सुविधाओं पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है।
4. नियामकीय बाधाएँ: सरकारी नियमों और नीतियों के अनुपालन में समस्याएँ आने से सहकारिता संगठनों की कार्यप्रणाली बाधित होती है, जिसका सीधा असर वेतन पर पड़ता है।
वेतन संघर्ष का प्रभाव
- उत्पादकता में कमी: समय पर वेतन न मिलने से कर्मचारियों का मनोबल गिरता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
- ग्रामीण विकास पर असर: सहकारी समितियों और बैंकों में व्यवधान उत्पन्न होने से **किसानों** और छोटे व्यापारियों को नुकसान होता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में इन संगठनों पर निर्भर रहते हैं।
- संगठनों की छवि पर असर: लंबे समय तक चलने वाले वेतन आंदोलन सहकारी संगठनों की साख और विश्वसनीयता को नुकसान पहुँचाते हैं।
वेतन संघर्ष के समाधान के सुझाव
1. वेतन संरचना में सुधार: सहकारी संगठनों में कर्मचारियों के वेतन ढाँचे को सुधारा जाए, ताकि उन्हें सरकारी और निजी क्षेत्रों के समान अवसर मिल सकें।
2. नियमित वित्तीय समीक्षा: सहकारी समितियों के वित्तीय प्रबंधन की नियमित समीक्षा और निगरानी से अनियमितताओं को दूर किया जा सकता है।
3. सरकारी सहायता: सरकार को सहकारी संगठनों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए विशेष योजनाएँ बनानी चाहिए।
4. कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा: सहकारी कर्मचारियों के वेतन और अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानूनी प्रावधान किए जाने चाहिए, ताकि उनका शोषण न हो सके।
सहकारिता में वेतन संघर्ष: एक गंभीर समस्या है, जिसका समय रहते समाधान किया जाना आवश्यक है। सहकारी संगठनों के कर्मचारियों का वेतन संघर्ष न केवल उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, बल्कि सामुदायिक विकास और संगठन की सफलता पर भी गहरा असर डालता है। इस समस्या का समाधान सरकार, सहकारी संगठन और कर्मचारियों के सामूहिक प्रयासों से ही संभव हो सकता है।
Sarkari Yojana: प्रधानमंत्री किसान सन्मान निधी (PM Kisan Samman Nidhi) योजनेअंतर्गत देशातील शेतकऱ्यांसाठी महत्वाची माहिती समोर येत आहे. आतापर्यंत शेतकऱ्यांना या योजनेतून 18 हप्ते मिळाले आहेत आणि आता 19 वा हप्ता कधी येणार हा प्रश्न शेतकऱ्यांच्या मनात आहे.
देशातील सर्व पात्र शेतकऱ्यांना पीएम किसान सन्मान निधी योजनेअंतर्गत 6,000 रुपये वार्षिक मदत दिली जाते, जी तीन समान हप्त्यांमध्ये वाटप केली जाते. शेतकऱ्यांना 5 ऑक्टोबर 2024 रोजी 18 व्या हप्त्याचे 2,000 रुपये मिळाले आहेत. त्यामुळे आता शेतकरी 19 व्या हप्त्याच्या प्रतीक्षेत आहेत, जो मीडिया रिपोर्ट्सनुसार, केंद्र सरकार पीएम किसान योजनेअंतर्गत 19 वा हप्ता लवकरच जारी करणार आहे.
पीएम किसान योजना केंद्र सरकारद्वारे चालवली जाणारी एक महत्वपूर्ण योजना आहे, ज्यामध्ये देशातील लहान आणि मध्यम शेतकऱ्यांना आर्थिक सहाय्य दिले जाते. या योजनेतून शेतकऱ्यांना दर चार महिन्यांनी 2,000 रुपये मिळतात. त्यामुळे शेतकरी या पैशांचा उपयोग शेतीसाठी लागणारे बियाणे, खते आणि अन्य आवश्यक वस्तू खरेदी करण्यासाठी करतात.
