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21-07-2023
नमस्कार दोस्तों, Mi Lifestyle Motivation पर आप सभी का स्वागत है. दोस्तों क्या आप मोटिवेशनल स्पीकर Harshvardhan Jain Biography हिंदी में पढ़ना चाहते हैं? तो आप सही जगह पर आए हैं. दोस्तों आज आपके साथ एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करने वाले है, जिसका जीवन बचपन से ही बहुत रोमांचक रहा है और जिसके साथ हमेशा रोमांचक बातें होती रही हैं.
दोस्तों अगर आप इस लेख को अंत तक पढ़ेंगे तो उनके जीवन के बारे में जानकर आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। तो दोस्तों आज बात करनेवाले सक्सेसफुल नेटवर्कर, मोटिवेशनल स्पीकर और Youtuber हर्षवर्धन जैन जी के बारे में, तो बिना समय बर्बाद किए आइए जानते हैं उनके जीवन की कहानी के बारे में.
Harshvardhan Jain Biography in hindi : हर्षवर्धन जैन का प्रारंभिक जीवन
दोस्तों हर्षवर्धन सर का जन्म वर्ष 1980 में जयपुर शहर से 18 किमी दूर एक गांव में स्थित एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। हर्षवर्धन जैन के पिताजी जयपुर में एक डॉक्टर के रूप में काम करते थे, जो एक सरकारी नौकरी थी, और उनकी माँ एक गृहिणी थीं.
हर्षवर्धन जी ने सातवीं कक्षा तक की शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में की। उसके बाद में 8वीं और 9वीं की पढ़ाई जयपुर स्कूल से पूरी की। 10वीं की पढ़ाई अपने चाचा के घर बीकानेर से पूरी की, और उन्होंने 11वी 12वीं तक पढ़ाई की उन्होंने खंडेलवाले स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी की.
Harshvardhan jain Biography in Hindi | हर्षवर्धन जैन जीवनी हिंदी में |
---|---|
नाम | हर्षवर्धन जैन |
उपनाम | हर्ष |
जन्म तिथि | 21 अप्रैल 1980 |
जन्म स्थान | जयपुर के पास 18 km दूर गाँव मे |
उम्र | 2022 तक 42 साल |
पत्नी | सुशीला |
बच्चे | बेटा और बेटी |
वर्तमान निवास | जयपुर राजस्थान |
धर्म | हिन्दू |
नागरिकता | भारतीय |
डिग्री | एलएलबी |
पेशा | Network Marketer, Motivational Speaker,Writer,Youtuber,Trainer, Business Coach |
अवार्ड | Best Direct Selling Trainer, Best Motivational Speaker |
गाड़िया | Mercedes, Innova, Swift |
कमाई | 25 लाख से एक करोड़ महिना |
कंपनी | Mi Lifestyle Marketing Global Pvt Ltd |
जब हर्षवर्धन जी के माता-पिता की शादी हुई, तो शादी के 11 साल तक उनकी कोई संतान नहीं थी. और भारत में जब किसी शादीशुदा जोड़े को कोई संतान नहीं होती है तो वे पंडित जी के पास जाते हैं. इसी तरह हर्षवर्धन सर के माता-पिता भी पंडित के पास गए. और फिर पंडित जी ने दो-तीन दिन तक कुण्डली मिलाकर हर्षवर्धन जी के पिता से कहा, "धैर्य रखो, क्योंकि महापुरुषों को आने में थोड़ा समय लगता है." साथियों हर्षवर्धन जी को अपने गांव के स्कूल से लेकर LLB की पढ़ाई तक एवरेज होना चाहिए। लेकिन वह हमें बताता है कि वह अपने स्कूल का सबसे दुष्ट बच्चा हुआ करता था. इसलिए शिक्षक उसे कक्षा का कप्तान बनाते थे, ताकि कक्षा में शांति बनी रहे। जिसके चलते वह पहली कक्षा से लेकर LLB की पढ़ाई तक क्लास के कैप्टन बने रहे.
