नवजात शिशुच्या जौविक पालक व नातेवाईकांनी भेटण्याचे आवाहन
गडचिरोली,(जिमाका),दि.10: दिनांक 21 ऑक्टोबर 2024 रोजी अंदाजे वय 01 दिवस, मौजा, खरपुंडी ते आकरटोली कडे जाणारा रस्ता ता. गडचिरोली जिल्हा. गडचिरोली येथे बालक आढळुन आलेला असता मा. पोलीस निरीक्षक, पोलीस स्टेशन गडचिरोली जि. गडचिरोली येथे सदर बालकांची तक्रार नोंद करण्यात आली असून त्या अनुषंगाने दिनांक 21 ऑक्टोबर 2024 रोजी पोलीस स्टेशन गडचिरोली यांनी सदर बालकाला मा. बाल कल्याण समिती गडचिरोली यांच्या समक्ष सादर केले असता, मा. बाल कल्याण समिती गडचिरोली यांच्या आदेशान्वये सदर बालकाला लोक कल्याण बहुउद्देशिय शिक्षण संस्था, व्दारा संचालीत गडचिरोली, पंचवटी वॉर्ड, बजरंग नगर, हनुमाण मंदिराच्या पाठीमागे जि. गडचिरोली या विशेष दत्तक संस्था येथे दाखल करण्यात आलेले आहेत.
करिता सदर बालकांचे जैविक माता-पिता व नातेवाईक यांनी बालकांचा ताबा मिळणेकरिता बातमी प्रकाशीत झाल्यापासुन 15 दिवसांच्या आत जिल्हा महिला व बाल विकास अधिकारी कार्यालय, गडचिरोली अंतर्गत जिल्हा बाल संरक्षण अधिकारी कार्यालय बॅरेक क्रमांक 01, खोली क्रमांक 26, 27 कलेक्टर कॉम्पलेक्स गडचिरोली मोबाईल क्रमांक- 9403704834, दुरध्वनी क्रमांक:-07132-222645 यावर संपर्क साधावा व जर मुदतीत दिलेल्या तारखेस संपर्क साधला नाही तर केंद्रिय दत्तक प्रधिकरण (CARA) नवी दिल्ली यांचे अधिसुचना नुसार दत्तक प्रक्रिये करिता सदर बालकास मा.बाल कल्याण समिती गडचिरोली यांच्या आदेशान्वये दत्तकाकरिता विधी मुक्त करुन सदर बालकांची दत्तक प्रक्रिया पूर्ण करण्यात येईल असे आवाहन श्री. अविनाश गुरनुले जिल्हा बाल संरक्षण अधिकारी यांनी केले आहे.
Mosquito: मच्छरों की तादात बढ़ने के साथ बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। डेंगू और मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां कई बार जानलेवा साबित हो सकती हैं। सर्दियों के नवंबर महीने में मच्छरों की संख्या और अधिक बढ़ जाती है, जिससे हर घर में यह शिकायत आम हो जाती है कि मच्छर सोने नहीं दे रहे। भिनभिनाहट और काटने की समस्या के चलते लोग कीटनाशक, अगरबत्ती और स्प्रे का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन फिर भी मच्छरों से राहत नहीं मिल रही।
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यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं, तो चिंता छोड़िए। यहां हम आपके लिए दादी-नानी के दो बेहतरीन घरेलू नुस्खे लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप मच्छरों को आसानी से दूर भगा सकते हैं।
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आप मच्छरों को भगाने के लिए तुलसी, गेंदा, या नीम जैसे पौधों को घर में लगाकर भी राहत पा सकते हैं। इन पौधों की खुशबू मच्छरों को दूर रखती है।
इन सरल और प्रभावी उपायों को अपनाकर आप न केवल मच्छरों से छुटकारा पा सकते हैं, बल्कि रातों की नींद भी खराब होने से बचा सकते हैं।
सद्गुरु ने पेट को साफ करने और बॉडी को डिटॉक्स करने का अद्भुत नुस्खा बताया है. यह बेहद आसान टिप्स है जिसे कोई भी अपना सकता है.
हमारे आयुर्वेद में कुछ मामूली चीजें इतनी ज्यादा फायदेमंद है कि यह बड़ी से बड़ी बीमारियां भी पास नहीं फटकने देती. पान के पत्ते ऐसी ही एक औषधि है जिसे अब लोगों ने खाना कम कर दिया है. सदगुरु ने इसके कुछ चमत्कारी फायदे के बारे में बताए हैं. हालांकि पान के पत्ते को लेकर कई वैज्ञानिक रिसर्च भी हुई हैं जिसमें इसके कई औषधीय गुणों की पड़ताल की गई है. एनसीबीआई की रिसर्च पेपर में पाया गया है कि पान के पत्ते एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर है. सदगुरु कहते हैं कि पान के पत्ते को लेकर जो वैज्ञानिक रिसर्च हुई हैं उससे इसमें कहीं ज्यादा गुण हैं. उन्होंने बताया कि पान के पत्ते को यूं ही नहीं देवी मां को चढ़ाया जाता है. देवी मां पर अर्णण करने के बाद इसे खा लिया जाता है क्योंकि देवी मां स्वयं इसे अपने भक्तों को खाने को कहते हैं. सदगुरु ने बताया कि पान को विभिन्न तरीकों से इसमें अन्य चीजें मिलाकर खाई जाती है. लेकिन यदि आप रात में बिस्तर पर जाने से पहले इसे खाएं तो इसका फायदा पेट पर सबसे ज्यादा होगा. आइए जानते हैं कि पान के पत्ते को रात में खाने पर इसका क्या फायदा होता है.
