शिवाजी महाराजांच्या आहाराबाबत अनेक कथा आणि दंतकथा प्रचलित आहेत. तथापि, इतिहासातून मिळालेल्या माहितीनुसार, ते मुख्यतः शाकाहारी होते.
शिवाजी महाराजांच्या आहारात काय समाविष्ट असावे?
* ज्वारी, बाजरी आणि धान्य: ते मुख्यतः ज्वारी आणि बाजरीचे भाकर, पोहे आणि खिचडी खातात. त्या काळात ही धान्ये शेतकऱ्यांच्या आहारात महत्त्वाची होती.
* दही, तूप आणि दूध: ते दही, तूप आणि दूध यासारखे दुधजन्य पदार्थही सेवन करत असावेत.
* फळे आणि भाज्या: त्या काळात उपलब्ध असणारी फळे आणि भाज्यांचा समावेश त्यांच्या आहारात असू शकतो.
* घरगुती पदार्थ: ते घरगुती पदार्थ खाण्यास प्राधान्य देत असावेत.
शिवाजी महाराज शाकाहारी का होते?
* शारीरिक स्वास्थ्य: त्या काळात शाकाहारी आहाराला आरोग्यासाठी चांगला मानले जात असे. शिवाजी महाराजांना एक सैनिक म्हणून शारीरिकदृष्ट्या निरोगी राहणे आवश्यक होते.
* धार्मिक कारणे: त्या काळात अनेक लोक धार्मिक कारणांसाठी शाकाहारी असत.
* उपलब्धता: त्या काळात मांस मिळणे कठीण होते आणि शेतकरी मुख्यतः शाकाहारी आहारच घेत असत.
महत्वाचे:
* शिवाजी महाराजांच्या आहाराबाबतची माहिती सीमित आहे.
* त्यांच्या आहारात काही प्रमाणात मांसही असू शकते, परंतु ते शाकाहारी आहाराला प्राधान्य देत असावेत.
* त्यांचा आहार त्या काळातील सामान्य शेतकऱ्यांच्या आहाराप्रमाणेच साधा आणि पौष्टिक असावे.
निष्कर्ष:
शिवाजी महाराजांचा आहार त्यांच्या शारीरिक आणि मानसिक स्वास्थ्यासाठी उपयुक्त होता. त्यांचा आहार आपल्यासाठी प्रेरणा असू शकतो. आजच्या काळातही आपणही स्वतःचा आहार निरोगी आणि संतुलित ठेवण्याचा प्रयत्न करू शकतो.
नोट: ही माहिती सर्वसाधारण आहे. शिवाजी महाराजांच्या आहाराबाबत अधिक सखोल माहिती मिळवण्यासाठी तुम्ही इतिहासकारांशी संपर्क साधू शकता.
रेशन कार्ड नवीन मार्गदर्शक तत्त्वे: भारतातील नागरिकांसाठी केंद्र सरकार अनेक योजनांचा अंमलबजावणी करते. या योजनांचा लाभ गरीब आणि मध्यमवर्गीय लोकांना मोठ्या प्रमाणात मिळतो. विशेषतः गरीब कुटुंबांना अत्यल्प दरात रेशन मिळते, आणि त्यासाठी रेशन कार्ड असणे अनिवार्य आहे.
राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा योजनेंतर्गत भारत सरकार गरीब लोकांना खूप कमी दरात गहू, तांदूळ आणि इतर अन्नधान्य पुरवते. परंतु, आता सरकारने रेशन कार्ड धारकांसाठी नवीन नियम लागू केले आहेत. १ नोव्हेंबरपासून काही लोकांना रेशन मिळणार नाही. यामागील मुख्य कारण काय आहे, ते पाहूया.
ई-केवायसी का आवश्यक आहे?
राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा योजनेअंतर्गत सर्व रेशन कार्ड धारकांनी ई-केवायसी प्रक्रिया पूर्ण करणे अनिवार्य आहे. अन्न आणि सार्वजनिक वितरण मंत्रालयाने याबाबत आधीच सूचना दिली होती. मात्र, अद्याप अनेक रेशन कार्ड धारकांनी ई-केवायसी केलेली नाही. यासाठी ३१ ऑक्टोबर ही अंतिम तारीख निश्चित करण्यात आली आहे. जर या तारखेपर्यंत ई-केवायसी पूर्ण झाले नाही, तर त्या व्यक्तीला पुढील महिन्यात रेशन मिळणार नाही, आणि त्यांचे नाव रेशन कार्डातून वगळले जाईल. शिवाय, अशा रेशन कार्ड धारकांचे कार्ड रद्द केले जाईल.
