भामरागड: येथील ग्रामीण रुग्णालयात तीन प्रशिक्षणार्थी परिचारिकांची सहकारी कर्मचाऱ्यांकडूनच छेड काढण्यात आल्याचा धक्कादायक प्रकार १३ नोव्हेंबरला उजेडात आला. त्यामुळे एकच खळबळ उडाली आहे.
नव्याने भरती झालेल्या परिचारिकांना प्रशिक्षणार्थी म्हणून विविध आरोग्य केंद्रांत पाठविण्यात आले आहे. त्यानुसार भामरागड ग्रामीण रुग्णालयात पाठविलेल्या तीन परिचारिकांसोबत हा किळसवाणा प्रकार घडल्याने संतापाची लाट पसरली आहे. या परिचारिकांनी ग्रामीण रुग्णालयातील महिला तक्रार निवारण समितीसह वैद्यकीय अधीक्षकांकडे तक्रार केली. त्यानंतर त्यांनी याची गंभीर दखल घेत तिघांनाही ग्रामीण रुग्णालयातून कार्यमुक्त करून जिल्हा रुग्णालयाच्या आस्थापनेकडे पाठवले आहे. या तिघांवर काय कारवाई होते, याकडे आरोग्य वर्तुळाचे लक्ष वेधले आहे.
भामरागड येथील घटनेची गंभीर दखल घेतली आहे. यासंदर्भात कार्यालयीन तक्रार निवारण समितीमार्फत चौकशी करून अहवाल मागवला आहे. त्यानुसार योग्य ती कार्यवाही केली जाईल. कोणाचीही गय केली जाणार नाही.
-डॉ. माधुरी किलनाके,
जिल्हा शल्यचिकित्सक
यांच्याविरुद्ध आहे तक्रार प्रयोगशाळा तंत्रज्ञ
एका परिचारिकेच्या तक्रारीनुसार, २१ सप्टेंबर २०२४ रोजी तिला खांद्यावरहात ठेवून कानात मला तू आवडते,असे म्हटला.
कनिष्ठ लिपिक खोकल्याचे औषध मागण्याच्या बहाण्याने परिचारिकेला बोलावून घेतले. त्यानंतर जवळ खुर्चीत बसवून आक्षेपार्ह संभाषण केले. १० नोव्हेंबर २०२४ला ही घटना घडली.
वैज्ञानिक सहाय्यक
प्रशिक्षणार्थी विद्यार्थिनीस फोन करून १३ नोव्हेंबर २०२४ रोजी तू साडीवर खूप छान दिसते, असे म्हटला.
Wellhealth Ayurvedic Health Tips: सर्दियों के मौसम में मूली का सेवन काफी बढ़ जाता है। यह न सिर्फ स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। मूली में विटामिन्स, मिनरल्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मूली कुछ चीजों के साथ खाना आपके शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है?
आइए जानते हैं कि मूली के साथ किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए:
आयुर्वेद के अनुसार, मूली और करेला एक साथ नहीं खाने चाहिए। इन दोनों का मिश्रण पेट के लिए सही नहीं होता। मूली और करेला का सेवन शरीर में गर्मी बढ़ा सकता है, जिससे पेट में गड़बड़ी, दिल की धड़कन की समस्या, या सांस लेने में परेशानी हो सकती है। अगर घर में करेला बने, तो उस दिन मूली का सेवन न करें।
मूली खाने के बाद तुरंत चाय पीना सही नहीं होता। चाय की तासीर मूली के विपरीत होती है, जिससे पाचन पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, मूली खाने के बाद कम से कम 1-2 घंटे चाय से परहेज करें।
मूली और दूध दोनों की तासीर अलग-अलग होती है। इन दोनों का एक साथ सेवन करने से पेट में अपच, जलन और एसिडिटी हो सकती है। इसलिए, इन दोनों को एक साथ खाने से बचें और कुछ घंटे का अंतराल रखें।
मूली और संतरे का सेवन भी एक साथ नहीं करना चाहिए। संतरे में विटामिन C और एसिड की मात्रा अधिक होती है, जो मूली के साथ मिलकर पेट की समस्याएं जैसे कब्ज, गैस और ब्लोटिंग का कारण बन सकती है।
मूली के साथ खट्टे फल जैसे नींबू या अमरूद का सेवन भी पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है। इनका मिश्रण एसिडिटी और पेट में गड़बड़ी का कारण बन सकता है, इसलिए इनसे बचें।
चाय हमारे रोज़मर्रा के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई है। चाहे सुबह की शुरुआत हो, शाम की थकान मिटानी हो, या दोस्तों के साथ समय बिताना हो – चाय हर पल को खास बनाती है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि आपकी पसंदीदा चाय का आपकी सेहत पर कैसा असर होता है? इस लेख में हम जानेंगे *चाय पीने के फायदे और नुकसान*, ताकि आप इसके बारे में पूरी जानकारी ले सकें।
चाय पीने के 5 बड़े फायदे
1. एंटीऑक्सीडेंट्स का बेहतरीन स्रोत
चाय में कैटेचिन और फ्लेवोनोइड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं। यह एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को जवां और शरीर को स्वस्थ रखते हैं।
2. मानसिक ताजगी और फोकस में सुधार
चाय में मौजूद कैफीन मानसिक स्फूर्ति लाने में सहायक है। एक कप चाय आपके ध्यान और एकाग्रता को बेहतर बनाता है, जिससे आपका काम अधिक प्रभावी हो जाता है।
3. वजन घटाने में मददगार
ग्रीन टी जैसे चाय के प्रकार मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर वजन कम करने में सहायक होते हैं। ग्रीन टी का नियमित सेवन वजन प्रबंधन में मदद कर सकता है।
4. दिल के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी
नियमित रूप से चाय पीने से कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित रहता है, जो दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करता है। यह दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है।
5. पाचन में सुधार
अदरक या पुदीना वाली चाय पाचन को बेहतर करती है। इससे गैस, पेट में भारीपन और अन्य पाचन समस्याओं में राहत मिलती है।
चाय पीने के नुकसान
1. कैफीन की लत का खतरा
चाय में कैफीन की मात्रा होती है, जो अधिक मात्रा में लेने से लत लग सकती है। इससे अनिद्रा, घबराहट और चिंता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
2. खाली पेट पीने पर एसिडिटी
अगर आप खाली पेट चाय पीते हैं, तो यह एसिडिटी का कारण बन सकती है। पेट में जलन और गैस की समस्या हो सकती है, खासकर दूध वाली चाय से।
3. आयरन अवशोषण में कमी
चाय में टैनिन्स होते हैं, जो शरीर में आयरन अवशोषण को कम करते हैं। इसलिए खाने के तुरंत बाद चाय पीने से बचें, खासकर अगर आप एनीमिया से ग्रस्त हैं।
4. दांतों पर दाग
नियमित रूप से चाय पीने से दांतों पर पीले दाग पड़ सकते हैं। टैनिन्स के कारण दांतों का रंग बिगड़ सकता है, जिससे आपकी मुस्कान फीकी पड़ सकती है।
5. गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी
गर्भवती महिलाओं को चाय की अधिक मात्रा से बचना चाहिए, क्योंकि कैफीन का अधिक सेवन गर्भस्थ शिशु के विकास पर असर डाल सकता है।
निष्कर्ष
चाय का सही तरीके से सेवन कई फायदे पहुंचा सकता है। संतुलित मात्रा में चाय पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन इसकी अधिकता नुकसानदेह हो सकती है। ग्रीन टी, हर्बल टी, या लेमन टी जैसे कम कैफीन वाले विकल्प आज़माएं, ताकि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें।
पेन स्टेट के शोधकर्ताओं ने पाया कि 1950 के दशक से मीठे पानी के वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा बढ़ रही है, जिसका संबंध वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन से है। अध्ययन ने चार पेंसिल्वेनिया वाटरशेड से तलछट कोर की जांच की और पाया कि जनसंख्या घनत्व या भूमि उपयोग और उच्च माइक्रोप्लास्टिक स्तरों के बीच कोई संबंध नहीं है। हालांकि, 2010 तक प्रत्येक दशक में माइक्रोप्लास्टिक संचय में वृद्धि हुई और 2010 से 2020 तक इसमें कमी आई, संभवतः पुनर्चक्रण प्रयासों में वृद्धि के कारण। प्रदूषण में कमी के लिए प्लास्टिक की खपत और जोखिम को कम करने के तरीके खोजना महत्वपूर्ण है
Benefits Of Vicks: सर्दी-खांसी के दौरान विक्स का उपयोग तो आम बात है, लोग अक्सर इसे छाती और सिर पर लगाते हैं ताकि आराम मिले और नींद अच्छी आए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विक्स का इस्तेमाल शरीर के अन्य हिस्सों पर करके भी स्वास्थ्य लाभ लिया जा सकता है? विशेषज्ञों के अनुसार, यदि विक्स को छाती की बजाय पैरों के तलवों पर लगाकर हल्की मालिश की जाए, तो सर्दी-खांसी जल्दी ठीक हो सकती है।
रात में सोने से पहले पैरों के तलवों पर विक्स लगाने से न केवल राहत मिलती है, बल्कि सुबह आप बेहतर महसूस कर सकते हैं। हालांकि विक्स सर्दी या खांसी का इलाज नहीं है, पर कई लोग इसके इस्तेमाल से अस्थायी आराम पाने का दावा करते हैं। उनका मानना है कि विक्स से तलवों की मालिश के बाद खांसी, अस्थमा, सर्दी जैसे लक्षणों में भी आराम महसूस होता है।
मालिश के बाद पैरों को मोजे से ढक लेना चाहिए ताकि विक्स पूरी रात अपना असर दिखा सके। हालांकि वैज्ञानिक इस उपचार को प्रमाणित नहीं मानते, लेकिन बहुत से लोग बच्चों के लिए इसे फायदेमंद मानते हैं। मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि यह घरेलू नुस्खा तनाव कम करने में सहायक हो सकता है।
ध्यान देने की बात यह है कि विक्स का यह तरीका केवल शुरुआती लक्षणों में ही लाभकारी है और इसे मुख्य इलाज का विकल्प नहीं माना जा सकता। खासकर बच्चों पर इस नुस्खे का उपयोग करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतना जरूरी है ताकि किसी भी प्रकार की समस्या से बचा जा सके।
आरमोरी विधानसभा क्षेत्राचे माजी आमदार हरिरामजी वरखडे यांचे आज 2 नोव्हेंबर रोजी रात्री 9 वाजता दरम्यान नागपूर येथील एका खाजगी रुग्णालयात उपचारदरम्यान निधन झाले .
सुरवातीला शिक्षकी पेशात असतांना झाडीपट्टी रंगभूमी च्या माध्यमातून अनेक भूमिका साकारलेले वरखेडे गुरुजी जनमाणसात अत्यंत लोकप्रिय होते.त्यांची लोकप्रियता बघून शिवसेनेने 1990 मध्ये त्यांना आरमोरी विधानसभा क्षेत्रातून उमेदवारी दिली. त्यावेळी त्यांनी तब्बल 36 हजार 528 मते घेत विजयी पताका फडकविली होती. 1990 ते 1995 च्या दरम्यान गडचिरोली जिल्ह्यात शिवसेनेचे पहिले आमदार होण्याचा बहुमान त्यांनी पटकविला होता.नंतर ते छगन भुजबळ यांच्यासोबत काँग्रेसवासी झाले होते.