मुंह से शुरू होती है कहानी
सदगुरु ने बताया कि पान के फायदे मुंह से ही शुरू हो जाते हैं. यह एंटी-बैक्टीरियल होता है जिसके कारण मुंह में पान जाते ही वहां के बैक्टीरिया या फंगस मरने लगते है. वहीं यह मुंह को सुगंधित बनाता है जिसके कारण मुंह में अन्य हानिकारक चीजें भी नहीं आती है. मुंह और जीभ में अगर छाले हो तो उसे भी यह ठीक कर देता है. हालांकि इसके लिए पान में चूना का बेहद कम इस्तेमाल किया जाता है वरना जीभ कटने का भी डर रहता है.
अम्लनाशक
सदगुरु के मुताबिक पान का पत्ता अम्लनाशक होता है. यानी यह शरीर से जहर को निकालता है. साप काटने के बाद जो जहर बनता है, यह उसे भी निकाल देता है. हालांकि यह पूरी तरह से ऐसा नहीं कर सकता लेकिन एक सीमा तक यह जहर को जरूर साफ करता है. अगर पेट में बहुत ज्यादा अम्ल बन रहा तो यह उसे कम करेगा.
सदगुरु कहते हैं कि पान के पत्ते उत्तेजक होते हैं. खासकर यदि आप इसमें सुपारी मिला दें तो यह बेहद उत्तेजक हो जाता है. इसमें न्यूरोलॉजिकल स्फूर्तिदायक गुण होता है. यानी यह नसों को स्पंदित करता है. इससे नसों में ताजगी आती है. जब नसों में ताजगी आती है तो यह पूरे शरीर को स्फूति से भर देता है.
पेट साफ करने में रामबाण
रात में पान खाने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे आपका बंद पेट भी साफ हो जाएगा. चाहे कितना भी कॉन्स्टिपेशन की समस्या क्यों न हो अगर पान को सही तरीके से लगाकर उसे खा लिया जाय तो कुछ दिनों में कब्ज ठीक हो जाती है. पान का पत्ता पेट में गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है. इसलिए यह पाचन तंत्र को बहुत मजबूत कर देता है. इससे गैस, एसिडिटी, ब्लोटिंग जैसी समस्याओं का खात्मा हो सकता है.
बैक्टीरिया के लिए दुश्मन
डाउन टू अर्थ ने रिसर्च के हवाले से बताया है कि पान के पत्ते ग्राम निगेटिव बैक्टीरिया जैसे कि ई. कोलाई और सियूडोमोनास आदि को मार देता है. इसके अलावा यह ग्राम पोजिटीव बैक्टीरिया जैसे कि स्टेफायलोकोकस और कैंडिंडा बैक्टीरिया को मारता है. वहीं यग फंगस से होने वाली बीमारियों को भी पान का पत्ता खत्म कर देता है.
पुरुषों के लिए फायदेमंद
आयुर्वेद में यह भी कहा गया है कि पान का पत्ता पुरुषों की मर्दानगी के लिए फायदेमंद है. पान के पत्ते का सेवन करने से स्पर्म की संख्या और क्वालिटी बढ़ती है. वही यह प्री-मेच्योर इजेकुलेशन को भी कम कर सकता है.
उम्र बढ़ाने में
पान के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं. इसलिए यह स्किन को जवां रखता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है.
खजूर एक ऐसा मेवा है जिसे सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. ठंड के मौसम में इस मेवा को खाने से शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. आपको बता दें कि खजूर को (Dates) डेट्स के नाम से जाना जाता है. इसमें आयरन, मिनरल, कैल्शियम, अमीनो एसिड, फॉस्फोरस और विटामिन्स जैसे तमाम गुण पाए जाते हैं, जो शरीर को कई समस्याओं से बचाने में मददगार हैं. खजूर को डाइट में कई तरह से शामिल किया जा सकता है. खजूर को दूध के साथ खाने से इम्यूनिटी को मजबूत बनाया जा सकता है. मजबूत इम्यूनिटी शरीर को कई तरह के संक्रमण से बचाने में मदद करती है. तो चलिए जानते हैं खजूर खाने का तरीका और फायदे.
खजूर से आप खीर बना सकते हैं. खजूर की खीर काफी स्वादिष्ट लगती है. इसे आसानी से कम समय में बनाया जा सकता है.
सर्दियों के मौसम में खजूर को डाइट में शामिल करने का सबसे बेस्ट तरीका है लड्डू. खजूर से बने लड्डूओं को आप एक गिलास दूध के साथ भी खा सकते हैं. ये उन लोगों के लिए भी अच्छा माना जाता है जिनका वजन कम है और वो वजन को बढ़ाना चाहते हैं.
खजूर खाने से शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं. खजूर में कई तरह के मिनरल्स होते हैं जैसे, मैग्नीज, कॉपर आदि, जो शरीर के विकास और हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं. खून की कमी को दूर करने के लिए आप खजूर का सेवन कर सकते हैं. इतना ही नहीं अगर आप थकान महसूस कर रहे हैं तो खजूर को डाइट में शामिल कर सकते हैं. खजूर में पर्याप्त मात्रा में ग्लूकोज, फ्रक्टोज और सुक्रोज पाया जाता है, जो तुरंत एनर्जी देने में मदद कर सकते हैं.
