Sawan Somwar Vrat 2024 :- aaj सावन का पहला सोमवार, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त- मंत्र और धार्मिक महत्व
Sawan 2024 1st Monday Fast
महत्व :- सावन के सभी सोमवार का व्रत और विधि विधान के साथ भगवान आशुतोष की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सावन महीने में सोमवार व्रत करणे का महत्व :-
Sawan Somwar :- हिंदू धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। शिव पुराण के अनुसार, सावन मास में भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वर दिया था। साथ ही धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे साल शिव पूजा से जो पुण्य फल मिलता है, वह सावन सोमवार में भगवान शिव का जलाभिषेक और बेलपत्र अर्पित करने से प्राप्त होता है।
आपको बता दें कि सावन का पहला सोमवार आज यानी २२ जुलाई को है। वहीं आपको बता दें कि आज कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं तिथि और शुभ मुहूर्त…
सावन सोमवार २०२४ तिथि और मुहूर्त
२१ जुलै २०२४ को वैदिक पंचांग के अनुसार दोपहर ३ बजकर ४६ मिनट से कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत हो रही है। और इसका अंत २२ जुलाई को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत दोपहर १ बजकर १२ मिनट पर होगी।
इसलिए उदया तिथि को आधार मानते हुए २२ जुलाई को सावन महीने की शुरुआत होगी और सावन की समाप्ति १९ अगस्त २०२४ को होगी। इस बार सावन में पांच सावन सोमवार का व्रत किया जाएगा, जो बेहद शुभ माने जाते हैं।
सावन के पहले सोमवार पर बने ५ शुभ योग
वैदिक पंंचांग के अनुसार सावन के पहले सोमवार पर इस बार ५ दुर्लभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें सोमवार पर प्रीति योग के साथ आयुष्मान योग बन रहा है।
इसके साथ ही चंद्रमा और मंगल एक दूसरे से नौवें और पांचवे भाव में मौजूद रहने से नवम पंचम योग भी बन रहा है। साथ ही इस दिन कर्मफल दाता शनि देव स्वराशि कुंभ में रहकर शश राजयोग बना रहे हैं।
वहीं सर्वाद्ध सिद्ध योग भी सावन के पहले सोमवार को बन रहा है। इस पांच शुभ योग में भगवान आशुतोष की पूजा अर्चना करने से जीवन में शुभ परिणामों की प्राप्ति होगी।
सावन सोमवार के दिन शिवजी के इन मंत्रों का करें जाप
फोटो में दिये मंत्र
ॐ नमः शिवाय।
ॐ पार्वतीपतये नमः।
सावन का धार्मिक महत्व
सावन के महीने और खासकर सावन के सोमवार पर जो व्यक्ति भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा- अर्चना करता है। उसके जीवन में सुख- समृद्धि की वास रहता है। साथ ही उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
वहीं जो कुंवारी लड़कियां सावन सोमवार का व्रत रखती हैं उन्हें मनचाहा जीवन साथी की प्राप्ति होती है। साथ ही खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए सावन सोमवार का व्रत किया जाता है।
सावन में भगवान शिव जी की पूजा अर्चना करने से ग्रह-नक्षत्रों का शुभ फल प्राप्त होता और सभी दोष दूर होते हैं, क्योंकि भोलेनाथ का ही सभी ग्रहों पर आधिपत्य है।
सावन सोमवार की तिथियां
22 जुलाई 2024- पहला सोमवार
29 जुलाई 2024-दूसरा सोमवार
5 अगस्त 2024- तीसरा सोमवार
12 अगस्त 2024- चौथा सोमवार
19 अगस्त 2024- पांचवा सोमवार
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चिमूर:-
तालुक्यातील नेरी येथील केशव श्रीरामे व चिमूर येथील ज्ञानेश्वर बरटे हे दोघेही बोथली ते शिरपूर मार्गाने मोटारसायकल ने पुलावरून पाणी वाहत असतांना मोटारसायकल सह पुराच्या पाण्यात वाहून जावून झाडाला लटकून आहेत,अशी माहिती पोलीस पाटील बनसोड यांनी 20 जुलै च्या रात्रो चिमूरचे पोलीस निरीक्षक संतोष बाकल यांना दिली असता पोलीस निरीक्षक बाकल यांनी क्षणाचाही विलंबन करता पोलीस हवालदार विलास निमगडे पोलीस शिपाई सचिन खामनकर, शैलेश मडावी,शिवशंकर लांडकर या कर्मचाऱ्याना घेऊन साहित्या सह घटनास्थळी दाखल झाले.
दरम्यान पुला पासून 100 मीटर अंतरावर एक तर दुसरा 200 मिटर अंतरावर होता रात्रौची वेळ असल्याने बचाव कार्यात अडचण येत असल्याने शिरपूर येथील पोहणारे सुभाष दहारे व अडेगाव येथील बालू झोडे यांच्या मदतीने पुराच्या पाण्यातून मोठ्या शरतीने दोघ्यांनाही सुखरुप बाहेर काढण्यात पोलीसांना यश आले आहे
Guru Purnima 2024: सनातन धर्म की 'गुरु-शिष्य परंपरा' अनादिकाल से मानव मात्र के लिए पूजनीय रही है. मानव जीवन में गुरु का अद्वितीय महत्व होता है, इसलिए आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. सनातन संस्कृति के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए लंबे समय से समर्पित सनातन संस्था के तत्वावधान में गुरु पूर्णिमा पर 21 जुलाई को देशभर में 75 स्थानों पर गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है.