पीएम किसान योजनेचा 19 वा हप्ता कधी मिळणार याची माहिती जाणून घेण्यासाठी शेतकरी पीएम किसानच्या अधिकृत वेबसाइटवर जाऊन त्यांची स्थिती तपासू शकतात. त्यासाठी खालील चरणांचा अवलंब करावा:
मीडिया रिपोर्ट्सनुसार, केंद्र सरकार येत्या फेब्रुवारी 2025 मध्ये पीएम किसान योजनेअंतर्गत 19 वा हप्ता जारी करणार आहे. एकदा हा हप्ता रिलीज झाल्यानंतर शेतकऱ्यांच्या बँक खात्यात थेट 2,000 रुपये जमा होतील.
शेतकऱ्यांसाठी ही योजना फार महत्वाची आहे कारण ती त्यांना आर्थिक स्थैर्य मिळवून देते. त्यामुळे शेतकऱ्यांनी पीएम किसान पोर्टलवर आपली स्थिती नियमितपणे तपासली पाहिजे आणि आवश्यक कागदपत्रे अद्ययावत ठेवली पाहिजेत.
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धान खरीद मूल्य: MSP, खरीद प्रक्रिया और चुनौतियाँ
धान खरीद मूल्य (Minimum Support Price - MSP) किसानों के लिए सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य है, जिस पर उनकी फसल खरीदी जाती है। भारत में धान एक प्रमुख फसल है, और इसके उत्पादन व खरीद प्रक्रिया का सीधा संबंध किसानों की आय और कृषि क्षेत्र की समृद्धि से है। MSP किसानों को उनकी लागत से अधिक मूल्य देकर सुरक्षा प्रदान करता है, ताकि वे अपनी फसल बाजार के अस्थिर भाव से प्रभावित हुए बिना बेच सकें। इस लेख में हम धान खरीद मूल्य, उसकी प्रक्रिया, और MSP से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
धान खरीद मूल्य (MSP) क्या है?
धान का खरीद मूल्य किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम मूल्य प्रदान करने का एक सरकारी प्रयास है। MSP सरकार द्वारा तय की गई वह राशि है, जिस पर किसान अपनी फसल सरकारी एजेंसियों को बेच सकते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य देना और उन्हें बाजार की अस्थिरता से सुरक्षा प्रदान करना है।
MSP का निर्धारण कैसे होता है?
भारत सरकार के कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा धान का MSP निर्धारित किया जाता है। CACP निम्नलिखित कारकों को ध्यान में रखकर MSP की सिफारिश करता है:
1. उत्पादन लागत
2. बाजार में आपूर्ति और मांग
3. किसानों की आजीविका और आय
4. कृषि क्षेत्र की स्थिति
5. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में धान की कीमतें
CACP का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि किसानों को उनकी लागत के आधार पर लाभ मिल सके और उन्हें खेती करने के लिए प्रोत्साहन मिले।
धान की खरीद प्रक्रिया
धान खरीदने के लिए सरकार ने एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया बनाई है, जिसमें मुख्य रूप से तीन चरण होते हैं:
1. सरकारी एजेंसियों की भूमिका : भारतीय खाद्य निगम (FCI), राज्य सरकार की मंडियां, और सहकारी समितियाँ धान की खरीद में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
2. किसानों की भागीदारी : किसान अपनी फसल को मंडियों में लाकर MSP पर बेचते हैं। इसके बाद खरीदी गई फसल का भंडारण और वितरण किया जाता है।
3. भंडारण और वितरण : सरकारी एजेंसियाँ खरीदी गई फसल को सुरक्षित रखती हैं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से गरीबों तक पहुँचाती हैं।
MSP में बदलाव और चुनौतियाँ
हाल के वर्षों में सरकार ने धान के MSP में बढ़ोतरी की है। हालांकि, कुछ प्रमुख चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं:
1. बाजार की अस्थिरता : बाजार में कीमतें MSP से ऊपर-नीचे होती रहती हैं, जिससे किसानों को उपज बेचने में समस्या आ सकती है।
2. भंडारण की कमी : ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त भंडारण की कमी है, जिससे फसलों को समय पर सुरक्षित रखने में दिक्कत होती है।
3. किसानों की जागरूकता : कई किसान MSP के बारे में पूरी जानकारी न होने के कारण अपनी फसल कम कीमत पर बेचने को मजबूर होते हैं।
सरकार की नीतियाँ और सुधार
धान खरीद प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने के लिए सरकार कई योजनाएँ चला रही है, जैसे डिजिटल मंडियों की स्थापना, किसानों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए नकद सहायता, और MSP को अधिक पारदर्शी बनाने के प्रयास। इसके साथ ही भंडारण सुविधाओं में सुधार और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को भी सुदृढ़ किया जा रहा है।
निष्कर्ष
धान खरीद मूल्य किसानों की आर्थिक स्थिति और कृषि क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, MSP से जुड़े कई लाभ हैं, फिर भी किसानों को बाजार की अस्थिरता, भंडारण की समस्याएँ, और जागरूकता की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। MSP प्रणाली को और बेहतर बनाने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है, ताकि किसान सशक्त हो सकें और कृषि क्षेत्र का समग्र विकास हो सके।
धान खरीद कि नितियॉ
1. धान खरीद मूल्य
2. धान MSP
3. धान समर्थन मूल्य
4. MSP क्या है
5. धान की खरीद प्रक्रिया
6. किसानों की MSP
7. कृषि में धान खरीद
8. भारत में धान समर्थन मूल्य
9. MSP के फायदे
10. धान खरीद मूल्य 2024
FAQs (Frequently Asked Questions)
1. धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या होता है?
