ज्यांना मनापासून दारू सोडायची इच्छा आहे त्यांनी दारू प्यावीशी वाटते त्या वेळेस दोन-तीन कागदी लिंबाचा केवळ रस, साखर, पाणी किंवा मीठ न मिसळता प्यावा. मग खुशाल दारू प्यावयास घ्यावी. बहुधा दारू घशाखाली उतरत नाही. कारण दारू व आंबट लिंबू रस यांचा परस्परविरोध आहे. ज्यांना असे करावयाचे नाही त्यांच्या घरातील स्वयंपाक करणाऱ्या व्यक्तींनी या दारुड्या माणसाच्या जेवणात कोशिंबीर, चटणी, रायते, भाज्यांत सायट्रिक अॅसिड किंवा लिंबूक्षार नावाचे साखरेच्या कणासारखे केमिकल मिसळतात, ते चार-पाच कण टाकावेत. ते फार आंबट असतात. त्याची किंमत नाममात्र असते. कोणत्याही केमिस्टकडे किंवा आयुर्वेदीय औषधी उत्पादकांकडे मिळतात. मी विनामूल्य देतो.
तूप खा आणि या रोगांना दूर ठेवा
भूक लागत नाही, पचन होत नाही म्हणून सबब सांगून जे मद्यापान करू इच्छितात त्यांना कुमारीआसव, द्राक्षारिष्ट, पिप्ललादि काढा, पंचकोलासव असे काढे करून पहावे. फायदा निश्चित होतो. जी मंडळी झोपेकरिता किंवा चिंता दूर व्हावी म्हणून किंवा दु:ख विसरण्याकरिता मद्यप्राशन करू इच्छितात त्यांनी शतधौत घृत झोपण्यापूर्वी कानशिले, कपाळ, तळहात, तळपाय यांना जिरवावे; नाकात दोन थेंब टाकावेत. स्वत:च्या प्रश्नाव्यतिरिक्त कोणताही विषय किंवा वर्तमानपत्रातील बातमी डोळ्यांसमोर आणावी, चटकन झोप लागते. गरज पडली तर निद्राकर वटी सहा गोळ्या झोपताना घ्याव्यात. शांत झोपेकरिता आणखी दोन उपाय म्हणजे सायंकाळी लवकर व कमी जेवण घ्यावे. जेवणानंतर किमान वीस ते तीस मिनिटे फिरून यावे.
‘एकच प्याला’ नाटक लिहिणारे महान मराठी साहित्यिक श्रीराम गणेश गडकरी, महात्मा गांधी, संत विनोबा, संत गाडगेमहाराज यांना प्रणाम!
Relationship Quotes: “जिसकी बीवी छोटी, उसका भी बड़ा नाम है…” अमिताभ बच्चन का यह गाना आज भी लोगों की जुबान पर है। हालांकि, यह सिर्फ गाने तक सीमित नहीं है। असल जिंदगी में भी अक्सर यह देखा गया है कि लड़कों को छोटे कद की लड़कियां ज्यादा आकर्षित करती हैं। जहां समाज में अक्सर छोटी हाइट वाली लड़कियों के लिए चिंताएं जताई जाती हैं, वहीं वैज्ञानिक अध्ययनों और मनोवैज्ञानिक विश्लेषणों ने यह साबित किया है कि पुरुषों के मन की पसंद इसके विपरीत होती है।
हाल ही में एक स्टडी में यह पाया गया है कि लड़कों को छोटी हाइट की लड़कियां ज्यादा आकर्षक लगती हैं। इसके पीछे कई वैज्ञानिक और सांस्कृतिक कारण हो सकते हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।
1. अध्ययन बताते हैं कि पुरुष स्वाभाविक रूप से उन महिलाओं के प्रति आकर्षित होते हैं जिनकी हाइट उनकी अपनी हाइट से कम होती है। यह जैविक रूप से इस विचार पर आधारित हो सकता है कि छोटे कद वाली महिलाएं अधिक कोमल, नाजुक और देखभाल योग्य लगती हैं।
2. इतिहास और समाज में पारंपरिक रूप से पुरुषों को महिलाओं से अधिक मजबूत और ऊंचा माना गया है। इस कारण, छोटी हाइट वाली महिलाएं पुरुषों के लिए अधिक “संरक्षित” और “संभालने योग्य” प्रतीत होती हैं। यह आकर्षण सामाजिक संरचना और पारंपरिक धारणाओं से भी जुड़ा हुआ है।
3. छोटी हाइट वाली लड़कियां जब अपने पार्टनर को गले लगाती हैं, तो वह उनके सीने तक पहुंचती हैं। यह शारीरिक अंतर पुरुषों को सुरक्षा और आराम की भावना देता है। छोटी हाइट को एक नाजुक और प्यारी छवि के रूप में देखा जाता है, जो भावनात्मक जुड़ाव को भी बढ़ावा देता है।
4. जब किसी रिश्ते में पुरुष और महिला की हाइट में अंतर होता है, तो यह एक प्रकार का संतुलन और पारंपरिक भूमिका की भावना पैदा करता है। पुरुष खुद को “संरक्षक” के रूप में और महिला को “सहायक” के रूप में देख पाते हैं, जो उनके आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।
5. छोटी हाइट वाली महिलाओं का शरीर आमतौर पर अधिक सुस्पष्ट और आकर्षक होता है। उनकी नाजुकता और सरलता पुरुषों के लिए विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है। इसके अलावा, छोटे कद वाली महिलाओं को अक्सर अधिक युवा और चंचल व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है, जो उन्हें और अधिक आकर्षक बनाता है।