ई-केवायसी का सुरू केली आहे?
ई-केवायसीबाबत अनेक प्रश्न उपस्थित होत आहेत. सरकारने ई-केवायसी प्रक्रिया का अनिवार्य केली आहे? त्यामागील मुख्य कारण म्हणजे, अनेक अपात्र व्यक्तींची नावे अजूनही रेशन कार्डवर आहेत. काही लोकांचा मृत्यू झाल्यानंतरही त्यांची नावे काढली गेलेली नाहीत. यामुळे अपात्र लोकांना रेशन मिळते, जे योग्य नाही. अशा प्रकारच्या समस्यांना आळा घालण्यासाठी सरकारने ई-केवायसीची अंमलबजावणी केली आहे.
ई-केवायसी प्रक्रिया पूर्ण करण्यासाठी, नागरिक आपल्या जवळच्या अन्न पुरवठा विभागाच्या कार्यालयात जाऊ शकतात किंवा ऑनलाइन सुविधेचा वापर करून ही प्रक्रिया पूर्ण करू शकतात.
संबंधित अधिकृत वेबसाईटची लिंक:
[अन्न पुरवठा विभागाची वेबसाईट](https://www.pdsportal.nic.in/)
Ganesh Chaturthi 2024, Modak Recipe In Hindi: हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, जब भक्तगण अपने घरों में भगवान गणेश की स्थापना कर उनकी पूजा करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान गणेश को मोदक बहुत प्रिय होते हैं, और इसलिए इस पवित्र अवसर पर उन्हें मोदक का भोग अर्पित करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन यदि आप घर पर बाजार जैसे मोदक बनाना चाहते हैं, तो यहां हम आपके लिए लाए हैं एक सरल और पारंपरिक मोदक रेसिपी modak recipe. इस रेसिपी की मदद से आप घर पर ही स्वादिष्ट और शुद्ध मोदक बना सकते हैं, जो गणपति बप्पा को बेहद प्रिय होंगे.
Ganesh Chaturthi 2024 के लिए विशेष: इस बार घर पर ही बनाएं भगवान गणेश के पसंदीदा मोदक और पाएं उनकी विशेष कृपा.
आज के बदलते युग में दोने पत्तल (lif plates) और एक सामाजिक पहल जिस पर विचार करना हमारा सामाजिक कर्तव्य है.....
एक बहुत छोटी सी बात है पर हमने उसे विस्मृत कर दिया हमारी भोजन संस्कृति, इस भोजन संस्कृति में बैठकर खाना और उस भोजन को "दोने पत्तल" (lif plates) पर परोसने का बड़ा महत्व था एक समय तक रहा, कोई भी मांगलिक कार्य हो उस समय भोजन एक पंक्ति में बैठकर खाया जाता था और वो भोजन पत्तल पर पूरे भारत वर्ष में परोसा जाता था
ये प्रथा आज भी हमारे हिमाचल प्रदेश के तकरीबन सभी जिलों में आज भी जारी है, परंतु आज आधुनिकता ने इसे कई क्षेत्रों में खत्म करना शुरू कर दिया है और उसकी जगह पर्यावरण के प्रतिकूल प्रभाव देने वाले लैमिनेटेड कागज तथा प्लास्टिक से बनी पत्तलों ने ले लिया है जो आज के समय में बहुत ज्यादा घातक है।
पत्तल (lif plates)
जो विभिन्न प्रकार की वनस्पति के पत्तो से निर्मित होती थी आधुनिकता के युग ने गुमनाम जैसी कर दी।
क्या हमने कभी जानने की कोशिश की कि ये भोजन पत्तल पर परोसकर ही क्यो खाया जाता था?