इसी कड़ी में मुंबई के माहिम, विलेपार्ले और नवी मुंबई के खारघर में 'गुरु पूर्णिमा महोत्सव' का आयोजन किया गया है. यह महोत्सव मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, तमिल, मल्यालम आदि भाषाओं में आयोजित किया जाएगा.
संस्था की प्रवक्ता नयना भगत ने बताया कि महोत्सव में व्यास पूजन, परम पूज्य भक्तराज महाराज की प्रतिमा पूजन (गुरु पूजन), समाज, राष्ट्र और धर्म के बारे में विचार, 'आनंद प्राप्ति और रामराज्य की स्थापना के लिए साधना' विषय पर विशेष मार्गदर्शन होगा. साथ ही धर्म, अध्यात्म, साधना, बाल संस्कार, आचार धर्म, आयुर्वेद, प्राथमिक चिकित्सा, आत्मरक्षा, हिंदू राष्ट्र आदि विभिन्न विषयों पर ग्रंथ प्रदर्शनी और राष्ट्र-धर्म विषयक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी.
दादर माटुंगा सांस्कृतिक केंद्र, जे. के. सावंत मार्ग, यशवंतराव चव्हाण थिएटर के पास, मालीम, सायं 5.30 बजे से, प्रबोधनकार ठाकरे क्रीडा संकुल, शहाजीराजे रोड, विलेपार्ले पूर्व, सायं 6.00 बजे से तथा उत्कर्ष हॉल, अ-59, छ. शिवाजी महाराज चौक के पास, सेक्टर 12, खारघर, नवी मुंबई में सायं 5.30 बजे गुरु पूजन किया जाएगा.
सनातन संस्था ने मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती, तमिल, मलयालम भाषाओं में 'ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव' का आयोजन किया है। ताकि देश-विदेश के श्रद्धालु गुरु पूर्णिमा का आनंद उठा सकें। 21 जुलाई को हिंदी भाषा में 'गुरु पूर्णिमा महोत्सव' का लाभ निम्नलिखित वेबसाइट मार्ग से लिया जा सकता है.
Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसे विशेष रूप से गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है. ये ये पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई में आता है. और इस साल 21 जुलाई को मनाई जाएगी.
गुरु पूर्णिमा का धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोण से विशेष महत्त्व है. इस दिन को वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, जिन्होंने महाभारत और कई अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की. भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान दिया गया है. गुरु न सिर्फ शिक्षा देते हैं, बल्कि जीवन के सही मार्गदर्शन के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
भारतीय परंपरा में गुरु-शिष्य संबंध एक पवित्र बंधन माना जाता है. गुरु शिष्य को ज्ञान, नैतिकता और आचार-व्यवहार की शिक्षा देते हैं. गुरु पूर्णिमा पर शिष्य अपने गुरु के पास जाकर उन्हें प्रणाम करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं. इस दिन विशेष पूजा, हवन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं.
गुरु पूर्णिमा के दिन लोग अपने गुरु के पास जाकर उन्हें पुष्प, फल और मिठाई से मुँह मीठा करते हैं. कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और सत्संग और प्रवचन का आयोजन करते हैं. विद्यालयों और आश्रमों में भी विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जहाँ गुरु का आशीर्वाद लेने के लिए शिष्य एकत्रित होते हैं.
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गुरु जीवन के हर क्षेत्र में हमारी मदद करते हैं. वो हमें सही और गलत का फर्क सिखाते हैं और जीवन में सच्चाई और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं. गुरु के बिना जीवन अधूरा और दिशाहीन होता है. इसीलिए गुरु पूर्णिमा पर गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करना हमारी सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
गुरु पूर्णिमा हमें हमारे गुरु के महत्व का स्मरण कराती है और हमें उनके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर देती है। ये पर्व हमें ये सीख देता है कि गुरु का स्थान हमारे जीवन में सर्वोपरि है और उनका आदर और सम्मान करना हमारा कर्तव्य है.
मार्कडेश्र्वर मंदिर जिर्णोद्धार अद्याप पूर्ण झाले नाही यांची खंत
शिवसेना(ऊबाठा) चे संपर्क प्रमुख शिवाजी खांडवे
चांमोर्शी -:
विदर्भाची काशी म्हणून ओळखल्या जाणाऱ्या तालुक्यातील मार्कडा देव येथे वैनगंगा नदीच्या तीरावर वसलेले मार्कंडेश्र्वर मंदिराचे जिर्णोद्धार काम गेल्या दहा वर्षांपासून रेंगाळत आहे ते पूर्ण करण्यास भारतीय पुरातत्व विभाग व लोकप्रतिनिधी दखल घेतली याची खंत शिवसेने ( उबाठां) चे संपर्क प्रमुख शिवाजी खोंडवे यांनी मंदिर स्थळाला भेट दिली त्यावेळी व्यक्त केले
गडचिरोली जिल्ह्यातील अहेरी, भामरागड व मुलचेरा तालुक्याचे शिवसेना ( उबाठा) चे संपर्क प्रमुख शिवाजी खोंडवे हे १६ व १७ जुलै या दोन दिवशीय जिल्हा दौऱ्यावर आले असता ते १७ जुलै रोजी मार्कडेश्र्वर मंदिराला भेट दिली त्यावेळी दत्ता पवार उपस्थित होते. शिवाजी खोंडवे हे १६ जुलै रोजी अहेरी, भामरागड व मुलचरा येथे शिवसेना कार्यकर्ते , पदाधिकारी व इतर नागरिकांशी संवाद साधत आगामी विधान सभा निवडणुकी संबंधी मत जाणून घेतले दरम्यान कालच हेमलकसा येथे डॉ. प्रकाश आंबटे यांच्याशी ही संवाद साधला असून यावेळी अहेरी व गडचिरोली विधान सभा निवडणुकी साठी संभाव्य उमेदवार बाबत तालुका प्रमुख, व अरुण कुमार धूर्वे, दिलीप सुरपाम, आदी सोबत चर्चा केली यावेळी जिल्हा संघटक विलास ठोंबरे, दत्ता पवार आदी उपस्थित होते.
