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05-10-2024
Navratri 2024 Special Story: नवरात्रि का पर्व विशेष रूप से माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने का समय होता है। माता दुर्गा ने कई दैत्यों और असुरों का संहार किया है। उनमें से एक प्रमुख असुर था महिषासुर, जिसके अंत के लिए सभी देवता चिंतित थे। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए देवता भगवान शिव और विष्णु जी के पास पहुंचे। आइए जानते हैं कि देवी दुर्गा कैसे प्रकट हुईं और महिषासुर का वध कैसे किया।
प्राचीन काल में एक असुर था जिसका नाम महिषासुर था। उसने अपने बलशाली रूप से असुरों का सम्राट बनने का कार्य किया। महिषासुर ने देवताओं से वरदान प्राप्त किया, जिससे वह अत्यंत शक्तिशाली हो गया। एक दिन, उसने इंद्रलोक पर आक्रमण कर दिया और देवताओं को इंद्र सहित देवलोक से बाहर निकाल दिया। महिषासुर ने अब तीनों लोकों पर अपना शासन स्थापित कर लिया। देवताओं की पीड़ा सुनकर, वे ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनकी सहायता की गुहार लगाई।
ब्रह्मा जी ने भगवान शिव और विष्णु जी के पास जाकर देवताओं की पीड़ा बताई। उनकी बात सुनकर भगवान विष्णु और शिव जी क्रोधित हो गए। इस क्रोध के फलस्वरूप भगवान विष्णु के मुख से एक तेज निकला। फिर सभी देवताओं के शरीर से भी तेज निकला और सभी तेज एकत्रित होकर अग्नि के समान एक सुंदर स्त्री के रूप में प्रकट हुआ। यही स्त्री माता दुर्गा कहलाई। सभी देवताओं ने माता दुर्गा को अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए और उनकी स्तुति की। माता दुर्गा ने गर्जना की, जो युद्ध की घोषणा थी।
उधर, देवलोक में असुरों ने समझ लिया कि यह युद्ध का संकेत है। सभी असुरों ने अपने शस्त्र उठाए और महिषासुर के आदेश पर देवी दुर्गा की ओर बढ़े। महिषासुर का सेनापति चिक्षुर सबसे पहले देवी पर आक्रमण करने लगा, लेकिन देवी दुर्गा ने उसे त्वरित रूप से समाप्त कर दिया। इस युद्ध क्षेत्र में सैनिकों के रक्त से कई रक्त कुंड बन गए। चिक्षुर ने भी देवी पर बाणों से प्रहार किया, लेकिन देवी ने उसके बाण काट डाले और उसे त्रिशूल से समाप्त कर दिया।
चिक्षुर की मृत्यु के बाद महिषासुर ने देवी दुर्गा की ओर झपट्टा मारा। उसने भैंसे का रूप धारण किया और माता के सिंह पर हमला किया। माता दुर्गा ने उसे पाश से बांध दिया, लेकिन महिषासुर ने सिंह का रूप धारण कर लिया। इस तरह, वह बार-बार अपने रूप बदलने लगा। अंत में, देवी दुर्गा ने उसके हाथी के रूप को समाप्त कर दिया और उसे अपने पैरों से दबा दिया। इससे उसका ऊपरी हिस्सा मानव का हो गया। अंततः माता दुर्गा ने त्रिशूल से उसका वध कर दिया। महिषासुर का अंत होते ही सभी देवता भगवती की स्तुति करने लगे और उन पर पुष्प बरसाने लगे। माता दुर्गा ने देवताओं को वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गईं।
निष्कर्ष
यह पौराणिक कथा हमें यह सिखाती है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, सत्य और धर्म की विजय हमेशा होती है। माता दुर्गा का प्रकट होना और महिषासुर का अंत करना हमें एक सकारात्मक संदेश देता है कि हमें बुराई के खिलाफ हमेशा खड़ा होना चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते।
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