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Jitesh Chouhan

Oct. 17, 2024   

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Snake Bite Treatment: सांप काटने पर तुरंत करें ये उपचार, …


Snake Bite Treatment: दोस्तों सांप का काटना एक गंभीर दुर्घटना है, जो अगर समय पर उपचार न किया जाए तो जानलेवा साबित हो सकता है। सांप काटने की स्थिति में लक्षणों की पहचान और त्वरित उपचार बेहद महत्वपूर्ण है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि अगर  किसी को सांप काट ले तो तुरंत क्या करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो आइए जानते है.

 

सांप के काटने पर दिखाई देने वाले लक्षण

जहरीले सांप के काटने से कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे:

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  • काटने वाली जगह पर दर्द और सूजन
  • ऐंठन, मतली, और उल्टी
  • कपकपी और एलर्जी
  • घाव के चारों ओर सूजन और जलन
  • त्वचा के रंग में बदलाव
  • दस्त और बुखार
  • मांसपेशियों की कमजोरी
  • रक्तचाप में कमी

इन लक्षणों का समय पर पता लगाना और उचित कदम उठाना जरूरी है।

 

सांप के काटने पर तुरंत करें ये उपाय

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  1. उल्टी करवाना: पीड़ित व्यक्ति को थोड़ा अधिक घी खिलाएं और उसे उल्टी करने को कहें। इससे जहर अंदर नहीं फैल सकेगा।
  2. गुनगुना पानी: पीड़ित को 10-15 बार गुनगुना पानी पिलाएं, जिससे सांप के जहर का असर कम हो सके।
  3. कंटोला की सब्जी: अगर मिल सके तो कंटोला की सब्जी को पीसकर उस जगह लगाएं, जहां सांप ने काटा है। यह जहर का असर कम करने में मदद करेगा।
  4. लहसुन और शहद: लहसुन को पीसकर उसमें शहद मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगाएं।

 

अस्पताल जाने का ध्यान रखें

  • तत्काल चिकित्सा: सांप काटने के बाद इमरजेंसी ट्रीटमेंट के लिए तुरंत मरीज को अस्पताल ले जाएं।
  • अवांछनीय गतिविधियों से बचें: जिस स्थान पर सांप ने काटा है, उसे बिल्कुल न हिलाएं।
  • खून बहने की स्थिति में: खून को बहने दें और बीटाडीन का इस्तेमाल करें।
  • पीड़ित को शांत रखें: व्यक्ति को स्थिर रखें और जितना संभव हो उसे शांत रखें।
  • घाव को ढकें: घाव को ढीली और साफ पट्टी से कवर करें।

सांप काटने की स्थिति में सही जानकारी और त्वरित कार्रवाई जान बचाने में मदद कर सकती है। लेकिन ध्यान रखें, ये सभी उपाय सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी बीमारी या संक्रमण के लक्षणों के मामले में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य जानकारी प्रदान करता है और इसे किसी भी चिकित्सकीय सलाह के रूप में न समझें। बीमारी के लक्षणों की स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है।


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Tejal Goods Appliances

Oct. 15, 2024   

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सर्दियों में कौन से ड्राई फ्रूट्स खाएं और उनके फायदे


परिचय:

सर्दियों के मौसम में सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है। ठंड के दिनों में ऐसे खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है, जो न केवल हमें गर्म रखें बल्कि हमारी इम्युनिटी को भी मजबूत करें। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि सर्दियों में कौन से ड्राई फ्रूट्स खाने चाहिए और उनके लाभ क्या हैं। ये सुझाव आपकी सेहत को बेहतर बनाएंगे और आपको ठंड से सुरक्षित रखेंगे।

1. बादाम (Almonds): सर्दियों में त्वचा और दिमाग का दोस्त

बादाम सर्दियों में आपकी त्वचा को नमी प्रदान करता है और दिमाग को तेज रखता है। इसमें विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो आपकी त्वचा को ठंड में ड्राई होने से बचाते हैं और आपकी इम्युनिटी को भी बढ़ाते हैं।

बादाम के सर्दियों में फायदे:

- त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाए रखता है।

- दिमाग की क्षमता को बढ़ाता है।

- सर्दियों में गर्मी का एहसास देता है।

कैसे खाएं:

रात को 4-5 बादाम भिगोकर सुबह खाएं या दूध के साथ लें।

2. अखरोट (Walnuts): ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्रोत

अखरोट सर्दियों में दिल और दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो आपके दिल को स्वस्थ रखते हैं और सर्दियों में ठंड से बचाने में मदद करते हैं।

अखरोट के मुख्य फायदे:

- दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

- सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है।

- दिमाग को सक्रिय और तेज रखता है।

कैसे खाएं:

नाश्ते में या स्नैक के रूप में खा सकते हैं।

3. काजू (Cashews): एनर्जी बूस्टर ड्राई फ्रूट

काजू में हेल्दी फैट्स और प्रोटीन होता है, जो सर्दियों में ऊर्जा का अच्छा स्रोत होता है। यह आपको दिनभर एनर्जेटिक रखता है और आपके मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है।

सर्दियों में काजू के फायदे:

- एनर्जी लेवल को बढ़ाता है।

- हड्डियों को मजबूत बनाता है।

- मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।

कैसे खाएं:

काजू को स्नैक के रूप में या डेसर्ट्स में इस्तेमाल करें।

4. किशमिश (Raisins): इंस्टेंट एनर्जी प्रोवाइडर

किशमिश आपके खून के सर्कुलेशन को सुधारता है और शरीर को तुरंत एनर्जी प्रदान करता है। इसमें आयरन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है।

किशमिश के फायदे:

- खून के प्रवाह को बेहतर बनाता है।

- सर्दियों में तुरंत एनर्जी प्रदान करता है।

- मेटाबॉलिज्म को सुधारता है।

कैसे खाएं:

रात को भिगोकर सुबह खाएं या नाश्ते में शामिल करें।

5. खजूर (Dates): फाइबर और प्राकृतिक मिठास

सर्दियों में खजूर का सेवन शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ पाचन को भी सही रखता है। इसमें प्राकृतिक शुगर और फाइबर होता है, जो आपको तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।

खजूर के मुख्य फायदे:

- शरीर को सर्दियों में गर्म रखता है।

- तुरंत एनर्जी प्रदान करता है।

- पाचन तंत्र को मजबूत करता है।

कैसे खाएं:

खजूर को दूध के साथ लें या स्नैक के रूप में खाएं।

6. अंजीर (Figs): फाइबर-युक्त और इम्यून-बूस्टिंग

अंजीर फाइबर का बेहतरीन स्रोत है, जो आपके पाचन को सुधारता है और सर्दियों में आपकी इम्युनिटी को बढ़ाता है। यह शरीर को डिटॉक्सीफाई भी करता है।

अंजीर के फायदे:

- पाचन स्वास्थ्य को सुधारता है।

- सर्दियों में इम्यूनिटी को मजबूत करता है।

- शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।

कैसे खाएं:

रात को भिगोकर या नाश्ते में शामिल करें।

7. पिस्ता (Pistachios): स्वादिष्ट और स्वास्थ्यप्रद विकल्प

पिस्ता में फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो सर्दियों में मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं और आपको स्वस्थ एवं सक्रिय रखते हैं।

पिस्ता के मुख्य फायदे:

- वजन नियंत्रण में मदद करता है।

- सर्दियों में मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।

- आपको सक्रिय और एनर्जेटिक बनाए रखता है।

कैसे खाएं:

स्नैक के रूप में या डेसर्ट्स में मिलाकर खाएं।

8. खुबानी (Apricots): त्वचा और इम्यूनिटी का रक्षक

सर्दियों में खुबानी खाने से त्वचा को नमी मिलती है और यह विटामिन A और C का अच्छा स्रोत होता है, जो आपकी त्वचा को सर्दियों में हाइड्रेटेड रखता है और इम्युनिटी को मजबूत करता है।

खुबानी के फायदे:

- त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है।

- इम्युनिटी को बूस्ट करता है।

- शरीर को सर्दियों में फिट बनाए रखता है।

कैसे खाएं:

खुबानी को स्नैक के रूप में या डेसर्ट्स में शामिल करें।

निष्कर्ष:

सर्दियों में ड्राई फ्रूट्स का सेवन आपको न केवल गर्मी प्रदान करता है, बल्कि आपकी इम्युनिटी को भी मजबूत करता है और पाचन तंत्र को सुधारता है। इस आर्टिकल में बताए गए ड्राई फ्रूट्स को अपने डेली डाइट में शामिल करके, आप सर्दियों में बीमार पड़ने की संभावना को कम कर सकते हैं और अपने दिन को एनर्जेटिक बना सकते हैं।


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Rahul Bisen

Oct. 13, 2024   

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Wellhealth Ayurvedic Health Tips: फटी एड़ियों से छुटकारा पाने के …


Wellhealth Ayurvedic Health Tips: फटी एड़ियों की समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे शरीर में पोषक तत्वों की कमी, अत्यधिक काम, स्किन संबंधी समस्याएं, मौसम में बदलाव या स्किन का अत्यधिक सूखा होना। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया, तो यह समस्या गंभीर हो सकती है और दर्द के साथ खून भी निकल सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार, फटी एड़ियों को आमतौर पर वात असंतुलन का संकेत माना जाता है। आयुर्वेदिक उपचार स्किन और शरीर को आंतरिक रूप से मॉइस्चराइज करने पर ध्यान देता है। यहां 4 आयुर्वेदिक उपाय बताए जा रहे हैं, जिनसे आप फटी एड़ियों से राहत पा सकते हैं।

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1. तिल का तेल और वैक्स का मिश्रण

तिल का तेल एड़ियों की स्किन को गहराई से मॉइस्चराइज करता है। इसमें मौजूद फैटी एसिड सूखी और फटी स्किन को ठीक करने में मदद करता है। वैक्स स्किन की नमी को लॉक करके उसे ड्राई होने से बचाता है। 1 चम्मच तिल का तेल और 3 बड़े चम्मच वैक्स मिलाकर हल्का गर्म करें और इसे फटी एड़ियों पर लगाएं।

 

2. गर्म तिल के तेल या घी से पैरों की मालिश

गर्म तिल का तेल ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करता है और ड्राई स्किन को ठीक करने में मदद करता है। घी में मौजूद फैटी एसिड स्किन को पोषण देकर उसे मुलायम बनाते हैं। रोजाना सोने से पहले पैरों की मालिश करने से एड़ियों को स्वस्थ रखा जा सकता है।

 

3. पैरों को भिगोना और मॉइस्चराइज करना

पैरों को पानी में भिगोने से डेड स्किन मुलायम हो जाती है, जिससे मॉइस्चराइज़र स्किन के अंदर तक पहुँचता है। सोने से पहले पैरों को 15 मिनट तक गर्म पानी में भिगोएं, फिर तिल का तेल या मॉइस्चराइज़र लगाकर मालिश करें।

 

4. घी का सेवन

घी शरीर को अंदर से पोषित करता है और स्किन को चिकनाई देकर उसे सूखने से बचाता है। रोजाना सुबह खाली पेट 1 चम्मच घी का सेवन फटी एड़ियों की समस्या से राहत दिला सकता है।

इन उपायों के जरिए आप अपनी एड़ियों को स्वस्थ और नमी से भरपूर रख सकते हैं। स्किन को हाइड्रेटेड रखना फटी एड़ियों से छुटकारा पाने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है।


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Tejal Goods Appliances

Oct. 12, 2024   

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खेती में BPH (Brown Planthopper): असर, मास इंफेस्टेशन और सरल …


 BPH क्या है और खेती में इसका महत्व

धान की खेती में, BPH (Brown Planthopper) एक प्रमुख कीट है जो पौधों के तनों से रस चूसता है। यह कीट धान की फसल को कमजोर करके उत्पादन में बड़ी कमी ला सकता है। विशेष रूप से जब BPH का मास इंफेस्टेशन हो जाता है, तो नुकसान का स्तर और भी बढ़ जाता है। इस लेख में हम समझेंगे कि BPH क्या है, इसका खेती पर क्या असर होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है।

BPH का असर और मास इंफेस्टेशन

BPH का असर तब और गंभीर हो जाता है जब इसकी संख्या बहुत बढ़ जाती है। इसे मास इंफेस्टेशन कहा जाता है, और यह स्थिति धान के खेतों को सूखा बना सकती है। मुख्य प्रभाव यह हैं:

- पौधों का सूख जाना: कीट तनों से रस चूसते हैं, जिससे पौधे सूख जाते हैं।

- उत्पादन में भारी कमी: मास इंफेस्टेशन की वजह से फसल की उपज 50-90% तक कम हो सकती है।