Jagannath Mandir: ओड़िशा का पुरी का जगन्नाथ मंदिर Puri Jagannath Temple देश-दुनिया को पता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वापर के बाद श्रीकृष्ण Shri Krishna पुरी में निवास करने लगे और जग के नाथ मतलब जगन्नाथ बन गए. पुरी का जगन्नाथ मंदिर चारों धाम में से एक है. यहां भगवान श्रीकृष्ण अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं.
फिलहाल जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार Ratna Bhandar चर्चा में है, इस रत्न भंडार को 46 साल बाद खोला गय है. इससे पहले जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार खोले गए थे. और धार्मिक अनुष्ठान के बाद रविवार को शुभ मुहूर्त पर दोपहर 01 बजे 46 साल बाद जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोला गया.
आपको बता दें कि 14 जुलाई 1985 में रत्न भंडार को खोला गया था. इसके बाद इसे कभी खोला नहीं गया. इतने सालों में रत्न भंडार की चाबी भी गुम हो गई थी. तो ऐसे में इतने सालों बाद जब रत्न भंडार खुला है तो लोग भी ये जानने के लिए बेताब हैं कि आखिर खजाने में क्या-क्या मिला है?
46 साल बाद रत्न भंडार को खोलने का उद्देश्य ये है की आभूषणों, मूल्यवान और वस्तु की सूची बनाने और भंडार गृह की मरम्मत कराना है. रत्न भंडार से मिली वस्तुएं इसकी पूरी सूची बनाने में अभी समय लग सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, रत्न भंडार में भगवान को चढ़ाए बहुमूल्य सोने और हीरे के आभूषण हैं. वहीं रत्न भंडार के दो कक्ष हैं. इनमें अंदर और बाहर खजाना है.
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श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासनके मुख्य प्रशासक अरविंद पाधी ने बताया कि, रत्न भंडार के बाहरी कक्ष की तीन चाबियां उपलब्ध थी और अंदर के कक्ष की चाबियां गायब थी.
ओडिशा मैगजीन के अनुसार, बाहरी खजाने में भगवान जगन्नाथ के तीन सोने का हार और सोने का मुकुट है वहीं अंदर के खजाने में करीब 74 सोने के आभूषण हैं, जिसमें हर एक का वजन लगभग 100 तोला है. इसमें सोने, चांदी, हीरे, मूंगा और मोतियों से बने बहुत सारे आभूषण भी हैं.
Kedarnath Dham: दिल्ली में 'केदारनाथ मंदिर' की प्रतिकृति मंदिर बनाने पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, भगवान के हजार नाम हैं, किसी और नाम से मंदिर बनाएं. जनता को भ्रम में न डालें. इस सवाल पर कि क्या दिल्ली में मंदिर बनाने के पीछे राजनीति है.
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शंकराचार्य ने कहा- बहुत सी राजनीतिक वजह है. जो हमारे धर्मस्थान हैं, वहां राजनीति वाले प्रवेश कर रहे हैं. केदारनाथ धाम Kedarnath Dham से 228 किलो सोना गायब कर दिया गया और आज तक जांच नहीं हुई. कौन जिम्मेदार है ? अब वहां पर घोटाला कर दिया तो दिल्ली में मंदिर बनाएंगे? वहां दूसरा घोटाला करेंगे? दरअसल, 10 जुलाई को दिल्ली के बुराड़ी स्थित हिरनकी में श्री केदारनाथ धाम' Kedarnath Dham नाम से मंदिर का शिलान्यास हुआ. इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के CM Pushkar Singh Dhami भी थे.
आयोजन समिति ने जो आमंत्रण पत्र जारी किया, उसमें भगवान शिव और केदारनाथ धाम Kedarnath Dham मंदिर की तस्वीर है. नीचे केदारनाथ धाम Kedarnath Dham ट्रस्ट दिल्ली के फाउंडर और अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला की फोटो है. दान और चंदे के लिए क्यूआर कोड दिया गया है, जिसे स्कैन करने पर और केदारनाथ धाम Kedarnath Dham नाम दिखता है. शिलान्यास के बाद से ही केदारनाथ धाम Kedarnath Dham के तीर्थ पुरोहित सहित स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. लगातार विरोध के बाद उत्तराखंड सरकार कहा कि ज्योतिर्लिंग का एक ही स्थान है, दूसरे स्थान पर धाम नहीं हो सकता.
अहेरी :- तालुक्यातील आलापल्ली येथील दरवर्षी प्रमाणे या वर्षी सुद्धा लालशाहा / ईमामे कासिम सार्वजनिक मोहरम कमिटी पुनागुडम तर्फे आलापल्ली येथे मोहरम कार्यक्रम आयोजित केली आहे.आयोजित मोहरम कार्यक्रमला काँग्रेसनेते व आदिवासी काँग्रेससेलचे जिल्हा अध्यक्ष हनमंतू मडावी साहेबांनी प्रामुख्याने उपस्थित राहून कार्यक्रमाची शोभा वाढवले.दरम्यान मडावी साहेबांनी कमिटी पदाधिकाऱ्यांची भेट घेऊन कार्यक्रमा बाबत सविस्तर चर्चा करण्यात आली.