नही क्योकि हम उस महत्व को जानते तो देश मे कभी ये "बुफे"जैसी खड़े रहकर भोजन करने की संस्कृति आ ही नहीं सकती थी।
जैसा कि हम जानते है पत्तले अनेक प्रकार के पेड़ो के पत्तों से बनाई जा सकती है इसलिए अलग-अलग पत्तों से बनी पत्तलों में गुण भी अलग-अलग होते है| तो आइए जानते है कि कौन से पत्तों से बनी पत्तल में भोजन करने से क्या फायदा होता है? लकवा से पीड़ित व्यक्ति को अमलतास के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना फायदेमंद होता है|
जिन लोगों को जोड़ो के दर्द की समस्या है ,उन्हें करंज के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना चाहिए| जिनकी मानसिक स्थिति सही नहीं होती है ,उन्हें पीपल के पत्तों से बनी पत्तल पर भोजन करना चाहिए| पलाश के पत्तों से बनी पत्तल में भोजन करने से खून साफ होता है और बवासीर के रोग में भी फायदा मिलता है| केले के पत्ते पर भोजन करना तो सबसे शुभ माना जाता है तथा मां लक्ष्मी के आगमन का मार्ग प्रशस्त करता है ,
इसमें बहुत से ऐसे तत्व होते है जो हमें अनेक बीमारियों से भी सुरक्षित रखते है|
हमारे हिमाचल प्रदेश में tour नामक बेल के पत्तों से पत्तल बनाई जाती है, जो औषधीय गुणों के साथ अत्यंत शुभ मानी जाती है।
पत्तल में भोजन करने से पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता है क्योंकि पत्तले आसानी से नष्ट हो जाती है|
पत्तलों के नष्ट होने के बाद जो खाद बनती है वो खेती के लिए बहुत लाभदायक होती है|
पत्तले प्राकतिक रूप से स्वच्छ होती है इसलिए इस पर भोजन करने से हमारे शरीर को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है|
अगर हम पत्तलों का अधिक से अधिक उपयोग करेंगे तो गांव के लोगों को रोजगार भी अधिक मिलेगा क्योंकि पेड़ सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रो में ही पाये जाते है|
अगर पत्तलों की मांग बढ़ेगी तो लोग पेड़ भी ज्यादा लगायेंगे जिससे प्रदूषण कम होगा|
डिस्पोजल के कारण जो हमारी मिट्टी, नदियों ,तालाबों में प्रदूषण फैल रहा है ,पत्तल के अधिक उपयोग से वह कम हो जायेगा|
जो मासूम जानवर इन प्लास्टिक को खाने से बीमार हो जाते है या फिर मर जाते है वे भी सुरक्षित हो जायेंगे ,क्योंकि अगर कोई जानवर पत्तलों को खा भी लेता है तो इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा|
सबसे बड़ी बात पत्तले, डिस्पोजल से बहुत सस्ती भी होती है|
ये बदलाव आप और हम ही ला सकते है अपनी संस्कृति को अपनाने से हम छोटे नही हो जाएंगे बल्कि हमे इस बात का गर्व होना चाहिए कि हम हमारी संस्कृति का विश्व मे कोई मुकाबला नही है।।
हमारी वैदिक संस्कृति विश्व में सबसे सटीक शास्त्रोक्त एवं ज्ञान से परिपूर्ण है एतएव अपनी संस्कृति भी सुरक्षित रखें और अपने समाज का भी उत्थान करें।।
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Top 100 Worst Rated Foods in World: दोस्तों भारत के खाद्य पदार्थों में बहुत ही कमाल की विविधता दिखाई देती है. हर राज्य की खाद्य संस्कृति अलग अलग है. लेकिन कुछ भारतीय पदार्थ ऐसे है की उन्हें पुरे भरता में बड़े ही चाव से खाया जाता है. इतनाही नहीं तो परदेशी खाने के शौकीन भी वो पदार्थचाव से खाते है.
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तो दोस्तों ऐसा ही एक पदार्थ जो की लगभग कश्मीर से कन्याकुमारी तक बहुत सारे घरों में तैयार है. वो है 'आलू-बैंगन' की सब्जी। ये सब्जी बनाने का तरीका अलग अलग होगी लेकिन बहुत सारे भारतीय घरों में वो बनती है. और विशेष ये है की कुछ भी न सोचकर सभी भारतीय बहुत चाव खाते है. लेकिन सिर्फ यही पदार्थ दुनिया के सबसे ख़राब पदार्थों की लिस्ट में आया देख भारतीय बहुत ही नाराजी व्यक्त कर रहे है.
Tasteatlas की ओर से दुनियाभर के खाद्य पदार्थों का, खाद्य संस्कृति का अभ्यास किया जाता है और उस अभ्यास से सामने आए हुए अलग अलग निष्कर्ष खाने के शौकीनों के सामने रखा जाता है. उसके अनुसार Tasteatlas इन्होने दुनिया के 100 ख़राब पदार्थों लिस्ट हाली ही में जारी की है.
इस लिस्ट में 60 नंबर 'आलू- बैंगन' ये पदार्थ आया है और उसे 5 में से 2. 7 इतना रेटिंग दिया गया है. वो देखकर अनेक भारतीय लोगों ने मज़ाकि किए है. जैसे की लोगों ने कहां की आलू-बैंगन ये पदार्थ ख़राब है ही नहीं। लेकिन लिस्ट बनाने वाले व्यक्ति को ऐसा लगता है तो ठीक है.
