Lifestyle: दुनिया भर में कई ऐसे गांव और समुदाय हैं, जहां की परंपराएं और रीति-रिवाज आम जीवन से काफी अलग होते हैं। हर क्षेत्र की अपनी संस्कृति और जीवनशैली होती है, जो उन्हें विशेष बनाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया में कुछ ऐसी जगहें भी हैं जहां लोग बिना कपड़ों के रहते हैं? जी हां, यह सच है!
आज हम आपको एक ऐसे अनोखे (Naked Village) गांव के बारे में बताएंगे, जहां सदियों से कपड़े पहनने का चलन ही नहीं है। यह गांव ब्रिटेन के हर्टफोर्डशायर में स्थित है, जिसे "स्पीलप्लाट्ज" Spielplatz कहा जाता है। इस गांव में पिछले 90 सालों से लोग कपड़े नहीं पहनते, चाहे वह महिला हो, पुरुष हो या बच्चे। लेकिन, इसके पीछे कोई गरीबी या आर्थिक समस्या नहीं है।
स्पीलप्लाट्ज गांव Spielplatz village की स्थापना 1929 में इसुल्ट रिचर्डसन नाम के व्यक्ति ने की थी। इस गांव के लोग आर्थिक रूप से काफी मजबूत हैं और सभी सुविधाओं से संपन्न हैं। यहां एक पब, स्विमिंग पूल, और क्लब भी है। लेकिन, खास बात यह है कि यहां सभी लोग बिना कपड़ों के रहते हैं। कपड़े पहनने की परंपरा को छोड़कर, वे एक खास जीवनशैली अपनाते हैं। यहां तक कि पर्यटक भी गांव में प्रवेश करने पर इस नियम का पालन करते हैं।
इस गांव के लोग कपड़े न पहनने को आंतरिक स्वतंत्रता से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना है कि बिना कपड़ों के रहने से उन्हें प्रकृति के साथ जुड़ाव और शारीरिक स्वतंत्रता का अनुभव होता है। हालांकि, ठंड के मौसम में या विशेष अवसरों पर वे कपड़े पहनते हैं, लेकिन सामान्य दिनों में वे बिना कपड़ों के ही रहते हैं। जब गांव के लोग शहर जाते हैं, तो वे कपड़े पहनते हैं, लेकिन गांव लौटते ही फिर से अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ जाते हैं।
स्पीलप्लाट्ज गांव के लोग मानते हैं कि बिना कपड़ों के रहने से उन्हें प्राकृतिक जीवनशैली का अनुभव होता है। वे इस जीवनशैली को बिना किसी झिझक के अपनाते हैं और इसे अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं।
Water Tank Cleaning: दोस्तों हम सभी के घरों में पानी की टंकी होना बहुत महत्वपूर्ण आवश्यकता है। ये न सिर्फ हमारी दैनिक जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि हमारे परिवार के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या आपकी पानी की टंकी सच में साफ है? कई बार, हमारी पानी की टंकी में बैक्टीरिया और गंदगी जमा हो जाती है, जिससे हमारे स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। पानी की टंकी को साफ करना एक झंझट लग सकता है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
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अगर आपकी पानी की टंकी में बार-बार काई जमा होती है और उसे साफ करना आपके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है, तो आज हम आपको एक सरल और जबरदस्त ट्रिक बताएंगे, जो आपकी टंकी को साफ रखने में मदद हो सकती है.
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें जामुन की लकड़ी का उपयोग करने की बात बताई गई है। इनके अनुसार, पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डालने से उसमें काई नहीं लगती है। जामुन की लकड़ी में प्राकृतिक एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पानी को साफ रखने में मददगार साबित होते हैं।
पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डालने से उसकी एंटी-बैक्टीरियल विशेषताएँ हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करती हैं। पहले के समय में जब RO सिस्टम नहीं थे, तो लोग पानी को शुद्ध रखने के लिए मटकों में जामुन की लकड़ी डालते थे। यहां तक कि कुओं में भी इसका इस्तेमाल किया जाता था, जिससे पानी हमेशा साफ और सुरक्षित रहता था.
इस सरल उपाय को अपनाकर आप अपनी पानी की टंकी को साफ रख सकते हैं। जामुन की लकड़ी का ये प्राकृतिक उपाय आपको सालो तक बिना काई के साफ पानी की टंकी का अनुभव देगा। तो अगली बार जब आपको पानी की टंकी साफ करने की जरूरत पड़े, तो जामुन की लकड़ी का प्रयोग जरूर करें।
Post Man: काळाच्या ओघात आणि मोबाईलच्या उदयानंतर, एकेकाळी जिवाभावाचा वाटणारा पोस्टमनदादा आता विसरला गेला आहे. डिजिटल क्रांतीमुळे आणि स्मार्टफोनच्या आगमनानंतर पत्रव्यवहार जवळपास बंद झाला आहे. यामुळे एकेकाळी आपल्या जीवनाचा अविभाज्य भाग असलेल्या पोस्टमनची गरज आता केवळ शासकीय कामापुरती उरली आहे.
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पूर्वी लहानांपासून ते वृद्धांपर्यंत सर्वांनी आस्थेने वाट पाहायचे त्या पोस्टमनची, जो खाकी वेषात आणि सायकलवरून पत्रे पोहोचवायचा. पोस्टमन हा फक्त पत्रांचा वाहक नव्हता, तर तो अनेकांच्या भावनांचा दूत होता. पत्रांमध्ये हाती पडणारे शब्द, नाती आणि आठवणी यामुळे घरात एक वेगळाच आनंद असायचा. पत्र हातात पडताच प्रत्येकाच्या चेहऱ्यावर आनंद दिसायचा, आणि तो आनंद शब्दांपलीकडचा असायचा.
स्मार्टफोन आणि इंटरनेटच्या युगात पोस्टमनची भूमिका मात्र संपली आहे. तंत्रज्ञानाच्या प्रगतीमुळे त्याचे स्थान ई-मेल्स आणि तात्काळ मेसेजिंगच्या जगात मागे पडले आहे. पोस्टमनच्या आगमनाने जो उत्साह निर्माण व्हायचा, तो आता स्मार्टफोनच्या स्क्रीनवर उमटणाऱ्या संदेशांनी ताब्यात घेतला आहे. यामुळेच आजच्या युगात पोस्टमनदादा फक्त शासकीय पत्रे पोहोचवणारा कर्मचारी बनला आहे.
