वैसे तो हम तोर पर यदि किसी को कॅन्सर हो जाये तो मरिज की हालत बिमारी का नाम सुनकर ही खराब हो जाती है. काहीतरके कॅन्सर ऐसे भी है जिनके साइड इफेक्ट को देखा जाये तो पाते है की मरीज के आखो की रोशनी चली जाती है. एम्स नई दिल्ली में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर दीपक अग्रवाल ने कहा कि अप्सराल तरीके दिन मे कॅन्सर के मरीज का उपचार नही तकनीक से संभव हो पाया हे. उन्होने कहा की न्यूरो कॅन्सर के मरीजो को अब लंबे समय तक अस्पताल मे ऍडमिन होने की जरूरत नही है. नैताकनीचे आसान तरीके से मरीज की बिमारी दूर हो सकती है. डॉक्टर दीपक ने बताया की कोराइडल मेलेनोमा वयस्को मे सबसे आम प्राथमिक इ इंट्राओकुलर कॅन्सर हे.. या कॅन्सर जॉब भलता है तो बहदी खतना हो जाता है. उन्होने कहा की बहुत ही त्याची से यह शरीर के दुसरे अंगो को अपने चपेट मे ले लेता है l यह एक जीवन के लिए खतरनाक स्थिती हो जाती है. काही बार इसके लिए सर्जिकल उपचार किया जाता है. जिसमे मरीज के आखो की रोशनी जाने का रिक्स रहता है. डॉक्टर दीपक ने कहा की सर्जिकल उपचार में ट्यूमर के साथ पुरी आंख को निकलना शामिल होता है. जिसके परिणाम स्वरूप आख की अपरिवर्तनीय शक्ती होती है.
क्या है नही तकनीक
डॉक्टर दीपक ने कहा की ग्लोब स्पेलिंग उपचार के माध्यम से मरीज के आखो के साथ साथ दोस्ती को भी सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके लिये विशिष्ट उपचारोग में प्लाक ब्रेकीथेरेपी और गामा नाईक सर्जरी शामिल है जो वर्तमान में एम्स में रोगियों के लिए उपलब्ध है. गामा नाईफ एक प्रकार की गैर आक्रमक स्टिरिओटैक्टिक रेडिओ सर्जरी है जो मस्तीष्क और कक्षा के ट्यूमर के इलाज का एक बेहद सटीक तरीका प्रदान करती है. गामा नाईफ की सटिकता सायबर नाईफ कई1 मी मी और प्रोटॉन बी एम थेरेपी की 2-3 मीमि की तुला मे 0.1 मी मी तक पोचती है .
कितना सरल हो गया है आपरेशन
एम्स के आर पी सेंटर मे प्रोसेसर डॉक्टर भावना चावला ने बताया की इस प्रक्रिया को विशेषण डॉक्टर ओके देखरेख में किया जाता है. उन्होने कहा की सर्जरी मे नेत्ररोग विशेषज्ञ और न्यूरोसर्जन की एक टीम शामिल होती है. नेत्र सर्जन पहले आख को स्थानीय एनेथिसिया देता है और फिर मा स्पेशल को जोडकर आख को उपचार के लिए तयार करता है टाकी गामा चाकू उपचार के लिए खोपडी पर एक प्रेस लगा जा सके. दिल्ली के पास गामा नाईफ मशीन का नवीनतम मॉडेल हे दिसे आईस सी ओ एन कहा जाता है जो बहुत तेजी से योजना बनाने और उपचार के समय की अनुमत देत आहे
मरीजो को आमतोर पर रातभर प्रवेश की आवश्यकता नाही होती है और उन्हे उसी दिन छुट्टी देती जाती है. क्योंकि प्रक्रिया एक एकल सत्र हे, जिसका अर्थ है कि अधिक कांश रोगियों के लिये केवल एक उपचार ही पर्यक्त है.