रानटी हत्तीने केली पिकाची नासाडी, नवरगावच्या शेतकऱ्यांचे लाखोचे नुकसान - भरपाई देण्याची शेतकऱ्याची मागणी.
गडचिरोली / अशोक खंडारे
गडचिरोली वरून अवघ्या १५ कि.मी. अंतरावर असलेल्या नवरगांव (पोर्ला) येथे रात्रौ चे सुमारास गडचिरोली जिल्हयात फिरत असलेले रानटी हत्ती नवरगाव शेत शिवारात आले
व कास्तकारांच्या उभ्या पिकाचे लाखोचे नुकसान केले. दि. २ मे चे रात्रौ जंगली हत्तीचा कळप नवरगाव जंगलातून दशरथ धाकडे व भगवंत चुधरी यांच्या शेतात घुसुन उन्हाळी धान पिकाचे नुकसान केले एवढेच नव्हे सदर शेतकऱ्याचे मोटार पॅम्प व पाईप लाईन ची तोडफोड केल्यामुळे सदर शेतकऱ्यांचे लाखो रुपयांचे नुकसान झाले आहे.
शेतकऱ्यांची झालेली नुकसान भरपाई वनविभागाने त्वरीत द्यावी अशी मागणी शेतकऱ्यांनी केलेली आहे.तेंदू पत्ता सिझन चा हंगाम व कास्तकारांचे उन्हाळी पिक आहे. आता शेतात व जंगलात कसे जायंचे या विवेचनात नवरगांव गावकरी आहेत. वन विभाग पोर्ला चे RFO मडावी अजुनही आपल्या ताफ्यासहीत पाहणी करण्याकरीता पोहचले नाही असी माहिती प्राप्त झाली आहे
Egg Curry Recipe : अंडा खाने के शौकीन लोग ज्यादा से ज्यादा नाश्ते में ऑमलेट, अंडे की भुर्जी या फिर उबला हुआ अंडा खाते हैं, क्योंकि ये बहुत जल्द बनने वाली अंडे की रेसिपी हैं. अधिकतर लोगों को अंडा करी Egg Curry भी खाना पसंद हैं, लेकिन इसे बनाने में थोड़ा सा टाइम लगता है, ऐसे में वो इसे बहुत जल्दी-जल्दी बनाने से बचते हैं. अंडा करि देश के हर राज्य में खाई जाने वाली टेस्टी और हेल्दी मणि जाती है. कुछ लोग रेस्टारेंट या ढाबे पर बनी अंडा करी को बड़े चाव से खाते हैं. हम आपको यहां एक ऐसी ही अंडा करी बनाने की आसान सी रेसिपी बताने जा रहे है. जो स्वाद दमदार होगा कि आप उंगलियां चाटते रह जाएंगे.
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Egg Curry Recipe : आप इसे दिन में या फिर रात के समय बनाकर रोटी या चावल के साथ खा सकते हैं. तो चलिए जानते हैं स्वादिष्ट अंडा करी बनाने की विधि Egg Curry Recipe
3 प्याज
6 अंडे
1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर आधी छोटी चम्मच हल्दी पाउडर
1 साबुत लहसुन
1 चम्मच गरम मसाला पाउडर
1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर
नमक स्वादानुसार
2 बड़े चम्मच तेल
बर्तन में पानी डालकर गैस पर चढ़ाएं. उसमे सभी अंडों को डालकर उबालें. 10 से 15 मिनट के अंदर अंडे उबल जाएंगे. इन्हें ठंडा करके छिलका हटा लीजिए. अब एक कड़ाई में तेल डालिए. जब तेल गर्म हो जाए तो इन अंडों को थोड़ा गोल्डन ब्राउन होने तक फ्राई कर लीजिए. फ्राई करके इसे अलग रखिये. अब आप प्याज और लहसुन को मिक्सर में डालकर पेस्ट तैयार कर लीजिए. इसके बाद सभी मसालों जैसे हल्दी, गरम मसाला, मिर्ची पाउडर, धनिया पाउडर को एक कटोरी में डाल डालिए. इन सभी मसालों में प्याज-लहसुन का पेस्ट डालकर अच्छी तरह से मिक्स कर लीजिए.