- रोग फैलना: यह कीट वायरस फैलाने में भी सक्षम होते हैं, जो धान की फसल को और कमजोर कर सकते हैं।

BPH से होने वाले नुकसान को रोकने के उपाय

1. रासायनिक नियंत्रण

BPH के मास इंफेस्टेशन को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। कुछ प्रभावी कीटनाशक हैं:

- इमिडाक्लोप्रिड और बुप्रोफेजिन जैसे कीटनाशक, जो BPH को मारने में काफी मददगार हैं। 

- समय पर छिड़काव: कीटनाशकों का सही समय पर उपयोग करने से आप कीटों की बढ़ती संख्या को रोक सकते हैं।

 2. जैविक नियंत्रण

रासायनिक कीटनाशकों के अलावा, जैविक उपायों से भी BPH को नियंत्रित किया जा सकता है:

- नीम का तेल: यह एक प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल कीटनाशक है जो BPH की संख्या को कम कर सकता है।

- प्राकृतिक शत्रु: BPH के प्राकृतिक शत्रु जैसे मकड़ियाँ और भृंग इनकी जनसंख्या को नियंत्रित करते हैं।

 3. संवर्धित खेती के तरीके

- प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग: BPH के प्रति प्रतिरोधी धान की किस्मों को बोने से आप इस समस्या से बच सकते हैं।

- खेत की सफाई: खेतों में खरपतवार को समय पर हटाने से कीटों के पनपने की जगह कम हो जाती है।

- पानी का सही प्रबंधन: धान के खेतों में जल स्तर का उचित प्रबंधन करने से BPH का प्रसार कम हो सकता है।

निष्कर्ष

BPH (Brown Planthopper) का समय पर नियंत्रण करने से फसल की पैदावार बढ़ाई जा सकती है। रासायनिक और जैविक दोनों प्रकार के उपायों का सही ढंग से उपयोग करके किसान अपनी फसल को सुरक्षित कर सकते हैं। खेती में सतर्कता और उचित प्रबंधन अपनाने से BPH की समस्या को दूर किया जा सकता है और पैदावार में वृद्धि की जा सकती है।


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Tejal Goods Appliances

Oct. 11, 2024   

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अति परेशान आदमी अपने मन को कैसे कंट्रोल करे: आसान …


हर किसी को कभी न कभी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन कुछ आसान और प्रभावी तरीके हैं जो आपके मन को कंट्रोल करने में मददगार हो सकते हैं। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं।

1. अपने जज़्बात समझें

परेशानी का पहला कदम है अपने जज़्बात को समझना। खुद से पूछिए, “मैं क्यों परेशान हूँ?” जब आप अपने जज़्बात को समझते हैं, तो उनसे निपटना आसान होता है।

2. माइंडफुलनेस और मेडिटेशन

माइंडफुलनेस और मेडिटेशन से आपका मन शांत होता है। रोज़ाना कुछ मिनट ध्यान लगाने से आपको अपने विचारों पर कंट्रोल देने में मदद मिलेगी। इससे आप तनाव से छुटकारा पा सकते हैं।

3. शारीरिक गतिविधि

व्यायाम का अपना एक अलग फायदा है। जॉगिंग, योग या डांस करने से तनाव कम होता है और आपको बेहतर महसूस होता है। इससे आपका मन भी ताज़ा रहता है।

4. सकारात्मक सोच

नकारात्मक विचारों को दूर करना ज़रूरी है। हर दिन कुछ अच्छे विचार या उपलब्धियाँ लिखने से आपका नजरिया बदलता है और आप ज़्यादा सकारात्मक महसूस करते हैं।

5. दोस्तों से बात करें

अपने दोस्तों या परिवार के साथ अपने जज़्बात साझा करें। उनसे बात करने से आपको समर्थन मिलता है और आपकी परेशानियाँ हलकी महसूस होती हैं।

6. व्यवस्थित दिनचर्या

अपने दिन को व्यवस्थित रखने से आपका मन शांत रहता है। एक प्रभावी शेड्यूल बनाएं और उस पर अमल करने की कोशिश करें। इससे आपको अनुशासन मिलेगा।

7. अच्छी सेहत का ध्यान

अच्छी डाइट और पर्याप्त नींद लेना ज़रूरी है। जब आपका शरीर अच्छा महसूस करता है, तो आपका मन भी बेहतर होता है। इससे आपकी समग्र सेहत सुधरती है।

8. जरूरत पर प्रोफेशनल मदद

अगर आप खुद से अपने मन को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं, तो किसी प्रोफेशनल से मदद लेना अच्छा रहेगा। थेरेपी या काउंसलिंग आपको नए नजरिए और टूल्स दे सकती है।

9. क्रिएटिव गतिविधियाँ

अपने जज़्बात को व्यक्त करने के लिए पेंटिंग, लेखन या संगीत का सहारा लें। यह आपके मन को शांत करने का एक बेहतरीन तरीका है।

10. अकेले में समय बिताना

कभी-कभी अकेले रहकर कुछ समय बिताना भी फायदेमंद होता है। इससे आप अपने विचारों पर ध्यान दे सकते हैं और तनाव से दूर रह सकते हैं।

11. डिजिटल डिटॉक्स

सोशल मीडिया से कुछ समय दूर रहने से आपको वास्तविक जीवन के रिश्तों पर ध्यान देने का मौका मिलेगा, जो आपके मन को शांत करेगा।

निष्कर्ष

परेशानी एक सामान्य भावना है, लेकिन इससे निपटने के कई तरीके हैं। अपने मन को कंट्रोल करने की कोशिश करते रहें। हर छोटे कदम से आप अपने मन को बेहतर बनाने की दिशा में बढ़ सकते हैं।।


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Sujata Awachat

Oct. 8, 2024   

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Healthy Food Tips: उडीद, मूग, कि तूर कोणत्या डाळीत असते …


Healthy Food Tips: भारतीय आहारात डाळ हा अत्यावश्यक घटक आहे. विविध प्रकारच्या डाळी, जसे की तूर, उडीद, मूग इत्यादींना आपल्या आहारात नियमित स्थान आहे. डाळींमध्ये असणारे प्रोटीन हे आपल्या शरीरासाठी अत्यंत उपयुक्त असते. प्रोटीन आपल्या मांसपेशींच्या बळकटीसाठी आणि शरीराच्या इतर कार्यांसाठी गरजेचे असते.

