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17-06-2024
Success story of Aarushi Agarwal: सक्सेस होने के लिए कई बार हमें बड़े रिस्क उठाने पड़ते हैं। गाज़ियाबाद की आरुषी अग्रवाल ने एक करोड़ रुपये की नौकरी का ऑफर ठुकरा दिया और सिर्फ एक लाख रुपये की पूंजी से अपना बिज़नेस शुरू किया। उनकी मेहनत और लगन से उनका छोटा सा स्टार्टअप आज करोड़ों का हो गया है।
नई दिल्ली: हमारे देश के कई युवाओं का सपना होता है कि वे करोड़पति बनें। कई सालों की पढ़ाई और मेहनत के बाद अगर किसी को एक करोड़ रुपये का पैकेज मिलता है, तो वह अपने सपनों को पूरा हुआ मानता है। लेकिन गाज़ियाबाद की आरुषी अग्रवाल का सपना कुछ अलग था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आरुषी को दो बड़ी कंपनियों से एक करोड़ रुपये के पैकेज के साथ नौकरी का ऑफर मिला। लेकिन आरुषी ने करोड़ों रुपये की नौकरी करने के बजाय एक लाख रुपये की पूंजी से खुद का बिज़नेस शुरू करने का फैसला किया। शुरुआत में दोस्तों और परिवार ने उन्हें पागल समझा, लेकिन चार सालों में उनकी सफलता ने सबको गलत साबित कर दिया।
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सफलता प्राप्त करने के लिए जोखिम उठाने वाले बहुत कम लोग होते हैं। जितना बड़ा रिस्क, उतनी बड़ी सफलता की संभावना। जीवन में संघर्ष के माध्यम से ऊंचाइयों को छूने वाले लोग बहुत कम होते हैं, और आरुषी ने भी ऐसा ही कर दिखाया। गाज़ियाबाद के नेहरू नगर की निवासी 28 वर्षीय आरुषी ने सिर्फ एक लाख रुपये से अपना व्यवसाय शुरू किया। इसके लिए उन्होंने एक करोड़ रुपये की नौकरी का ऑफर ठुकरा दिया था। आज, उनका स्टार्टअप TalentDecrypt का वैल्यू कई गुना बढ़ गया है और आरुषी अब करोड़पति लोगों में गिनी जाती हैं। लेकिन इस सफलता तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की।
मूल रूप से मुरादाबाद की रहने वाली आरुषी ने नोएडा के एक निजी कॉलेज से बीटेक और एमटेक की पढ़ाई की। 2018 के अंत में, उन्होंने कोडिंग सीखकर सॉफ्टवेयर विकसित करना शुरू किया और अपनी मेहनत के दम पर डेढ़ साल में TalentDecrypt सॉफ्टवेयर तैयार किया। इस सॉफ्टवेयर के बल पर आरुषी ने करोड़पति का टैग हासिल किया और उन्हें भारत सरकार के नीति आयोग से देश की 75 महिला उद्यमियों में से एक के रूप में सम्मानित किया गया।
आरुषी ने आईआईटी दिल्ली से सॉफ्टवेयर डेवलपर का प्रशिक्षण प्राप्त किया और वहीं से इंटर्नशिप पूरी की। इसके बाद उन्हें दो कंपनियों से एक करोड़ रुपये के जॉब ऑफर मिले, लेकिन उन्होंने नौकरी करने के बजाय खुद का काम शुरू करने का फैसला किया। जब उनका प्लान आगे बढ़ रहा था, तब कोरोना ने दस्तक दी।
2020 में जब पूरी दुनिया कोरोना से जूझ रही थी, तब आरुषी ने इस संकट में भी अपने लिए अवसर खोजा। उन्होंने जोखिम उठाया और केवल एक लाख रुपये की पूंजी से TalentDecrypt नामक सॉफ्टवेयर बनाया, जो युवाओं को नौकरियां खोजने में मदद करता है। इस सॉफ्टवेयर की मदद से कोडिंग सीखने वाले युवाओं के टैलेंट के अनुसार नौकरी खोजी जाती हैं।
आरुषी की TalentDecrypt कंपनी युवाओं को मनपसंद नौकरी दिलाने में मदद करती है। वर्तमान में अमेरिका, जर्मनी, सिंगापुर, यूएई, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, नेपाल आदि देशों की 380 कंपनियां आरुषी की कंपनी की सेवाओं का लाभ उठा रही हैं। इस कंपनी में युवाओं को हैकाथॉन के माध्यम से वर्चुअल स्किल टेस्ट देने होते हैं। अब तक, TalentDecrypt के माध्यम से सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिल चुका है।
आरुषी अग्रवाल की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए जोखिम उठाने से नहीं कतराते। उनकी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता ने उन्हें वह मुकाम दिलाया, जो आज कई लोग पाने की चाहत रखते हैं। उनकी यह सफलता न सिर्फ उनके लिए बल्कि उन सभी युवाओं के लिए भी एक मिसाल है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहते हैं।
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