यावेळी कमिटी सदस्य चिंटू आत्राम,जावेद पठाण,रिंकू आत्राम,बबलू आत्राम,दिलीप सिडाम,सीताराम कोरेत,नाना कोरेत,महेश सल्लम,पिट्टू अर्का,अमन गंजीवर,श्रीकांत आत्राम,गणेश आलाम,अमोल सडमेक,रोहित अर्का,आकाश येरकलवार,आकाश सिडाम,योगेश सडमेक,योगेश कोत्तावार,सुरज आत्राम,दिग्विजय आत्राम,जिम्मी आत्राम,रचित अर्का,पंकज गेडाम,विक्की बडगेल,स्वप्निल सारकेवार,अज्जुभाऊ पठाण मा.सरपंच ,स्वप्नील मडावी ,सचिन पंचाऱ्या,आशिष तलांडेसह स्थानिक पदाधिकारी कार्यकर्ते तसेच कमिटी पदाधिकारी - सदस्य मोठ्या संख्येने उपस्थित होते.
चिमूर:-
तालुक्यातील साटगाव ते हिवरा रोडवरील पूल आज पहाटेच्या सुमारास झालेल्या जोरदार पावसाने वाहून गेला. त्यामुळे या मार्गावरील वाहतूक पूर्णपणे विस्कळीत झाली असून पूल वाहून गेल्याने बऱ्याच गावातील लोकांचा संपर्क तुटला आहे. त्यामुळे सार्वजनिक बांधकाम विभागावर आणखी एकदा प्रश्नचिन्ह निर्माण झाले आहे.
साटगाव वरून हिवरा, वाकर्ला, बोरगाव, मेढा, नक्षी मार्गे भिवापूर जाणारा हा मार्ग असून या मार्गी रोजच वर्दळ असते.दोन वर्षापासून हा पूल जीर्ण अवस्थेत असल्याने या पुलाचे बांधकाम आधी होणे हे फार गरजेचे होते.परंतु बांधकाम विभागाने तसेच लोकप्रतिनिधीने या परिसराकडे सातत्याने दुर्लक्ष केले. आता हा पूल पावसाळ्याच्या दिवसात वाहून गेल्याने याला जबाबदार कोण? तसेच पावसाळा सुरू असताना तात्काळ या पुलाचे बांधकाम होणार का? असे प्रश्न नागरिक विचारत आहे.
पूल वाहून गेल्याची माहिती साटगाव येथील उपसरपंच प्रीती दीडमुठे यांना होताच त्या नागरिकांसह घटनास्थळी पुलावर हजर होऊन पाहणी केली. व याची माहिती संबंधित विभागाला देऊन या पुलाचे बांधकाम तात्काळ करण्यात यावे, अशी मागणी केली. व या पुला चे बांधकाम विधानसभा निवडणुकीच्या आत न केल्यास कोणत्याही पक्षाच्या नेत्याला मत मागायला गावात येऊ देणार नाही, असा इसारा उपसरपंच व साटगाव हिवरा येथील नागरिकांनी दिला आहे.
चिमूर:-
तालुक्यातील साटगाव ते हिवरा रोडवरील पूल आज पहाटेच्या सुमारास झालेल्या जोरदार पावसाने वाहून गेला. त्यामुळे या मार्गावरील वाहतूक पूर्णपणे विस्कळीत झाली असून पूल वाहून गेल्याने बऱ्याच गावातील लोकांचा संपर्क तुटला आहे. त्यामुळे सार्वजनिक बांधकाम विभागावर आणखी एकदा प्रश्नचिन्ह निर्माण झाले आहे.
साटगाव वरून हिवरा, वाकर्ला, बोरगाव, मेढा, नक्षी मार्गे भिवापूर जाणारा हा मार्ग असून या मार्गी रोजच वर्दळ असते.दोन वर्षापासून हा पूल जीर्ण अवस्थेत असल्याने या पुलाचे बांधकाम आधी होणे हे फार गरजेचे होते.परंतु बांधकाम विभागाने तसेच लोकप्रतिनिधीने या परिसराकडे सातत्याने दुर्लक्ष केले. आता हा पूल पावसाळ्याच्या दिवसात वाहून गेल्याने याला जबाबदार कोण? तसेच पावसाळा सुरू असताना तात्काळ या पुलाचे बांधकाम होणार का? असे प्रश्न नागरिक विचारत आहे.
पूल वाहून गेल्याची माहिती साटगाव येथील उपसरपंच प्रीती दीडमुठे यांना होताच त्या नागरिकांसह घटनास्थळी पुलावर हजर होऊन पाहणी केली. व याची माहिती संबंधित विभागाला देऊन या पुलाचे बांधकाम तात्काळ करण्यात यावे, अशी मागणी केली. व या पुला चे बांधकाम विधानसभा निवडणुकीच्या आत न केल्यास कोणत्याही पक्षाच्या नेत्याला मत मागायला गावात येऊ देणार नाही, असा इसारा उपसरपंच व साटगाव हिवरा येथील नागरिकांनी दिला आहे.
Religious News :- ओडिशा मे भगवान जगन्नाथ मंदिर jagannath puri रत्न भंडार के दरवाजे ४६ साल बाद खुले। इससे पहले यह रत्न भंडार १९७८ में खोला गया था। रत्नभंडारा के कपाट खोलने के लिए ११ सदस्यों की एक समिति बनाई गई.