मात्र, वेगवेगळ्या डाळींमध्ये प्रोटीनचे प्रमाण वेगवेगळे असते. त्यामुळे आहारात कोणती डाळ समाविष्ट करावी, याचा विचार करणे महत्त्वाचे ठरते. चला, आज आपण जाणून घेऊया की तूर, उडीद आणि मूग डाळ यापैकी कोणत्या डाळीत सर्वाधिक प्रोटीन आहे आणि ती आपल्या आहारात कशी उपयुक्त ठरू शकते.

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उडदाची डाळ: प्रोटीनचा सर्वोत्तम स्रोत

उडदाची डाळ प्रोटीनने समृद्ध असलेली एक महत्त्वाची डाळ आहे. 100 ग्रॅम उडदाच्या डाळीत सुमारे 25 ग्रॅम प्रोटीन असते, जे शरीरातील मांसपेशी मजबूत करण्यास उपयुक्त ठरते. याशिवाय, उडदाच्या डाळीत आयर्न आणि फायबर देखील भरपूर प्रमाणात असतात, ज्यामुळे पचन सुधारणे आणि रक्तातील लोहाचे प्रमाण वाढवणे शक्य होते.

 

मूग डाळ: हलकी आणि पोषक

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मूग डाळ पचनासाठी हलकी आणि प्रोटीनचा चांगला स्रोत आहे. 100 ग्रॅम हिरव्या मूग डाळीत सुमारे 24 ग्रॅम प्रोटीन असते, जे मांसपेशींची बळकटी वाढवते आणि शरीराला आवश्यक ऊर्जा देते. यामध्ये असलेल्या अँटीऑक्सीडेंट्समुळे रोगप्रतिकारशक्ती वाढते आणि शरीराचे आरोग्य सुधारते.

 

तूरीची डाळ: भारतीय आहारातील आवडती डाळ

तूरीची डाळ ही भारतीय घरांमध्ये सर्वाधिक वापरली जाणारी डाळ आहे. 100 ग्रॅम तूरीच्या डाळीत सुमारे 22 ग्रॅम प्रोटीन असते. यामध्ये प्रोटीनशिवाय फायबर आणि पोटॅशियमसुद्धा मुबलक प्रमाणात असतात, जे हृदयाच्या आरोग्यासाठी फायदेशीर असते.

(Disclaimer: येथे दिलेली माहिती सामान्य माहितीवर आधारित आहे. कोणत्याही प्रकारच्या आहारात बदल करण्यापूर्वी तुमच्या डॉक्टरांचा सल्ला घ्या.)


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Sajit Tekam

Oct. 6, 2024   

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Walnut Benefits: सकाळी रिकाम्या पोटी अक्रोड खाण्याचे 5 जबरदस्त फायदे


Walnut Benefits: आरोग्यासाठी लाभदायक असणारे ड्रायफ्रूट्स म्हणजे अक्रोड हे अग्रगण्य आहे. यामध्ये असलेली जीवनसत्त्वे, खनिजे, आणि प्रथिने आपल्या शरीराला आवश्यक असणारे पोषक घटक पुरवतात. अक्रोड खाण्याचे महत्त्व विशेषतः सकाळी रिकाम्या पोटी खाल्ल्यास अधिक वाढते. 

अनेक अभ्यासांनी हे सिद्ध केले आहे की अक्रोडचे नियमित सेवन केल्याने हृदय, मेंदू आणि हाडांच्या आरोग्यावर सकारात्मक परिणाम होतो. सकाळी भिजवलेले अक्रोड खाल्ल्याने शरीरातील विविध आजारांपासून दूर राहता येते, तसेच शरीर निरोगी आणि सक्रिय राहण्यास मदत मिळते. चला तर मग जाणून घेऊया, अक्रोड खाल्ल्याने आपल्याला कोणते फायदे होतात आणि कोणत्या आजारांपासून आपण दूर राहू शकतो.

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1. हाडे मजबूत होतात

अक्रोडमध्ये अल्फा-लिनोलेनिक ऍसिड (ALA) नावाचे घटक असतात, जे हाडे मजबूत करण्यासाठी उपयुक्त ठरतात. जर तुमच्या हाडांमध्ये नेहमी दुखत असेल, तर दररोज सकाळी रिकाम्या पोटी 5-6 भिजवलेले अक्रोड खाल्ल्याने हाडांचे आरोग्य सुधारते.

 

2. त्वचेचे आरोग्य सुधारते

अक्रोडमध्ये असलेल्या अँटिऑक्सिडंट्स आणि व्हिटॅमिन बी६ मुळे त्वचा तरुण आणि चमकदार दिसते. नियमित अक्रोड खाल्ल्याने त्वचा मऊ आणि निरोगी राहते. रोज ५-६ अक्रोड खाल्ल्यास तुमची त्वचा अधिक ताजीतवानी दिसेल.

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3. मेंदूचे आरोग्य वाढते

अक्रोडमध्ये ओमेगा-३ फॅटी ॲसिड आणि व्हिटॅमिन ई असते, ज्यामुळे मेंदूचे कार्य सुधारते. अक्रोड खाल्ल्याने मेंदूत रक्ताभिसरण सुधारते, ज्यामुळे ऑक्सिजनचा प्रवाह वाढतो आणि मेंदू अधिक तीव्रतेने कार्य करतो. विसराळूपणापासून मुक्त होण्यासाठी अक्रोड आहारात समाविष्ट करणे उपयुक्त ठरते.

 

4. मधुमेह नियंत्रित करण्यासाठी फायदेशीर

अक्रोड मधुमेहाच्या रुग्णांसाठी अत्यंत फायदेशीर आहे. अक्रोडचे सेवन केल्याने रक्तातील ग्लुकोजची पातळी नियंत्रित राहते, ज्यामुळे टाइप २ मधुमेहाचा धोका कमी होतो. त्यामुळे मधुमेह असलेल्या लोकांनी अक्रोडचे सेवन करावे.

 

5. वजन कमी करण्यात मदत होते

वाढत्या वजनाची समस्या असल्यास अक्रोड तुमच्यासाठी वरदान ठरू शकते. अक्रोडमध्ये प्रथिने आणि फायबर असते, ज्यामुळे तुमची भूक कमी होते आणि वजन कमी करण्यास मदत होते.

 

एका दिवसात किती अक्रोड खावेत?