Women Love Older Men: कहते हैं, प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती। प्यार हर समय जवां रहता है। लेकिन आजकल एक ट्रेंड तेजी से उभर रहा है। लड़कियां अपने से ज्यादा उम्र के पुरुषों को पसंद करने लगी हैं, चाहे वह शादी के लिए हो या डेटिंग के लिए। आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? क्या वजह है कि लड़कियां अपने से बड़े उम्र के पुरुषों की तरफ ज्यादा आकर्षित होती हैं? आइए, इस ट्रेंड के पीछे छिपे कारणों को समझते हैं।
महिलाओं का बड़े उम्र के पुरुषों के साथ रिश्ते बनाना हमेशा चर्चा का विषय रहा है। हालांकि, यह कोई नई बात नहीं है। विकासवादी और सामाजिक दृष्टिकोण से महिलाओं की यह पसंद स्वाभाविक है। लेकिन आज भी, अगर कोई लड़की उम्र में बड़े व्यक्ति के साथ रिश्ता बनाती है, तो समाज उसे अक्सर 'गोल्ड डिगर' का टैग दे देता है। इसके बावजूद, लड़कियां लगातार रूढ़ियों को चुनौती दे रही हैं और अपनी पसंद को खुलकर स्वीकार कर रही हैं।
1. जीवन का अनुभव (Life Experience)
लड़कियां ऐसे पार्टनर की तलाश करती हैं, जो जीवन के प्रति परिपक्व दृष्टिकोण रखता हो। बड़ी उम्र के पुरुष जीवन के अनुभवों से भरपूर होते हैं, जो उन्हें ज्यादा समझदार और सहनशील बनाता है। वे छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई-झगड़ा करने के बजाय समस्या का समाधान निकालने में विश्वास रखते हैं। यही अनुभव लड़कियों को उनकी ओर आकर्षित करता है।
2. दिखावा पसंद नहीं (Genuineness)
लड़कियां जीवनसाथी चुनने से पहले सतर्क रहती हैं और दिखावे से दूर रहना पसंद करती हैं। अक्सर कम उम्र के लड़के महंगी गाड़ियों, ब्रांडेड कपड़ों और अपनी लाइफस्टाइल का दिखावा करते हैं। जबकि बड़े उम्र के पुरुष अपनी वास्तविकता के साथ जीते हैं, जो लड़कियों को ज्यादा वास्तविक और भरोसेमंद लगता है।
3. वफादारी की भावना (Loyalty)
कम उम्र के लड़कों की तुलना में बड़े उम्र के पुरुष ज्यादा स्थिर और वफादार माने जाते हैं। लड़कियों को यह डर रहता है कि कम उम्र के लड़के किसी और के साथ अफेयर में पड़ सकते हैं, जबकि बड़े पुरुष इस मामले में अधिक गंभीर और जिम्मेदार होते हैं।
4. आर्थिक और भावनात्मक सुरक्षा (Financial & Emotional Security)
लड़कियां फाइनेंशियल स्टेबलिश पुरुषों के साथ खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। साथ ही, बड़े पुरुष अपनी परिपक्वता और समझदारी के कारण उन्हें भावनात्मक सहारा भी प्रदान करते हैं। यह दोनों पहलू लड़कियों को बड़े उम्र के पुरुषों की ओर खींचते हैं।
Woman Google Search: आज के डिजिटल युग में, जब हर जानकारी मात्र एक क्लिक की दूरी पर है, शादीशुदा महिलाएं भी Google का भरपूर इस्तेमाल करती हैं। उनकी सर्च लिस्ट को देखकर आप हैरान रह जाएंगे। पहले के समय में लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए दोस्तों, रिश्तेदारों या परिवार के बुजुर्गों से सलाह लेते थे, लेकिन अब Google हर सवाल का जवाब देता है।
शोधों के अनुसार, शादीशुदा महिलाओं की सबसे आम सर्च उनकी परवरिश और जिम्मेदारियों से जुड़ी होती है। शादी से पहले महिलाएं अपने जीवनसाथी और ससुराल को लेकर कई सवालों से घिरी रहती हैं। शादी के बाद ये सवाल और बढ़ जाते हैं, और इसके जवाब पाने के लिए Google उनका सबसे भरोसेमंद साथी बन जाता है।
आज के समय में लगभग हर शादीशुदा महिला के पास स्मार्टफोन है, और यह उनका सबसे करीबी साथी बन चुका है। महिलाएं अपने जीवन को आसान और खुशहाल बनाने के लिए हर संभव जानकारी Google पर सर्च करती हैं।
Weather Update: राज्यात थंडीचा कडाका दिवसेंदिवस वाढत असून विदर्भ, मराठवाडा, उत्तर महाराष्ट्र आणि पश्चिम महाराष्ट्रात थंडीने कहर केला आहे. शनिवारी राज्यात तापमानात मोठी घट झाली, तर पुढील काही दिवसांत तापमान आणखी कमी होण्याचा अंदाज हवामान विभागाने व्यक्त केला आहे.