कड़ाई को फिर से गैस पर रखें, इसमें बाकी बचे तेल डालकर अच्छी तरह से गर्म करिए. प्याज और मसालों के वाले पेस्ट को कड़ाई में डालकर भून लीजिए. जब सारे मसाले अच्छी तरह से फ्राई हो जाएं और कड़ाई से तेल छोड़ने लगे, तो समझ लीजिए मसाले अच्छी तरह से पाक गए हैं. अब कड़ाई इसमें फ्राई किए हुए अंडों को डालिए. ग्रेवी बनाने के लिए इसमें एक गिलास पानी डालिए. इसे10 मिनट ढकर उबलने दें. और आंच बंद कर दें. फिर इसे हरी मिर्च, धनिया पत्ती से गार्निश करके गरमागर्म अंडा करी का लुत्फ उठाएं.
हरी चिकन, जिसे हरियाली चिकन या हरा मसाला चिकन के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वादिष्ट व्यंजन है जो आपके मीट-प्रेमी स्वाद को मिटा देगा (Hari chicken, also known as hariyali chicken or hara masala chicken, is a flavorful dish that will tantalize your meat-loving taste buds). हरे मसाले का पेस्ट इस व्यंजन की जान है, जो ताजी जड़ी बूटियों और मसालों से मिलकर बनता है (The star of this dish is the green masala paste, made with a combination of fresh herbs and spices).
चाहे आप रोटी, पराठा या नान के साथ इसका आनंद लें, यह निश्चित रूप से आपके भोजन को खास बना देगा (Whether you enjoy it with roti, paratha, or naan, it's sure to make your meal special).
आवश्यक सामग्री (Aavश्यक सामग्री)
चिकन - 1 किलो (कटा हुआ) (Chicken - 1 kg (boneless or bone-in, cut into pieces))
दही - 1/2 कप (Yogurt - 1/2 cup)
हरी मिर्च - 10-12 (हरा धनिया और पुदीना के साथ) (Green chilies - 10-12 (along with fresh coriander and mint))
अदरक - 1 इंच का टुकड़ा (Ginger - 1 inch piece)
लहसुन - 4-5 कलियाँ (Garlic - 4-5 cloves)
जीरा - 1 छोटा चम्मच (Cumin seeds - 1 tsp)
हल्दी पाउडर - 1 छोटा चम्मच (Turmeric powder - 1 tsp)
धनिया पाउडर - 1 छोटा चम्मच (Coriander powder - 1 tsp)
गरम मसाला - 1/2 छोटा चम्मच (Garam masala - 1/2 tsp)
नींबू का रस - 1 बड़ा चम्मच (Lemon juice - 1 tbsp)
हरी धनिया पत्ती, कटी हुई (Fresh coriander leaves, chopped) - गार्निशिंग के लिए (For garnishing)
तेल - आवश्यकतानुसार (Oil - As needed)
नमक - स्वादानुसार (Salt - To taste)
बनाने की विधि (Banane ki Vidhi)
हरा मसाला तैयार करें (Hara Masala Taiyar Karen): सबसे पहले हरा मसाला तैयार करें। इसके लिए हरी मिर्च, धनिया पत्ती, पुदीना पत्ती, अदरक और लहसुन को पीसकर पेस्ट बना लें। आप चाहें तो इसमें थोड़ा पानी भी डाल सकते हैं। (First, prepare the green masala. To do this, grind the green chilies, coriander leaves, mint leaves, ginger, and garlic into a paste. You can also add a little water if needed.)
चिकन का मैरीनेशन करें (Chicken ka Marination Karen): एक बड़े बर्तन में दही, हरा मसाला पेस्ट, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला, नींबू का रस और नमक डालकर अच्छी तरह मिलाएं। अब इसमें चिकन के टुकड़े डालकर कम से कम 30 मिनट के लिए मैरीनेट होने दें। (In a large bowl, combine yogurt, green masala paste, turmeric powder, coriander powder, garam masala, lemon juice, and salt. Mix well. Now, add the chicken pieces and marinate for at least 30 minutes.)
चिकन को पकाएं (Chicken ko Pakayen): एक कड़ाही में तेल गरम करें। जीरा डालकर चटकने दें। फिर इसमें मैरीनेट किया हुआ चिकन डालें और मध्यम आंच पर सुनहरा होने तक भूनें। (Heat oil in a pan. Add cumin seeds and let them splutter. Then, add the marinated chicken and cook on medium flame until golden brown.)