दररोज सकाळी रिकाम्या पोटी 5-6 भिजवलेले अक्रोड खाल्ल्यास तुम्हाला दिवसभर ऊर्जा मिळेल. भिजवलेले अक्रोड अधिक प्रभावी आणि पचण्यास सोपे असतात, त्यामुळे त्याचे नियमित सेवन आरोग्यासाठी अत्यंत फायदेशीर ठरते.


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Balaghat Bhoomi

Oct. 4, 2024   

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बवासीर (पाइल्स): लक्षण, कारण और उपचार


बवासीर (पाइल्स) के बारे में जानकारी:-


बवासीर या पाइल्स एक सामान्य रोग है, जिसे हिंदी में 'अर्श' भी कहा जाता है। इसमें मलाशय के अंदर या बाहर की नसें सूज जाती हैं और उनमें दर्द, खुजली और खून आना जैसी समस्याएं होती हैं। बवासीर मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है:

 

आंतरिक बवासीर (Internal Piles):

 यह मलाशय के अंदर होती है और इसका दर्द कम होता है, लेकिन इसमें कभी-कभी खून आ सकता है।
बाहरी बवासीर (External Piles): यह गुदा के बाहर होती है और इसमें अधिक दर्द और जलन होती है।


बवासीर के लक्षण:


मल त्याग के समय या बाद में खून आना।
गुदा के पास सूजन या गांठ महसूस होना।
गुदा में खुजली या जलन।
मल त्याग के समय दर्द या असहजता।
गुदा के चारों ओर से खून का बहाव।


बवासीर के कारण:


कब्ज: लगातार कब्ज की स्थिति में जोर लगाकर मल त्यागने से बवासीर हो सकती है।
गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं में वजन बढ़ने और पेट पर दबाव बढ़ने के कारण बवासीर होने की संभावना रहती है।
वजन बढ़ना: मोटापे के कारण भी बवासीर हो सकती है।
लंबे समय तक बैठना: एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठने से भी गुदा पर दबाव बढ़ता है, जिससे बवासीर हो सकती है।
कम पानी पीना: पानी की कमी से कब्ज की समस्या होती है, जो बवासीर का कारण बन सकती है।


बवासीर का घरेलू उपचार:

फाइबर युक्त आहार लें, जैसे हरी सब्जियां, फल, और साबुत अनाज।
पर्याप्त पानी पीएं ताकि कब्ज न हो।
गर्म पानी से बाथ (गर्म पानी में बैठना) लें, इससे दर्द और सूजन में आराम मिलता है।


उपयोगी दवाईयॉ :

दर्द निवारक और सूजन को कम करने वाली क्रीम या मलहम।
कब्ज से राहत देने वाली दवाएं।
सर्जरी (अगर समस्या गंभीर हो जाए तो):बवासीर को काटने या उसे बांधकर गिराने की प्रक्रिया होती है, जिसे सर्जरी द्वारा किया जाता है।


बचाव के उपाय:


नियमित रूप से व्यायाम करें।
अधिक से अधिक फाइबर युक्त आहार खाएं।
कब्ज से बचने के लिए अधिक पानी पिएं।
मल त्याग के दौरान अधिक जोर न लगाएं।
लंबे समय तक बैठे रहने से बचें।
अगर बवासीर की समस्या गंभीर हो या उपरोक्त उपचार से राहत न मिले, तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।


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Savitri Rahandgle

Sept. 29, 2024   

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Mushroom Benefits: मशरूम खाने के 5 जबरदस्त फायदे, जो आपको …


Mushroom Benefits: मशरूम, जिसे हिंदी में खुम्ब भी कहा जाता है, न सिर्फ अपने अद्भुत स्वाद के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होते हैं। इसे दुनिया भर में कई प्रकार के व्यंजनों में शामिल किया जाता है। इस आर्टिकल  में हम मशरूम खाने के 5 प्रमुख फायदों के बारे में बताने जा रहे है जो आपकी सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। तो आइए जानते है.

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1. पोषण का समृद्ध स्रोत

मशरूम में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन D, और B-कॉम्प्लेक्स की उच्च मात्रा होती है। इसके अलावा, इसमें सेलेनियम, पोटेशियम, और आयरन जैसे खनिज भी होते हैं। ये पोषक तत्व शरीर के समुचित विकास के लिए आवश्यक हैं और आपको ऊर्जा प्रदान करते हैं।

 

2. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाना

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मशरूम में एंटीऑक्सीडेंट और बायोएक्टिव यौगिक होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। नियमित रूप से मशरूम का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे आप मौसमी बुखार और अन्य बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि एक साधारण मशरूम आपके स्वास्थ्य को कितना प्रभावित कर सकता है?

 

3. वजन नियंत्रण में सहायक

मशरूम का कैलोरी स्तर कम होता है, जबकि फाइबर की मात्रा अधिक होती है। यह पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे आप अधिक खाने से बचते हैं। यदि आप वजन घटाने के प्रयास में हैं, तो मशरूम एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकता है। सलाद या सब्जी में मशरूम शामिल करना न भूलें!

 

4. दिल की सेहत के लिए फायदेमंद

मशरूम में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता और यह स्वस्थ वसा का स्रोत हैं। इनमें पाए जाने वाले तत्व हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करते हैं। नियमित रूप से मशरूम खाने से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और हृदय संबंधित समस्याओं का खतरा कम होता है। दिल की सेहत के लिए मशरूम को अपनी डाइट में शामिल करें और स्वस्थ रहें!

 

5. कैंसर रोधी गुण

कुछ शोधों से यह पता चला है कि मशरूम में मौजूद फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एंटीऑक्सीडेंट कैंसर से लड़ने में मदद कर सकते हैं। ये मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों से शरीर की कोशिकाओं को बचाते हैं, जिससे कैंसर का खतरा कम होता है। क्या आप जानते हैं कि आपके दैनिक आहार में मशरूम शामिल करके आप अपने स्वास्थ्य को कितना सुधार सकते हैं?

मशरूम न केवल एक स्वादिष्ट व्यंजन हैं, बल्कि इनके अनेक स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल करके आप अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। तो, अगली बार जब आप खाना बनाएं, तो मशरूम को न भूलें और इनके फायदों का लाभ उठाएं!