शनिवारी धुळे जिल्ह्यात राज्यातील सर्वात कमी तापमानाची नोंद झाली, जे 4.4 अंश सेल्सिअस होते. जळगाव जिल्ह्यातही तापमान 8.4 अंश सेल्सिअसपर्यंत घसरले. उत्तरेकडील थंड वाऱ्यांच्या जोरामुळे राज्यात थंडीची लाट येण्याची शक्यता व्यक्त होत आहे. पुढील दोन दिवसांत पुणे आणि मुंबईसह संपूर्ण राज्यात कडक थंडी आणि धुके पडण्याची शक्यता हवामान विभागाने वर्तवली आहे.
पुण्यात शनिवारी तापमानात लक्षणीय घट झाली, किमान तापमान 10.1 अंश सेल्सिअस नोंदवले गेले. रविवारी सकाळीही मोठ्या प्रमाणात गारठा जाणवला आणि शहरभर धुके पसरले होते. थंडीपासून बचाव करण्यासाठी ठिकठिकाणी शेकोट्या पेटवण्याचे दृश्य पाहायला मिळाले. पुढील पाच दिवस पुण्यात हवामान कोरडे राहील आणि तापमानात आणखी घट होण्याची शक्यता आहे.
उत्तर महाराष्ट्र आणि विदर्भात किमान तापमान 9 ते 10 अंशांवर आले आहे. पुढील काही दिवसांत थंडीची लाट आणखी तीव्र होणार असून ती 18 डिसेंबरपर्यंत कायम राहण्याचा अंदाज आहे.
मराठवाडा आणि मध्य महाराष्ट्रातही थंडी वाढत आहे. येत्या काही दिवसांत थंडी आणखी तीव्र होईल. कोकण, मराठवाडा, विदर्भ आणि मध्य महाराष्ट्रात हवामान कोरडे राहील, मात्र थंडी वाढण्याचा अंदाज व्यक्त करण्यात आला आहे.
IMD च्या मते, उत्तरेकडील थंड वाऱ्यांच्या प्रवाहामुळे तापमान घटत आहे. यासोबतच दक्षिण अंदमान समुद्र आणि लक्षद्वीप भागात कमी दाबाचे क्षेत्र सक्रिय झाल्याने राज्यातील थंडी वाढण्यास हातभार लागला आहे.