समाजकारण व राजकारणात नेहमीच सक्रिय राहणारे वरखडे गुरुजी अत्यंत सुस्वभावी व मनमिळाऊ होते. कुरखेडा, कोरची सह आरमोरी विधानसभा क्षेत्रातील दुर्गम भागात त्यांनी गोरगरीब आदिवासी विद्यार्थ्यांसाठी शिक्षणाच्या सोयीसुविधा उपलब्ध करून दिल्या होत्या. काही दिवसापूर्वी त्यांच्यावर यशस्वी हृदय शस्त्रक्रिया देखील झाली होती. मात्र पुन्हा प्रकृती खालावल्याने त्यांच्यावर नागपूर येथे उपचार सुरु होते. मात्र आज 2 नोव्हेंबर रोजी त्यांची प्राणज्योत मावाळली.त्यांच्या पच्छात पत्नी,मुलगी, जावाई, नात व बराच मोठा आप्त परिवार आहे. उद्या त्यांच्या पार्थिवावर मुळगावी जोगीसाखरा येथे सकाळी 11 ते 12 च्या दरम्यान अंत्यसंस्कार करण्यात येणार आहेत.तत्पुर्वी काही वेळासाठी आरमोरी येथे त्यांच्या निवासस्थानी
पार्थिव अंत्यदर्शनासाठी ठेवन्यात येणार आहे.
आरमोरी: जनसेवक ,सर्वसामान्य व्यक्तिमत्व, नटवर्य, उत्कृष्ट नाटककार, तथा शिक्षक ,सर्वांशी मिळून मिसळून राहणारे अष्टपैलू व्यक्तीमहत्व माजी आमदार आदरणीय हरिरामजी आत्मारामजी वरखडे साहेब यांचे वृद्धापकाळाने नागपूर येथे उपचारादरम्यान दिनांक 02 नोहेंबर 2024 ला रात्री 09:00 वा. दु:खद निधन झाले.
*अंत्य विधी दिनांक 03 नोव्हेंबर 2024*
आरमोरी येथील निवासस्थानी त्यांच्या पार्थिववर सकाळी 10:00 वाजेपर्यंत दर्शन.
-सकाळी 10 वा नंतर आरमोरी हून मूळ गाव जोगीसाखरा येथे अंतिम संस्कार करिता अंतिम यात्रा.
-सकाळी 11:00 ते 1:00वाजेपर्यंत जोगीसाखरा येथील मूळ निवासस्थानी अंतिम दर्शन.
-दुपारी 2 वा जोगिसाखरा येथील रामपुरी रोडवरील गाढवी नदी तीरावरील शेतावर (शेतमाऊली) अंतिम संस्कार.
*💐शोकाकुल💐*
वरखडे परिवार तथा समस्त मित्र मंडळी 🙏🏻
आरमोरी:- दि 1/11/2024
दिव्यांग लोकांचे जीवन सुलभ करण्यासाठी आणि त्यात सर्वसमावेशकतेला प्रोत्साहन देण्यासाठी तसेच अंधांसाठी असलेल्या आचारनियमांबद्दल जनजागृती करण्यासाठी जगभरात 'पांढरी काठी दिन' पाळला जातो. दृष्टिहीन लोकांसाठी, पांढरी काठी हे स्वातंत्र्याचे आणि गतिशीलतेचे प्रतिनिधित्व करते आणि आता तर ते मुक्ती, स्वातंत्र्य आणि आत्मविश्वास यांचेही प्रतिनिधित्व करते.ही काठी दृष्टिहीन व्यक्तीला मुक्तपणे फिरण्यास आणि आपली दैनंदिन कामे पूर्णत्वास नेण्यास मदत करते. याच काठी दिना निमित्त दृष्ट्रीहीन जनकल्याण बहुउद्देशिय संस्था, बल्लारपुर यांच्या वतीने जागतीक पांढरी काठी दिनाचे आयोजन केमीस्ट भवन आरमोरी, जिल्हा गडचिरोली येथे आयोजित करण्यात आले होते
कार्यक्रमाचे अध्यक्ष म्हणून चंदू वडपल्लीवार सामजिक कार्यकर्ते तथा माजी उपसभापती प स आरमोरी कार्यक्रमाचे उद्घाटक म्हणून विजय लाकडे गर्वहमेंट. कॉन्ट. आरमोरी, प्रमुख अतिथी म्हणून पत्रकार विलास चिलबुले, सतीश शेंडे अध्यक्ष रा. दृ. संघ नागपूर, जिज्ञासा कुबळे चवलढाल संस्थापक अध्यक्ष आत्मदिपम सोसायटी नागपूर, दिलीप गेडाम तालुका अध्यक्ष हे उपस्थित होते.
यावेळी कार्यक्रमात दिवाळी निमित्याने अंध व्यक्तींना पांढऱ्या काठीचे वितरणव अंध व्यक्तीना दिवाळी निमीत्य धान्य स्वरूपाची मदत, गरजु अंध व्यक्तींना वस्त्रभेट देण्यात आली यावेळी तालुक्यातील बहुसंख्य अंध महिला व पुरुष उपस्थित होते मंगला लालसरे कोषाध्यक्ष,प्रमोद धात्रक, अर्चना धात्रक यांची अनेक पदाधिकारी उपस्थित होते.