श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी, एएसआई अधीक्षक डी.बी. इस समिति में गडनायक और पुरी के राजा गजपति महाराजा भी शामिल थे। इस समिति के सदस्यों ने १४ जुलाई को दोपहर १:२८ बजे इस रत्न में प्रवेश किया.
पुरी मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने क्या कहा?
जगन्नाथ पुरी मंदिर jagannath puri के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी के मुताबिक, खजाने के गहनों को छह संदूकों में सील कर दिया गया है। ख़जाना संदूक के अंदर का सामान अभी तक संदूक में नहीं रखा गया है।
बाहुड़ा यात्रा पूरी होने के बाद ये पैसा तिजोरियों में रखा जाएगा. रत्न भंडार में मौजूद रत्नों, गहनों और क़ीमती सामानों की गिनती की जाएगी और कुछ क़ीमती सामानों की मरम्मत की जाएगी। इन सभी की संख्या, गुणवत्ता, वजन, फोटो को लेकर एक डिजिटल कैटलॉग बनाया जाएगा। रत्न भंडार में क्या होता है, इसकी जानकारी ११ सदस्यीय कमेटी ने अभी तक नहीं दी है.
भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना के बाद रत्नभंडार खोला गया
भगवान जगन्नाथ jagannath puri की पूजा-अर्चना के बाद रत्नभंडार खोला गया. ११ सदस्यीय कमेटी ने पहले विधिवत पूजा-अर्चना भी की. इसके बाद उसने यह जान कर कि यह ईश्वर का आशीर्वाद है, खजाने के घर में प्रवेश किया। इस मणि में भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए गए सोने, चांदी और हीरे के आभूषण हैं। ओडिशा odisha पत्रिका के अनुसार, राजा अनंगभीम देव ने भगवान जगन्नाथ के आभूषण बनाने के लिए बड़ी मात्रा में सोना भी दान किया था।
१९७८ में जब रत्नभंडार खोला गया तो क्या हुआ?
१९७८ में जब इस रत्न के दरवाजे खोले गए तो इस रत्न में १४० किलो सोने के आभूषण, २५६ किलो चांदी के बर्तन थे। पुरी मंदिर प्रशासन के मुताबिक, ये आभूषण कीमती रत्नों से जड़े हुए हैं।
२०१८ में ओडिशा odisha के कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में यह जानकारी दी थी. पिछले साल, जगन्नाथ मंदिर jagannath puri समिति ने राज्य सरकार से सिफारिश की थी कि रत्नभंडार को २०२४ रथ यात्रा के दौरान खोला जाना चाहिए।
यह भी कहा जाता था कि इस मणि में बहुत सारे नाग और नागिन हैं और वे ही इस खजाने की रक्षा करते हैं। लेकिन ११ सदस्यीय कमेटी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस खजाने के आसपास कोई नाग या नागिन नहीं है.
४६ साल तक क्यों नहीं खोला गया रत्नभंडार?
नियम है कि हर तीन साल में पुरी के जगन्नाथ मंदिर jagannath puri का रत्न भंडार खोला जाना चाहिए और वहां मौजूद रत्नों और कीमती सामानों की गिनती की जानी चाहिए। लेकिन इस रत्न को ४६ साल तक नहीं खोला गया। इस रत्न भंडार के दरवाजे ओडिशा odisha सरकार की सहमति के बाद ही खोले जाते हैं। इसमें लंबी अदालती प्रक्रिया चली.
२०१८ में, ओडिशा odisha उच्च न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व विभाग के आग्रह के बाद ओडिशा सरकार को मंदिर में रत्न भंडार खोलने की अनुमति देने का निर्देश दिया था। उस वक्त कोर्ट को बताया गया कि रत्नभंडारा की चाबियां खो गई हैं. लेकिन आखिरकार १४ जुलाई को ४६ साल बाद इस रत्न के दरवाजे खुल गए। पुरी का खजाना लूटने के लिए १५ हमले हो चुके हैं। जिसकी शुरुआत १४५१ में हुई थी. इस वर्ष से १७३१ तक १५ आक्रमण हुए।
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Madhya Pradesh: यह भोपाल से 65 किमी दूर विदिशा का ऐतिहासिक विजय मंदिर है, जिसे औरंगजेब ने 1682 में तोपों से तुड़वा दिया था. अब मप्र सरकार यहां टूरिस्ट स्पॉट विकसित करेगी। सदियों से मलबे और मिट्टी में दबा मंदिर 1992 में आई बाढ़ में निकल कर सामने आया था.
स्थानीय इतिहासकार कैलाश देवरिया बताते हैं- 10वीं सदी में चालुक्य राजवंश के महामंत्री वाचस्पति ने प्रतिहारों पर विजय के प्रतीक के रूप में इसे बनवाया था। यह चालुक्यों की कुलदेवी भिल्लस्वामिनी को समर्पित है. यहां कोणार्क की तर्ज पर सूर्य मंदिर भी था. अलबरूनी ने लिखा कि मंदिर 105 गज (315 फीट) ऊंचा था. देश की नई संसद भी इसके जैसी दिखती है.
मध्य प्रदेश के संस्कृति राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह कहते हैं कि विजयपुर जैसे मंदिरों और प्रसिद्ध स्थलों का जीर्णोद्वार करने की तैयारी चल रही है. ASI के साथ मिलकर इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेंगे.
Chandrapur News :- चंद्रपूरची आराध्य दैवत माता महाकाली मंदिराच्या Mahakali mandir लाखो भाविकांचे श्रद्धास्थान आहे, महाकाली मंदिराच्या विकासासाठी आमदार किशोर जोरगेवार यांचे सातत्याने प्रयत्न सुरू होते.
