समाधान आयुर्वेदिक दवखाना
आपल्या समस्यांचे समाधान हेच आमचे ध्येय
11-07-2024
ग्रामीण मजदूरों के लिए सरकार ने जारी किया काला आदेश -वैभवसिंह बिसेन
01 जुलाई को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के उपसचिव के जारी आदेश क्रमांक 2258/मनरेगा/2024 को लेकर अब पंचायत सरपंच सवाल खड़े करने लगे है। जिला सरपंच संघ अध्यक्ष वैभवसिंह बिसेन ने केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए काले कृषि कानून की तरह इस आदेश को ग्रामीण मजदूरों के लिए काला आदेश करार दिया है। प्रेस को जारी बयान में जिला सरपंच संघ अध्यक्ष वैभवसिंह बिसेन ने कहा कि सरकार यदि इस आदेश को वापस नहीं लेती है तो इसके खिलाफ जिले और पूरे प्रदेश में सरपंच, पंचायत बंद करके आंदोलन करेंगे।
जिला सरपंच संघ अध्यक्ष वैभवसिंह बिसेन ने बताया कि जारी आदेश में मनरेगा के कार्यो में रेश्यो (अनुपात) को लेकर उल्लेखित किया गया है कि मटेरियल संबंधी व्यय ज्यादा होने की वजह से समस्त पक्के कामों को अन्य योजनाओं के मद से अभिसरण कर कराया जाए और तमाम मनरेगा संबंधी मटेरियल के काम बंद कर दिया जाए। इसके अलावा आदेश में ग्रामीणों को मिलने वाली काम की मजदूरी संबंधी कार्यो को भी लागत कम करने के निर्देश दिए गए है। जो पंचायत क्षेत्र में रोजगार के साधनों को समाप्त करने का सरकार का कदम है।
जिलाध्यक्ष वैभवसिंह बिसेन ने बताया कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास के हालिया जारी आदेश में जिन 24 सामग्री व्यय वाले निर्माण कार्यो को उल्लेखित किया गया है। उनमें से उंगलियो में गिने जाने लायक काम ही जिले में होते है। अन्य कार्यो को कभी किसी भी पंचायत को पिछले पांच वर्षो में जनपद और जिलास्तर पर आबंटित नहीं किया गया है। जबकि जिले में सरपंचो द्वारा अन्य कार्याे के बारे मंे पूछे जाने पर उन्हें केवल कार्यो के प्रतिबंध होने की जानकारी ही जिम्मेदारों द्वारा दी गई। जिससे सरपंच कभी उन कार्याे को नहीं करवा पाया, लेकिन आदेश में उल्लेखित कार्य सूची के अनुसार स्पष्ट है कि प्रदेश के अन्य जिलो में पंचायतो मंे वह कार्य कराए गए है, संभवतः तभी मटेरियल और मजदूरी के व्यय के रेश्यों का संतुलन बिगड़ रहा है। जिसमें बालाघाट जिले के सरपंचों की कोई गलती नहीं है लेकिन उनके लिए गेंहू के साथ घुन भी पिसा जाने जैसी स्थिति हो गई है। जिले में जानकारी के अनुसार केवल मजदूरी का काम पंचायतो में सरपंचो द्वारा करवाया गया है। जबकि सामग्री का व्यय, अन्य जिलो ने करवाकर मलाई छानी है।
ज्ञात हो कि पूर्व में भी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 14 वें वित्त आयोग की पंचायत को सालाना मिलने वाली राशि को भी 15 वें वित्त में परिवर्तित कर टाईड और अनटाईड कर दिया गया। जिससे सरपंच, पंचायतो में पंचायत की जरूरत के अनुसार काम नहीं कर पा रहे है। यदि किसी पंचायत में काम भी हो रहा है तो वह राजनीतिक जनप्रतिनिधि के कृपापात्र पंचायत सरपंच या ऐसी पंचायतें, जिसकी स्वयं की आय हो, वही हो रहा है। जिसका भी औसत नहीं के बराबर है। सरकार का हालिया आदेश सीधे तौर पंचायतीराज व्यवस्था को खत्म करना और ग्रामीण मजदूरों को काम के लिए गांव से पलायन होने पर मजबूर करने जैसा है।
जिला सरपंच संघ ने प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री और जिले के पूर्व सांसद प्रहलाद पटेल से मांग की है कि वह जिले को भलीभांति जानते है। जिससे उन्हें स्पष्ट है कि जिले में मजदूरी का काम ज्यादा है, जिसे देखते हुए बालाघाट जिले के लिए इस आदेश को शिथिल किया जाए, ताकि ग्रामीण मजदूरों को काम मिल सके और काम के अभाव में पलायन करने को मजबूर ना हो।
जिला सरपंच संघ अध्यक्ष वैभवसिंह बिसेन, गौरीशंकर मोहारे, जिला सचिव आनंद बिसेन, नितेश कटरे, ब्लॉक अध्यक्ष पुष्पेन्द्र देशमुख, धनेश्वरी मरावी, चेतन पटले, विजय सहारे, शिव कुमार उईके, उमेश पटले, प्रकाश बाहे, ललित कबीरे, सावन पिछोड़े, शिवलाल सैयाम ने कहा कि जल्द ही जिला सरपंच संघ की समस्त ब्लॉक और जिला पदाधिकारियों के साथ संयुक्त बैठक इस आदेश को लेकर की जाएगी। जिसमें आगामी रणनीति तैयार की जाएगी।
आपल्या समस्यांचे समाधान हेच आमचे ध्येय
Today Latest News
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
International
सुपर फास्ट बातमी
Local News
Vaingangavarta19
Crime
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
No Comments