पीपल के पेड़ पीपल के पेड़ का पौषणिक मूल्य पीपल के पेड़ के स्वास्थ लाभ पीपल के पेड़ के उपयोग पीपल के पेड़ के साइड इफेक्ट & एलर्जी पीपल के पेड़ की खेती
पीपल का पेड़, जिसे बौद्ध धर्म में बोधि सत्व के रूप में भी जाना जाता है, एक प्राचीन काल से अपने आयुर्वेदिक लाभों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कई पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण स्वास्थ्य लाभ की पूरी श्रृंखला प्रदान करता है। यह आपके बुखार को कम करने में मदद कर सकता है और यहां तक कि आपकी ठंड से भी छुटकारा दिला सकता है। यह अस्थमा के इलाज में मदद करता है। यह आंखों के दर्द का इलाज करता है और मौखिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है क्योंकि यह मुंह में बैक्टीरिया और साथ ही दांतों पर दाग को भी खत्म करता है । इसका उपयोग कान के संक्रमण के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। यह पीलिया के लिए एक लोकप्रिय उपचार है। यह पाचन में मदद करता है क्योंकि यह कब्ज का इलाज करता है और पेचिश से तुरंत राहत भी देता है। यह हृदय रोगों को रोकता है और इलाज करता है और मधुमेह रोगियों के लिए भी बहुत अच्छा है क्योंकि यह रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह भारी नकसीर के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
पीपल के पेड़
पीपल के पेड़ को हिंदू और बौद्ध दोनों में एक पवित्र पेड़ माना जाता है। यह अंजीर के पेड़ की एक प्रजाति है और शहतूत परिवार से संबंधित है। इसकी बड़ी पत्तियाँ होती हैं जो औषधीय गुणों से भरी होती हैं, जिससे यह एक ऐसी दवा बन जाती है जिसका उपयोग मुख्यतः चिकित्सा और आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। यहां तक कि इसकी छाल, शाखाओं और जड़ों में औषधीय गुण होते हैं, और इसलिए पौधे के रूप में यह बेहद फायदेमंद है।
पीपल के पेड़ का पौषणिक मूल्य
पीपल के पेड़ का उपयोग मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण किया जाता है कि यह विभिन्न स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह विभिन्न पोषक तत्वों से भरा होता है जैसे कि फ्लेवॉइड्स, टैनिक एसिड, एसपारटिक एसिड, स्टेरॉयड, मेथिओनिन , विटामिन, और ग्लाइसिन । ये बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं और ठीक से लेने पर शरीर के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
पीपल के पेड़ के स्वास्थ लाभ
नीचे उल्लेखित सेब के सबसे अच्छे स्वास्थ्य लाभ हैं
यह बुखार के साथ मदद करता है
पीपल के पेड़ के कई लाभों में से एक यह है कि यह बुखार के इलाज में मदद करता है । यदि आप इस पेड़ से कुछ कोमल पत्तियां लेते हैं और इसे दूध और चीनी के साथ उबालते हैं , तो यह आपको एक शक्तिशाली मिश्रण देगा जो आपको अपने बुखार को कम करने के लिए दिन में कम से कम दो बार पीना चाहिए। यह मिश्रण जुकाम पर भी बहुत अच्छा काम करता है ।
यह अस्थमा का इलाज करता है
अस्थमा एक बेहद खतरनाक समस्या है क्योंकि यह आपकी सांस लेने में बाधा डालती है, जिससे आपके फेफड़ों में और आपके शरीर के अन्य अंगों में ऑक्सीजन को जाने से रोका जा सकता है। अधिकांश शहरों में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा के कारण, अस्थमा एक बहुत ही आम बीमारी बन गई है, खासकर छोटे बच्चों में। यदि आप पीपल के पेड़ की पत्तियों (या उसी का पाउडर संस्करण) का उपयोग करते हैं और इसे दूध में उबालते हैं , तो यह आपको एक मिश्रण देगा जो आप अपने अस्थमा की मदद से दिन में दो बार पी सकते हैं।
यह आंखों के दर्द का इलाज करता है
आँखों का दर्द कई कारणों से हो सकता है। यह बहुत असहज हो सकता है और यहां तक कि अगर यह बहुत बुरा हो तो आपकी आंखों की रोशनी को प्रभावित कर सकता है। पीपल के पत्तों का उपयोग आंखों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। पीपल के पेड़ का दूध, जो पत्तियों से लिया जाता है, आंखों में दर्द के साथ मदद करता है।
यह पीलिया का इलाज कर सकता है
पीलिया एक अत्यंत सामान्य बीमारी है । जब आपको पीलिया होता है, तो आपको एक लंबी भर्ती अवधि से निपटना पड़ता है, और बीमारी के जाने के बाद कम से कम छह महीने के लिए आहार प्रतिबंध। यह बेहद असुविधाजनक होता है। पीपल के पेड़ की मदद से पीलिया का इलाज किया जा सकता है। आप पत्तियों का रस निकाल सकते हैं और इसमें थोड़ी सी चीनी मिला सकते हैं। यदि आप एक दिन में 2-3 बार इस रस को पीते हैं, तो आप अपने पीलिया का इलाज आसानी से कर सकते हैं।
यह कब्ज के साथ मदद करता है
कब्ज सिर्फ एक असुविधाजनक समस्या से अधिक है। यह आपके सिस्टम के भीतर विभिन्न समस्याओं का नेतृत्व करते हैं अगर ठीक से नहीं निपटा है, तो अंत में बवासीर जैसे दर्दनाक स्थितियों को भी जन्म दे सकता है। अपने पाचन तंत्र को नियमित और ठीक से साफ़ करना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपके शरीर के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करता है। यहीं पर पीपल के पेड़ का प्रमुख रूप से इस्तमाल होता है। पीपल के पत्तों को गुड़ और सौंफ के बीज के पाउडर के साथ मिलाया जा सकता है । यह शंखनाद आपके सोने से ठीक पहले दूध के साथ किया जाना चाहिए। यह आपके सिस्टम को साफ करने और कब्ज से राहत प्रदान करने में मदद करेगा।
यह मधुमेह रोगियों की मदद करता है
डायबिटीज एक बेहद खतरनाक बीमारी है। यह भी एक बहुत ही सामान्य बीमारी है और अगर इसे नियंत्रित या कुशलता से प्रबंधित नहीं किया जाता है, तो समस्याओं की कतार हो सकती है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस दवा की शाखा चुनते हैं, सभी डॉक्टर आपको बताएंगे कि मधुमेह से निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तरीका क्या है। पीपल का पेड़ यहां आपकी मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह आपके रक्त में शर्करा को कम करने में आपकी मदद कर सकता है। पीपल का फल, साथ में पीसा हुआ हरिताकी फल पाउडर आप सभी की जरूरत है। यह आपकी रक्त शर्करा को कम करने में आपकी सहायता करेगा।
गडचिरोली जिल्ह्यात कामगार म्हणून आलेल्या इसमास रानटी हत्तीने चिरडले.