Calcium Rich Foods for Kids: बच्चों की हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने के लिए कैल्शियम सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। यह न केवल हड्डियों को ताकत देता है, बल्कि मस्तिष्क और नर्व सिस्टम को भी सही तरीके से काम करने में मदद करता है।
अगर आपका बच्चा ग्रोइंग एज में है, तो उनकी डाइट में कैल्शियम रिच फूड्स शामिल करना बेहद जरूरी है। यह उनके शारीरिक और मानसिक विकास को तेजी से बढ़ाने में मदद करता है। इसके साथ, कैल्शियम के बेहतर अवशोषण के लिए विटामिन डी पर भी ध्यान देना चाहिए।
तो आइए जानते हैं उन 5 सुपरफूड्स के बारे में, जो बच्चों की हड्डियों को मजबूत और ग्रोथ को बेहतर बना सकते हैं।
दूध, दही, और पनीर जैसे डेयरी उत्पाद कैल्शियम के सबसे अच्छे स्रोत हैं। इनमें मौजूद कैल्शियम शरीर में जल्दी और आसानी से अवशोषित हो जाता है। बच्चों को रोजाना एक गिलास दूध, एक कटोरी दही, या पनीर जरूर दें।
पालक, मेथी, बथुआ, और सरसों की पत्तियां कैल्शियम और फाइबर का बेहतरीन स्रोत हैं। बच्चों के लिए इनका सूप या पराठा बनाकर दें। इससे न केवल हड्डियां मजबूत होंगी, बल्कि आयरन की कमी भी पूरी होगी।
तिल में कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। सर्दियों में तिल के लड्डू या तिल-गुड़ का हलवा बच्चों को जरूर खिलाएं। यह स्वादिष्ट भी है और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी।
सोया दूध, टोफू, और सोया चंक्स कैल्शियम और प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत हैं। इन्हें सब्जी, सूप या स्नैक के रूप में बच्चों की डाइट में शामिल करें।
बादाम और अखरोट पोषण से भरपूर होते हैं। इनमें कैल्शियम के साथ-साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है, जो मस्तिष्क के विकास के लिए बहुत जरूरी है। बच्चों को रोजाना 4-5 बादाम या अखरोट खिलाएं, या इनका पाउडर बनाकर दूध में मिलाकर दें।
निष्कर्ष
बच्चों की ग्रोथ और हेल्थ के लिए सही डाइट का होना बेहद जरूरी है। ऊपर बताए गए कैल्शियम रिच फूड्स को उनकी डाइट में शामिल करें और उन्हें स्वस्थ और मजबूत बनाएं। याद रखें, उनके बेहतर विकास के लिए विटामिन डी का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है।
Sugar Vs Jaggery: हमारे घरों में गुड़ और चीनी का इस्तेमाल आम है। पुराने समय से गुड़ को ज्यादा पसंद किया जाता है और यह खाने-पीने की कई चीजों में उपयोग होता है। भारत दुनिया का 70% गुड़ उत्पादन करता है। आयुर्वेद में गुड़ के ढेर सारे फायदों का वर्णन है और इसे दवाओं में भी उपयोग किया जाता है।
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चीनी और गुड़ दोनों गन्ने के रस से बनते हैं, लेकिन इनके प्रभाव अलग होते हैं। चीनी को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है, जबकि गुड़ को फायदेमंद। ऐसे में सवाल उठता है कि जब दोनों एक ही चीज से बनते हैं, तो इनमें इतना अंतर क्यों होता है?
गुड़ और चीनी की प्रॉसेसिंग में बड़ा अंतर होता है।
गुड़ में प्रोटीन, विटामिन A, C, E, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, मैंगनीज, फॉस्फोरस और आयरन पाए जाते हैं, जो इसे पोषण से भरपूर बनाते हैं। वहीं, चीनी में प्रोटीन, फैट या विटामिन नहीं होते। यही कारण है कि चीनी नुकसानदायक मानी जाती है।
गुड़ स्वास्थ्य के लिए चीनी से बेहतर है, लेकिन इसे भी सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए।
चीनी का अत्यधिक सेवन कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, जैसे:
निष्कर्ष
गुड़ और चीनी एक ही स्रोत से बनते हैं, लेकिन उनकी प्रॉसेसिंग और पोषण तत्वों में बड़ा अंतर होता है। गुड़ को संतुलित मात्रा में खाने से यह सेहतमंद रहता है, जबकि चीनी का अत्यधिक सेवन कई बीमारियों का कारण बन सकता है।
Disclaimer: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी स्वास्थ्य सलाह को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर लें।
Foods That Trigger Acid Reflux: एसिडिटी एक आम समस्या है, जिससे हम में से ज्यादातर लोग कभी न कभी जूझते हैं। यह तब होती है जब पेट में जरूरत से ज्यादा एसिड बनता है। इससे सीने में जलन, पेट दर्द, गैस और खट्टी डकार जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। अनियमित खान-पान, खराब जीवनशैली और तनाव इसकी मुख्य वजहें हैं। अगर आप भी एसिडिटी से परेशान हैं, तो यह जानना जरूरी है कि कौन-से फूड्स आपकी परेशानी को और बढ़ा सकते हैं।
1. तला-भुना और मसालेदार खाना
ज्यादा तेल-मसाले वाले खाने से पेट में जलन बढ़ती है। डीप फ्राइड चीजें और मसालेदार भोजन एसिडिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। यह पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं और पेट में एसिड की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
2. खट्टे फल और सब्जियां
संतरा, अंगूर, नींबू और टमाटर जैसे खट्टे फलों में नेचुरल एसिड ज्यादा होता है, जो पेट में एसिड की समस्या को और बढ़ा सकता है। इनका सेवन सीमित मात्रा में करें।
3. चाय, कॉफी और अल्कोहल
कैफीन युक्त पेय, जैसे चाय, कॉफी और एनर्जी ड्रिंक्स पेट में एसिडिटी बढ़ा सकते हैं। अल्कोहल भी पेट में जलन और एसिड रिफ्लक्स का कारण बनता है।
4. ज्यादा मीठा खाना
केक, कुकीज और मिठाइयों में मौजूद रिफाइंड शुगर पाचन तंत्र पर दबाव डालती है। इससे पेट में एसिड का उत्पादन बढ़ जाता है, जो जलन और असुविधा का कारण बनता है।
5. डेयरी प्रोडक्ट्स
दूध और उससे बने प्रोडक्ट्स, जैसे पनीर या क्रीम, कुछ लोगों के लिए एसिडिटी का कारण बन सकते हैं।
एसिडिटी को नियंत्रित करना मुश्किल नहीं है, बस आपको अपने खान-पान में थोड़ा ध्यान देने की जरूरत है। ऊपर बताए गए फूड्स से बचकर और संतुलित आहार अपनाकर आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। अगर समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
भामरागड: येथील ग्रामीण रुग्णालयात तीन प्रशिक्षणार्थी परिचारिकांची सहकारी कर्मचाऱ्यांकडूनच छेड काढण्यात आल्याचा धक्कादायक प्रकार १३ नोव्हेंबरला उजेडात आला. त्यामुळे एकच खळबळ उडाली आहे.