MSP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है।
2. धान का MSP कैसे निर्धारित होता है?
कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) विभिन्न कारकों के आधार पर MSP की सिफारिश करता है।
3. धान की खरीद प्रक्रिया क्या है?
सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियाँ किसानों से MSP पर धान खरीदती हैं और भंडारण व वितरण की प्रक्रिया पूरी करती हैं।
4. धान खरीद मूल्य 2024 में क्या बदलाव हुए हैं?
हर साल सरकार धान के MSP में परिवर्तन करती है, और 2024 में भी MSP में वृद्धि की संभावना है।
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग: योजनाएं, उद्देश्य और लाभ
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग क्या है?
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग का मुख्य उद्देश्य किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारना है। इसके तहत कृषि क्षेत्र में सुधार, नई तकनीकों को बढ़ावा देने और किसानों को वित्तीय सहायता देने की योजनाएं चलाई जाती हैं। इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में वृद्धि होती है।
किसान कल्याण विभाग की योजनाएं और लाभ
1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN):
यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। प्रत्येक किसान को सालाना 6,000 रुपये की मदद दी जाती है, जिससे उनकी आय में सुधार हो सके।
2. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) :
यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले फसल नुकसान से सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है ताकि वे अपने नुकसान की भरपाई कर सकें।
3. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY):
किसानों को सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने के लिए यह योजना चलाई गई है। इसका उद्देश्य "हर खेत को पानी " और "अधिक फसल, हर बूंद" के सिद्धांत पर आधारित है।
4. राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM):
यह एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो किसानों को अपनी उपज सीधे बाजार में बेचने का अवसर देता है। इससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सकता है और बिचौलियों से छुटकारा मिलता है।
5. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना:
इस योजना के अंतर्गत किसानों को उनके खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य की जानकारी दी जाती है, ताकि वे फसल के अनुसार उर्वरक और पोषक तत्वों का उपयोग कर सकें। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और फसल उत्पादन में सुधार होता है।
कृषि विभाग के उद्देश्य
- आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रचार-प्रसार: किसानों को आधुनिक तकनीकों और उन्नत कृषि पद्धतियों से जोड़ना ताकि उनकी उत्पादकता में वृद्धि हो।
- किसानों की आय में वृद्धि: नई योजनाओं और तकनीकों के माध्यम से किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य पर काम करना।
- कृषि अवसंरचना का विकास: सिंचाई, भंडारण और विपणन के लिए आधारभूत ढांचे का विकास, जिससे किसानों को फसल उत्पादन और बिक्री में मदद मिल सके।
- पर्यावरणीय स्थिरता: जैविक खेती और प्राकृतिक संसाधनों के सही उपयोग को प्रोत्साहित करना ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे।
किसान कल्याण और कृषि विभाग की प्रमुख चुनौतियां
किसान कल्याण विभाग ने कई सुधार किए हैं, लेकिन फिर भी कुछ प्रमुख चुनौतियां बरकरार हैं:
- जलवायु परिवर्तन और बदलते मौसम की अनिश्चितताएं।
- कृषि उत्पादों के उचित मूल्य निर्धारण में अस्थिरता।
- सीमित संसाधनों के कारण किसानों के लिए आधुनिक तकनीकों का पहुंच से बाहर होना।
निष्कर्ष
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग किसानों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विभाग योजनाओं और नीतियों के माध्यम से कृषि क्षेत्र में सुधार कर रहा है। अगर आप किसान हैं या कृषि से संबंधित जानकारी की तलाश में हैं, तो इस विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी उत्पादकता और आय में वृद्धि कर सकते हैं।
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भूमिका: किसान पंजीकरण क्या है ?