पोस्टमन हा शेजारीधर्म पाळण्याचा एक भाग होता. तो "तार" आणताना सारा शेजार गोळा व्हायचा. कुठे आनंदाची वार्ता, तर कुठे दुःखाची बातमी; साऱ्यांना एकत्र आणणारा पोस्टमन हा एक सामाजिक घटक होता. त्याच्या माध्यमातून नाती घट्ट व्हायची. परंतु, आजच्या वेगवान डिजिटल युगात ही सामाजिक भावना हरवली आहे. शेजारीपण, आपुलकी, आणि आस्था या सर्व गोष्टी तांत्रिक प्रगतीत हरवून गेल्या आहेत.
आज पोस्टकार्ड, आंतरदेशीय पत्र यांचा वापर शून्यावर आला आहे. मनीऑर्डर पाठवणे असो वा शासकीय योजना, सर्व गोष्टी आता ऑनलाइन झाल्या आहेत. त्यामुळे पोस्टमनची जबाबदारीदेखील कमी झाली आहे. एकेकाळी घराघरांत मनीऑर्डर पोहोचवणारा पोस्टमनदादा, आता मोबाईल बँकिंगमुळे कमी महत्त्वाचा ठरला आहे.
तुम्ही तुमच्या लहानपणी पोस्टमनशी संबंधित आठवणी सांगू शकता का? त्या आठवणींमुळे तुमच्यावर कसा परिणाम झाला होता? आपल्या अनुभवांबद्दल नक्की कळवा!
Parental Control App: आज के दौर में स्मार्टफोन हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई दिन का ज्यादा समय मोबाइल पर बिताता है। खासकर बच्चों में मोबाइल की लत बढ़ती जा रही है, और इसमें कोई बुराई भी नहीं जब तक कि वे इसका सही उपयोग कर रहे हों। लेकिन क्या आपका बच्चा कहीं मोबाइल पर गलत चीजें तो नहीं देख रहा? यह सवाल हर माता-पिता के मन में उठता है। इंटरनेट पर हर तरह का कंटेंट आसानी से उपलब्ध है, और इसमें एडल्ट कंटेंट भी शामिल है, जो बच्चों के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है।
इंटरनेट की दुनिया में हर प्रकार का कंटेंट मौजूद है। बच्चे जब मोबाइल का उपयोग करते हैं, तो कई बार अनजाने में भी वे ऐसे कंटेंट तक पहुंच जाते हैं जो उनकी उम्र के हिसाब से सही नहीं होता। ऐसे में माता-पिता का यह जिम्मा बनता है कि वे अपने बच्चों के मोबाइल यूज पर नजर रखें और उनकी डिजिटल आदतों पर ध्यान दें। बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्शन होने से उनकी निगरानी बेहद जरूरी हो जाती है।
अगर आपको भी अपने बच्चे में ऊपर दिए गए लक्षण नजर आ रहे हैं, तो आप उनके फोन में पैरेंटल कंट्रोल सेटिंग ऑन कर सकते हैं। इससे आप उनके मोबाइल पर दिखाई जाने वाली सामग्री को नियंत्रित कर सकते हैं और गलत चीजें देखने से रोक सकते हैं।
Family Tips: आज के बदलते समय में पारिवारिक संरचनाएं भी तेजी से बदल रही हैं। संयुक्त परिवारों की पारंपरिक परंपरा अब धीरे-धीरे कम होती जा रही है, और खासकर नई पीढ़ी की लड़कियां सास-ससुर के साथ रहने में संकोच करने लगी हैं। इस लेख में, हम उन पांच प्रमुख कारणों पर गौर करेंगे जिनकी वजह से लड़कियां शादी के बाद अपने ससुरालवालों और सास-ससुर के साथ रहने से कतराती हैं।
आजकल की लड़कियां अपनी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता को अत्यंत महत्व देती हैं। वे शादी के बाद अपने घर को अपनी पसंद के अनुसार सजाना चाहती हैं और अपने छोटे-बड़े फैसले खुद लेना चाहती हैं। सास-ससुर के साथ रहने पर, उन्हें पारंपरिक निर्णयों का पालन करना पड़ता है, जैसे कि भोजन और घरेलू कामकाज के निर्णय, जो उनकी स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं। इससे वे अपनी व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कमी महसूस करती हैं।
सास-ससुर के साथ रहने पर पीढ़ीगत अंतर एक बड़ी चुनौती बन जाता है। लड़की को ससुराल में नए रीति-रिवाजों और परंपराओं को अपनाना होता है। जब वह अपने माता-पिता के परिवार की आदतें छोड़कर ससुराल आती है, तो उसे न केवल नए रीति-रिवाजों को समझना होता है, बल्कि कभी-कभी ये परंपराएँ उसकी व्यक्तिगत विचारधारा से मेल नहीं खाती। यह अंतर तनाव और असुविधा का कारण बन सकता है।
शादी के बाद, लड़कियां अपने जीवनसाथी के साथ अधिक समय बिताना चाहती हैं, ताकि वे अपने रिश्ते को संवार सकें। सास-ससुर के साथ रहने पर, इस व्यक्तिगत स्पेस की कमी हो जाती है, जिससे दांपत्य जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। पति-पत्नी के रिश्ते को समय और ध्यान देना दोनों के लिए मुश्किल हो जाता है, और यह स्थिति तनावपूर्ण हो सकती है।
सास-ससुर के साथ रहने पर, पति-पत्नी के व्यक्तिगत फैसलों में हस्तक्षेप होना आम बात है। यह हस्तक्षेप दांपत्य संबंधों में प्राइवेसी की कमी का कारण बनता है और अक्सर संबंधों में तनाव पैदा करता है। सास-ससुर के हस्तक्षेप से पति-पत्नी के बीच की समस्याओं को सामूहिक रूप से सुलझाने की कोशिश होती है, जिससे दोनों को अपने अधिकार और भूमिकाओं में सीमितता महसूस होती है।
आजकल की महिलाएं करियर को भी महत्वपूर्ण मानती हैं। नौकरी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ सास-ससुर के साथ रहने पर, लड़कियों पर दवाब बढ़ जाता है कि वे घर और काम दोनों को समान रूप से संभालें। सास-ससुर की अपेक्षाएँ अक्सर लड़कियों की नौकरी और व्यक्तिगत जीवन में संतुलन बनाए रखने की कोशिशों को कठिन बना देती हैं। यह दवाब उनकी स्वतंत्रता और करियर को प्रभावित कर सकता है।