नव्याने भरती झालेल्या परिचारिकांना प्रशिक्षणार्थी म्हणून विविध आरोग्य केंद्रांत पाठविण्यात आले आहे. त्यानुसार भामरागड ग्रामीण रुग्णालयात पाठविलेल्या तीन परिचारिकांसोबत हा किळसवाणा प्रकार घडल्याने संतापाची लाट पसरली आहे. या परिचारिकांनी ग्रामीण रुग्णालयातील महिला तक्रार निवारण समितीसह वैद्यकीय अधीक्षकांकडे तक्रार केली. त्यानंतर त्यांनी याची गंभीर दखल घेत तिघांनाही ग्रामीण रुग्णालयातून कार्यमुक्त करून जिल्हा रुग्णालयाच्या आस्थापनेकडे पाठवले आहे. या तिघांवर काय कारवाई होते, याकडे आरोग्य वर्तुळाचे लक्ष वेधले आहे.
भामरागड येथील घटनेची गंभीर दखल घेतली आहे. यासंदर्भात कार्यालयीन तक्रार निवारण समितीमार्फत चौकशी करून अहवाल मागवला आहे. त्यानुसार योग्य ती कार्यवाही केली जाईल. कोणाचीही गय केली जाणार नाही.
-डॉ. माधुरी किलनाके,
जिल्हा शल्यचिकित्सक
यांच्याविरुद्ध आहे तक्रार प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ
एका परिचारिकेच्या तक्रारीनुसार, २१ सप्टेंबर २०२४ रोजी तिला खांद्यावरहात ठेवून कानात मला तू आवडते,असे म्हटला.
कनिष्ठ लिपिक खोकल्याचे औषध मागण्याच्या बहाण्याने परिचारिकेला बोलावून घेतले. त्यानंतर जवळ खुर्चीत बसवून आक्षेपार्ह संभाषण केले. १० नोव्हेंबर २०२४ला ही घटना घडली.
वैज्ञानिक सहाय्यक
प्रशिक्षणार्थी विद्यार्थिनीस फोन करून १३ नोव्हेंबर २०२४ रोजी तू साडीवर खूप छान दिसते, असे म्हटला.
Wellhealth Ayurvedic Health Tips: सर्दियों के मौसम में मूली का सेवन काफी बढ़ जाता है। यह न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। मूली में विटामिन्स, मिनरल्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मूली कुछ चीजों के साथ खाना आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है?