सेल्फीचा नाद जीवाच्या अलंगट आला
गडचिरोली, दि. 24 : रानटी हत्ती परिसरात आल्याने त्यासोबत सेल्फी काढण्याचा नाद एका मजुराच्या जीवावर बेतला. रानटी टस्कर हत्तीने हल्ला करीत मजुराला चिरडून जागीच ठार केल्याची घटना गुरुवार 24 ऑक्टोबर रोजी सकाळी 8 वाजताच्या सुमारास चामोर्शी तालुक्यातील आबापूर जंगलामध्ये घडली. श्रीकांत रामचंद्र सतरे, रा. नवेगाव (भु), ता. मूल, जि. चंद्रपूर असे ठार झालेल्या मजुराचे नाव आहे.
गडचिरोली जिल्ह्यात मागील दोन वर्षापूर्वी ओडिशा राज्यातून रानटी हत्तीचा कळप दाखल झाला. जिल्ह्यातील विवध भागात कळपाने मार्गक्रमण करीत शेतपिकांची नासाडी केली तर विविध घटनेत नागरिकांचा हत्तीच्या हल्यात मृत्यू झाला.श्रीकांत सतरे हा आपल्या काही सोबत्यांसह गडचिरोली जिल्ह्यात केबल टाकण्याचे काम करण्याकरिता आला होता. दरम्यान गडचिरोली वनविभागातील कुनघाडा रै. वन परिक्षेत्रांतर्गत आबापूर गाव परिसरातच काम सुरु होते. 23 ऑक्टोबर रोजी चातगाव व गडचिरोली वन परिक्षेत्रातून रानटी टस्कर हत्तीने कुनघाडा रै. वन परिक्षेत्रात प्रवेश केलेला होता. नियत क्षेत्र मुतनूर वनक्षेत्रातील आबापूर जंगलात हत्ती वावरत असल्याची माहिती केबल टाकणाऱ्या मजुरांना मिळाली असता तिघेजण हत्ती पाहायला गुरुवारी सकाळीच गेले होते. हत्ती दूरवर असताना श्रीकांत हा हत्तीसोबत सेल्फी काढण्यात मग्न असताना हत्तीने हल्ला करुन त्याला चिरडले. घटनेच्या वेळी अन्य दोघांनी तेथून पळ काढत आपला जीव कसाबसा वाचविला. जिल्ह्यात आणखी एकाचा रानटी हत्तीच्या हल्यात मृत्यू झाल्याने खळबळ उडाली असून रानटी हत्तीच्या जवळ जावू नये, सेल्फी च नाद करु नये, हत्ती असलेल्या परिसरात प्रवेश करु नये अशा सूचना वारंवार वनविभागामार्फत देण्यात येत आहेत. तरी मात्र काही नागरिक हत्तींना बघण्याकरिता जंगल परिसरात जात असल्याने अशा घटना समोर येत आहे.
Breast Cancer Symptoms: ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है, जो दुनियाभर में महिलाओं के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में जितने भी कैंसर के मामले सामने आते हैं, उनमें 30% से अधिक ब्रेस्ट कैंसर के होते हैं।
यह कैंसर जानलेवा साबित हो सकता है, लेकिन बाकी कैंसर की तुलना में इसके लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं। इसलिए, यदि शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए, तो इसका इलाज संभव है और मौत के खतरे को भी कम किया जा सकता है। यही कारण है कि ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
निपल्स में जलन महसूस होना ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा निपल्स का पीछे की ओर होना, निप्पल पर खुजली या लाल चकत्ते पड़ना भी ब्रेस्ट कैंसर के सामान्य लक्षणों में शामिल है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत स्तन में गांठ बनने से होती है। यदि निपल पर गांठ महसूस हो रही है तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क कर जांच कराएं।
यदि स्तन के आकार में अचानक बदलाव आता है, तो यह ब्रेस्ट कैंसर का संकेत हो सकता है। ब्रेस्ट का चपटा होना, आकार में असमानता, या स्तन का सुडौलपन खोना इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।
अगर स्तन छूने पर दर्द महसूस होता है या अटपटा लगता है, तो यह ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण हो सकता है। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से मिलकर जांच करवाएं।
अगर बिना गर्भावस्था के स्तन से पानी या किसी अन्य प्रकार का पदार्थ निकलता है, तो यह ब्रेस्ट कैंसर के खतरे का संकेत हो सकता है। ऐसे डिस्चार्ज होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें और आवश्यक इलाज करवाएं।
Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई जानकारी विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधित समस्या के लिए विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
Scorpion Bite: दोस्तों बिच्छू का नाम सुनते ही मन में डर का एहसास होता है। यह एक ऐसा जहरीला कीट है जिसका डंक बेहद दर्दनाक और खतरनाक होता है। यदि किसी व्यक्ति को बिच्छू काट ले तो उसे तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसके जहर का असर तेजी से शरीर में फैल सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
ऐसे में कुछ घरेलू उपाय तुरंत किए जाएं तो जहर के असर को कम किया जा सकता है। यहाँ हम आपको बिच्छू के काटने पर जहर को तेजी से उतारने के लिए 5 असरदार घरेलू उपाय बता रहे हैं। तो दोस्तों आइए जानते है.