मंदिराच्या कामासाठी २५० कोटी रुपयांचा आराखडा तयार करण्यात आलेला होता. शुक्रवारला झालेल्या अधिवेशनात बोलताना मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे Eknath shinde यांच्या सदर काम करण्याबाबत घोषणा केलेली आहे, त्यामुळे आता लवकरच २५० कोटी रुपयांतून माता महाकाली मंदिर यात्रा परिसराचे रुपडे पालटणार आहे.
आमदार किशोर जोरगेवार Kishor Jorgewar यांनी Chandrapur येथील पवित्र दीक्षाभूमी आणि माता महाकाली मंदिर Mahakali mandir परिसर या भागाचा सर्वसमावेशक विकास व्हावा यासाठी प्रयत्न सुरू केले होते.
त्यांच्या प्रयत्नांमुळे दीक्षाभूमी येथील विकास कामांना मंजुरी मिळाली असून यासाठी ५६.९० कोटी रुपयांचा निधी देण्यात आलेला आहे. लवकरच या कामाला सुरुवात होणार आहे.
तर माता महाकाली मंदिर Mahakali mandir परिसराच्या विकासासाठी त्यांच्या पाठपुराव्या नंतर २५० कोटी रुपयांचा विकास आराखडा तयार करण्यात आलेला होता.
चंद्रपूर ची आराध्य दैवत श्री महाकाली मातेचे Mahakali mandir १६ व्या शतकातील प्राचीन जागृत असे मंदिर गोंड राजवंशाने बांधले आहे.
दरवर्षी चैत्र शुद्ध प्रतिपदेला चैत्र नवरात्री दरम्यान महाकाली यात्रा सुरू होते. या यात्रेमध्ये नांदेड, मराठवाडा सह तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगड या राज्यातूनही लाखोच्या संख्यने भाविक यात्रेसाठी येत असतात.
वर्षातील चैत्र नवरात्री व अश्विनी नवरात्री या दोन्ही नवरात्री दरम्यान श्री महाकाली माता मंदिर Mahakali mandir परिसरात लाखोंच्या संख्येने भाविक येत असतात.
परंतु सदर यात्रा परिसरात भाविकांसाठी मुलभूत सोयी सुविधा उपलब्ध नाहीत. यात्रेकरूंच्या संख्येच्या तुलनेत निवास, शौचालय, स्नानगृहे, भोजनकक्ष व्यवस्था नसल्यामुळे महिला भाविकांना उघड्यावरच दैनंदिन कार्य उरकावे लागत आहे.
तसेच नैसर्गिक आपत्तीत ऊन, वारा व पावसापासून संरक्षित सभामंडप नसल्यामुळे नैसर्गिक आपत्तीमुळे भाविकांच्य जीवितास हानी होण्याची शक्यता असते. त्यामुळे मंदिराच्या यात्रा परिसरात भाविकांसाठी सुविधांसह विकास कामांची गरज होती.
मुख्यमंत्री यांच्या घोषणेनंतर २५० कोटी रुपयांच्या या आराखड्यानुसार मंदिर परिसरात शेड व शौचालयाचे बांधकाम, मंदिर परिसर प्रवेशद्वार व सीमा भिंतीचे बांधकाम, पाईपलाइन व पाण्याच्या टाकीचे काम, मंदिर परिसरात विद्युतीकरण, भक्त निवास आदी कामे प्रस्तावित करण्यात आली आहेत.
यासाठी आमदार किशोर जोरगेवार Kishor Jorgewar यांचे सातत्याने प्रयत्न सुरू होते. अखेर त्यांच्या पाठपुराव्याला यश आलेले दिसत आहे.
पावसाळी अधिवेशनाच्या शेवटच्या दिवशी अधिवेशनात बोलताना मुख्यमंत्री Eknath shinde यांनी सदर २५० कोटी रुपयांच्या विकास आराखड्यानुसार विकासकामे करण्याची घोषणा केली.
त्यामुळे आता मंदिर Mahakali mandir यात्रा परिसराच्या विकास कामाला गती येणार आहे. विशेष म्हणजे आश्विन नवरात्री दरम्यान आमदार किशोर जोरगेवार यांनी चंद्रपूरात Chandrapur माता महाकाली महोत्सवाला सुरुवात केली आहे.
या महोत्सवाच्या भव्यतेमुळे माता महाकाली देवस्थान देशपातळीवर पोहोचले आहे. परिणामी येथे येणाऱ्या भाविकांच्या संख्येत लक्षणीय वाढ झाली आहे. याचा परिणाम येथील व्यवसायावरही दिसून येत आहे.
जगप्रसिद्ध ताडोबा Tadoba अभयारण्यात येणाऱ्या पर्यटकांना आणि इतर पर्यटकांना माता महाकाली मंदिराकडे वळविण्यासाठी सदर महोत्सवाच्या माध्यमातून प्रयत्न सुरू आहेत.
मात्र Mahakali mandir येणाऱ्या भाविकांच्या दृष्टीने सोयीसुविधांच्या येथे व्यवस्था नाहीत. त्यामुळे भाविकांची गैरसोय होते, यीसाठी येथे विकासकामे केले जाणे गरजेचे होते.
दरम्यान, आता श्री महाकाली मंदिर Mahakali mandir यात्रा परिसराचा सर्वांगीण विकास कामे करण्याची घोषणा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे Eknath shinde यांनी केली असल्याने येथे सोयी सुविधा उपलब्ध होणार आहेत.