तैयार है आपका हरी चिकन! (Taiyar hai aapka Hari Chicken!): थोड़ा पानी डालें और ढककर चिकन को नरम होने तक पकाएं। (Add a little water and
वादळ-गारपिटीमुळे नुकसान झालेल्या शेतपिकांचे तातडीनं पंचनामे करून नुकसान भरपाई द्या
आमदार कृष्णा गजबे यांची मागणी
देसाईगंज:-
गडचिरोली जिल्ह्यामध्ये आकस्मिक गारपीटी सह आलेल्या वादळी पावसामुळे माझ्या आरमोरी मतदारसंघातील आरमोरी, कुरखेडा, देसाईगंज, कोरची तालुक्यातील उभे असलेले मक्याचे अन्य पीक पूर्णतः उध्वस्त झाली असून शेतकऱ्यांच्या हाती आलेला घास हिरावला गेला आहे त्यामुळे अशा नुकसानग्रस्त शेत पिकांचे तातडीने पंचनामे करून शेतकऱ्यांना आर्थिक मदत द्यावी अशी मागणी आरमोरी विधानसभा क्षेत्राचे आमदार कृष्णा गजबे यांनी प्रशासनाला केली आहे.
मक्याचे पीक झालेले असताना अचानक आलेल्या या वादळी पावसामुळे तोंडात आलेला घास हिरावला गेल्याने शेतकरी संकटात सापडलेला आहे. त्याला शासनाच्या मदतीची नितांत आवश्यकता आहे. त्यामुळे तातडीने पंचनामे करून आर्थिक मदत करावी अशी मागणी आमदार गजबे यांनी केली आहे.
देवलमारी येथील मंचर्ला परिवारातील तीन घरे जळून लाखो रुपयांचे नुकसान, शासनाने करावी तात्काळ मदत
अहेरी :-
मुख्यालया पासून बारा किलोमीटर अंतरावर असलेल्या देवलमारी येथील शेखर मुत्तय्या मंचर्ला,संतोष मुत्तय्या मंचर्ला,मुत्तय्या मंचर्ला या तिघांचे घरे व घरातील संपूर्ण साहित्य, कपडे,खाण्यापिण्याचे सामान तसेच घरातील महागडे वस्तू अचानकपणे आग लागल्याने प्रचंड नुकसान झाले
यात लाखो रुपयाचे वस्तू जळून खाक झाली आहेत.3 मार्चला रात्री सुमारे तीन सव्वातीन वाजताच्या सुमारास घराला आग लागली त्यावेळी घरातील कुटुंबातील लोक गाढ झोपेत होते आग लागल्याचे लक्षात येताच सर्व कुटुंब घराबाहेर निघाले व गावात आरडा ओरडा केले तेव्हा गावातील नागरिकांनाही धाव घेतलीआणि आग नियंत्रण करण्याचे प्रयत्न सुरू केले.
"ह्या"घटनेची माहिती नागरिकांन कडून आविसं - काँग्रेस नेते व माजी जि.प.अध्यक्ष तथा अहेरी कृषी उत्पन्न बाजार समिती सभापती अजयभाऊ कंकडालवार यांना सांगताच अजयभाऊंनी नगरपंचायत अहेरी येथील अधिकाऱ्यांना दूरध्वनी द्वारे घटनेची माहिती दिली.अधिकाऱ्यांनी लगेच अग्निशमन वाहन तात्काळ घटनेच्या ठिकाणी पाठवून आग आटोक्यात आणली.
माजी जि.प.अध्यक्ष कंकडालवार आणि सेवानिवृत्त सहाय्यक वनसंरक्षक तथा आदिवासी काँग्रेस जिल्हा अध्यक्ष हणमंतू मडावी यांनी घटनास्थळी धाव घेऊन.घटनेची माहिती जाणून घेतले आहे.दूरध्वनी वरून घटनेची माहिती उपजिल्हाधिकारी तसेच तहसीलदारांना सांगून लवकरात लवकर पंचनामे करून मंचर्ला कुटूंबाला शासना कडून मदत करण्यात यावी अशी मागणी केली त्या पिडीत तीन कुटुंबियांना प्रथम अत्यंत घरच्या अत्यावश्यक गरजू वस्तूसाठी अजयभाऊ कंकडालवार यांनी आर्थिक मदत केली.