Husband Wife Relationship: शादीशुदा जिंदगी को खुशनुमा और खुशहाल बनाए रखना हर पति-पत्नी की चाहत होती है। लेकिन कई बार कुछ आदतें या छोटी-छोटी गलतियां रिश्तों में दरार पैदा कर सकती हैं। बेडरूम में सोने की आदतें भी इनमें से एक हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी शादीशुदा जिंदगी खुशहाल रहे, तो सोने से पहले इन तीन कामों को जरूर अपनाएं।
शादीशुदा जिंदगी में सामंजस्य और एकजुटता बनाए रखने के लिए साथ सोना बेहद जरूरी है। अगर आप दोनों का सोने का समय अलग-अलग है, तो इस आदत को बदलें। कोशिश करें कि दिनभर की जिम्मेदारियों को समय पर पूरा करके एक साथ सोने जाएं। ऐसा करने से न सिर्फ आप दोनों का रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि आपसी समझ भी बेहतर होगी।
एक अच्छा और आरामदायक बिस्तर दिनभर की थकान को दूर कर सकता है। सुनिश्चित करें कि बिस्तर साफ-सुथरा, मुलायम और आरामदायक हो। चादर और तकिए का रंग ऐसा चुनें, जो आंखों को सुकून दे। बेडरूम का माहौल खुशनुमा और सुकूनभरा होना चाहिए, ताकि आप दोनों आराम से सो सकें और रिश्ते में ताजगी बनी रहे।
महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए यह जरूरी है कि सोने से पहले खुद की देखभाल करें। अगर आप चाहती हैं कि आपके बाल लंबे और मजबूत हों, तो सोने से पहले कंघी करें। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। साथ ही, साफ-सफाई का ध्यान रखें ताकि बेडरूम का माहौल भी सकारात्मक बना रहे।
अक्सर पति अपनी पत्नी की भावनाओं को समझने में चूक जाते हैं। पत्नी अपने पति से चाहती है कि वह उसकी बातों को सुने, साथ समय बिताए और उसकी छोटी-छोटी जरूरतों को समझे। यह कोई बड़ा काम नहीं है, लेकिन इन बातों पर ध्यान देने से रिश्ते में हमेशा मिठास बनी रहती है।
सोने से पहले इन आदतों को अपनाकर आप न केवल अपनी शादीशुदा जिंदगी को खुशहाल बना सकते हैं, बल्कि अपने जीवनसाथी के साथ एक मजबूत और गहरा रिश्ता भी बना सकते हैं।
Weapon License In India: हथियार या पिस्टल कई लोगों के लिए स्टेटस सिंबल होती है, जबकि कुछ इसे अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक मानते हैं। लेकिन यह जानना जरूरी है कि शस्त्र का लाइसेंस कैसे बनता है, कौन इसे प्राप्त कर सकता है, और इसके लिए क्या नियम और शर्तें हैं। यहां आपको हथियार लाइसेंस से जुड़ी हर जानकारी दी जाएगी।
आर्म्स एक्ट, 1959 के तहत भारत का कोई भी नागरिक आत्मरक्षा के लिए हथियार का लाइसेंस ले सकता है। लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आपकी उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए।
दिल्ली और अन्य प्रमुख महानगरों में इस प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी उपलब्ध है। आवेदन के दौरान आपको यह स्पष्ट करना होगा कि आपको किस प्रकार के हथियार का लाइसेंस चाहिए, जैसे रिवॉल्वर, राइफल, या दोनाली बंदूक।
लाइसेंस आवेदन में यह स्पष्ट करना जरूरी है कि आपको हथियार की आवश्यकता क्यों है। इसके लिए आपको अपनी सुरक्षा से जुड़े कारण या संभावित खतरे का उल्लेख करना होगा।
इसके बाद पुलिस प्रशासन आपके आवेदन की जांच करेगा, जिसमें आपके बैकग्राउंड की गहन पड़ताल और घर पर सत्यापन शामिल है। सत्यापन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आप पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है और आप समाज के लिए खतरा नहीं हैं। सत्यापन के बाद ही शर्तों के साथ लाइसेंस जारी किया जाएगा।
यदि आप पर गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है, तो आपका लाइसेंस आवेदन खारिज कर दिया जाएगा। इसके अलावा, लाइसेंस के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना अनिवार्य है, जिसके लिए सरकारी डॉक्टर द्वारा प्रमाणित मेडिकल सर्टिफिकेट जमा करना होगा।
दिल्ली जैसे शहरों में लाइसेंस के लिए पुलिस लाइसेंसिंग वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है।
यदि आप ऑनलाइन आवेदन नहीं करना चाहते, तो आप दिल्ली पुलिस की लाइसेंसिंग यूनिट में जाकर आवेदन कर सकते हैं।
पुलिस जांच और सत्यापन पूरा होने के बाद यदि आपका आवेदन स्वीकृत हो जाता है, तो लाइसेंस जारी कर दिया जाएगा। इसे शर्तों के तहत इस्तेमाल करना होगा और समय-समय पर रिन्यूअल भी करवाना जरूरी है।
निष्कर्ष
हथियार का लाइसेंस लेना एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें पूरी तरह से नियमों का पालन करना जरूरी है। सही तरीके से आवेदन करने पर, जरूरतमंद व्यक्ति को सुरक्षा के लिए लाइसेंस प्रदान किया जाता है।
Adhar Card Update: आधारकार्ड आपल्या दैनंदिन जीवनाचा महत्त्वाचा भाग बनला आहे. शासकीय योजना, बँक खाते उघडणे, किंवा विविध महत्त्वाच्या सेवांसाठी आधारकार्ड आवश्यक आहे. मात्र, अनेक नागरिकांनी आपले आधारकार्ड अपडेट केलेले नाही, ज्यामुळे त्यांचे आधारकार्ड रद्द होण्याची शक्यता आहे.
