नेरलवार लाकडी तेल घाणी, गडचिरोली
तुमचे आरोग्य, आमची जबाबदारी
01-10-2024
Indian Army: 56 साल पहले, 7 फरवरी 1968 का वो दिन भारतीय वायुसेना और उनके परिवारों के लिए कभी न भूलने वाला बन गया। चंडीगढ़ से लेह की ओर उड़ान भरने वाला AN-12 विमान लापता हो गया। विमान में 102 लोग सवार थे—जिनमें से अधिकतर सैनिक थे, जो अपनी ड्यूटी पर लौट रहे थे। किसी ने सोचा भी नहीं था कि वो अपनों से आखिरी बार मिल रहे हैं। उस समय की अनिश्चितता और पीड़ा ने सैकड़ों परिवारों की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।
रोहतांग पास के खतरनाक मौसम में विमान के लापता होने के बाद, पूरे देश में बेचैनी फैल गई। हफ्तों तक कोई सुराग नहीं मिला। विमान का कोई हिस्सा, कोई इमरजेंसी कॉल, कुछ भी नहीं। हर बीतते दिन के साथ उम्मीदें कमजोर होती गईं, लेकिन परिवार वालों ने कभी हार नहीं मानी। उन माओं के दिल में जो अपने जवान बेटों के लौटने का इंतजार कर रही थीं, उन पत्नियों की आँखों में जो हर शाम दरवाजे की ओर देखती थीं, जैसे कोई दस्तक देकर कहेगा "वो वापस आ गए।
भारतीय वायुसेना का विमान AN 12 (फोटो- IAF)
साल 2003 में पहली बार उस दर्दनाक हादसे का मलबा मिला। तब जाकर ये यकीन हुआ कि वो विमान भारत की धरती पर ही था, न कि किसी और देश में। सेना के सर्च ऑपरेशन ने धीरे-धीरे बर्फीले पहाड़ों के बीच छिपी उन कहानियों को बाहर लाना शुरू किया। 2019 तक सिर्फ 5 शव मिले थे। अब हाल ही में, 4 और शव मिले हैं, जिनमें से तीन की पहचान हो चुकी है—मलखान सिंह, सिपाही नारायण सिंह और थॉमस चरण।
इन सैनिकों की पहचान उनकी पुरानी जेबों में मिले कागजों से की गई। सोचिए, इतने सालों बाद भी वो कागज उनकी पहचान का सबूत बन गए, जैसे वो खुद कहना चाह रहे हों कि "हम यहां थे, और अब घर लौट रहे हैं।
भारत का यह सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन है, जो आज भी जारी है। हर साल सेना इन जांबाजों के अवशेष खोजने के लिए एक 15-दिन का अभियान चलाती है। लेकिन खराब मौसम और दुर्गम क्षेत्र इस खोज को और मुश्किल बना देते हैं।
उन सैनिकों के परिवार वालों के लिए यह इंतजार कभी खत्म नहीं हुआ। फ्लाइट लेफ्टिनेंट मान सिंह बैंस के परिवार ने आज तक उनका अंतिम संस्कार नहीं किया। उनकी पत्नी और बेटा कनाडा चले गए, लेकिन उनके माता-पिता अपने बेटे की वापसी का इंतजार करते-करते इस दुनिया को छोड़ गए।
ये कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं है, यह उन परिवारों की भी है जिन्होंने अपने सपूतों को देश की सेवा के लिए भेजा और फिर उनका लौटना कभी नसीब नहीं हुआ। ये एक ऐसा दर्द है जो बर्फ की तरह ठंडा और चीर देने वाला है, और ये ऑपरेशन इस उम्मीद के साथ चलता रहेगा कि एक दिन सभी वीर अपने घर लौटेंगे।
तुमचे आरोग्य, आमची जबाबदारी
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
International
Vaingangavarta19
Local News
Vaingangavarta19
Local News
Vaingangavarta19
Crime
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
सुपर फास्ट बातमी
Local News
No Comments