देसाईगंज उपविभागीय अधिकारी कार्यालयावर शेतकऱ्यांचा आक्रोश मोर्चा
आजपासून मागण्या मंजुर होईपर्यत श्याम मस्के पाटलांचे उपोषण सुरु
देसाईगंज:- येथील उपविभागीय अधिकारी कार्यालयावर शेतकऱ्यांनी आज आक्रोश मोर्चा काढला व आपल्या मागण्यांचे निवेदन रामदास मसराम यांच्या नेतृत्वाखाली देण्यात आले तद्वतच शेतकऱ्यांच्या मागण्यांसाठी श्याम म्हस्के पाटलांनी आजपासून उपोषण सुरू केले आहे
मागिल १५ दिवसांपुर्वी शेतकऱ्यांना रब्बी पिकाला सुरळित पाणिपुरवठा व्हावा यासाठी महाराष्ट्राच्या उर्जामंञ्यांनी आश्वासन दिल्याप्रमाणे १२ तास कृषी पंपांना विजपुरवठ्याचे आश्वासन दिल्याप्रमाणे ते पुर्ण करावे यासाठी देसाईगंज तालुक्यातील कृषी पंपधारकांनी आंदोलन उभारले होते तेव्हा स्थानिक आमदारांनी चर्चा करुन ३ दिवसात आरमोरी विधानसभा क्षेञासह गडचिरोली जिल्ह्यातील शेतकऱ्यांना सुरळित विज पुरवठा केला जाईल अशी ग्वाही दिली परंतू तब्बल १५ दिवस उलटुनही विजपुरवठा सुरळीतपणे होत नसल्याने पिक धोक्यात आल्याने शेकडो भुमिपुञांनी रामदास मसराम यांच्या नेतृत्वात देसाईगंज च्या उपविभागिय कार्यालयावर मोर्चा च्या माध्यमातून धडक दिली आणि शेतकऱ्यांच्या मागण्या पुर्ण होईपर्यंत आमरण उपोषणाची सुरुवात कोरेगांव चे शेतकरी श्याम मस्के पाटिल यांनी केली निसर्गाशी नेहमीच दोन हात करित शेतकरी शेतात पिक उभारत असतो आपल्या कुटुंबाच्या पोटाची खडगी भागविण्यासाठी कधी तुडतुडा, कधी रानटी जनावरांच्या हैदोषांवर मात करीत शेतकरी शेतात पिक उभे करतो कालव्याच्या सिंचनाची सोय नसलेले शेतकरी कृषी पंपाच्या माध्यमातुन रब्बी पिकाची लागवड करतात मागिल दोन वर्षापासुन देसाईगंज तालुक्यात कृषिपंपांना विजपुरवठ्याचा प्रश्न सातत्याने निर्माण झाला असून सुरळित पाणिपुरवठा होत नसल्याने धान पिक धोक्यात येवुन करपण्याच्या मार्गावर लागले आहे या समस्यांवर तोडगा निघावा यासाठी १५ दिवसापुर्वी रामदास मसराम यांनी शेकडो शेतकऱ्याना सोबत घेवुन देसाईगंज च्या विद्युत विभागाच्या कार्यालयाला घेराव केल्याने शेतकऱ्यांवर गुन्हे दाखल करण्यात आले होते परिस्थितीचे गांभिर्य ओळखुन स्थानिक आमदार कृष्णा गजबे यांनी महाराष्ट्राचे उपमुख्यमंञी तथा उर्जामंञी देवेंन्द्र फडणविस यांच्याशी चर्चा करुन तिन दिवसात संपुर्ण गडचिरोली जिल्ह्यातिल कृषीपंपधारक शेतकऱ्यांना १२ तास सुरळित विजपुरवठा केला जाईल अशी ग्वाही दिली माञ १५ दिवस उलटुनही विद्युत विभागाकडुन कोणताही सकारात्मक प्रतिसाद मिळाला नाही सद्या रब्बी पिकांच्या रोवणी चे काम जोरात सुरु असुन कृषिपंपधारक शेतकऱ्यांच्या शेतात माञ भेगा पडल्या असुन धान पिक धोक्यात आल्याने भुमिपुञ असलेल्या रामदास मसराम यांच्या नेतृत्वात चोप कोरेगांव बोडधा, शंकरपुर, विहिरगांव, किन्हाळा, मोहटोला आणि देसाईगंज तालुक्यातिल सर्वच कृषिपंपधारक शेकडो शेतकऱ्यानी उपविभागिय कार्यालयावर मोर्चा काढुन ठिय्या आंदोलन उभारले एवढेच नव्हे तर कोरेगांव चे शेतकरी श्याम मस्के पाटिल यांनी कार्यालयाच्या सामोर शेतकऱ्यांच्या मागण्या पुर्ण करण्याचे शासनासमोर आव्हान उभे करुन आजपासुनच आमरण उपोषनाला सुरुवात केली
