संकेत मोटर्स, गडचिरोली
गडचिरोली शहरात, प्रथमच आपल्या सेवेत...
26-10-2024
समिति प्रबंधको के हौंसले के सामने नत मस्तक जिला प्रशासन
मध्यप्रदेश के आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक भोपाल ने एक अहम आदेश पारित करते हुए विक्रेताओं के वेतन में तीन हजार रुपए की वृद्धि करते हुए तत्काल लागू करने के निर्देश सहायक आयुक्त सहकारिता, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी बैंक, और कलेक्टर को दिये गये है, लेकिन यह निर्देश पिछले तीन महीनों से रद्दी की टोकरी में डाल दिये गये है। विदित होवे कि उक्त आदेश माननीय आयुक्त सहकारिता ने मध्यप्रदेश शासन सहकारिता विभाग के पत्र क्रमांक एफ/2/11/4/0031-2023-एस ई सी-2-15 दिनांक 06-10-23 के परिपालन में दिये गये है। ज्ञातव्य हो कि मध्यप्रदेश शासन व्दारा एक वर्ष पूर्व से विक्रेताओं को उनके हक को दिलाने का आदेश जारी कर चुकी हैं, जबकि विक्रेताओं को साल भर बाद भी मिलने में संशय बना हुआ है।
ध्यान देने योग्य है कि पंजीयक सहकारिता ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि राज्य शासन द्वारा प्राथमिक साख सहकारी समितियों को प्रबंधकीय अनुदान योजना 5006 में प्रतिवर्ष आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों एवं प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों ( पैक्स) को मिलने वाली अनुदान राशि को 48 हजार से बढ़ाकर तीन लाख रुपए कर दिया गया है वहीं पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सेवा रत विक्रेताओं को वर्तमान में मिलने वाले पारिश्रमिक में प्रतिमाह तीन हजार रुपए की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है, आपने साफ तौर पर लिखा है कि यह वेतन वृद्धि 01 अक्टूबर 2023 से लागू होंगी । आश्चर्यजनक कहा जाये कि पंजीयक के इस महत्वपूर्ण आदेश का पालन सहायक आयुक्त सहकारिता, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी बैंक के द्वारा संबंधित समिति प्रबंधको
कों जारी किये जा चुके हैं, जिसके तारतम्य में समिति प्रबंधको ने अपने हिस्से का 6500-00 रूपये प्रतिमाह लेना शुरू भी कर दिया है लेकिन विक्रेताओं के हिस्से की 3000-00 रूपये देने में इन समिति प्रबंधको और समिति के प्रशासक के व्दारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशो की धज्जियां उड़ाई जा रही है। जिस आदेश का पालन एक वर्ष पूर्व लागू हो जाना चाहिए उसके लाभ के लिए आज भी विक्रेताओं को अपने आकाओं की कृपा दृष्टि का इंतजार है।
इस पूरे मामले की तहकीकात करने में पता चलता है कि समिति प्रबंधको के हौंसले के सामने जिला प्रशासन नत मस्तक हैं, तभी तो अपना वेतन बढा लेने वाले प्रबंधक विक्रेताओं का वेतन क्यों न बढ़ाते । इस पूरे मामले में समिति के प्रशासक बने कतिपय अधिकारियो के कार्यशैली पर तीखे सवाल खड़े हो रहे हैं ?
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