नेरलवार लाकडी तेल घाणी, गडचिरोली
तुमचे आरोग्य, आमची जबाबदारी
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04-10-2024
बवासीर या पाइल्स एक सामान्य रोग है, जिसे हिंदी में 'अर्श' भी कहा जाता है। इसमें मलाशय के अंदर या बाहर की नसें सूज जाती हैं और उनमें दर्द, खुजली और खून आना जैसी समस्याएं होती हैं। बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:
यह मलाशय के अंदर होती है और इसका दर्द कम होता है, लेकिन इसमें कभी-कभी खून आ सकता है।
बाहरी बवासीर (External Piles): यह गुदा के बाहर होती है और इसमें अधिक दर्द और जलन होती है।
मल त्याग के समय या बाद में खून आना।
गुदा के पास सूजन या गांठ महसूस होना।
गुदा में खुजली या जलन।
मल त्याग के समय दर्द या असहजता।
गुदा के चारों ओर से खून का बहाव।
कब्ज: लगातार कब्ज की स्थिति में जोर लगाकर मल त्यागने से बवासीर हो सकती है।
गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं में वजन बढ़ने और पेट पर दबाव बढ़ने के कारण बवासीर होने की संभावना रहती है।
वजन बढ़ना: मोटापे के कारण भी बवासीर हो सकती है।
लंबे समय तक बैठना: एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठने से भी गुदा पर दबाव बढ़ता है, जिससे बवासीर हो सकती है।
कम पानी पीना: पानी की कमी से कब्ज की समस्या होती है, जो बवासीर का कारण बन सकती है।
फाइबर युक्त आहार लें, जैसे हरी सब्जियां, फल, और साबुत अनाज।
पर्याप्त पानी पीएं ताकि कब्ज न हो।
गर्म पानी से बाथ (गर्म पानी में बैठना) लें, इससे दर्द और सूजन में आराम मिलता है।
दर्द निवारक और सूजन को कम करने वाली क्रीम या मलहम।
कब्ज से राहत देने वाली दवाएं।
सर्जरी (अगर समस्या गंभीर हो जाए तो):बवासीर को काटने या उसे बांधकर गिराने की प्रक्रिया होती है, जिसे सर्जरी द्वारा किया जाता है।
नियमित रूप से व्यायाम करें।
अधिक से अधिक फाइबर युक्त आहार खाएं।
कब्ज से बचने के लिए अधिक पानी पिएं।
मल त्याग के दौरान अधिक जोर न लगाएं।
लंबे समय तक बैठे रहने से बचें।
अगर बवासीर की समस्या गंभीर हो या उपरोक्त उपचार से राहत न मिले, तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
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