सरकारने अनेक वेळा नागरिकांना आधारकार्ड अपडेट करण्यासाठी मुदत दिली आहे. परंतु, अद्यापही हजारो नागरिकांनी ही प्रक्रिया पूर्ण केलेली नाही. विशेषतः भोपाळ शहरातील सुमारे 65 हजार नागरिकांचे आधारकार्ड रद्द होण्याची शक्यता आहे, अशी माहिती समोर आली आहे.
जर तुम्ही अद्याप तुमचे आधारकार्ड सुधारलेले नसेल, तर खालील प्रक्रिया तातडीने पूर्ण करा:
आधारकार्ड हे सर्वांगीण ओळखीचे एक महत्त्वाचे साधन आहे. त्यामुळे वेळ न घालवता MyAadhaar पोर्टलचा वापर करून आपली माहिती अपडेट करा. अन्यथा तुमचा आधारकार्ड रद्द होऊ शकतो.
अशीच माहिती जनून घेण्यासाठी आमच्या WhatsApp ग्रुप ला जॉइन करा, ग्रुप जॉइन करण्यासाठी खालील WhatsApp बटन ला क्लिक करा.
Toughest Job in the World: कल्पना करा, तुम्हाला अशी नोकरी मिळाली आहे जिथे वर्षाला ३० कोटी रुपयांचा पगार आहे. ना बॉसची कटकट, ना रोजचं धावपळीचं काम. हवं तेव्हा झोपू शकता, आराम करू शकता, आणि वेळ मिळाला की मस्तपैकी फिशिंगही करता येईल. ऐकूनच वाटेल, स्वप्नातली नोकरी आहे ही! पण, खरे तर असं काहीच नाही.
ही नोकरी आहे इजिप्तच्या अलेक्झांड्रिया बंदरावर असलेल्या जगप्रसिद्ध लाईट हाऊस कीपरची. जगातील पहिलं लाईट हाऊस असलेल्या या ठिकाणी काम करणाऱ्या कीपरला वर्षाला कोट्यवधी रुपयांचा पगार मिळतो. त्याचं काम एकच – लाईट हाऊसचा लाईट कायम सुरु ठेवणं. पण तरीही, या नोकरीसाठी कोणीच तयार नसतं.
ही नोकरी जितकी रोमांचक वाटते, तितकीच ती भीतीदायक आणि धोकादायक आहे. समुद्राच्या मध्यभागी असलेल्या या लाईट हाऊसवर कीपरला एकटंच राहावं लागतं. कधीही काहीही होऊ शकतं – उंच लाटा थेट लाईट हाऊसला धडकतात, प्रचंड वादळं येतात, आणि असं वाटतं की क्षणात लाईट हाऊस पाण्यात झाकला जाईल. एकटेपणा आणि भीतीचा सामना करत दिवसरात्र जागरण करावं लागतं.
या लाईट हाऊसवर कीपर सोबत बोलणारा कुणीच राहत नाही. दिवसानंतर दिवस, तासानंतर तास एकटे राहणं हे सोपं काम नाही. एकटा माणसाला सतत समुद्राच्या गर्जनेत राहतो, त्याला ना सोबत असते, ना कधीही समोर माणसाचं दर्शन होतं. यामुळे मानसिक ताण वाढतो.
या नोकरीसाठी कोट्यवधी रुपये पगार असूनही कोणीही ती करायला तयार नाही. कारण पैशापेक्षा जीव महत्वाचा आहे. त्यामुळे ही नोकरी आजही रिकामीच राहते, केवळ धाडसी व्यक्तीसाठीच ती आहे.
Cement In Marathi: आपण दररोज अनेक वेळा मराठीतून संवाद साधताना इंग्रजी शब्दांचा वापर करतो. काही वेळा तर हे शब्द इतके सरावलेले असतात की त्यांचा मराठी अर्थ सुद्धा आपल्याला ठाऊक नसतो. असेच एक इंग्रजी शब्द म्हणजे सिमेंट.
सिमेंट हा शब्द प्रामुख्याने घर किंवा इतर बांधकामांमध्ये वापरणाऱ्या एक महत्त्वाच्या घटकासाठी वापरला जातो. आपल्याला सर्वांना माहित आहे की सिमेंटचा वापर बांधकामाच्या सामग्रीमध्ये चांगले जोड तयार करण्यासाठी, विशेषतः विटांमध्ये आणि इतर बांधकाम साहित्यात केला जातो. साधारणतः चुनखडी आणि इतर घटक मिसळून सिमेंट तयार केला जातो.
पण आपल्याला हे माहित आहे का की सिमेंटला मराठीत वज्रचूर्ण असं म्हणतात? होय, शासकीय दस्तऐवजांमध्ये सिमेंटच्या संदर्भात वापरणारा हा शब्द आहे.