भारत कृषि प्रधान देश है, जहां की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। किसानों की मदद के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं लागू करती है, लेकिन इन योजनाओं का सही लाभ तभी मिल सकता है जब किसान पंजीकृत हों। इसी कारण किसान पंजीकरण (Farmer Registration) का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यह लेख किसान पंजीकरण क्या है, इसकी प्रक्रिया, लाभ और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करता है।
किसान पंजीकरण क्या है?
किसान पंजीकरण(Farmer Registration) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसानों की व्यक्तिगत और कृषि संबंधी जानकारी एकत्रित की जाती है। यह जानकारी सरकार के डेटाबेस में दर्ज की जाती है, ताकि किसान विभिन्न सरकारी योजनाओं, सब्सिडी, और सुविधाओं का लाभ उठा सकें। इसके अंतर्गत किसान की पहचान, खेती की भूमि, फसल का प्रकार आदि जानकारी शामिल होती है।
किसान पंजीकरण के उद्देश्य:
1. सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना: पंजीकृत किसानों को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके।किसान पंजीकरण (Farmer Registration)
2. डेटा संग्रह और विश्लेषण: किसान पंजीकरण से सरकार को कृषि संबंधित आंकड़े इकट्ठा करने में मदद मिलती है, जो भविष्य की योजनाओं और नीतियों के निर्माण में सहायक होता है।
3. कृषि सुधार: पंजीकृत किसानों को उन्नत तकनीक, खेती के संसाधन, और नवीनतम कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जाती है, जिससे उत्पादन में सुधार होता है।
4. प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT): पंजीकृत किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ उनके बैंक खातों में ट्रांसफर किया जाता है, जिससे बिचौलियों का खतरा समाप्त हो जाता है।
किसान पंजीकरण की प्रक्रिया:
ऑनलाइन और ऑफलाइन किसान पंजीकरण प्रक्रिया के दो मुख्य तरीके हैं।
1. ऑनलाइन किसान पंजीकरण:
- किसान पीएम किसान पोर्टल या राज्य सरकार के पोर्टल पर जाकर खुद को पंजीकृत कर सकते हैं।
- इसके लिए आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, और भूमि की जानकारी देना आवश्यक है।
- सफल पंजीकरण के बाद किसान को एक यूनिक किसान आईडी प्रदान की जाती है।
2. ऑफलाइन किसान पंजीकरण:
- किसान नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) या कृषि कार्यालय में जाकर पंजीकरण करवा सकते हैं।
- आधार कार्ड और भूमि के दस्तावेजों की जरूरत होती है, जिसके आधार पर जानकारी दर्ज की जाती है।
किसान पंजीकरण के फायदे:
1. सरकारी योजनाओं का लाभ: पंजीकृत किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan), फसल बीमा, और कृषि यंत्रों पर सब्सिडी जैसी योजनाओं का लाभ मिलता है।
2. कृषि ऋण और वित्तीय सहायता: पंजीकृत किसान आसानी से कृषि ऋण प्राप्त कर सकते हैं, जिससे वे अपनी खेती में निवेश कर सकते हैं।
3. फसल बीमा और प्राकृतिक आपदा सहायता: किसान पंजीकरण के माध्यम से किसानों को फसल नुकसान होने पर बीमा और आपदा सहायता प्रदान की जाती है।
4. उन्नत तकनीक तक पहुंच: पंजीकृत किसानों को कृषि तकनीक और यंत्रों पर सब्सिडी मिलती है, जिससे उनकी उत्पादकता बढ़ती है।
किसान पंजीकरण की चुनौतियाँ:
1. डिजिटल ज्ञान की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसानों के पास इंटरनेट या तकनीकी जानकारी की कमी होती है, जिससे ऑनलाइन पंजीकरण कठिन हो जाता है।