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Savitri Rahandgle

Sept. 27, 2024   

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Wellhealth Ayurvedic Health Tips: सरसों के तेल में सेंधा नमक …


Wellhealth Ayurvedic Health Tips: क्या आप जानते हैं कि सरसों का तेल और सेंधा नमक मिक्स करके इस्तेमाल करने से आपकी कई स्वास्थ्य समस्याएं दूर हो सकती हैं? यह न सिर्फ दांतों और मसूड़ों के लिए फायदेमंद है, बल्कि शरीर की मांसपेशियों से लेकर दिल तक, कई परेशानियों का समाधान भी है। आइए जानें, सरसों के तेल और सेंधा नमक से होने वाले इन पांच प्रमुख फायदों के बारे में.

 

1. दांतों की समस्या को करे कम

सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर मसाज करने से दांतों से प्लाक और दाग हटाने में मदद मिलती है। सेंधा नमक एक प्राकृतिक अपघर्षक है, जो दांतों की सफाई कर उन्हें मजबूत बनाता है।

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2. मसूड़ों की सूजन दूर करे

मसूड़ों में सूजन की समस्या हो तो सरसों के तेल और सेंधा नमक का मिश्रण फायदेमंद हो सकता है। नमक की एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन कम करने में मदद करते हैं, वहीं सरसों का तेल मसूड़ों में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है।

 

3. मुंह के बैक्टीरिया को नष्ट करे

सरसों का तेल और सेंधा नमक, दोनों ही एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होते हैं। यह मिश्रण मुंह में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करता है और आपके दांतों को स्वस्थ रखता है।

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4. मांसपेशियों की ऐंठन कम करे

सेंधा नमक में मैग्नीशियम की उच्च मात्रा होती है, जो मांसपेशियों की ऐंठन को कम करने में सहायक होती है। सरसों के तेल के साथ इसका उपयोग करने से मांसपेशियों का दर्द और ऐंठन कम हो सकता है।

 

5. दिल को स्वस्थ बनाए

सरसों के तेल में मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जो दिल को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं। यह ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में भी सहायता करता है, जिससे हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है।


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Savitri Rahandgle

Sept. 24, 2024   

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Health tips: भिंडी के फायदे और नुकसान, जानें किन लोगों …


Health tips: दुनिया में विभिन्न प्रकार की सब्जियां हैं, जो पोषक तत्वों और विटामिन्स से भरपूर होती हैं। इनका सेवन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। ऐसी ही एक सब्जी है भिंडी, जो सेहत के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती है। इसमें विटामिन, खनिज और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं, जो पाचन में मदद करते हैं, वजन घटाने में सहायक होते हैं, और रक्त शर्करा को नियंत्रित करते हैं। हालांकि, कुछ लोगों के लिए इसका सेवन हानिकारक हो सकता है। आइए जानते हैं, किन लोगों को भिंडी का सेवन नहीं करना चाहिए।

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भिंडी खाने के लाभ

  1. पोषक तत्वों से भरपूर:
    भिंडी में विटामिन सी, फोलेट, मैग्नीशियम और पोटेशियम प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शरीर के विभिन्न कार्यों को सही ढंग से चलाने में मदद करते हैं।
  2. पाचन में मददगार:
    भिंडी में मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है और पेट की समस्याओं से बचाता है। यह पेट की नियमितता को बनाए रखने में सहायक होती है।
  3. वजन घटाने में सहायक:
    कम कैलोरी वाली भिंडी वजन घटाने वाले आहार में एक अच्छा विकल्प हो सकती है। यह आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराती है, जिससे अतिरिक्त कैलोरी का सेवन कम होता है।
  4. रक्त शर्करा नियंत्रण:
    भिंडी में ऐसे गुण होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी हो सकती है।

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इन लोगों को नहीं खानी चाहिए भिंडी?

  1. एलर्जी वाले व्यक्ति:
    कुछ लोगों को भिंडी से एलर्जी हो सकती है। ऐसे लोगों में खुजली, सूजन, चकत्ते और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। अगर आपको भिंडी से एलर्जी है, तो इसे खाने से बचें।
  2. पाचन संबंधी समस्याओं वाले लोग:
    अगर आपको कब्ज, दस्त या चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम (IBS) की समस्या है, तो भिंडी में मौजूद उच्च फाइबर सामग्री आपकी परेशानी को बढ़ा सकती है। ऐसे में भिंडी के सेवन से बचना चाहिए।
  3. मधुमेह रोगी:
    भिंडी रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकती है। यदि आप मधुमेह की दवा ले रहे हैं, तो भिंडी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
  4. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएँ:
    गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भिंडी का सेवन करने से पहले चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए, ताकि कोई जोखिम न हो।

निष्कर्ष:
भिंडी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है। अगर आपको किसी प्रकार की एलर्जी है या पाचन संबंधी समस्या है, तो भिंडी से बचें और अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले.

 


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Sujata Awachat

Sept. 23, 2024   

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Wellhealth Ayurvedic Health Tips: नाश्त्यात 'या' एका गोष्टीचा करा समावेश, …


Wellhealth Ayurvedic Health Tips: मोड आलेल्या कडधान्यांमध्ये भरपूर पोषक तत्व असतात. नियमितपणे त्यांचं सेवन आरोग्यासाठी फार फायदेशीर ठरतं. एक्सपर्ट्सनुसार, जर तुम्ही रोज सकाळी नाश्त्यात मोड आलेले कडधान्य खाल तर शरीराला खूप फायदे मिळतील.

हे कडधान्य पोटासाठी खूप फायदेशीर असतात आणि यामुळे गंभीर आजारांचा धोकाही कमी होतो. मोड आलेले कडधान्य सुपरफूड मानले जातात, जे तुम्हाला दिवसभर एनर्जी वाढवण्यास मदत करतात.

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पोषणाचा खजिना - मूग

मूग फार पौष्टिक मानले जातात. यात व्हिटॅमिन ए, बी, सी आणि ई चं प्रमाण अधिक असतं. सोबतच पोटॅशियम, आयरन, कॅल्शियम यांमुळे मूग शरीरात कॅलोरीज वाढवणारे ठरत नाहीत. मोड आलेल्या मुगाचं सेवन केल्यास शरीरात केवळ 30 कॅलोरी आणि 1 ग्रॅम फॅट पोहोचतात.

यामध्ये मॅग्नेशिअम, कॉपर, फोलेट, रायबोफ्लेविन, फायबर आणि पोटॅशियम सारखी पौष्टिक तत्वे असतात. याचे अनेक फायदे आपल्या शरीराला होतात.