आइए जानते हैं कि मूली के साथ किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए:
आयुर्वेद के अनुसार, मूली और करेला एक साथ नहीं खाने चाहिए। इन दोनों का मिश्रण पेट के लिए सही नहीं होता। मूली और करेला का सेवन शरीर में गर्मी बढ़ा सकता है, जिससे पेट में गड़बड़ी, दिल की धड़कन की समस्या, या सांस लेने में परेशानी हो सकती है। अगर घर में करेला बने, तो उस दिन मूली का सेवन न करें।
मूली खाने के बाद तुरंत चाय पीना सही नहीं होता। चाय की तासीर मूली के विपरीत होती है, जिससे पाचन पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, मूली खाने के बाद कम से कम 1-2 घंटे चाय से परहेज करें।
मूली और दूध दोनों की तासीर अलग-अलग होती है। इन दोनों का एक साथ सेवन करने से पेट में अपच, जलन और एसिडिटी हो सकती है। इसलिए, इन दोनों को एक साथ खाने से बचें और कुछ घंटे का अंतराल रखें।
मूली और संतरे का सेवन भी एक साथ नहीं करना चाहिए। संतरे में विटामिन C और एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो मूली के साथ मिलकर पेट की समस्याएं जैसे कब्ज, गैस और ब्लोटिंग का कारण बन सकती है।
मूली के साथ खट्टे फल जैसे नींबू या अमरूद का सेवन भी पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। इनका मिश्रण एसिडिटी और पेट में गड़बड़ी का कारण बन सकता है, इसलिए इनसे बचें।
चाय हमारे रोज़मर्रा के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई है। चाहे सुबह की शुरुआत हो, शाम की थकान मिटानी हो, या दोस्तों के साथ समय बिताना हो – चाय हर पल को खास बनाती है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि आपकी पसंदीदा चाय का आपकी सेहत पर कैसा असर होता है? इस लेख में हम जानेंगे *चाय पीने के फायदे और नुकसान*, ताकि आप इसके बारे में पूरी जानकारी ले सकें।
चाय पीने के 5 बड़े फायदे
1. एंटीऑक्सीडेंट्स का बेहतरीन स्रोत
चाय में कैटेचिन और फ्लेवोनोइड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को जवां और शरीर को स्वस्थ रखते हैं।
2. मानसिक ताजगी और फोकस में सुधार
चाय में मौजूद कैफीन मानसिक स्फूर्ति लाने में सहायक है। एक कप चाय आपके ध्यान और एकाग्रता को बेहतर बनाता है, जिससे आपका काम अधिक प्रभावी हो जाता है।
3. वजन घटाने में मददगार
ग्रीन टी जैसे चाय के प्रकार मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर वजन कम करने में सहायक होते हैं। ग्रीन टी का नियमित सेवन वजन प्रबंधन में मदद कर सकता है।
4. दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
नियमित रूप से चाय पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित रहता है, जो दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करता है। यह दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है।
5. पाचन में सुधार
अदरक या पुदीना वाली चाय पाचन को बेहतर करती है। इससे गैस, पेट में भारीपन और अन्य पाचन समस्याओं में राहत मिलती है।
चाय पीने के नुकसान
1. कैफीन की लत का खतरा
चाय में कैफीन की मात्रा होती है, जो अधिक मात्रा में लेने से लत लग सकती है। इससे अनिद्रा, घबराहट और चिंता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
2. खाली पेट पीने पर एसिडिटी
अगर आप खाली पेट चाय पीते हैं, तो यह एसिडिटी का कारण बन सकती है। पेट में जलन और गैस की समस्या हो सकती है, खासकर दूध वाली चाय से।
3. आयरन अवशोषण में कमी
चाय में टैनिन्स होते हैं, जो शरीर में आयरन अवशोषण को कम करते हैं। इसलिए खाने के तुरंत बाद चाय पीने से बचें, खासकर अगर आप एनीमिया से ग्रस्त हैं।
4. दांतों पर दाग
नियमित रूप से चाय पीने से दांतों पर पीले दाग पड़ सकते हैं। टैनिन्स के कारण दांतों का रंग बिगड़ सकता है, जिससे आपकी मुस्कान फीकी पड़ सकती है।
5. गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी
गर्भवती महिलाओं को चाय की अधिक मात्रा से बचना चाहिए, क्योंकि कैफीन का अधिक सेवन गर्भस्थ शिशु के विकास पर असर डाल सकता है।
निष्कर्ष
चाय का सही तरीके से सेवन कई फायदे पहुंचा सकता है। संतुलित मात्रा में चाय पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन इसकी अधिकता नुकसानदेह हो सकती है। ग्रीन टी, हर्बल टी, या लेमन टी जैसे कम कैफीन वाले विकल्प आज़माएं, ताकि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें।
पेन स्टेट के शोधकर्ताओं ने पाया कि 1950 के दशक से मीठे पानी के वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ रही है, जिसका संबंध वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन से है। अध्ययन ने चार पेंसिल्वेनिया वाटरशेड से तलछट कोर की जांच की और पाया कि जनसंख्या घनत्व या भूमि उपयोग और उच्च माइक्रोप्लास्टिक स्तरों के बीच कोई संबंध नहीं है। हालांकि, 2010 तक प्रत्येक दशक में माइक्रोप्लास्टिक संचय में वृद्धि हुई और 2010 से 2020 तक इसमें कमी आई, संभवतः पुनर्चक्रण प्रयासों में वृद्धि के कारण। प्रदूषण में कमी के लिए प्लास्टिक की खपत और जोखिम को कम करने के तरीके खोजना महत्वपूर्ण है
Benefits Of Vicks: सर्दी-खांसी के दौरान विक्स का उपयोग तो आम बात है, लोग अक्सर इसे छाती और सिर पर लगाते हैं ताकि आराम मिले और नींद अच्छी आए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विक्स का इस्तेमाल शरीर के अन्य हिस्सों पर करके भी स्वास्थ्य लाभ लिया जा सकता है? विशेषज्ञों के अनुसार, यदि विक्स को छाती की बजाय पैरों के तलवों पर लगाकर हल्की मालिश की जाए, तो सर्दी-खांसी जल्दी ठीक हो सकती है।
रात में सोने से पहले पैरों के तलवों पर विक्स लगाने से न केवल राहत मिलती है, बल्कि सुबह आप बेहतर महसूस कर सकते हैं। हालांकि विक्स सर्दी या खांसी का इलाज नहीं है, पर कई लोग इसके इस्तेमाल से अस्थायी आराम पाने का दावा करते हैं। उनका मानना है कि विक्स से तलवों की मालिश के बाद खांसी, अस्थमा, सर्दी जैसे लक्षणों में भी आराम महसूस होता है।
मालिश के बाद पैरों को मोजे से ढक लेना चाहिए ताकि विक्स पूरी रात अपना असर दिखा सके। हालांकि वैज्ञानिक इस उपचार को प्रमाणित नहीं मानते, लेकिन बहुत से लोग बच्चों के लिए इसे फायदेमंद मानते हैं। मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि यह घरेलू नुस्खा तनाव कम करने में सहायक हो सकता है।
ध्यान देने की बात यह है कि विक्स का यह तरीका केवल शुरुआती लक्षणों में ही लाभकारी है और इसे मुख्य इलाज का विकल्प नहीं माना जा सकता। खासकर बच्चों पर इस नुस्खे का उपयोग करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतना जरूरी है ताकि किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सके।
आरमोरी विधानसभा क्षेत्राचे माजी आमदार हरिरामजी वरखडे यांचे आज 2 नोव्हेंबर रोजी रात्री 9 वाजता दरम्यान नागपूर येथील एका खाजगी रुग्णालयात उपचारदरम्यान निधन झाले .