1. रतालू का उपयोग करें:
बिच्छू के काटने पर रतालू के पत्तों को पीसकर प्रभावित जगह पर लगाएं। सूखे रतालू का पाउडर भी लगा सकते हैं। यह उपाय जहर को जल्दी उतारने में मदद करता है।
2. प्याज का रस और नौसादर का मिश्रण:
प्याज का रस बिच्छू के काटने पर राहत देता है। प्याज के रस में थोड़ी मात्रा में नौसादर मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से जहर का असर कम होता है।
3. इमली का बीज:
कच्चे या सेंके हुए इमली के बीज को बिच्छू के काटने वाली जगह पर लगाने से जहर का असर कम हो जाता है और शरीर में जहर फैलने से भी रुकता है।
4. पुदीना का रस:
पुदीना के रस या उसके पत्तों को चबाने से बिच्छू के काटने का दर्द कम होता है और जहर का प्रभाव भी कम होता है।
5. कच्ची हल्दी:
कच्ची हल्दी को पीसकर गर्म कर लें और बिच्छू के काटे हुए स्थान पर लगाएं। यह उपाय जहर को तेजी से दूर करने में सहायक है।
इन उपायों का उपयोग तुरंत करें, ताकि बिच्छू के जहर का असर शरीर पर न हो। फिर भी, जरूरत पड़ने पर चिकित्सक से संपर्क अवश्य करें।
Benefits Of Cloves: आपल्या रोजच्या जीवनात अनेक वेळा छोट्या-मोठ्या शारीरिक समस्यांना तोंड द्यावं लागतं, ज्यासाठी आपण तात्काळ उपाय शोधत असतो. परंतु, या समस्यांना सोडवण्यासाठी नेहमीच औषधं घेणं योग्य नसतं. काही घरगुती उपाय आपल्या शरीराला आराम देण्यास उत्तम ठरतात.
मोहरीच्या तेलात लवंग मिसळून वापरल्याने अनेक शारीरिक समस्यांवर आराम मिळतो. हा एक सोपा आणि घरगुती उपाय आहे, जो अनेक प्रकारच्या आजारांपासून मुक्तता मिळवण्यासाठी प्रभावी आहे. मोहरीचे तेल आणि लवंग यांची गुणकारी क्षमता एकत्र येऊन शरीरासाठी अनेक फायदे देते. चला जाणून घेऊया त्याचे फायदे आणि प्रक्रिया.
मोहरीच्या तेलात लवंग मिसळून लावल्याने सांधेदुखी आणि सूज कमी होते. लवंगामधील युजेनॉल नावाचं दाहक-विरोधी घटक सूज कमी करण्यात मदत करतं, तर मोहरीचं तेल रक्ताभिसरण सुधारतं. यामुळे वेदना कमी होऊन सांधेदुखीपासून आराम मिळतो.
लवंगाचा वापर दातदुखीच्या उपचारासाठी प्राचीन काळापासून केला जातो. मोहरीच्या तेलात लवंग मिसळून लावल्यास दातांच्या समस्या, जळजळ आणि संसर्ग कमी होतो. हे मिश्रण दातदुखीपासून त्वरीत आराम देतं.
सर्दी, खोकला आणि नाक बंद होण्यासारख्या समस्यांवर मोहरीच्या तेलात लवंग मिसळून लावल्यास फायदा होतो. हे मिश्रण थोडे गरम करून छाती आणि पाठीवर मालिश केल्याने श्वसन संस्थेला आराम मिळतो, आणि नाक उघडण्यास मदत होते.
लवंगामध्ये असलेल्या अँटी-बॅक्टेरियल आणि अँटी-फंगल गुणधर्मांमुळे त्वचेचं संक्रमण रोखलं जातं. मोहरीचं तेलही अँटीसेप्टिक आहे, ज्यामुळे त्वचा स्वच्छ आणि निरोगी राहते. हे मिश्रण त्वचेवरील खाज, जळजळ आणि संसर्गावर उपयोगी आहे.
मोहरीच्या तेलात लवंग मिसळून डोक्याला मसाज केल्यास मायग्रेन आणि डोकेदुखीपासून आराम मिळतो. लवंगातील सुगंधी घटक नसा शांत करतात, तर मोहरीचं तेल रक्ताभिसरण सुधारून तणाव कमी करतं.
केसांच्या मुळांना पोषण देण्यासाठी मोहरीच्या तेलात लवंग मिसळून लावल्यास केस गळण्याची समस्या कमी होते आणि कोंड्यापासून सुटका होते. हे मिश्रण केसांची मुळं मजबूत करून टाळूचं पोषण करतं.
एका छोट्या भांड्यात 2-3 चमचे मोहरीचं तेल घ्या आणि त्यात 4-5 लवंग मिसळा. लवंगं बारीक करून मिक्स कराव्यात किंवा संपूर्ण लवंग तेलात टाकून गरम कराव्या. मिश्रण थंड झाल्यावर त्याचा वापर प्रभावित भागात मालिश करण्यासाठी करा.
याचा वापर करण्यापूर्वी त्वचेच्या लहान भागावर पॅच टेस्ट करून पाहा. जर त्वचा संवेदनशील असेल तर डॉक्टरांचा सल्ला घ्या. गर्भवती महिलांनी आणि लहान मुलांनी याचा वापर डॉक्टरांच्या सल्ल्यानुसार करावा.
मोहरीच्या तेलात लवंग मिसळून लावल्याने शारीरिक समस्यांपासून आराम मिळतो, तसेच हा उपाय सुरक्षित आणि प्रभावी आहे. नियमित वापर केल्याने शरीरातील अनेक आजारांपासून संरक्षण मिळते.
Snake Bite Treatment: दोस्तों सांप का काटना एक गंभीर दुर्घटना है, जो अगर समय पर उपचार न किया जाए तो जानलेवा साबित हो सकता है। सांप काटने की स्थिति में लक्षणों की पहचान और त्वरित उपचार बेहद महत्वपूर्ण है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि अगर किसी को सांप काट ले तो तुरंत क्या करना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। तो आइए जानते है.