गडचिरोली/ दिनांक,06 :- गडचिरोली जिल्ह्यातील अभियंता संवर्गातील मागण्यावर जिल्हा परिषद प्रशासनाकडून मागील दिड वर्षांपासून अवगत करून सुद्धा हेतुपुरस्सर दुर्लक्ष व या संवर्गाची हेळसांड होत आहे. सेवा विषयक मागण्यांवर वारंवार पाठपुरावा करूनही कार्यवाही न होणे हि बाब अतिशय असंवेदनशील व अमानवीय आहे. संदर्भ क्रं 14 मध्ये नमूद मागण्यांवर मा.अप्पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिल्हा परिषद गडचिरोली यांनी दिनांक 21/08/2024 रोजी संघटनेचे पदाधिकार्यांची बैठक घेतली . परंतु सभेत आमच्या मागण्यांवर कोणताही सकारात्मक दृष्टिकोन दिसुन आला नाही.निवेदनातील मागण्या सदस्यांच्या अतिशय जिव्हाळ्याचा व रास्त आहेत. परंतु आपले प्रशासन एकतर्फी विचार करून शासन निर्णयाला बगल देऊन अभियंता संवर्गाची दिशाभूल करीत असल्याची माहिती दिली. जिल्हा परिषद गडचिरोली प्रशासनाला अभियंता संवर्गाच्या कर्मचाऱ्यांनी गोंदिया, चंद्रपूर येथील जिल्हा परिषद प्रशासनाने खालील मागण्यांची शासन परिपत्रकानुसार लाभ दिलेले आहेत तसेच सेंट्रलच्या पाटबंधारे विभागाने तेथील अभियंता संवर्गाच्या कर्मचाऱ्यांना लाभ दिलेले आहे या सर्वांचे सभेत दाखले दिल्यानंतरही सभेतील चर्चैनंतर कोणतीही कारवाई केलेली नाही. यामुळे दिनांक 04/09/2024 पासून असहकार आंदोलन व लेखणी बंद बेमुदत आंदोलन सुरू करण्यात आलेला आहे. या संबंधीत आंदोलनाला बहुजन समाज पार्टी गडचिरोली पदाधिकार्यांनी 06/09/2024 ला भेट देऊन अभियंता संवर्गाच्या मागण्या रास्त असुन गोंदिया, चंद्रपूर जिल्हा परिषद प्रशासनाने दिलेले आहे . आणि शासन परिपत्रकानुसार लाभ देणे आहे असे चर्चेत व त्यांच्या कडे असलेल्या कागदपत्रावरुन दिसुन येते. आणि खरोखरंच या 130 अभियंता संवर्गाच्या कर्मचाऱ्यांवर अन्याय होत आहे. तरी जिल्हा परिषद प्रशासनाने खालील मागण्यांची पूर्तता करण्याची बहुजन समाज पार्टी गडचिरोली पदाधिकार्यांनी केली. यावेळी मा. भास्कर भाऊ मेश्राम जिल्हा प्रभारी बहुजन समाज पार्टी गडचिरोली, मा. मंदीप भाऊ गोरडवार विधानसभा अध्यक्ष बसपा गडचिरोली, मा.नरेश महाडोळे, जेष्ठ पदाधिकारी, सुधीर वालदे प्रभारी विधानसभा गडचिरोली, तसेच जिल्हा परिषद अभियंता संघटना महाराष्ट्र जिल्हा शाखा गडचिरोली जिल्हा अध्यक्ष इंजिन. के एस. ढवळे, जिल्हा सचिव इंजि. पी.बी.झापे , कार्याध्यक्ष इंजि. इ.वाय. सिडाम, जिल्हा उपाध्यक्ष इंजि. एम.टी.रामटेके, इंजि. एस.एम. दुर्गे, इंजि. के. आर. सलामे, कोषाध्यक्ष इंजि. बी. व्ही. शेन्डे, इंजि. जी.के शिरपुरकर, इंजि. ए.एम. अगळे, इंजि. एम.पी.कावळे, इत्यादी 50 ते 60. अभियंता संवर्गाची आंदोलनात सहभागी होते. 1) एक स्तर योजने अंतर्गत कनिष्ठ अभियंता यांना उप अभियंता पदाचे वेतन देण्यात यावे. २) आज घडीला फक्त बांधकाम विभागात कार्यरत कनिष्ठ अभियंता/ स्थापत्य अभियांत्रिकी सहाय्यक यांचे प्रवास देयके रु. 57.00 लक्ष प्रलंबित आहेत. सदर प्रवास देयकाची प्रतिपुर्ती वेळिच होणे गरजेचे आहे. जो पर्यंत प्रलंबित प्रवास देयकाची प्रतिपुर्ती होत नाही.तो पर्यंत कोणीही सदस्य स्वतः चे वाहनाने दौरा करणार नाहीत. कार्यालयाकडून वाहन किंवा आग्रिम देण्यात आल्यास बांधकामावर दौरा करण्यात येईल. 3) बांधकामात अनियमितता झाल्यास फक्त कनिष्ठ अभियंता यांना जबाबदार न धरता साखळीतील सर्व जसे कंत्राटदार, उप अभियंता कार्यकारी अभियंता यांना सम प्रमाणात जबाबदार धरण्यात यावे. 4) कनिष्ठ अभियंता यांनी झालेल्या बांधकामांचे देयक सादर केल्यानंतर उप विभाग स्तरावर उप अभियंता यांची 100 टक्के व वरिष्ठ सहाय्यक यांचे कडून गणीतीय तपासणी होवुन, संबंधित विभागास सादर करण्यात येतात, त्यानंतर विभाग स्तरावर लेखा व तांत्रिक तपासणी केल्यानंतर उप विभाग स्तरावर लेखा व तांत्रिक तपासणी केल्यानंतर वित्त व लेखा विभागात पुनश्च लेखा व वित्त विषयक तपासणी करून भुगतान केल्या जाते. यानंतरही लेखा आक्षेप निकाली काढण्याची जबाबदारी संबंधितांवर निश्चित करावी. यापुढे या कामांकरिता कनिष्ठ अभियंते सहकार्य करणार नाहीत. त्यामुळे नाहक मानसिक त्रास देवु नये. 5) जिल्ह्याची भौगोलिक परिस्थिती व जिल्हा परिषदेकडे लहान परंतु विखुरलेली स्वरुपाची कामे असल्याने प्रस्तावित बांधकामांचे अंदाज पत्रक तयार करणे, वारंवार भेटी देवून कामावर नियंत्रण ठेवणे, कामे करवून घेणे झालेल्या बांधकामांचे मापे घेणे/नोंदविणे, देयक तयार करणे इ काम करण्यास मानसिक व शारीरिक त्रास सहन करावे लागते. शासनाने या सर्व कामांकरिता जिल्हा परिषदेला संगणीकृत प्रोजेक्ट मॅनेजमेंट प्रणालीचा लागु करण्यास कळविलेले आहे. सर्व विभागांना पि.एम.एस. प्रणाली तात्काळ उपलब्ध करून द्यावी. 6) पदवी/पदविका, अर्हता धारक कनिष्ठ अभियंता यांना 3/5 वर्षे सेवेनंतर सहाय्यक/ शाखा अभियंता म्हणून दर्जोन्नती देण्यात यावी. तसेच अर्हतारहित कनिष्ठ अभियंता 7/10 वर्षे सेवेनंतर शाखा अभियंता म्हणून दर्जोन्नती देण्यात यावी. 7) स्थापत्य अभियांत्रिकी सहाय्यक यांना घरकुलाचे कामातुन मुक्त करावे. इत्यादी मागण्याकरिता आंदोलन करण्यात आले.