सुरवातीला शिक्षकी पेशात असतांना झाडीपट्टी रंगभूमी च्या माध्यमातून अनेक भूमिका साकारलेले वरखेडे गुरुजी जनमाणसात अत्यंत लोकप्रिय होते.त्यांची लोकप्रियता बघून शिवसेनेने 1990 मध्ये त्यांना आरमोरी विधानसभा क्षेत्रातून उमेदवारी दिली. त्यावेळी त्यांनी तब्बल 36 हजार 528 मते घेत विजयी पताका फडकविली होती. 1990 ते 1995 च्या दरम्यान गडचिरोली जिल्ह्यात शिवसेनेचे पहिले आमदार होण्याचा बहुमान त्यांनी पटकविला होता.नंतर ते छगन भुजबळ यांच्यासोबत काँग्रेसवासी झाले होते.
समाजकारण व राजकारणात नेहमीच सक्रिय राहणारे वरखडे गुरुजी अत्यंत सुस्वभावी व मनमिळाऊ होते. कुरखेडा, कोरची सह आरमोरी विधानसभा क्षेत्रातील दुर्गम भागात त्यांनी गोरगरीब आदिवासी विद्यार्थ्यांसाठी शिक्षणाच्या सोयीसुविधा उपलब्ध करून दिल्या होत्या. काही दिवसापूर्वी त्यांच्यावर यशस्वी हृदय शस्त्रक्रिया देखील झाली होती. मात्र पुन्हा प्रकृती खालावल्याने त्यांच्यावर नागपूर येथे उपचार सुरु होते. मात्र आज 2 नोव्हेंबर रोजी त्यांची प्राणज्योत मावाळली.त्यांच्या पच्छात पत्नी,मुलगी, जावाई, नात व बराच मोठा आप्त परिवार आहे. उद्या त्यांच्या पार्थिवावर मुळगावी जोगीसाखरा येथे सकाळी 11 ते 12 च्या दरम्यान अंत्यसंस्कार करण्यात येणार आहेत.तत्पुर्वी काही वेळासाठी आरमोरी येथे त्यांच्या निवासस्थानी
पार्थिव अंत्यदर्शनासाठी ठेवन्यात येणार आहे.
आरमोरी: जनसेवक ,सर्वसामान्य व्यक्तिमत्व, नटवर्य, उत्कृष्ट नाटककार, तथा शिक्षक ,सर्वांशी मिळून मिसळून राहणारे अष्टपैलू व्यक्तीमहत्व माजी आमदार आदरणीय हरिरामजी आत्मारामजी वरखडे साहेब यांचे वृद्धापकाळाने नागपूर येथे उपचारादरम्यान दिनांक 02 नोहेंबर 2024 ला रात्री 09:00 वा. दु:खद निधन झाले.
*अंत्य विधी दिनांक 03 नोव्हेंबर 2024*
आरमोरी येथील निवासस्थानी त्यांच्या पार्थिववर सकाळी 10:00 वाजेपर्यंत दर्शन.
-सकाळी 10 वा नंतर आरमोरी हून मूळ गाव जोगीसाखरा येथे अंतिम संस्कार करिता अंतिम यात्रा.
-सकाळी 11:00 ते 1:00वाजेपर्यंत जोगीसाखरा येथील मूळ निवासस्थानी अंतिम दर्शन.
-दुपारी 2 वा जोगिसाखरा येथील रामपुरी रोडवरील गाढवी नदी तीरावरील शेतावर (शेतमाऊली) अंतिम संस्कार.
*💐शोकाकुल💐*
वरखडे परिवार तथा समस्त मित्र मंडळी 🙏🏻
आरमोरी:- दि 1/11/2024
दिव्यांग लोकांचे जीवन सुलभ करण्यासाठी आणि त्यात सर्वसमावेशकतेला प्रोत्साहन देण्यासाठी तसेच अंधांसाठी असलेल्या आचारनियमांबद्दल जनजागृती करण्यासाठी जगभरात 'पांढरी काठी दिन' पाळला जातो. दृष्टिहीन लोकांसाठी, पांढरी काठी हे स्वातंत्र्याचे आणि गतिशीलतेचे प्रतिनिधित्व करते आणि आता तर ते मुक्ती, स्वातंत्र्य आणि आत्मविश्वास यांचेही प्रतिनिधित्व करते.ही काठी दृष्टिहीन व्यक्तीला मुक्तपणे फिरण्यास आणि आपली दैनंदिन कामे पूर्णत्वास नेण्यास मदत करते. याच काठी दिना निमित्त दृष्ट्रीहीन जनकल्याण बहुउद्देशिय संस्था, बल्लारपुर यांच्या वतीने जागतीक पांढरी काठी दिनाचे आयोजन केमीस्ट भवन आरमोरी, जिल्हा गडचिरोली येथे आयोजित करण्यात आले होते
कार्यक्रमाचे अध्यक्ष म्हणून चंदू वडपल्लीवार सामजिक कार्यकर्ते तथा माजी उपसभापती प स आरमोरी कार्यक्रमाचे उद्घाटक म्हणून विजय लाकडे गर्वहमेंट. कॉन्ट. आरमोरी, प्रमुख अतिथी म्हणून पत्रकार विलास चिलबुले, सतीश शेंडे अध्यक्ष रा. दृ. संघ नागपूर, जिज्ञासा कुबळे चवलढाल संस्थापक अध्यक्ष आत्मदिपम सोसायटी नागपूर, दिलीप गेडाम तालुका अध्यक्ष हे उपस्थित होते.