जहरीले सांप के काटने से कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे:
इन लक्षणों का समय पर पता लगाना और उचित कदम उठाना जरूरी है।
सांप काटने की स्थिति में सही जानकारी और त्वरित कार्रवाई जान बचाने में मदद कर सकती है। लेकिन ध्यान रखें, ये सभी उपाय सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी बीमारी या संक्रमण के लक्षणों के मामले में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य जानकारी प्रदान करता है और इसे किसी भी चिकित्सकीय सलाह के रूप में न समझें। बीमारी के लक्षणों की स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लेना अनिवार्य है।
परिचय:
सर्दियों के मौसम में सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है। ठंड के दिनों में ऐसे खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है, जो न केवल हमें गर्म रखें बल्कि हमारी इम्युनिटी को भी मजबूत करें। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि सर्दियों में कौन से ड्राई फ्रूट्स खाने चाहिए और उनके लाभ क्या हैं। ये सुझाव आपकी सेहत को बेहतर बनाएंगे और आपको ठंड से सुरक्षित रखेंगे।
1. बादाम (Almonds): सर्दियों में त्वचा और दिमाग का दोस्त
बादाम सर्दियों में आपकी त्वचा को नमी प्रदान करता है और दिमाग को तेज रखता है। इसमें विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो आपकी त्वचा को ठंड में ड्राई होने से बचाते हैं और आपकी इम्युनिटी को भी बढ़ाते हैं।
बादाम के सर्दियों में फायदे:
- त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाए रखता है।
- दिमाग की क्षमता को बढ़ाता है।
- सर्दियों में गर्मी का एहसास देता है।
कैसे खाएं:
रात को 4-5 बादाम भिगोकर सुबह खाएं या दूध के साथ लें।
2. अखरोट (Walnuts): ओमेगा-3 फैटी एसिड का स्रोत
अखरोट सर्दियों में दिल और दिमाग के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं, जो आपके दिल को स्वस्थ रखते हैं और सर्दियों में ठंड से बचाने में मदद करते हैं।
अखरोट के मुख्य फायदे:
- दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
- सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है।
- दिमाग को सक्रिय और तेज रखता है।
कैसे खाएं:
नाश्ते में या स्नैक के रूप में खा सकते हैं।
3. काजू (Cashews): एनर्जी बूस्टर ड्राई फ्रूट
काजू में हेल्दी फैट्स और प्रोटीन होता है, जो सर्दियों में ऊर्जा का अच्छा स्रोत होता है। यह आपको दिनभर एनर्जेटिक रखता है और आपके मेटाबॉलिज्म को भी बढ़ाता है।
सर्दियों में काजू के फायदे:
- एनर्जी लेवल को बढ़ाता है।
- हड्डियों को मजबूत बनाता है।
- मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।
कैसे खाएं:
काजू को स्नैक के रूप में या डेसर्ट्स में इस्तेमाल करें।
4. किशमिश (Raisins): इंस्टेंट एनर्जी प्रोवाइडर
किशमिश आपके खून के सर्कुलेशन को सुधारता है और शरीर को तुरंत एनर्जी प्रदान करता है। इसमें आयरन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है।
किशमिश के फायदे:
- खून के प्रवाह को बेहतर बनाता है।
- सर्दियों में तुरंत एनर्जी प्रदान करता है।
- मेटाबॉलिज्म को सुधारता है।
कैसे खाएं:
रात को भिगोकर सुबह खाएं या नाश्ते में शामिल करें।
5. खजूर (Dates): फाइबर और प्राकृतिक मिठास
सर्दियों में खजूर का सेवन शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ पाचन को भी सही रखता है। इसमें प्राकृतिक शुगर और फाइबर होता है, जो आपको तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है।
खजूर के मुख्य फायदे:
- शरीर को सर्दियों में गर्म रखता है।
- तुरंत एनर्जी प्रदान करता है।
- पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
कैसे खाएं:
खजूर को दूध के साथ लें या स्नैक के रूप में खाएं।
6. अंजीर (Figs): फाइबर-युक्त और इम्यून-बूस्टिंग
अंजीर फाइबर का बेहतरीन स्रोत है, जो आपके पाचन को सुधारता है और सर्दियों में आपकी इम्युनिटी को बढ़ाता है। यह शरीर को डिटॉक्सीफाई भी करता है।
अंजीर के फायदे:
- पाचन स्वास्थ्य को सुधारता है।
- सर्दियों में इम्यूनिटी को मजबूत करता है।
- शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।
कैसे खाएं:
रात को भिगोकर या नाश्ते में शामिल करें।
7. पिस्ता (Pistachios): स्वादिष्ट और स्वास्थ्यप्रद विकल्प
पिस्ता में फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो सर्दियों में मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं और आपको स्वस्थ एवं सक्रिय रखते हैं।
पिस्ता के मुख्य फायदे:
- वजन नियंत्रण में मदद करता है।
- सर्दियों में मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।
- आपको सक्रिय और एनर्जेटिक बनाए रखता है।
कैसे खाएं:
स्नैक के रूप में या डेसर्ट्स में मिलाकर खाएं।
8. खुबानी (Apricots): त्वचा और इम्यूनिटी का रक्षक
सर्दियों में खुबानी खाने से त्वचा को नमी मिलती है और यह विटामिन A और C का अच्छा स्रोत होता है, जो आपकी त्वचा को सर्दियों में हाइड्रेटेड रखता है और इम्युनिटी को मजबूत करता है।
खुबानी के फायदे:
- त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है।