OYO Rooms: क्या आपने कभी सोचा है कि OYO रूम्स कपल्स के बीच इतनी लोकप्रिय क्यों हैं? जब भी कपल्स अपने लिए किसी होटल की तलाश करते हैं, तो अक्सर उनकी पहली पसंद OYO क्यों होती है? आइए, इसके पीछे की कुछ खास वजहों को समझते हैं।
आपका बजट में चाहे जितना भी हो, OYO के पास आपके लिए कुछ न कुछ ज़रूर है। OYO ने भारतीय होटल उद्योग में ऐसा बदलाव लाया है कि अब हर किसी को एक आरामदायक और सुरक्षित जगह मिल सकती है, वो भी बिना किसी झंझट के। और सबसे बड़ी बात, OYO का प्लेटफ़ॉर्म इतना आसान है कि आप बस कुछ ही मिनटों में अपने लिए कमरा बुक कर सकते हैं।
जब बात आती है कपल्स की, तो OYO रूम्स ने वाकई में उनके दिल में एक खास जगह बना ली है। क्यों? क्योंकि OYO समझता है कि गोपनीयता और सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण हैं। यहां कोई भी कपल, चाहे वो अविवाहित ही क्यों न हो, बिना किसी डर या भेदभाव के आराम से ठहर सकता है। और यही वजह है कि OYO उन कपल्स की पहली पसंद है जो एक साथ कुछ खास पल बिताना चाहते हैं।
जब OYO के ग्राहकों से पूछा गया कि उन्हें OYO रूम्स क्यों पसंद हैं, तो उनका जवाब था: "OYO में हमें घर जैसी गर्मजोशी और आराम महसूस होता है।" ग्राहक ये भी कहते हैं कि OYO की सेवाएं उन्हें बिना किसी परेशानी के वो सब देती हैं जो वे अपने होटल से उम्मीद करते हैं। यही कारण है कि जब कपल्स किसी जगह की तलाश में होते हैं, तो OYO ही उनकी पहली पसंद बनता है।
Chanakya Niti: शर्म को अच्छे संस्कारों का हिस्सा माना जाता है, लेकिन चाणक्य नीति के अनुसार कुछ ऐसी जगहें भी होती हैं, जहां शर्म करना इंसान के लिए घातक हो सकता है। अगर इन जगहों पर शर्म या संकोच किया जाए, तो जिंदगी बर्बाद हो सकती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में ऐसी 4 महत्वपूर्ण जगहों का जिक्र किया है, जहां इंसान को बिल्कुल भी शर्म नहीं करनी चाहिए।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इंसान को कभी भी धन-दौलत से जुड़े मामलों में शर्म नहीं करनी चाहिए। यदि किसी ने आपसे पैसे उधार लिए हैं, तो उन्हें वापस मांगने में संकोच न करें। ऐसा करने से बार-बार नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए, धन के मामलों में शर्म करने से बचें।
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चाणक्य नीति में कहा गया है कि इंसान को कभी भी भोजन करने में शर्म नहीं करनी चाहिए। भूख को मारने से ना केवल शरीर कमजोर होता है, बल्कि मन और सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित होती है। इसलिए, भोजन करते समय शर्म करना उचित नहीं है।
कई बार लोग अपने से छोटे या कम अनुभवी व्यक्ति से शिक्षा लेने में शर्म महसूस करते हैं। लेकिन आचार्य चाणक्य के अनुसार, ज्ञान जहां से भी मिले, उसे ग्रहण करना चाहिए। जो विद्यार्थी बिना शर्म के अपनी जिज्ञासाओं का समाधान करता है, वही सच्चे मायने में सफल होता है।
कई लोग सही-गलत का फर्क जानते हुए भी अपनी बात रखने में संकोच करते हैं। लेकिन आचार्य चाणक्य का कहना है कि इंसान को अपनी बात बिना किसी संकोच के खुलकर रखनी चाहिए। जो लोग शर्म के कारण अपनी बात को दबा लेते हैं, वे जिंदगी में कभी आगे नहीं बढ़ पाते।
Fall In Love: प्रेमात पडल्यावर शरीरात कोणते बदल होतात? प्रेमाची भावना आपल्या शरीरावर कसा प्रभाव टाकते? हे प्रश्न अनेकांच्या मनात येतात. प्रेमात पडल्यावर केवळ आपल्या भावनांमध्येच बदल होत नाही, तर शरीरातही काही महत्त्वपूर्ण शारीरिक आणि रासायनिक बदल घडतात. या लेखात आपण प्रेमात पडल्यावर शरीरात होणाऱ्या बदलांचा आणि त्यांच्या परिणामांचा सखोल आढावा घेऊया.
प्रेमात पडल्यावर शरीरात डोपामाइन, ऑक्सिटोसिन, आणि सेरोटोनिन यांसारख्या हार्मोन्सचा स्राव वाढतो. हे हार्मोन्स आपल्या भावनांवर आणि वर्तनावर महत्त्वपूर्ण प्रभाव टाकतात.
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हे "आनंदाचे हार्मोन" म्हणून ओळखले जाते. प्रेमात पडल्यावर डोपामाइनचा स्राव वाढतो, ज्यामुळे आपण आनंदी आणि उत्साही वाटतो. डोपामाइनमुळेच एखाद्या व्यक्तीकडे आपले वारंवार आकर्षण वाढते, आणि ती व्यक्ती आपल्या मनात घर करते.
ऑक्सिटोसिन हे "प्रेमाचे हार्मोन" आहे. यामुळे आपल्या जोडीदाराबद्दल जिव्हाळा, विश्वास, आणि भावनिक जवळीक वाढते. ऑक्सिटोसिनमुळे नातेसंबंध अधिक घट्ट होतात आणि आपल्यात परस्पर प्रेमाची भावना निर्माण होते.
प्रेमाच्या सुरुवातीच्या काळात सेरोटोनिनची पातळी कमी होते, ज्यामुळे एकाग्रता कमी होऊन आपण सतत आपल्या जोडीदाराच्या विचारात हरवून जातो.