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1) ब्लड ग्लूकोज कमी करणे

मोड आलेले मूग खाल्यास इन्सुलिन लेव्हल वाढते, ज्यामुळे ब्लड ग्लूकोज नियंत्रणात राहतो. याने डायबिटीसची समस्या कमी करण्यास मदत होते.

2) रोगप्रतिकार शक्ती वाढवणे

मूगातील पोषक तत्वांमुळे रोगप्रतिकारक शक्ती वाढते. अ‍ॅंटी-मायक्रोबियल आणि अ‍ॅंटी-इंफलामेंट्री गुण शरीराची रोगप्रतिकारक शक्ती वाढवतात.

3) पचनक्रिया चांगली राहणे

मोड आलेले मूग शरीरातील टॉक्सिन्स कमी करतात. याचे सेवन केल्यास पचनक्रिया नेहमी चांगली राहते आणि पोटासंबंधी आजार कमी होतात.

4) त्वचेवर येतो ग्लो

मूगामध्ये सायट्रोजन असतात, जे शरीरात कोलेजन आणि एलास्टिन कायम ठेवतात, ज्यामुळे चेहरा चमकदार राहतो.

5) पोटदुखीपासून आराम

मोड आलेल्या मूगात फायबरचं प्रमाण अधिक असतं, ज्यामुळे पोटदुखी आणि बद्धकोष्ठतेची समस्या कमी होते.

दिवसभर एनर्जेटिक राहण्यासाठी, सकाळच्या नाश्त्यात मोड आलेले मूग समाविष्ट करा. हे आपल्या आरोग्यासाठी फायद्याचे ठरतील.


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Savitri Rahandgle

Sept. 21, 2024   

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Wellhealth Ayurvedic Health Tips: दही में नमक डालकर खाने से …


Wellhealth Ayurvedic Health Tips: आजकल की तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में हर व्यक्ति चुस्त-दुरुस्त और स्वस्थ रहना चाहता है, लेकिन व्यस्तता के चलते लोग अपने स्वास्थ्य और खान-पान पर ध्यान नहीं दे पाते। सही खाने की आदतों की कमी से शरीर में कई बीमारियां घर कर जाती हैं, जिनका हमें पता भी नहीं चलता। आज हम आपको एक ऐसी आदत के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है – दही में नमक मिलाकर खाना।

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दही क्यों है स्वास्थ्यवर्धक?

भारतीय रसोई में दही का महत्व बहुत अधिक है। इसे भोजन के साथ पकोड़े, रायता और खिचड़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दही केवल स्वादिष्ट ही नहीं, बल्कि एक अद्भुत आयुर्वेदिक औषधि भी है। आयुर्वेद के अनुसार, दही पाचन तंत्र को सुधारता है और पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है।

 

दही में नमक मिलाने का नुकसान

बहुत से लोग दही में नमक मिलाकर खाना पसंद करते हैं, लेकिन यह आदत सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार, दही में मौजूद जीवित बैक्टीरिया शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। जब दही में नमक मिलाया जाता है, तो यह बैक्टीरिया मर जाते हैं, जिससे दही के सारे स्वास्थ्यवर्धक गुण समाप्त हो जाते हैं।

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दही को कैसे खाना चाहिए?

आयुर्वेद में बताया गया है कि दही को मीठी चीजों के साथ खाना चाहिए, जैसे कि चीनी, गुड़, बूरा या मिश्री। ये पदार्थ दही में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ाते हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया बेहतर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। भगवान श्रीकृष्ण भी मिश्री के साथ दही खाना पसंद करते थे, और यह संयोजन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है।

 

दही और आयुर्वेद

दही को आयुर्वेद में जीवाणुओं का घर माना गया है। एक कप दही में करोड़ों जीवाणु होते हैं, जो हमारे शरीर में जाकर पाचन को बेहतर बनाते हैं। इसलिए दही में नमक मिलाने से बचें और इसे हमेशा मीठे के साथ ही खाएं ताकि इसके गुण सुरक्षित रहें और आपकी सेहत को फायदा पहुंच सके।


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Nikhil Alam

Sept. 20, 2024   

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Helth Tips:- Papaya Leaf In Dengue :- डेंगू मे किस …


Helth Tips:- डेंगू का प्रकप जब भी फलता है लोगो की चिंता बट जाती है. डेंगू मे शरीर के प्लेटलेट खाऊन तेजी से कम होने लगते है जिसे मरीज की हालत गंभीर हो सकती है.

भारत के कही राज्य से इस बदलते समोर डेंगू के मामले सामने आ रहे है. इसका प्रकल्प जब भी फलता है लोगो की चिंता है भी बढ जाती है डेंगू मे शरीर के प्लेटलेट से कम होने लगते है. जिसे मरीज की हालत गंभीर हो सकती है हालकी इस समस्या का एक नॅचरल समाधान पप्पी दे के पत्तो मे पाया गया है पप्पी दे के पत्तो का सही तरीके से इस्तमाल करके प्लेटलेट की संख्या कोणती से बडे जा सकता है जिसे मैच की रिकवरी मे मदत मिलती है.

डेंगू वायरस जब शरीर में प्रवेश करता है तो शरीर के प्लेटलेट काउंट पर इस्का सिधा असर पडता है प्लेटलेट की संख्या सामान्यता: 1.5 से 4.5 लाख प्रति माइक्लो लिटर होती है लेकिन डेंगू के कारण जनसंख्या तेजी से गिरने लगती है जब प्लेटलेट की संख्या 20 हजार से भी कम हो जाती है तो स्थिती भेहद गंभीर हो जाती है ऐसे मे मरीज को तत्काल मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है और प्लेटलेट बढाने के उपाय किये जाने जरुरी होते है

पपीते के पत्तो का महत्व:- पप्पी दे के पत्तो का रस प्राकृतिक उपचार के रूप मे डेंगू के मरजो के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है पप्पी दे के पत्तो मे मौजूद कारपेंट नाम कंपाऊंड प्लेटलेट की संख्या बढाने मे मदत करता है यह शरीर के इम्युन सिस्टम को भी बढता है जिसे जिसे स्वस्त हो सकता है साथी पप्पी दे के पत्तो मे विटामिन विटामिन सी और एनटी एक्सीडेंट होते है जो शरीर को डेंगू से लढणे मे ताकद देते है 

कैसे करे पप्पी दे के पत्ते का इस्तेमाल 

1. पपीते के पत्तो का जूस :- पप्पी दे के पत्ते को धोकर साफ कर ले और फिर उन्हे पीस का रस निकाले रोजाना 1-2 चंमत पप्पी दे के पत्तो का ताजा रस पीने से प्लेटलेट की संख्या मे तेजी से बडोत्री हो सकती है इसे दिन मे दो बार सेवन करे सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले.