याचा फायदा येथील व्यवसाय वाढ, रोजगार निर्मिती, पर्यटन आदी क्षेत्रांवर दिसून येणार आहे. मंदिर परिसराचा विकास व्हावा, येथे येणाऱ्या भाविकांसाठी उत्तम भक्त निवास असावा हा संकल्प आपण केला होता.
मुख्यमंत्री यांची घोषणा ही या संकल्प पूर्ततेकडील वाटचाल असून चंद्रपूरच्या Chandrapur नागरिकांच्या आणि महाकाली मातेच्या भक्तांच्या वतीने आपण मुख्यमंत्री Eknath shinde यांचे आभार मानतो, असे किशोर जोरगेवार Kishor Jorgewar यांनी म्हटले आहे.
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चिमूर:-
जिल्ह्यामध्ये
प्रत्येक तालुक्यात ग्रामीण रुग्णालय, प्राथमिक आरोग्य केंद्र, प्राथमिक आरोग्य उपकेंद्र मोठ्या संख्येत आहेत. ग्रामीण भागात एका-एका प्राथमिक आरोग्य केंद्राला १५ ते २० गावे जोडलेली आहेत. परंतु, त्या प्रमाणात वैद्यकीय अधिकारी व कर्मचारी कमी पडत असल्यामुळे ग्रामीण भागातील रुग्णांची गैरसोय होत आहे. रुग्णांची गैरसोय लक्षात घेता रुग्णालयात रिक्त पदे तात्काळ भरण्याची मागणी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओबीसी महासंघ तथा समन्व्यक चिमूर विधानसभाक्षेत्राचे डॉ. सतीश वारजूकर यांनी केली आहे सध्या पावसाळ्याचे दिवस सुरू आहे. यादिवसात दूषित पाण्यामुळे तसेच डासांच्या प्रकोपामुळे हिवताप, मलेरिया, - डायरिया, चिकनं गुणिया या सारखे आजार उद्भवण्याची शक्यता असते. त्यामुळे आरोग्य केंद्रे स्वयंपूर्ण असणे आवश्यक असते.परंतु,अनेक रुग्णालयात रिक्तपदे असून,रुग्णांवर तात्काळ उपचार होत
नाही.त्यामुळे रुग्णांची होरपळ होते.अनेकदा उपचाराअभावी रुग्ण दगावण्याच्या घटना घडत असतात. शेतकरी किंवा मजूर शेतीमध्ये काम करत असताना त्यांना विचू, साप तर कधी कधी इंतर विषारी किळे यांच्या दंशाने विषबाधा होण्याची शक्यता असते.अशावेळी रुग्णांवर वेळीच उपचार होणे गरजेचे असते. सद्या स्थितीत पावसाळा सुरु झाला असून अनेक रुग्ण येत असतात परंतु वैधकीय अधिकारी व कर्मचारी अभावी त्यांना एक ते दोन तास वाट पाहावी लागते शेवटी रुग्ण हतबल होऊन प्राव्हेस्ट दवाखान्यात जातात परंतु पैशा अभावी तिथे पण उपचार करणे शक्य नाही,कधी वैद्यकीय अधिकारी उपस्थित राहत नाही. तर कुठे परिचारिका उपस्थित राहत नाही. परिणामी रुग्णांवर उपचार होत नाही. रुग्णांची गैरसोय लक्षात घेता चिमूर विधानसभा क्षेत्रातील तथा जिल्यातील प्राथमिक आरोय केंद्रातील रिक्त पदे त्वरित भरण्याची मागणी डॉ. सतिश वारजूकर यांनी केली
आहे.
Swami Vivekanand Punyatith: दोस्तों आज हम स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि के अवसर पर उनके जीवन के बारे में बताने वाले है. हर साल 12 जनवरी को ब्रह्मोत्सव के रूप में मनाते हैं, जो स्वामी विवेकानंद की मृत्यु की याद दिलाता है.
उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं. स्वामी विवेकानंद ने जीवन में अस्थायीता के खिलाफ सच्चाई की शिक्षा दी. उनका मानना था कि सभी मनुष्यों को समान दृष्टि से देखा जाना चाहिए। क्योंकि हर किसी में भगवान है. उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म को दुनिया के साथ साझा किया. स्वाधीनता और मानवता के आदर्शों को जीने का संदेश दिया.
हमारा लक्ष्य आपको स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचारों से जोड़ना है. उनके संदेशों से अपने जीवन को बेहतर बनाएं. आइए उनके शिक्षाप्रद संदेशों का समादान करें. जो हमारे जीवन को सच्ची प्रकाश में लाएं.
इस अनुभाग में, हम स्वामी विवेकानंद की जीवनी के बारे में चर्चा करेंगे. हम उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं, संदेशों, और परिणामों को विस्तार से देखेंगे.
Swami Vivekanand की जीवनी एक अद्वितीय कहानी है. उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था. उन्होंने कठिनाइयों का सामना करते हुए एक प्रेरणादायक जीवन जिया. उनकी जीवनी में संघर्ष और शक्ति की अद्वितीय व्याख्या है. वे भारतीय संस्कृति और दर्शन में रुचि रखते थे.
Swami Vivekanand स्वामी विवेकानंद ने कहा, "नेतृत्व शांति से होना चाहिए, न शक्ति से. मनोहारी शिक्षाएं उनकी शिक्षाएं आध्यात्मिक आदर्शों पर आधारित हैं। उन्होंने आत्मसम्मान और स्वयंसेवा की शिक्षा दी. आज भी उनकी शिक्षाएं मानवियता और समाजसेवा के लिए महत्वपूर्ण हैं. उनकी सोच में समावेश और सहनशीलता का महत्व था.