प्रेमात पडल्यावर शरीरातल्या शारीरिक बदलांपैकी एक महत्त्वाचा बदल म्हणजे हृदयाचे ठोके वाढणे. आपल्या प्रिय व्यक्तीला पाहिल्यावर किंवा तिच्या विचाराने हृदयाचे ठोके वाढतात. हृदयाची ही धडधड आपल्या शरीराची नैसर्गिक प्रतिक्रिया आहे, जी अँड्रेलीनच्या स्रावामुळे होते.
त्याचप्रमाणे, प्रेमात पडल्यावर शरीराचं तापमान काहीसा वाढू शकतो. यामुळे हात, पाय, आणि चेहरा गरम वाटू शकतो. हे बदल रोमँटिक परिस्थितीत अधिक तीव्रतेने जाणवतात.
प्रेमाच्या वेगवेगळ्या परिस्थितीत रक्तदाबात काहीसा वाढ होऊ शकतो. यामुळे उत्साह आणि ऊर्जा वाढल्याची भावना निर्माण होते. काही लोकांना प्रेमात पडल्यावर अन्नाची इच्छा कमी होते, कारण शरीरातील रासायनिक बदलांमुळे भूकेवर परिणाम होतो. झोपेच्या पद्धतीतही बदल होऊ शकतो, कारण आपल्या जोडीदाराच्या विचारांनी मन सतत व्यस्त राहतं.
प्रेमात पडल्यावर होणारे शारीरिक बदल हे आपल्या शरीराच्या नैसर्गिक प्रतिक्रिया आहेत. हार्मोन्स, हृदयाचे ठोके, आणि इतर शारीरिक बदल हे सर्व प्रेमाच्या अनोख्या अनुभवाचा भाग आहेत. हे बदल आपल्या भावनांना अधिक तीव्र करतात, ज्यामुळे आपलं प्रेम अधिक खास वाटतं.
अंधे लोगों को भी सपने आते हैं?
क्या आपने कभी सोचा है कि अंधे लोगों को भी सपने आते हैं? यह एक ऐसा प्रश्न है जिसके बारे में अक्सर लोगों के मन में जिज्ञासा होती है। आइए इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें।
हां, अंधे लोग भी सपने देखते हैं. सपने मन की दुनिया में होते हैं और वे दृश्यों की जगह विचारों और अभिव्यक्तियों को लेते हैं. इसमें आंखों की अभाविता का कोई असर नहीं होता, क्योंकि सपने मस्तिष्क के प्रकार को होते हैं और आंखों की ज़रूरत नहीं होती.
अंधे लोगों के सपने कैसे होते हैं?
अंधे लोगों के सपने देखने का तरीका सामान्य लोगों से कुछ अलग होता है। उनके सपनों में दृश्य छवियां नहीं होतीं। इसके बजाय, वे अपने सपनों में ध्वनियों, भावनाओं, गंधों और स्पर्शों का अनुभव करते हैं। उदाहरण के तौर पर, एक अंधे व्यक्ति को अपने सपने में किसी की आवाज सुनाई दे सकती है, या उन्हें किसी चीज़ को छूने का अनुभव हो सकता है।
सपनों का मनोवैज्ञानिक महत्व
सपने देखना सभी लोगों के लिए एक सामान्य अनुभव है, चाहे वे अंधे हों या नहीं। सपने हमारे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। वे हमें अपनी भावनाओं, विचारों और अनुभवों को प्रोसेस करने में मदद करते हैं। अंधे लोगों के लिए भी सपने इसी तरह का महत्व रखते हैं।
सपनों का अध्ययन
वैज्ञानिकों ने अंधे लोगों के सपनों का अध्ययन किया है। उन्होंने पाया है कि अंधे लोगों के सपने सामान्य लोगों के सपनों से कुछ अलग होते हैं, लेकिन उनमें समान मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएं होती हैं। सपनों का अध्ययन हमें मानव मन के बारे में अधिक समझने में मदद करता है।
निष्कर्ष
अंधे लोगों को भी सपने आते हैं, लेकिन उनके सपनों का अनुभव सामान्य लोगों से कुछ अलग होता है। सपने हमारे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, और अंधे लोगों के लिए भी यह सच है। वैज्ञानिकों ने अंधे लोगों के सपनों का अध्ययन किया है और पाया है कि उनमें समान मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएं होती हैं।
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घर हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह केवल चार दीवारों का ढांचा नहीं है, बल्कि हमारे जीवन का एक हिस्सा है, जहां हम अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं, खुशियां मनाते हैं, और सुरक्षित महसूस करते हैं। लेकिन जब बात आती है घर खरीदने की, तो यह एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला होता है। क्या हमें खुद का घर खरीदना चाहिए या किराए के घर में रहना चाहिए? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में होता है। आइए, इस सवाल का विस्तार से विश्लेषण करते हैं।
2. कम प्रारंभिक निवेश:
घर खरीदने के लिए आपको एक बड़ा डाउन पेमेंट करना पड़ता है, जोकि कई लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है। इसके विपरीत, किराए के घर में रहने के लिए आपको केवल एक महीने का किराया और सुरक्षा राशि जमा करनी होती है, जो आमतौर पर बहुत कम होती है।
3. रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी:
किराए के घर में मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। अगर घर में कुछ खराबी आ जाती है, जैसे पाइप फट जाना या बिजली की समस्या, तो आपको इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं होती। मकान मालिक खुद ही इसका प्रबंध करता है।
4. अल्पकालिक वित्तीय प्रतिबद्धता:
किराए का घर लेना एक अल्पकालिक वित्तीय प्रतिबद्धता होती है। आप जितने समय तक चाहें, किराए पर रह सकते हैं और जब भी चाहें, बिना किसी बड़े वित्तीय दायित्व के घर बदल सकते हैं।
1. लंबी अवधि की संपत्ति निर्माण:
खुद का घर एक निवेश होता है। यह समय के साथ अपनी मूल्य बढ़ाता है और एक स्थायी संपत्ति बन जाता है। जब आप घर खरीदते हैं, तो आप एक ऐसे निवेश की ओर बढ़ते हैं, जो समय के साथ आपकी संपत्ति को बढ़ाता है और आपको वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
2. स्वतंत्रता और व्यक्तिगत स्पर्श:
खुद का घर होने पर आपको पूरी स्वतंत्रता मिलती है। आप अपने घर को अपने अनुसार सजाने और बदलने के लिए स्वतंत्र होते हैं। आप दीवारों का रंग बदल सकते हैं, बगीचा लगा सकते हैं, या फिर घर में कोई भी बदलाव कर सकते हैं, बिना किसी की अनुमति के।
3. स्थिरता और सुरक्षा:
खुद का घर होने पर आपको स्थिरता का एहसास होता है। आपको यह जानकर सुकून मिलता है कि यह जगह आपकी है और आपको इसे छोड़ने की जरूरत नहीं है। यह आपके परिवार के लिए भी एक स्थायी जगह होती है, जहां आप एक स्थिर जीवन जी सकते हैं।
4. मूल्य बढ़ने की संभावना:
समय के साथ संपत्ति की कीमतें बढ़ती हैं, और इस प्रकार, आपके द्वारा खरीदा गया घर आपके लिए एक मजबूत निवेश साबित हो सकता है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में सही होता है, जहां विकास हो रहा हो और भूमि की कीमतें तेजी से बढ़ रही हों।
कब घर खरीदना चाहिए?