दोस्तों एक इंटरव्यू में बात करते हुए हर्षवर्धन जी कहते हैं कि जब वे 3 या 4 साल के होते तो अपने घर से 1 किमी दूर स्थित एक तालाब में जाने लगे, जिसके कारण 5 साल की उम्र में एक बच्चे का जन्म हुआ. 6 साल। वह एक अच्छा तैराक बन गया था। और गांव के बड़े बच्चों को देखकर उन्होंने पहले 4 से 8 फीट, फिर 10 से 15 फीट और फिर 40 फीट गहरे कुएं में गोता लगाने की आदत डाली. इतनी गहरी जगहों पर जाने के कारण कई बार उसके पिता उसे तालाब से घर ले जाकर पीटते थे.
दोस्तों हर्षवर्धन सर ने 10 से 11 साल की उम्र के बीच इस तरह से तेहरने में महारत हासिल कर ली थी. हर्षवर्धन सर जी कहते हैं कि बचपन के इस दौर में वह एक तैराक बनना चाहते थे, लेकिन पेशेवर रूप से आगे नहीं बढ़ने के कारण वह तैराक नहीं बन पाए. और साथ ही यह भी कहा जाता है कि जब ग्यारा बड़ा हुआ तब तक उनमें क्रिकेट खेलने का भूत सवार हो चुका था और वह दिन भर क्रिकेट खेलते रहते थे. वरना उसके परिवार वालों को जमीन पर खाना लाना पड़ा. क्योंकि उन पर क्रिकेट का भूत सवार था,
घरवालों ने उन्हें पीटने दिया लेकिन क्रिकेट नहीं छोड़ा. वह अपने बचपन के दिनों में अपने क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हुआ करते थे. हर्षवर्धन सर यह सब जिला स्तर तक की सभी ट्राफियां और अपने गांव में टर्नटेबल बनाने के लिए किया करते थे.
दोस्तों टूर्नामेंट में प्रतिस्पर्धा करते हुए हर्षवर्धन सर ने 19 शतक मारे थे. एक बार हर्षवर्धन सर ने मजाक में कहा था कि मेरे नाम दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे तेज 29 बॉल में शतक मारने का रिकॉर्ड है। जब लोगों ने उससे पूछा कि वह कैसा है, तो उसने कहा, मैंने 20 से 22 साल के बच्चों के साथ एक टूर्नामेंट में भाग लिया और मैंने 29 बॉल में शतक मारा था. तैराकी और क्रिकेट के अलावा, उन्हें अभिनय और गायन का भी शौक था। और वह हमें बताता है कि जब वह गाँव के स्कूल में पढ़ता था, तो उसे एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण कलाकार की भूमिका निभाने का अवसर दिया जाता था। 1989 में जब वे 9 वर्ष के थे, तब उन्होंने गांव के सांस्कृतिक कार्यक्रम में एक चरवाहे की भूमिका निभाई थी. जिसमें उन्हें 1100 रुपये का इनाम मिला. इस तरह हर्षवर्धन सर का बचपन हंसी-मजाक के साथ गुजरा अपनी स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद, उन्होंने बी.एससी करने के लिए एक कॉलेज में प्रवेश लिया.
Harshvardhan Jain Biography in hindi : हर्षवर्धन सर की स्ट्रगल लाइफ
लेकिन दोस्तो हर्षवर्धन सर का पढ़ाई लिखाई में ज्यादा मन नही लगता था, क्योंकि उनके सर सिर्फ क्रिकेट खेलने का भूत सवार चढ़ा था. जिसका परिणाम यह हुआ कि हर्षवर्धन सर जी फर्स्ट ईयर में फेल हुए. जब वे फेल हुए तभी उसी दिन से अपने स्कूटर की चाबी जो उनको कॉलेज जाने केलिए उनके पिताजी ने दी थी, उसे उन्होंने वापिस कर दिया और वे बस से ही कॉलेज जाने लगें.
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