2. पपीते के पत्तों का काढ़ा:- पपीते के पत्तों को उबालकर काढ़ा भी तैयार किया जा सकता है. इसके लिए 4-5 पत्तों को पानी में डालकर उबाल लें. जब पानी आधा रह जाए, तो इसे छानकर थोड़ा ठंडा होने दें और फिर पी लें. यह काढ़ा डेंगू के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होता है.

 3. पत्तों का पेस्ट:- पपीते के पत्तों का पेस्ट बनाकर भी इसे सेवन किया जा सकता है. पत्तों को पीसकर इसका पेस्ट तैयार करें और रोजाना 1 चम्मच पेस्ट खाने से प्लेटलेट्स में सुधार हो सकता है.

ध्यान रखने योग्य बातें:- पपीते के पत्तों का सेवन करते समय ध्यान रखें कि इन्हें ताजा ही इस्तेमाल किया जाए. पत्तों का रस या काढ़ा हमेशा ताजा बनाकर ही पिएं, क्योंकि इसमें मौजूद पोषक तत्व ताजगी में ही ज्यादा असरकारी होते हैं.
- गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से ग्रसित व्यक्ति पपीते के पत्तों का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
- यदि प्लेटलेट्स की संख्या 20,000 से भी कम हो जाती है, तो केवल घरेलू उपायों पर निर्भर न रहें. इस स्थिति में तत्काल अस्पताल के पास ले जाएं.


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Vaingangavarta19

Sept. 19, 2024   

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लिटील हार्ट्स विद्यालयात ‘एक झाड आईच्या नावे "अंतर्गत वृक्षारोपण


लिटील हार्ट्स विद्यालयात ‘एक झाड आईच्या नावे "अंतर्गत वृक्षारोपण

आष्टी:- 
येथील लिटील हार्ट्स इंग्लिश मिडीयम हॉयस्कूल येथे केंद्रीय जल आयोग, नागपूर विभाग निवली वैनगंगा उपप्रभाग चंद्रपूर यांच्या सौजन्याने CWC आष्टी द्वारा ‘एक झाड आईच्या नावे "अभियान अंतर्गत वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित करण्यात आला. या उपक्रमाचा एक भाग म्हणून विद्यालयात २० झाडे लावण्यात आली 
यावेळी विद्यार्थ्यांना संबोधित करतांना ज्यू. व्यवस्थापक मो. आसिफ यांनी वृक्ष लागवडीचे महत्व पटवून दिले व अश्याप्रकारच्या उपक्रमामध्ये सक्रियपणे सहभाग होण्यासाठी प्रोत्साहित केले. पर्यावरण विषयक जागरुकता वाढविण्यासाठी विद्यार्थ्यांमध्ये वृक्षरोपणाचे महत्व पटवून देणे काळाची गरज आहे. पर्यावरण संवर्धनासाठी भविष्यात वृक्षरोपनाबरोबरच इतर पर्यावरण पूरक उपक्रम विद्यालयात राबविणे अतिशय महत्वाचे आहे. यासाठी सर्व शिक्षक व विद्यार्थ्यांनी अश्या उपक्रमामध्ये सक्रियपणे सहभागी व्हावे असे आवाहन केले आहे. 
यावेळी CWC आष्टी येथील ज्यु. इंजिनियर मो. आसिफ, बी. शामकुमार (OBE), बी. शंकर सहा. कुशल कर्मचारी, प्रफुल चतुर, टेमाजी बांगरे, पियुष पोत्राजवार, चेतन बेल्कीवार, तसेच विद्यालयाचे मुख्याध्यापक  कृष्णमूर्ती गादे, सचिव रमेश आरे तसेच शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित होते.


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Savitri Rahandgle

Sept. 19, 2024   

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Weight Loss Tips: रोज सुबह इस ड्रिंक का सेवन करने …


Weight Loss Tips: आजकल मोटापे की समस्या से कई लोग परेशान हैं, खासकर उनकी पेट की चर्बी से। इसके पीछे का मुख्य कारण अनियमित दिनचर्या, कम शारीरिक गतिविधि और जंक फूड का अत्यधिक सेवन है। वहीं, कुछ लोग अपने वजन को लेकर सतर्क होते हैं, जबकि कई लोग पेट की चर्बी कम करने की कोशिश में लगे रहते हैं, फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिलती।

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अगर आप भी अपने बढ़ते पेट की चर्बी से परेशान हैं और इसे कम करना चाहते हैं, तो हम आपको एक बेहद आसान और असरदार उपाय बताएंगे। खास बात यह है कि इसके लिए आपको किसी दवाई का सहारा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस प्राकृतिक उपाय से आप कुछ ही दिनों में अपने मोटापे को नियंत्रित कर सकते हैं।

इस उपाय में मुख्य भूमिका निभाता है "चिया सीड्स"। चिया बीज एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो न केवल वजन कम करने में मदद करते हैं बल्कि शरीर के लिए भी लाभकारी होते हैं। इसका सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है और इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं। आइए जानते हैं इसका सही तरीके से कैसे उपयोग करना है।

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चिया सीड्स से पेट की चर्बी कम करने का तरीका

  1. सबसे पहले बाजार से चिया बीज खरीद लें।
  2. दो चम्मच चिया बीज लें और इसे एक गिलास पानी में पांच मिनट के लिए भिगो दें।
  3. अब इसमें एक ताजा नींबू का रस निचोड़ें।
  4. इस मिश्रण को रोज सुबह खाली पेट पिएं।

लगातार एक महीने तक इस नुस्खे को अपनाने से आपका वजन 5 से 8 किलो तक कम हो सकता है। साथ ही, मोटापे से जुड़ी अन्य समस्याएं भी दूर हो सकती हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं, जिससे आप इसे निश्चिंत होकर अपना सकते हैं।

निष्कर्ष
चिया बीज और नींबू का यह नुस्खा प्राकृतिक, सुरक्षित और प्रभावी तरीका है, जिससे आप बिना किसी दवाई के पेट की चर्बी कम कर सकते हैं। अगर आप नियमित रूप से इसका सेवन करेंगे, तो यकीनन आपको अपने मोटापे से छुटकारा मिलेगा।