घर खरीदने का निर्णय महत्वपूर्ण है और इसे सोच-समझकर लेना चाहिए। निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
1. आर्थिक स्थिरता:
घर खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आपकी नौकरी या व्यवसाय स्थिर है। अगर आपकी आमदनी स्थिर है और भविष्य में बढ़ने की संभावना है, तो घर खरीदना सही निर्णय हो सकता है।
2. बजट और बचत:
घर खरीदने के लिए पर्याप्त बजट और बचत का होना आवश्यक है। डाउन पेमेंट, ईएमआई, और अन्य खर्चों को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित करें कि आपकी बचत पर्याप्त हो। ईएमआई का भुगतान करते समय आपकी अन्य आर्थिक जिम्मेदारियों पर कोई असर न पड़े, यह सुनिश्चित करें।
लंबी अवधि की योजना:
यदि आप किसी शहर या इलाके में लंबे समय तक रहने का सोच रहे हैं, तो घर खरीदना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। यह निर्णय तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब आप अपने परिवार को स्थिरता प्रदान करना चाहते हैं।
घर खरीदने में कितने साल की कमाई लगानी चाहिए?
यह जानना महत्वपूर्ण है कि घर खरीदने के लिए आपको अपनी कितनी साल की कमाई निवेश करनी चाहिए। आमतौर पर, यह सुझाव दिया जाता है कि घर की कीमत आपकी वार्षिक आय का 3 से 5 गुना होनी चाहिए। अगर आपकी वार्षिक आय 10 लाख रुपये है, तो आपको 30 लाख से 50 लाख रुपये के बीच का घर देखना चाहिए। यह अनुपात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको एक ऐसा बजट प्रदान करता है, जिससे आपकी बाकी की आर्थिक जिम्मेदारियों पर कोई असर नहीं पड़ता और आप आराम से अपनी ईएमआई का भुगतान कर सकते हैं।
किराया बनाम ईएमआई: क्या चुनें?
किराया और ईएमआई की तुलना करना भी जरूरी है। यह समझना आवश्यक है कि आप किस स्थिति में हैं और आपके लिए कौन सा विकल्प अधिक लाभदायक हो सकता है।
1. किराया कम, ईएमआई ज्यादा:
अगर आपके शहर में किराया अपेक्षाकृत कम है और घर की कीमतें बहुत ज्यादा हैं, तो फिलहाल किराए पर रहना ज्यादा फायदे का सौदा हो सकता है। इससे आपको अधिक बचत करने का मौका मिलेगा, जिसे आप भविष्य में घर खरीदने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
2. ईएमआई और किराया बराबर:
अगर किराया और ईएमआई लगभग बराबर हैं, तो घर खरीदना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस स्थिति में, आप किराए की बजाय अपनी ईएमआई चुका रहे होंगे, जिससे आप धीरे-धीरे अपने घर के मालिक बन जाएंगे।
किराए के घर में रहना और खुद का घर खरीदना, दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। यह पूरी तरह से आपकी आर्थिक स्थिति, जीवनशैली, और दीर्घकालिक योजनाओं पर निर्भर करता है कि कौन सा विकल्प आपके लिए सही है।
अगर आप एक स्थिर नौकरी या व्यवसाय में हैं, और आपके पास पर्याप्त बचत है, तो खुद का घर खरीदना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है। वहीं, अगर आप किसी अस्थिर स्थिति में हैं या फिलहाल अपने वित्तीय भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं, तो किराए पर रहना एक सुरक्षित विकल्प हो सकता है।
आय.ए.एस.शुभम गुप्ता यांच्यावर " ॲट्रॉसिटी " अंतर्गत गुन्हा दाखल करा.
असंवेदनशील आणि भ्रष्ट अधिकाऱ्यांमुळे शासनाच्या या प्रयत्नांना हरताळ फासल्या जात आहे.
गडचिरोली : दुधाळ गाय वाटप घोटाळ्यात तत्कालीन प्रकल्प अधिकारी शुभम गुप्ता हे दोषी असल्याचे सिद्ध झाल्यानंतर गडचिरोलीतील आदिवासी संघटनांनी आक्रमक भूमिका घेत गुप्ता यांच्यावर अनुसूचित जाती व जमाती अत्याचार प्रतिबंधक कायद्यानुसार गुन्हा दाखल करा, अशी मागणी केली आहे.१९ ऑगस्ट रोजी संघटनांनी जिल्हाधिकाऱ्यांना निवेदन देत कार्यालय परिसरात शुभम गुप्ता यांच्या विरोधात जोरदार घोषणा दिल्या.
एकात्मिक आदिवासी विकास प्रकल्प कार्यालय भामरागड येथे २०२१ ते २०२३ या कार्यकाळात झालेल्या दुधाळ गाय वाटप घोटाळ्यात प्रकल्प अधिकारी शुभम गुप्ता हे दोषी असल्याचे आदिवासी विभागाच्या अपर आयुक्तांनी केलेल्या चौकशीत आढळून आले.त्यानंतर राज्यात एकच खळबळ उडाली असून या ‘आयएएस’ अधिकाऱ्याच्या कारनाम्यांची प्रशासकीय वर्तुळात खमंग चर्चा आहे.
गडचिरोलीतील आदिवासी संघटनांनी आक्रमक भूमिका घेत शुभम गुप्ता यांच्यावर ‘ॲट्रॉसिटी’ अंतर्गत गुन्हा दाखल करण्याची मागणी केली आहे. यासंदर्भात अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद आणि पोलीस बॉईज असोसिएशनने मुख्यमंत्र्यांना दिलेल्या निवेदनात म्हटले आहे की, गडचिरोली जिल्हा नक्षलग्रस्त, मागास आणि आदिवासीबहुल असल्याने येथील आदिवासींना मुख्य प्रवाहात आणण्यासाठी शासन शेकडो कोटी रुपये खर्च करीत असते. मात्र, काही असंवेदनशील आणि भ्रष्ट अधिकाऱ्यांमुळे शासनाच्या या प्रयत्नांना हरताळ फासल्या जात आहे
.प्रकल्प अधिकारी शुभम गुप्ता यांनी गाय वाटप योजनेमध्ये लाखो रुपयांचा गैरव्यवहार केला. या प्रकरणाची अपर आयुक्तांनी चौकशी केल्यानंतर गुप्ता दोषी असल्याचे अहवालात नमूद केले आहे. सोबतच या अहवालात लाभार्थी आणि त्या कार्यालयातील अधिकाऱ्यांनी गुप्ता यांच्यावर गंभीर स्वरूपाचे आरोप केले आहे.