2. दस्तावेजों की कमी: कुछ किसानों के पास अपनी जमीन के पक्के दस्तावेज नहीं होते, जो पंजीकरण में समस्या पैदा कर सकते हैं।
3. जागरूकता का अभाव: कई किसानों को किसान पंजीकरण की प्रक्रिया और लाभ के बारे में जानकारी नहीं होती, जिससे वे इसका फायदा नहीं उठा पाते।
निष्कर्ष:
किसान पंजीकरण किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो उन्हें सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और वित्तीय सहायता का लाभ पहुंचाने में मदद करती है। सरकार को इस प्रक्रिया को और सरल बनाने के साथ-साथ किसानों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।
महत्वपूर्ण जानकारी
- किसान पंजीकरण (Farmer Registration)
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan)
- फसल बीमा
- कृषि ऋण
- ऑनलाइन किसान पंजीकरण
- ऑफलाइन किसान पंजीकरण
- किसान आईडी
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT)
- सरकारी योजनाएं
- किसान सब्सिडी
- कृषि तकनीक
Farming: भारत में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की खेती होती है, और हर साल लाखों किसान इसके बेहतर उत्पादन के लिए प्रयास करते हैं। अगर आप भी गेहूं की खेती करते हैं और ज्यादा उत्पादन के साथ कम लागत में मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो ये जानकारी आपके लिए बेहद काम की है। सही बुवाई तकनीक और कुछ छोटे बदलाव अपनाकर आप अपनी फसल को बंपर उत्पादन दे सकते हैं।
आमतौर पर किसान परंपरागत तरीकों से बुवाई करते हैं, लेकिन समय के साथ नई तकनीकों का उपयोग करके न केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकता है, बल्कि लागत भी कम की जा सकती है। तो आइए जानते हैं गेहूं की बुवाई का सही तरीका और इससे होने वाले बड़े फायदे।
कई किसान अब भी हाथ से छिड़काव कर गेहूं की बुवाई करते हैं, लेकिन यह तरीका उत्पादन में कमी लाता है। छिड़काव से बीज असमान रूप से गिरते हैं, जिससे कुछ जगहों पर पौधे सघन होते हैं और उन्हें पर्याप्त धूप, पोषण और खाद नहीं मिल पाती। इसके बजाय, मशीन से बुवाई करें जिससे बीज और खाद एकसमान गिरते हैं, जिससे पौधों को सही दूरी पर रोपने में मदद मिलती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।
मशीन से गेहूं की बुवाई न केवल उत्पादन में वृद्धि करती है, बल्कि इसमें खर्च भी कम होता है। पौधों को सही मात्रा में खाद और पोषण मिलने से उनके विकास में सुधार होता है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा होता है।
इस विधि से गेहूं की खेती करने से किसान भाई कम लागत में ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी।
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Pik Vima Yojana 2024: खरीप 2023 हंगामासाठी राज्यात मंजूर झालेली एकूण 7,621 कोटी रुपयांची विमा नुकसान भरपाई शेतकऱ्यांसाठी दिलासा ठरली आहे. पिक विमा योजना बीड पॅटर्ननुसार राबविण्यात येत असून, ज्या ठिकाणी 110 टक्क्यांपेक्षा अधिक नुकसान भरपाई मंजूर झाली आहे, त्या ठिकाणी राज्य शासन अतिरिक्त नुकसान भरपाई प्रदान करते.
या हंगामातील विमा कंपनीकडून 5469 कोटी रुपये आधीच शेतकऱ्यांच्या खात्यावर जमा झाले आहेत. मात्र उर्वरित 1927 कोटी रुपये नुकसान भरपाई वाटप अद्याप बाकी होते. विशेषतः नगर जिल्ह्यातील शेतकऱ्यांना ओरिएंटल इन्शुरन्स कंपनीकडून सर्वाधिक रक्कम मिळणे बाकी होते.