यावेळी कार्यक्रमात दिवाळी निमित्याने अंध व्यक्तींना पांढऱ्या काठीचे वितरणव अंध व्यक्तीना दिवाळी निमीत्य धान्य स्वरूपाची मदत, गरजु अंध व्यक्तींना वस्त्रभेट देण्यात आली यावेळी तालुक्यातील बहुसंख्य अंध महिला व पुरुष उपस्थित होते मंगला लालसरे कोषाध्यक्ष,प्रमोद धात्रक, अर्चना धात्रक यांची अनेक पदाधिकारी उपस्थित होते.
पीपल के पेड़ पीपल के पेड़ का पौषणिक मूल्य पीपल के पेड़ के स्वास्थ लाभ पीपल के पेड़ के उपयोग पीपल के पेड़ के साइड इफेक्ट & एलर्जी पीपल के पेड़ की खेती
पीपल का पेड़, जिसे बौद्ध धर्म में बोधि सत्व के रूप में भी जाना जाता है, एक प्राचीन काल से अपने आयुर्वेदिक लाभों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य लाभ की पूरी श्रृंखला प्रदान करता है। यह आपके बुखार को कम करने में मदद कर सकता है और यहां तक कि आपकी ठंड से भी छुटकारा दिला सकता है। यह अस्थमा के इलाज में मदद करता है। यह आंखों के दर्द का इलाज करता है और मौखिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है क्योंकि यह मुंह में बैक्टीरिया और साथ ही दांतों पर दाग को भी खत्म करता है । इसका उपयोग कान के संक्रमण के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। यह पीलिया के लिए एक लोकप्रिय उपचार है। यह पाचन में मदद करता है क्योंकि यह कब्ज का इलाज करता है और पेचिश से तुरंत राहत भी देता है। यह हृदय रोगों को रोकता है और इलाज करता है और मधुमेह रोगियों के लिए भी बहुत अच्छा है क्योंकि यह रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह भारी नकसीर के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
पीपल के पेड़
पीपल के पेड़ को हिंदू और बौद्ध दोनों में एक पवित्र पेड़ माना जाता है। यह अंजीर के पेड़ की एक प्रजाति है और शहतूत परिवार से संबंधित है। इसकी बड़ी पत्तियाँ होती हैं जो औषधीय गुणों से भरी होती हैं, जिससे यह एक ऐसी दवा बन जाती है जिसका उपयोग मुख्यतः चिकित्सा और आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। यहां तक कि इसकी छाल, शाखाओं और जड़ों में औषधीय गुण होते हैं, और इसलिए पौधे के रूप में यह बेहद फायदेमंद है।
पीपल के पेड़ का पौषणिक मूल्य
पीपल के पेड़ का उपयोग मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण किया जाता है कि यह विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह विभिन्न पोषक तत्वों से भरा होता है जैसे कि फ्लेवॉइड्स, टैनिक एसिड, एसपारटिक एसिड, स्टेरॉयड, मेथिओनिन , विटामिन, और ग्लाइसिन । ये बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं और ठीक से लेने पर शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
पीपल के पेड़ के स्वास्थ लाभ
नीचे उल्लेखित सेब के सबसे अच्छे स्वास्थ्य लाभ हैं
यह बुखार के साथ मदद करता है
पीपल के पेड़ के कई लाभों में से एक यह है कि यह बुखार के इलाज में मदद करता है । यदि आप इस पेड़ से कुछ कोमल पत्तियां लेते हैं और इसे दूध और चीनी के साथ उबालते हैं , तो यह आपको एक शक्तिशाली मिश्रण देगा जो आपको अपने बुखार को कम करने के लिए दिन में कम से कम दो बार पीना चाहिए। यह मिश्रण जुकाम पर भी बहुत अच्छा काम करता है ।
यह अस्थमा का इलाज करता है
अस्थमा एक बेहद खतरनाक समस्या है क्योंकि यह आपकी सांस लेने में बाधा डालती है, जिससे आपके फेफड़ों में और आपके शरीर के अन्य अंगों में ऑक्सीजन को जाने से रोका जा सकता है। अधिकांश शहरों में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा के कारण, अस्थमा एक बहुत ही आम बीमारी बन गई है, खासकर छोटे बच्चों में। यदि आप पीपल के पेड़ की पत्तियों (या उसी का पाउडर संस्करण) का उपयोग करते हैं और इसे दूध में उबालते हैं , तो यह आपको एक मिश्रण देगा जो आप अपने अस्थमा की मदद से दिन में दो बार पी सकते हैं।
यह आंखों के दर्द का इलाज करता है
आँखों का दर्द कई कारणों से हो सकता है। यह बहुत असहज हो सकता है और यहां तक कि अगर यह बहुत बुरा हो तो आपकी आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकता है। पीपल के पत्तों का उपयोग आंखों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। पीपल के पेड़ का दूध, जो पत्तियों से लिया जाता है, आंखों में दर्द के साथ मदद करता है।