Swami Vivekanand ने सैकड़ों सुनहरे उद्धरण छोड़े हैं. उनकी विचारधारा लोगों को प्रभावित करती है. उनकी जीवनी मानवीयता और सेवा की महत्वपूर्णता को सिखाती है. उनके शब्दों से हम बदलने की प्रेरणा मिलती है.
इस अनुभाग में, हम स्वामी विवेकानंद के गुरु और उनके प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे। हम उनके गुरु की महत्वपूर्णता को समझेंगे और उनके विद्यार्थी-गुरु सम्बंध को जानेंगे.
Swami Vivekanand का प्रथम गुरु था रामकृष्ण परमहंस। रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को संतान बनाया और उन्हें उनके विचारों की मूलभूत शिक्षा प्रदान की. उनके प्रभाव से ही स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में आध्यात्मिकता की ओर ध्यान केंद्रित किया और उनके अध्यात्मिक दर्शनों की विस्तारपूर्वक व्याख्या की.
स्वामी विवेकानंद के गुरुओं का महत्व उनके जीवन में अपार था। रामकृष्ण परमहंस के साथ ही स्वामी विवेकानंद ने सभी अध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त किया और उसे अपने जीवन के मूल्यों में समाहित किया. विवेकानंद के अलावा भी उनके और कई गुरु थे जो उन्हें अपने अध्यात्मिक सफर में मार्गदर्शन करते रहे। इन गुरुओं ने स्वामी विवेकानंद को ब्रह्मचर्य, ध्यान, स्वधर्म, और साधना की महत्वपूर्ण ज्ञान दिया, जो उन्हें आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करा.
स्वामी विवेकानंद के गुरु-शिष्य संबंध विद्यार्था की इच्छा, सम्पादन, और एक सम्पूर्ण जीवनशैली का संकेत देता है. उन्होंने अपने गुरुओं के प्रति पूर्ण समर्पण और आदर्श शिष्यता दिखायी. स्वामी विवेकानंद के गुरुओं द्वारा प्रदान की गई ब्रह्मचर्य, साधना, और समाधाना की शिक्षा ने उन्हें संतोष, आध्यात्मिक संपन्नता, और व्यापारिक सफलता में मदद की.
स्वामी विवेकानंद के धार्मिक सिद्धांतों का आधार है कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं. उन्होंने 1897 में कहा था कि "धर्म वही है जिसे मनुष्य अपने अन्तरात्मा के उदय से बोलता है.
स्वामी विवेकानंद के अनुसार, सभी मनुष्य दिव्य हैं और आध्यात्मिकता से भरे हुए हैं। वे कहते हैं कि "मनुष्य देवताओं का संयोग है और देवताओं की सबसे महत्वपूर्ण शक्ति ईश्वर कायोग है।" उनके अनुसार, धर्म मानवता के गहरे आधार पर होना चाहिए. वे कहते हैं कि "मानवता में सत्य की अभिव्यक्ति धर्म है.
स्वामी विवेकानंद की जीवनी उनके संदेशों से भरी है. उन्होंने ज्ञान और तत्वज्ञान की महत्व को बताया. उन्होंने सत्य, धर्म, और प्रेम के माध्यम से संदेश दिया.
Markanda Temple Gadchiroli : विदर्भाची काशी म्हणून ख्याती असलेल्या चामोर्शी तालुक्यातील मार्कंडादेव येथील मार्कंडा देवस्थानच्या विकासासाठी राज्य शासनाकडून सुमारे एक कोटी रुपयांचा निधी प्राप्त झाला आहे. त्यामुळे जीर्णोद्धाराच्या कामाला गती येणार आहे.
मुख्य मंदिराच्या जीर्णोद्धार व संवर्धनाकरिता 20 कोटी 81 लाख रुपये, पुलाची निर्मिती करण्यासाठी 5 कोटी 50 लाख रुपये, धर्मशाळेची सुधारणा करण्यासाठी 1 कोटी रुपये, घाट व कपडे बदलण्याच्या जागेसह नदी परिसराचे सुशोभीकरण 15 कोटी 86 लाख रुपये, 5 मीटर रुंदीचा रस्ता बांधकामासाठी 17 कोटी 50 लाख रुपये,
घाट व कपडे बदलण्याच्या जागेसह नदी परिसराचे सुशोभीकरण 1 कोटी 83 लाख, माहिती केंद्र (800 चौरस मीटर) 6 कोटी 50 लाख रुपये अशा प्रकारे मार्कंडा देवस्थानाच्या विकासासाठी निधी उपलब्ध करून देण्यात आला आहे. दरम्यान, सार्वजनिक बांधकाम विभागाकडे हा निधी वर्ग झाला असून कामाला गती येणार आहे.
दरम्यान, 23 जून रोजी मार्कंडादेव येथील मंदिराच्या जीर्णोद्धार कामाची आमदार डॉ. देवराव होळी यांनी पाहणी केली. यावेळी उपसरपंच उमाकांत जुनघरे, गजानन भांडेकर, पुरातत्त्व विभागाच्या शिवाणी शर्मा, भाजप जिल्हा सचिव दिलीप चलाख, जयराम चलाख, भाऊजी दहेलकर, प्रतीक राठी, वसंत चौधरी, भोजराज भगत, विशेष दोषी, रामचंद्र वरवाडे, प्रिया म्हस्कोल्हे, सुषमा आत्राम व स्थानिक नागरिक उपस्थित होते.