या परिस्थितीमुळे शेतकरी संघटनांनी आंदोलनाची घोषणा केली होती. मात्र, 30 सप्टेंबर रोजी ओरिएंटल इन्शुरन्स कंपनीने 1927.52 कोटी रुपयांची नुकसान भरपाई देण्यास मंजुरी दिल्याचे आदेश जाहीर केले. त्यामुळे अनेक जिल्ह्यांतील शेतकऱ्यांनी समाधान व्यक्त केले आहे.
10 ऑक्टोबरनंतर शेतकऱ्यांच्या खात्यावर ही रक्कम जमा होण्यास सुरुवात होईल. या रकमेचा समावेश नाशिक 656 कोटी, जळगाव 470 कोटी, अहमदनगर 713 कोटी, सोलापूर 1.66 कोटी, सातारा 27.73कोटी, व चंद्रपूर 58.90 कोटी रुपये यांचा होतो. या रकमेचे वितरण तातडीने पूर्ण करण्यात येणार आहे.
शेतकऱ्यांनी आपले खात्याचे तपशील अद्ययावत ठेवून, आपल्या बँक खात्यात अनुदान जमा झाले आहे का याची तपासणी करणे गरजेचे आहे.
Sarkari Yojana 2024: नमस्कार शेतकरी मित्रांनो! तुम्हाला एक आनंदाची बातमी आहे. प्रधानमंत्री किसान सन्मान निधी योजना आणि नमो शेतकरी महासन्मान निधी योजनेच्या माध्यमातून महाराष्ट्रातील शेतकऱ्यांच्या खात्यात 4 हजार रुपये जमा होणार आहेत. हा विशेष हप्ता ऑगस्ट 2024 ते नोव्हेंबर 2024 या कालावधीतील अनुक्रमे 18 वा आणि 5 वा हप्ता म्हणून देण्यात येणार आहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यांच्या शुभहस्ते, शनिवार 5 ऑक्टोबर 2024 रोजी सकाळी 11 वाजता वाशिम येथील कार्यक्रमात हा हप्ता वितरीत केला जाईल.
या कार्यक्रमात महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, यवतमाळ-वाशिमचे पालकमंत्री संजय राठोड आणि कृषीमंत्री धनंजय मुंडे हे मान्यवर उपस्थित राहणार आहेत. या योजनांमुळे शेतकऱ्यांना निश्चित आर्थिक सहाय्य मिळत आहे.
शेतकऱ्यांना आर्थिक स्थैर्य देण्यासाठी केंद्र सरकारने 2019 साली प्रधानमंत्री किसान सन्मान निधी (पी. एम. किसान) योजना सुरू केली. या योजनेनुसार, पात्र शेतकरी कुटुंबांना दरवर्षी तीन हप्त्यांमध्ये 6,000 रुपये मिळतात. प्रत्येक हप्ता 2,000 रुपयांचा असतो आणि हा रक्कम थेट त्यांच्या आधार संलग्न बँक खात्यात जमा होते.
30 सप्टेंबर 2024 पर्यंत, महाराष्ट्रातील सुमारे 1.20 कोटी शेतकरी कुटुंबांना या योजनेच्या माध्यमातून एकूण 32,000 कोटी रुपये मिळाले आहेत. आता या कार्यक्रमात शेतकऱ्यांना 2,000 रुपये प्रधानमंत्री किसान सन्मान निधी योजनेतून आणि 2,000 रुपये नमो शेतकरी महासन्मान निधी योजनेतून मिळणार आहेत. म्हणजेच एकूण 4,000 रुपये 91.52 लाख शेतकरी कुटुंबांच्या खात्यात जमा होतील.
या योजनांमुळे महाराष्ट्रातील शेतकऱ्यांना मोठा दिलासा मिळत असून, त्यांच्या आर्थिक स्थितीत सुधारणा होण्यास मदत होईल.