यह पीलिया का इलाज कर सकता है
पीलिया एक अत्यंत सामान्य बीमारी है । जब आपको पीलिया होता है, तो आपको एक लंबी भर्ती अवधि से निपटना पड़ता है, और बीमारी के जाने के बाद कम से कम छह महीने के लिए आहार प्रतिबंध। यह बेहद असुविधाजनक होता है। पीपल के पेड़ की मदद से पीलिया का इलाज किया जा सकता है। आप पत्तियों का रस निकाल सकते हैं और इसमें थोड़ी सी चीनी मिला सकते हैं। यदि आप एक दिन में 2-3 बार इस रस को पीते हैं, तो आप अपने पीलिया का इलाज आसानी से कर सकते हैं।
यह कब्ज के साथ मदद करता है
कब्ज सिर्फ एक असुविधाजनक समस्या से अधिक है। यह आपके सिस्टम के भीतर विभिन्न समस्याओं का नेतृत्व करते हैं अगर ठीक से नहीं निपटा है, तो अंत में बवासीर जैसे दर्दनाक स्थितियों को भी जन्म दे सकता है। अपने पाचन तंत्र को नियमित और ठीक से साफ़ करना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपके शरीर के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करता है। यहीं पर पीपल के पेड़ का प्रमुख रूप से इस्तमाल होता है। पीपल के पत्तों को गुड़ और सौंफ के बीज के पाउडर के साथ मिलाया जा सकता है । यह शंखनाद आपके सोने से ठीक पहले दूध के साथ किया जाना चाहिए। यह आपके सिस्टम को साफ करने और कब्ज से राहत प्रदान करने में मदद करेगा।
यह मधुमेह रोगियों की मदद करता है
डायबिटीज एक बेहद खतरनाक बीमारी है। यह भी एक बहुत ही सामान्य बीमारी है और अगर इसे नियंत्रित या कुशलता से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो समस्याओं की कतार हो सकती है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस दवा की शाखा चुनते हैं, सभी डॉक्टर आपको बताएंगे कि मधुमेह से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका क्या है। पीपल का पेड़ यहां आपकी मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह आपके रक्त में शर्करा को कम करने में आपकी मदद कर सकता है। पीपल का फल, साथ में पीसा हुआ हरिताकी फल पाउडर आप सभी की जरूरत है। यह आपकी रक्त शर्करा को कम करने में आपकी सहायता करेगा।
गडचिरोली जिल्ह्यात कामगार म्हणून आलेल्या इसमास रानटी हत्तीने चिरडले.
सेल्फीचा नाद जीवाच्या अलंगट आला
गडचिरोली, दि. 24 : रानटी हत्ती परिसरात आल्याने त्यासोबत सेल्फी काढण्याचा नाद एका मजुराच्या जीवावर बेतला. रानटी टस्कर हत्तीने हल्ला करीत मजुराला चिरडून जागीच ठार केल्याची घटना गुरुवार 24 ऑक्टोबर रोजी सकाळी 8 वाजताच्या सुमारास चामोर्शी तालुक्यातील आबापूर जंगलामध्ये घडली. श्रीकांत रामचंद्र सतरे, रा. नवेगाव (भु), ता. मूल, जि. चंद्रपूर असे ठार झालेल्या मजुराचे नाव आहे.
गडचिरोली जिल्ह्यात मागील दोन वर्षापूर्वी ओडिशा राज्यातून रानटी हत्तीचा कळप दाखल झाला. जिल्ह्यातील विवध भागात कळपाने मार्गक्रमण करीत शेतपिकांची नासाडी केली तर विविध घटनेत नागरिकांचा हत्तीच्या हल्यात मृत्यू झाला.श्रीकांत सतरे हा आपल्या काही सोबत्यांसह गडचिरोली जिल्ह्यात केबल टाकण्याचे काम करण्याकरिता आला होता. दरम्यान गडचिरोली वनविभागातील कुनघाडा रै. वन परिक्षेत्रांतर्गत आबापूर गाव परिसरातच काम सुरु होते. 23 ऑक्टोबर रोजी चातगाव व गडचिरोली वन परिक्षेत्रातून रानटी टस्कर हत्तीने कुनघाडा रै. वन परिक्षेत्रात प्रवेश केलेला होता. नियत क्षेत्र मुतनूर वनक्षेत्रातील आबापूर जंगलात हत्ती वावरत असल्याची माहिती केबल टाकणाऱ्या मजुरांना मिळाली असता तिघेजण हत्ती पाहायला गुरुवारी सकाळीच गेले होते. हत्ती दूरवर असताना श्रीकांत हा हत्तीसोबत सेल्फी काढण्यात मग्न असताना हत्तीने हल्ला करुन त्याला चिरडले. घटनेच्या वेळी अन्य दोघांनी तेथून पळ काढत आपला जीव कसाबसा वाचविला. जिल्ह्यात आणखी एकाचा रानटी हत्तीच्या हल्यात मृत्यू झाल्याने खळबळ उडाली असून रानटी हत्तीच्या जवळ जावू नये, सेल्फी च नाद करु नये, हत्ती असलेल्या परिसरात प्रवेश करु नये अशा सूचना वारंवार वनविभागामार्फत देण्यात येत आहेत. तरी मात्र काही नागरिक हत्तींना बघण्याकरिता जंगल परिसरात जात असल्याने अशा घटना समोर येत आहे.