अशा अनेक इंग्रजी शब्दांचा मराठीत योग्य पर्याय असल्याने आपण त्यांचा वापर करत असतानाही त्यांना मराठी अर्थ समजून ते शब्द वापरायला हवे. आजच्या लेखातून आपण सिमेंट या शब्दाच्या मराठी पर्यायाच्या माहितीचा उपयोग करत, आपल्या भाषिक ज्ञानाला समृद्ध करू शकतो.
चेन्नई : गोपनीयतेच्या मूलभूत अधिकारात पती-पत्नीच्या गोपनीयतेचा समावेश होतो. कायदा जोडीदारांना एकमेकांची हेरगिरी करण्यास प्रोत्साहित करू शकत नाही. जोडीदाराच्या गोपनीयतेचे उल्लंघन करून मिळवलेले पुरावे न्यायालयात ग्राह्य नसल्याचे मद्रास आणि हिमाचल हायकोर्टाने म्हटले आहे.
पतीने पत्नीची क्रूरता आणि व्यभिचार या कारणावरून घटस्फोट मागितला. यात पत्नीच्या मोबाइलचा कॉल डेटा रेकॉर्ड पुरावा म्हणून सादर केला. पत्नीने यास आक्षेप घेतला. कौटुंबिक न्यायालय कायद्याच्या कलम १४ नुसार विवाद प्रभावीपणे निकाली काढण्यास मदत होईल असा कोणताही अहवाल, जबाब, दस्तऐवज, माहिती पुरावा म्हणून स्वीकारता येऊ शकतो, या आधारे न्यायालयाने पत्नीचा अर्ज फेटाळला.
याला पत्नीने मद्रास हायकोर्टात आव्हान दिले. हायकोर्ट म्हणाले की, पतीने पत्नीची कॉल हिस्ट्री गुप्तपणे मिळवली. यामुळे पत्नीच्या गोपनीयतेचा भंग झाला. कायदा जोडीदारांना एकमेकांची हेरगिरीकरण्यास परवानगी देऊ शकत नाही किंवा प्रोत्साहित करू शकत नाही. गोपनीयतेच्या मूलभूत अधिकारात पती-पत्नीच्या गोपनीयतेचाही समावेश होतो. याचे उल्लंघन करून मिळालेला पुरावा ग्राह्य नाही. पत्नीच्या संमतीशिवाय मिळालेल्या माहितीकडे सौम्यपणे पाहता येणार नाही.
विश्वास हा वैवाहिक संबंधांचा पाया
विश्वास हा वैवाहिक संबंधांचा पाया आहे. एकमेकांच्या हेरगिरीमुळे एआय फोटो वैवाहिक जीवनाची जडणघडण नष्ट होते. बायको डायरी ठेवू शकते. तिचे विचार आणि जिव्हाळ्याच्या भावना लिहू शकते. नवरा तिच्या संमतीशिवाय डायरी वाचणार नाही, अशी अपेक्षा करण्याचा तिला पूर्ण अधिकार आहे. जे डायरीला लागू तेच मोबाइललाही लागू होईल. -
न्यायमूर्ती जी.आर. स्वामीनाथन
अंबाजोगाई (जि. बीड) : उमेदवारमतदारांना काय आश्वासने देतील याचा काही नेम नाही. याचाच प्रत्यय अंबाजोगाई येथील प्रचारात आला. तिथे एका उमेदवाराने चक्क, 'मला निवडून द्या. मी तुमची लग्नं लावून देतो', अशी भुरळ लग्नाळू मुलांना घातली आहे.
मंगळवारी रात्री तालुक्यातील घाटनांदूर येथे प्रचारावेळी शरद पवार गटाचे उमेदवार राजेसाहेब देशमुख यांनी लग्नाचा हा फंडा वापरला आहे. विधानसभा निवडणूक ही विकासाच्या प्रश्नांवर लढवण्याचा पारंपरिक प्रघात आपल्याकडे आहे.
मात्र, अलीकडे याला जातीय स्वरूप मिळाल्याचे दिसत असतानाच आता त्याच्याही पलीकडे जाऊन गंभीर सामाजिक समस्या असलेल्या लग्नाच्या विषयाला हात घालण्यात आला आहे. महाराष्ट्रात मुलींचे प्रमाण कमी झाल्यामुळे व मुलींना कमी कुटुंबातील व नोकरीचे भरपूर पॅकेज असलेला मुलगाच आपला साथीदार असावा, असे वाटत असल्यामुळे शहरी व ग्रामीण भागातील तरुणांची चाळिशी पार होत आली तरी त्यांना मुलगी पसंती देत नसल्याचे दिसून येते. हाच मुद्दा उचलून लग्नाळू मतदारांना आकर्षित करण्याचा उमेदवारांचा हा प्रचारफंडा चर्चेत आला आहे.