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PM Kisan Nidhi Yojana: देश के करोड़ों किसानों के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। पीएम किसान योजना PM Kisan Nidhi Yojana की 18वीं किस्त की तारीख का ऐलान कर दिया गया है। 5 अक्टूबर 2024 को किसानों के खातों में यह राशि ट्रांसफर की जाएगी। यह खबर किसानों के लिए एक बड़ी राहत है, जो हर साल इस योजना से आर्थिक सहायता प्राप्त करते हैं।
अगर आप PM Kisan Nidhi Yojana का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपको जल्द से जल्द ई-केवाईसी (E-KYC) प्रक्रिया पूरी करनी होगी। बिना ई-केवाईसी और जमीन के सत्यापन के, किसान 18वीं किस्त का लाभ नहीं उठा सकेंगे। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि आपने यह प्रक्रिया पूरी कर ली है।
ई-केवाईसी न करने वाले किसानों को इस योजना के तहत मिलने वाली राशि नहीं मिलेगी। इसलिए, इस महत्वपूर्ण कार्य को जल्द से जल्द पूरा करें ताकि आप इस योजना का पूरा लाभ उठा सकें।
PM Kisan Nidhi Yojana के तहत किसानों को हर साल 6,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। यह राशि तीन किस्तों में वितरित की जाती है, प्रत्येक किस्त में 2,000 रुपये की रकम किसानों के खातों में जमा की जाती है। इस योजना का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना और उनकी कृषि कार्यों में सहायता प्रदान करना है।
पिछले साल, जून 2024 में 17वीं किस्त जारी की गई थी, जिससे किसानों को काफी राहत मिली थी। अब 5 अक्टूबर 2024 को 18वीं किस्त की राशि किसानों के खाते में ट्रांसफर की जाएगी, जिसका वे बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
ई-केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करना बेहद सरल है। यहां कुछ आसान स्टेप्स दिए जा रहे हैं जिनका पालन कर आप ई-केवाईसी कर सकते हैं:
PM Kisan Nidhi Yojana की 18वीं किस्त का लाभ उठाने के लिए किसानों को ई-केवाईसी प्रक्रिया को अनिवार्य रूप से पूरा करना होगा। केंद्र सरकार की इस योजना का उद्देश्य किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारना है, जिससे वे अपनी खेती में अधिकतम प्रगति कर सकें।
सरकार द्वारा 5 अक्टूबर 2024 को होने वाली राशि ट्रांसफर की प्रक्रिया का सभी किसान बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह एक सुनहरा अवसर है, जिसे किसानों को सही समय पर और सही तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।
Success Story: आपला देश कृषीप्रधान असल्यामुळे अनेक शेतकरी नवनवीन प्रयोग करत आपली शेती फायदेशीर बनवत असतात. असाच एक यशस्वी प्रयोग सोलापूर जिल्ह्यातील मोहोळ तालुक्यातील हराडवाडी गावात राहणारे शेतकरी लक्ष्मण दत्तात्रय शेळके यांनी केला आहे. त्यांनी ऊसाच्या शेतात आंतरपीक म्हणून कोथिंबीरची लागवड केली आणि फक्त तीन दिवसांत 50 हजार रुपयांची कमाई केली.
सध्या बाजारात कोथिंबीरच्या किमतीत मोठी वाढ झाली आहे. एका पेंढीला 50 ते 60 रुपयांचा भाव मिळत आहे. ही संधी ओळखून लक्ष्मण शेळके यांनी 30 ते 35 किलो धने लावून कोथिंबीरची लागवड ऊसाच्या शेतात केली. तीन दिवसांतच त्यांनी बाजारात कोथिंबीर विकून 50 हजार रुपयांचा नफा कमावला.
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उन्हाळ्यात कोथिंबीर पिकवणे कठीण जाते, परंतु लक्ष्मण शेळके यांनी पाईपद्वारे पाणी देऊन पिकाची काळजी घेतली. त्यामुळे मे महिन्यातील कडक उन्हात देखील त्यांच्या पिकाला चांगले पाणी मिळत राहिले, ज्यामुळे पीक चांगले आले. जर कोथिंबीरचा भाव असाच राहिला तर त्यांना 1 लाख रुपयांपर्यंत उत्पन्न मिळू शकते, असे ते म्हणतात.
शेतकरी लक्ष्मण शेळके यांच्या यशस्वी प्रयोगाने प्रेरणा घेऊन इतर शेतकरी देखील ऊसासारख्या मुख्य पिकांसोबत कोथिंबीरची आंतरपीक लागवड करू शकतात आणि भरघोस नफा मिळवू शकतात.