गडचिरोलीत कार्यरत राहून कोट्यवधीचा भ्रष्टाचार करणे, आदिवासी समाजातील लाभार्थी आणि कर्मचाऱ्यांना अश्लील शिवीगाळ करून धमकावणे हा सर्व प्रकार गंभीर आहे. सध्या सांगली येथे महापालिका आयुक्त म्हणून कार्यरत असलेले शुभम गुप्ता यांच्यावर ॲट्रॉसिटी अंतर्गत गुन्हा नोंदवून त्यांना तत्काळ निलंबित करण्यात यावे. सोबतच त्यांच्या कार्यकाळातील सर्व प्रकरणांची निवृत्त न्यायाधीशामार्फत सखोल चौकशी करण्यात यावी.
सात दिवसांत मागण्यांचा विचार न झाल्यास आदिवासी संघटनांनी मिळून देशभर आंदोलन करण्याचा इशारा दिला आहे.यावेळी आदिवासी विकास परिषदेचे युवा जिल्हाध्यक्ष,कुणाल कोवे,पोलीस बॉईज असोसिएशनचे अध्यक्ष गिरीष कोरामी, उपाध्यक्ष आकाश ढाली, उमेश उईके,अक्षय मडावी,आरती कोल्हे,विद्या दुगा,मालती पुडो, बादल मडावी आदी पदाधिकारी उपस्थित होते.
Underarm Whitening Home Remedy Fast: काले अंडरआर्म्स से शर्मिंदगी का सामना कर रहे हैं? जानें 6 सरल घरेलू उपाय जिनमें नींबू, बेकिंग सोडा, नारियल तेल आदि शामिल हैं, और अपने अंडरआर्म्स की डार्कनेस को दूर करें.
Underarm Whitening Home Remedy Fast: काले अंडरआर्म्स की समस्या कई लोगों के लिए आत्मविश्वास में कमी का कारण बन सकती है. स्लीवलेस कपड़े पहनने में झिझक या शर्मिंदगी महसूस हो सकती है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है. यहां हम कुछ सरल घरेलू उपाय बता रहे हैं जो आपको अपने अंडरआर्म्स का कालापन दूर करने में मदद कर सकते हैं.
नींबू में नैचुरल ब्लीचिंग एजेंट्स होते हैं, जो अंडरआर्म्स की डार्कनेस को कम करने में मदद करते हैं.
बेकिंग सोडा त्वचा की डेड स्किन को हटाकर अंडरआर्म्स की डार्कनेस को कम करता है.
नारियल तेल में विटामिन ई होता है, जो त्वचा की रंगत को सुधारता है.
एलोवेरा की पत्ती में मौजूद जेल त्वचा की मरम्मत करने और उसे हल्का करने में मदद करता है.
आलू का रस अंडरआर्म्स की त्वचा का रंग हल्का करने में मदद करता है।
हल्दी और दूध का मिश्रण अंडरआर्म्स की त्वचा को निखारने में मदद करता है.
निष्कर्ष: अगर आप काले अंडरआर्म्स से परेशान हैं, तो इन घरेलू नुस्खों का नियमित उपयोग करें. कुछ हफ्तों में आपको अपनी त्वचा में सकारात्मक बदलाव नजर आएंगे, जिससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा.
Pregnancy Journey: गर्भावस्था एक अद्भुत यात्रा है जिसमें आपका शिशु धीरे-धीरे विकसित होता है और विभिन्न अनुभवों का सामना करता है. क्या आपने कभी सोचा है कि गर्भ में आपका बच्चा किस तरह का जीवन जीता है? क्या वह केवल सोता है, या वह इसके अलावा और भी बहुत कुछ करता है? गर्भ में आपका बच्चा सिर्फ सोता नहीं है, बल्कि वह कई रोमांचक गतिविधियों का हिस्सा बनता है. तो आइए जानते है कि, गर्भ में शिशु के 9 महीने कैसे बितते हैं और आपके बच्चे के विकास में क्या-क्या बदलाव आते हैं.
12 हफ्ते के गर्भ में भ्रूण काफी विकसित हो जाता है. इस समय, शिशु निगलना और पचाना सीखने लगता है. इसकी शुरुआत एमनियोटिक फ्लूड को निगलने से होती है, जो न केवल फ्लूड को नियंत्रित करता है बल्कि शिशु के डाइजेस्टिव सिस्टम को भी विकसित करता है.
क्या आप जानते हैं कि आपका बच्चा गर्भ में संगीत सुन सकता है? 12 हफ्ते के बाद, उसके कान विकसित हो जाते हैं और वह मधुर और शांत संगीत का आनंद ले सकता है. यह उसे सुकून और रिलैक्सेशन महसूस कराता है.
गर्भ में, आपका बच्चा आपकी आवाज को पहचानने लगता है. जन्म के बाद, यही आवाज उसे पहचानने में मदद करती है और उसे सुरक्षा का अहसास कराती है. मां की आवाज शिशु को आराम और सुकून प्रदान करती है.
गर्भ में, आपके बच्चे को मीठी खुशबू और स्वाद बहुत पसंद आते हैं. जब आप मीठा खाते हैं या खुशबूदार चीजों के पास होती हैं, तो शिशु इसका आनंद लेता है.
क्या आप जानते हैं कि गर्भ में आपका बच्चा सपने देखता है? REM नींद की वजह से, शिशु को अच्छे सपनों का आनंद मिलता है, जो उसकी सेहत और विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
८ आयुष्याचे धडे Life Lessons जे वाढत्या वया सोबत शिकले पाहिजे
अनेकदा असे दिसून येते की लोक स्वतःच्या चुका आणि अनुभवातून चांगले शिकतात. आणि म्हणूनच, येथे आम्ही काही महत्त्वाचे Life Lessons सूचीबद्ध करतो जे केवळ वयानुसार शिकतात. यापैकी काही तुम्ही आधीच शिकले असाल.
जरी आमचे कुटुंब आमच्यावर कोणत्याही अटी शिवाय प्रेम करतात आणि मित्र आपले नेहमी साथ देतात, ते सर्व एक दिवस आपल्याला जीवनातून life जातीलच. पण एकच व्यक्ती जी नेहमी तुमच्या सोबत राहील ती म्हणजे स्वतः म्हणून, स्वतःवर प्रेम करण्याची खात्री करा.