Lifestyle: दुनिया भर में कई ऐसे गांव और समुदाय हैं, जहां की परंपराएं और रीति-रिवाज आम जीवन से काफी अलग होते हैं। हर क्षेत्र की अपनी संस्कृति और जीवनशैली होती है, जो उन्हें विशेष बनाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां लोग बिना कपड़ों के रहते हैं? जी हां, यह सच है!
आज हम आपको एक ऐसे अनोखे (Naked Village) गांव के बारे में बताएंगे, जहां सदियों से कपड़े पहनने का चलन ही नहीं है। यह गांव ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर में स्थित है, जिसे "स्पीलप्लाट्ज" Spielplatz कहा जाता है। इस गांव में पिछले 90 सालों से लोग कपड़े नहीं पहनते, चाहे वह महिला हो, पुरुष हो या बच्चे। लेकिन, इसके पीछे कोई गरीबी या आर्थिक समस्या नहीं है।
स्पीलप्लाट्ज गांव Spielplatz village की स्थापना 1929 में इसुल्ट रिचर्डसन नाम के व्यक्ति ने की थी। इस गांव के लोग आर्थिक रूप से काफी मजबूत हैं और सभी सुविधाओं से संपन्न हैं। यहां एक पब, स्विमिंग पूल, और क्लब भी है। लेकिन, खास बात यह है कि यहां सभी लोग बिना कपड़ों के रहते हैं। कपड़े पहनने की परंपरा को छोड़कर, वे एक खास जीवनशैली अपनाते हैं। यहां तक कि पर्यटक भी गांव में प्रवेश करने पर इस नियम का पालन करते हैं।
इस गांव के लोग कपड़े न पहनने को आंतरिक स्वतंत्रता से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना है कि बिना कपड़ों के रहने से उन्हें प्रकृति के साथ जुड़ाव और शारीरिक स्वतंत्रता का अनुभव होता है। हालांकि, ठंड के मौसम में या विशेष अवसरों पर वे कपड़े पहनते हैं, लेकिन सामान्य दिनों में वे बिना कपड़ों के ही रहते हैं। जब गांव के लोग शहर जाते हैं, तो वे कपड़े पहनते हैं, लेकिन गांव लौटते ही फिर से अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ जाते हैं।
स्पीलप्लाट्ज गांव के लोग मानते हैं कि बिना कपड़ों के रहने से उन्हें प्राकृतिक जीवनशैली का अनुभव होता है। वे इस जीवनशैली को बिना किसी झिझक के अपनाते हैं और इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं।
Water Tank Cleaning: दोस्तों हम सभी के घरों में पानी की टंकी होना बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है। ये न सिर्फ हमारी दैनिक जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि हमारे परिवार के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या आपकी पानी की टंकी सच में साफ है? कई बार, हमारी पानी की टंकी में बैक्टीरिया और गंदगी जमा हो जाती है, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। पानी की टंकी को साफ करना एक झंझट लग सकता है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
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अगर आपकी पानी की टंकी में बार-बार काई जमा होती है और उसे साफ करना आपके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है, तो आज हम आपको एक सरल और जबरदस्त ट्रिक बताएंगे, जो आपकी टंकी को साफ रखने में मदद हो सकती है.
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें जामुन की लकड़ी का उपयोग करने की बात बताई गई है। इनके अनुसार, पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डालने से उसमें काई नहीं लगती है। जामुन की लकड़ी में प्राकृतिक एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पानी को साफ रखने में मददगार साबित होते हैं।
पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डालने से उसकी एंटी-बैक्टीरियल विशेषताएँ हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करती हैं। पहले के समय में जब RO सिस्टम नहीं थे, तो लोग पानी को शुद्ध रखने के लिए मटकों में जामुन की लकड़ी डालते थे। यहां तक कि कुओं में भी इसका इस्तेमाल किया जाता था, जिससे पानी हमेशा साफ और सुरक्षित रहता था.
इस सरल उपाय को अपनाकर आप अपनी पानी की टंकी को साफ रख सकते हैं। जामुन की लकड़ी का ये प्राकृतिक उपाय आपको सालो तक बिना काई के साफ पानी की टंकी का अनुभव देगा। तो अगली बार जब आपको पानी की टंकी साफ करने की जरूरत पड़े, तो जामुन की लकड़ी का प्रयोग जरूर करें।
Post Man: काळाच्या ओघात आणि मोबाईलच्या उदयानंतर, एकेकाळी जिवाभावाचा वाटणारा पोस्टमनदादा आता विसरला गेला आहे. डिजिटल क्रांतीमुळे आणि स्मार्टफोनच्या आगमनानंतर पत्रव्यवहार जवळपास बंद झाला आहे. यामुळे एकेकाळी आपल्या जीवनाचा अविभाज्य भाग असलेल्या पोस्टमनची गरज आता केवळ शासकीय कामापुरती उरली आहे.