My khabar 24 :--डोंगरगाव येथे जंगली हत्तींचा धुमाकूळ; शेतपिकांची नासधूस*
*आमदार कृष्णा गजबे हे शेतकऱ्यांच्या बांधावर*
**देसाईगंज:- देसाईगंज तालुक्याच्या डोंगरगाव येथे जंगली हत्तींनी धुमाकूळ घालीत परिसरातील शेतकऱ्यांच्या शेतपिकांना पायदळी तुडवून मोठ्या प्रमाणावर नासधूस केली आहे.त्यामुळे शेतकरी हवालदिल होऊन आर्थिक विवंचनेत सापडला आहे. शेतकऱ्यांच्या शेतपिकांची मोठ्या प्रमाणावर जंगली हत्तींनी नासधूस केल्याची माहिती आमदार कृष्णा गजबे यांना कळताच, आज,१० सप्टेंबरला परिसरातील शेतकऱ्यांच्या शेत बांधावर जाऊन स्वतः पाहणी केली.**
*सध्या स्थितीत जंगली हत्ती देसाईगंज तालुका परिसरात वास्तव्यास आहेत.दोन दिवसांपूर्वी कुरखेडा तालुक्यातील गुरूनुली, अरततोंडी, शिरपूर व परिसरातील शेतकऱ्यांच्या धान पिकांची नासधूस केली होती.अशातच आता देसाईगंज तालुक्यात हत्तींनी धुमाकूळ घातला असल्याने देसाईगंज वन परिक्षेत्र अधिकारी मेहर यांना पाचारण करून तात्काळ शेतीच्या नुकसानीचे पंचनामे करून; नुकसाभरपाईची रक्कम शेतकरी बांधवांना देण्याची मागणी आमदार कृष्णा गजबे यांनी केली आहे.तसेच जंगली हत्तींचा बंदोबस्त तात्काळ करण्यात यावा; असेही या प्रसंगी गजबे यांनी वनाधिकारी यांना सांगितले आहे.*
*यावेळी आरमोरी विधानसभा क्षेत्राचे आमदार कृष्णा गजबे, भाजपा तालुका अध्यक्ष सुनील पारधी, तालुका महामंत्री वसंतरावजी दोनाडकर, सामाजिक कार्यकर्ते रोशन ठाकरे, कृषी उत्पन्न बाजार समितीचे संचालक हिरालालजी शेंडे, कैलाशजी पारधी, भास्कर बनसोड, भोलेनाथ धनबाते, श्रीराम ठाकरे व डोंगरगाव येथील शेतकरी बांधव उपस्थित होते.*
- शेतकऱ्यांना लाभ मिळवून देण्यात आमदार बंटी भांगडिया यांचा मोलाचा वाटा.
चिमूर -
भाजप महायुती शासनाने शेतकऱ्यांच्या हितासाठी, कल्याणासाठी ऐतिहासिक निर्णय घेतलेले असताना चिमूर तालुक्यातील शेतकऱ्यांना मोठया प्रमाणात लाभ मिळाला. त्यात आमदार बंटी भांगडिया यांचा मोलाचा वाटा असल्याने तालुक्यातील शेतकऱ्यांच्या वतीने आमदार बंटी भांगडिया यांचा सत्कार ५ सप्टेंबर गुरुवारला दु. २ वाजता भांगडीया नविन वाडा पिंपळनेरी रोड, चिमूर येथे करणार असल्याची माहिती संयोजक भाजप किसान आघाडी चिमूर विधानसभा एकनाथ थुटे यांनी दिली आहे.
महायुती सरकारने दोन वर्षात शेतकऱ्यांना पीक विमा, कापूस, सोयाबीन अनुदान, धान बोनस रक्कम, वीज बिल माफ, दिवसा शेती साठी १२ तास वीज पुरवठा असे अनेक शेतकरी वर्गाला सुखी करणारे निर्णय घेतले आहे. आमदार बंटी भांगडिया यांनी सतत पाठपुरवठा करीत शेतकऱ्यांना अनुदान मिळवून देण्यात त्यांचा सिंहाचा वाटा आहे. शेतकऱ्यांत आमदार भांगडीया विषयी एक आनंदाची पर्वणी आहे.