तुमचे आयुष्य ठरवणारे तुमचे नशीब नाही तर तुमचे निर्णय आहेत. निर्णय, मग तो मोठा असो किंवा लहान, तुमचे जीवन बदलण्याची ताकद असते.
तुम्ही एखादे काम करताना घेतलेल्या मेहनतीची कोणीही पर्वा करत नाही. पण निकालावर काय आला यावर विचार करतात.
प्रेम आणि नुकसान हा जीवनाचा भाग आहे. त्यामुळे भूतकाळावर जास्त लक्ष देऊ नका, तुमच्या चुकांमधून शिका आणि आयुष्यात life पुढे जा.
लोकांनी कितीही नाकारले तरीही आयुष्यातील सर्वात महत्वाची गोष्ट म्हणजे कुटुंब असते आणि पैसा असते.
तुमचा वेळ वाईट वाटून वाया घालवण्याने, पश्चात्ताप करून किंवा जास्त काळ रडण्यात तुम्हाला काहीही मिळणार नाही. त्यामुळे चुका करा, त्यांच्याकडून शिका आणि तुमच्या ध्येयांवर काम करत राहा. सकारात्मक विचारसरणी तुम्हाला यशाकडे घेऊन जाईल.
तुम्ही जगाच्या कितीही लांब आणि लांब प्रवास केला असला तरीही, शेवटी घरासारखे कोणतेही ठिकाण तुम्हाला आराम, शांती आणि आनंद देत नाही.
व्यायामाचे बरेचदा आरोग्यदायी फायदे असतात-- तुम्हाला फिट ठेवण्यापासून ते तुमचा तणाव कमी करण्यासाठी आणि तुमचा मूड सुधारण्यापर्यंत. त्यामुळे आठवड्यातून किमान चार ते पाच दिवस कसरत करण्याचा प्रयत्न करा.
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आदिकाल से भारत का अपना विशेष चरित्र और आदर्श संस्कृति रही है, इसलिए भारत विश्व गुरु कहलाया। "जियो और जीने दो" के सिद्धांत के साथ सभी के कल्याण की कामना हम करते हैं। हमारी व्यवस्था में गुरु की भूमिका अंधकार से प्रकाश की ओर ले जानी वाली रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जीवन में शिक्षा का स्थान सर्वोपरि है। किसी भी पद और हैसियत से अधिक महत्व शिक्षा का है। भगवान श्रीकृष्ण ने मध्यप्रदेश की धरती पर शिक्षा ग्रहण की और महाभारत के युद्ध के समय वे स्वयं अपनी आत्मा से शास्त्रार्थ करते रहे। गीता के विविध पक्ष हैं। गुरुकुल में प्राप्त शिक्षा से सेनाओं का अपना अनुशासन भी देखने को मिला था। जीवन और मृत्यु अटल है। इसके मध्य का समय मुस्कान और उत्साह के साथ सार्थक जीवन जीने का होता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने आज भोपाल के आनंद नगर स्थित टीआईटी एक्सीलेंस कॉलेज में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा आयोजित कार्यशाला में हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आयोग द्वारा महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई है। राज्य सरकार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रयासों में पूर्ण सहयोग करेगी। यह प्रयास होगा कि कोई बच्चा स्कूल जाना बंद न करे। किन्हीं परिस्थितियों में ड्राप आउट के लिए विवश का शिकार न बने। शिक्षा ग्रहण करना प्रत्येक विद्यार्थी का अधिकार है।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी परीक्षाओं के पहले विद्यार्थियों से संवाद कर उनका आत्म-विश्वास बढ़ाते हैं। उन्होंने नई शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा के महत्व में वृद्धि की है। अनेक सुविधाएं विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाई जा रही हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी भारत में नई शिक्षा नीति लेकर आए। आज अनेक क्षेत्रों में भारत विश्व में अग्रणी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने यूक्रेन युद्ध के समय प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर भारतीय विद्यार्थियों की रक्षा के लिए उठाए गए कदम का स्मरण भी किया।
अध्यक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग श्री प्रियंक कानूनगो ने कहा कि शिक्षा पूरी पीढ़ी को बदलने का कार्य करती है। विपरीत परिस्थितियों में रहने वाले बच्चों को मुख्यधारा में लाना महत्वपूर्ण है। अभिभावकों द्वारा रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाने पर बच्चों की शिक्षा में बाधा उत्पन्न होती थी। अब अन्य राज्यों में भी हिन्दी में विद्यार्थियों को पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाती हैं। किसी बच्चे के 30 दिन विद्यालय में अनुपस्थित रहने पर इसका कारण ज्ञात कर समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। श्री कानूनगो ने कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का स्वागत कर उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया। अतिथियों को पौधे भेंट किए गये।
श्रम मंत्री श्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि प्रदेश में मजदूरों के हितों का प्राथमिकता के साथ ध्यान रखा जा रहा है। प्रदेश में संचालित आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाले वंचित वर्गों के बच्चों को पढ़ाई के लिए सभी संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बनेगा, जहां कोई भी बाल श्रमिक नहीं रहेगा। इसके लिए शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी सभी सरकारी एजेंसी, स्वयंसेवी संगठन और इस विषय के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। श्रम मंत्री श्री पटेल ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि वंचित वर्ग और श्रमिकों के बच्चे जो बीच में शाला जाना बंद कर देते हैं उनको पुन: शाला पहुंचाएँ। इस कार्यशाला के माध्यम से 6 राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, दादर नगर हवेली-दमन-दीव, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा के प्रतिभागी शामिल हुए हैं।
कार्यशाला में विषय-विशेषज्ञ और शिक्षा के क्षेत्र के विद्वानों द्वारा शाला त्यागी बच्चों की स्थिति पर चर्चा की गई। साथ ही प्रदेश में स्कूलों से बच्चों के ड्रॉप आउट की प्रवृत्ति को कम करने के संबंध में विचार-विमर्श किया गया। कार्यशाला में अन्य संस्थाओं की भी भागीदारी रही और जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए। अध्यक्ष मध्यप्रदेश बाल संरक्षण आयोग श्री द्रविन्द्र मोरे और राष्ट्रीय बाल आयोग की सदस्य सचिव रूपाली बैनर्जी, सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. संजय गोयल, आयुक्त लोक शिक्षण श्रीमती शिल्पा गुप्ता, श्रम आयुक्त श्री धनराजू एस. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पदाधिकारी, शिक्षा विभाग के अधिकारी और स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।