- इम्युनिटी को बूस्ट करता है।
- शरीर को सर्दियों में फिट बनाए रखता है।
कैसे खाएं:
खुबानी को स्नैक के रूप में या डेसर्ट्स में शामिल करें।
निष्कर्ष:
सर्दियों में ड्राई फ्रूट्स का सेवन आपको न केवल गर्मी प्रदान करता है, बल्कि आपकी इम्युनिटी को भी मजबूत करता है और पाचन तंत्र को सुधारता है। इस आर्टिकल में बताए गए ड्राई फ्रूट्स को अपने डेली डाइट में शामिल करके, आप सर्दियों में बीमार पड़ने की संभावना को कम कर सकते हैं और अपने दिन को एनर्जेटिक बना सकते हैं।
Wellhealth Ayurvedic Health Tips: फटी एड़ियों की समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे शरीर में पोषक तत्वों की कमी, अत्यधिक काम, स्किन संबंधी समस्याएं, मौसम में बदलाव या स्किन का अत्यधिक सूखा होना। अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया, तो यह समस्या गंभीर हो सकती है और दर्द के साथ खून भी निकल सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार, फटी एड़ियों को आमतौर पर वात असंतुलन का संकेत माना जाता है। आयुर्वेदिक उपचार स्किन और शरीर को आंतरिक रूप से मॉइस्चराइज करने पर ध्यान देता है। यहां 4 आयुर्वेदिक उपाय बताए जा रहे हैं, जिनसे आप फटी एड़ियों से राहत पा सकते हैं।
तिल का तेल एड़ियों की स्किन को गहराई से मॉइस्चराइज करता है। इसमें मौजूद फैटी एसिड सूखी और फटी स्किन को ठीक करने में मदद करता है। वैक्स स्किन की नमी को लॉक करके उसे ड्राई होने से बचाता है। 1 चम्मच तिल का तेल और 3 बड़े चम्मच वैक्स मिलाकर हल्का गर्म करें और इसे फटी एड़ियों पर लगाएं।
गर्म तिल का तेल ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करता है और ड्राई स्किन को ठीक करने में मदद करता है। घी में मौजूद फैटी एसिड स्किन को पोषण देकर उसे मुलायम बनाते हैं। रोजाना सोने से पहले पैरों की मालिश करने से एड़ियों को स्वस्थ रखा जा सकता है।
पैरों को पानी में भिगोने से डेड स्किन मुलायम हो जाती है, जिससे मॉइस्चराइज़र स्किन के अंदर तक पहुँचता है। सोने से पहले पैरों को 15 मिनट तक गर्म पानी में भिगोएं, फिर तिल का तेल या मॉइस्चराइज़र लगाकर मालिश करें।
घी शरीर को अंदर से पोषित करता है और स्किन को चिकनाई देकर उसे सूखने से बचाता है। रोजाना सुबह खाली पेट 1 चम्मच घी का सेवन फटी एड़ियों की समस्या से राहत दिला सकता है।
इन उपायों के जरिए आप अपनी एड़ियों को स्वस्थ और नमी से भरपूर रख सकते हैं। स्किन को हाइड्रेटेड रखना फटी एड़ियों से छुटकारा पाने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है।
BPH क्या है और खेती में इसका महत्व
धान की खेती में, BPH (Brown Planthopper) एक प्रमुख कीट है जो पौधों के तनों से रस चूसता है। यह कीट धान की फसल को कमजोर करके उत्पादन में बड़ी कमी ला सकता है। विशेष रूप से जब BPH का मास इंफेस्टेशन हो जाता है, तो नुकसान का स्तर और भी बढ़ जाता है। इस लेख में हम समझेंगे कि BPH क्या है, इसका खेती पर क्या असर होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है।
BPH का असर और मास इंफेस्टेशन
BPH का असर तब और गंभीर हो जाता है जब इसकी संख्या बहुत बढ़ जाती है। इसे मास इंफेस्टेशन कहा जाता है, और यह स्थिति धान के खेतों को सूखा बना सकती है। मुख्य प्रभाव यह हैं:
- पौधों का सूख जाना: कीट तनों से रस चूसते हैं, जिससे पौधे सूख जाते हैं।
- उत्पादन में भारी कमी: मास इंफेस्टेशन की वजह से फसल की उपज 50-90% तक कम हो सकती है।
- रोग फैलना: यह कीट वायरस फैलाने में भी सक्षम होते हैं, जो धान की फसल को और कमजोर कर सकते हैं।
BPH से होने वाले नुकसान को रोकने के उपाय
1. रासायनिक नियंत्रण
BPH के मास इंफेस्टेशन को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। कुछ प्रभावी कीटनाशक हैं:
- इमिडाक्लोप्रिड और बुप्रोफेजिन जैसे कीटनाशक, जो BPH को मारने में काफी मददगार हैं।
- समय पर छिड़काव: कीटनाशकों का सही समय पर उपयोग करने से आप कीटों की बढ़ती संख्या को रोक सकते हैं।
2. जैविक नियंत्रण
रासायनिक कीटनाशकों के अलावा, जैविक उपायों से भी BPH को नियंत्रित किया जा सकता है:
- नीम का तेल: यह एक प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल कीटनाशक है जो BPH की संख्या को कम कर सकता है।
- प्राकृतिक शत्रु: BPH के प्राकृतिक शत्रु जैसे मकड़ियाँ और भृंग इनकी जनसंख्या को नियंत्रित करते हैं।
3. संवर्धित खेती के तरीके
- प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग: BPH के प्रति प्रतिरोधी धान की किस्मों को बोने से आप इस समस्या से बच सकते हैं।
- खेत की सफाई: खेतों में खरपतवार को समय पर हटाने से कीटों के पनपने की जगह कम हो जाती है।
- पानी का सही प्रबंधन: धान के खेतों में जल स्तर का उचित प्रबंधन करने से BPH का प्रसार कम हो सकता है।
निष्कर्ष
BPH (Brown Planthopper) का समय पर नियंत्रण करने से फसल की पैदावार बढ़ाई जा सकती है। रासायनिक और जैविक दोनों प्रकार के उपायों का सही ढंग से उपयोग करके किसान अपनी फसल को सुरक्षित कर सकते हैं। खेती में सतर्कता और उचित प्रबंधन अपनाने से BPH की समस्या को दूर किया जा सकता है और पैदावार में वृद्धि की जा सकती है।