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पूर्वी लहानांपासून ते वृद्धांपर्यंत सर्वांनी आस्थेने वाट पाहायचे त्या पोस्टमनची, जो खाकी वेषात आणि सायकलवरून पत्रे पोहोचवायचा. पोस्टमन हा फक्त पत्रांचा वाहक नव्हता, तर तो अनेकांच्या भावनांचा दूत होता. पत्रांमध्ये हाती पडणारे शब्द, नाती आणि आठवणी यामुळे घरात एक वेगळाच आनंद असायचा. पत्र हातात पडताच प्रत्येकाच्या चेहऱ्यावर आनंद दिसायचा, आणि तो आनंद शब्दांपलीकडचा असायचा.
स्मार्टफोन आणि इंटरनेटच्या युगात पोस्टमनची भूमिका मात्र संपली आहे. तंत्रज्ञानाच्या प्रगतीमुळे त्याचे स्थान ई-मेल्स आणि तात्काळ मेसेजिंगच्या जगात मागे पडले आहे. पोस्टमनच्या आगमनाने जो उत्साह निर्माण व्हायचा, तो आता स्मार्टफोनच्या स्क्रीनवर उमटणाऱ्या संदेशांनी ताब्यात घेतला आहे. यामुळेच आजच्या युगात पोस्टमनदादा फक्त शासकीय पत्रे पोहोचवणारा कर्मचारी बनला आहे.
पोस्टमन हा शेजारीधर्म पाळण्याचा एक भाग होता. तो "तार" आणताना सारा शेजार गोळा व्हायचा. कुठे आनंदाची वार्ता, तर कुठे दुःखाची बातमी; साऱ्यांना एकत्र आणणारा पोस्टमन हा एक सामाजिक घटक होता. त्याच्या माध्यमातून नाती घट्ट व्हायची. परंतु, आजच्या वेगवान डिजिटल युगात ही सामाजिक भावना हरवली आहे. शेजारीपण, आपुलकी, आणि आस्था या सर्व गोष्टी तांत्रिक प्रगतीत हरवून गेल्या आहेत.
आज पोस्टकार्ड, आंतरदेशीय पत्र यांचा वापर शून्यावर आला आहे. मनीऑर्डर पाठवणे असो वा शासकीय योजना, सर्व गोष्टी आता ऑनलाइन झाल्या आहेत. त्यामुळे पोस्टमनची जबाबदारीदेखील कमी झाली आहे. एकेकाळी घराघरांत मनीऑर्डर पोहोचवणारा पोस्टमनदादा, आता मोबाईल बँकिंगमुळे कमी महत्त्वाचा ठरला आहे.
तुम्ही तुमच्या लहानपणी पोस्टमनशी संबंधित आठवणी सांगू शकता का? त्या आठवणींमुळे तुमच्यावर कसा परिणाम झाला होता? आपल्या अनुभवांबद्दल नक्की कळवा!
Parental Control App: आज के दौर में स्मार्टफोन हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई दिन का ज्यादा समय मोबाइल पर बिताता है। खासकर बच्चों में मोबाइल की लत बढ़ती जा रही है, और इसमें कोई बुराई भी नहीं जब तक कि वे इसका सही उपयोग कर रहे हों। लेकिन क्या आपका बच्चा कहीं मोबाइल पर गलत चीजें तो नहीं देख रहा? यह सवाल हर माता-पिता के मन में उठता है। इंटरनेट पर हर तरह का कंटेंट आसानी से उपलब्ध है, और इसमें एडल्ट कंटेंट भी शामिल है, जो बच्चों के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है।
इंटरनेट की दुनिया में हर प्रकार का कंटेंट मौजूद है। बच्चे जब मोबाइल का उपयोग करते हैं, तो कई बार अनजाने में भी वे ऐसे कंटेंट तक पहुंच जाते हैं जो उनकी उम्र के हिसाब से सही नहीं होता। ऐसे में माता-पिता का यह जिम्मा बनता है कि वे अपने बच्चों के मोबाइल यूज पर नजर रखें और उनकी डिजिटल आदतों पर ध्यान दें। बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन होने से उनकी निगरानी बेहद जरूरी हो जाती है।
अगर आपको भी अपने बच्चे में ऊपर दिए गए लक्षण नजर आ रहे हैं, तो आप उनके फोन में पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग ऑन कर सकते हैं। इससे आप उनके मोबाइल पर दिखाई जाने वाली सामग्री को नियंत्रित कर सकते हैं और गलत चीजें देखने से रोक सकते हैं।