निवेदन सादर करतांना रामदास मसराम म्हणाले की उर्जा मंञ्यांनी दिलेल्या १२ तास कृषी पंपांना सुरळित विद्युत पुरवठ्याच्या आश्वासना नुसारच शेतकऱ्यांनी रब्बी पिकाची लागवड केली १५ दिवस उलटुनही शेतकऱ्यांच्या ज्वलंत प्रश्नावर शासन व प्रशासन गांभिर्याने विचार करत नाही पिक नष्ट झाल्याने शेतकरी हवालदिल होईल आत्महत्येचे प्रमाण वाढतिल शेतकऱ्यांना आर्थिक अडचणिंचा सामना करावा लागेल यासाठी उपाययोजना म्हणून शेतकऱ्यांना २४ तास विजपुरवठ्याची सोय उपलब्ध करुन देण्यात यावी शासकिय धान खरेदी केन्द्रावर हेक्टरी ५० क्विंटल धान शेतकऱ्यांकडून खरेदी करण्यात यावा आधारभूत धान खरेदी ३५०० रुपये प्रति क्विंटल प्रमाणे करण्यात यावी आणि सर्वात महत्वाचे म्हणजे ग्रामिण भागात विज पुरवठा करणाऱ्या शंकरपुर पॉवर ट्रान्सफार्मर वर ५ एमव्हिए ऐवजी १५ एमव्हिए चा ट्रान्सफार्मर लावण्यात यावा या सर्व मागण्या पुर्ण होईपर्यंत शेतकऱ्यांचे प्रतिनिधी म्हणून कोरेगांव चे श्याम मस्के पाटिल यांनी आमरण उपोषण सुरु केले असुन शासन व प्रशासनाने यावर लवकरात लवकर तोडगा काढावा शेतकऱ्यांच्या संयमाचा सत्ताधाऱ्यांनी अंत पाहु नये असा सज्जड इशारा या प्रसंगी रामदास मसराम यांनी दिला आहे
शासनाकडून पुरवठा न होताही अहेरी तालुक्यातील स्वस्त धान्य दुकानातून साड्यांचे वाटप झालेच कसे?
जिल्हा पुरवठा अधिकारी गडचिरोली यांनी पुरवठा निरीक्षक व गोदाम व्यवस्थापक यांना बजावले कारणे दाखवा नोटीस
गडचिरोली:-
गडचिरोली जिल्ह्यातील सर्व तालुक्यातील स्वस्त धान्य दुकानदार यांच्या मार्फत शासकीय योजना अंतर्गत साड्यांचे वाटप करण्यात येणार होते परंतू गडचिरोली जिल्ह्यात पुरवठा न होताच अहेरी तालुक्यात साड्या वाटप केल्याचे उघडकीस आले आहे त्यामुळे जिल्हा पुरवठा अधिकारी गडचिरोली यांनी पुरवठा निरीक्षक आडेपवार व गोदाम व्यवस्थापक ताकवाले यांना तहसीलदार अहेरी यांच्या मार्फत २०/०२/२०२४ ला कारणे दाखवा नोटीस बजावली आहे
कॅप्टिव्ह मार्केट योजने अंतर्गत अंत्योदय शिधापत्रिका धारकांना दरवर्षी साडीचे वाटप करण्यात यावे यासाठी यंत्रमाग महामंडळाची नोडल एजन्सी म्हणून नियुक्त करण्यात आली असून जिल्ह्यातील गोरगरीब कुटुंबातील एका महिला सदस्यांना साडी चे नियतन मंजूर झालेले आहे
मात्र या जिल्ह्याकरीता साड्यांचा पुरवठा करण्यातच आलेला नाही
तरीसुद्धा अहेरी तालुक्यातील कार्डधारकांना AePDS ऑनलाईन प्रणालीवर ५६३ साड्यांचे वाटप केल्याचे दिसून येते आहे
गडचिरोली जिल्ह्यात साड्यांचा पुरवठा झलेला नसताना अहेरी तालुक्यातील स्वस्त धान्य दुकानदार यांनी साड्यांचे वाटप कुठून केले व साड्याचा ऑनलाईन स्टाक कसाकाय उपलब्ध करून देण्यात आला आहे आपल्या स्तरावरुन साड्यांचे वाटप झालेच कसे व साड्यांची रक्कम वसुल करण्याचे शासनाचे निर्देश प्राप्त झाल्यास आपणाकडून ५६३ साड्यांचे पैसे वसूल का करण्यात येऊ नये या करिता नोटीस मिळाल्यानंतर २४ तासाचे आत खुलासा करावा अन्यथा महाराष्ट्र नागरी सेवा ( शिस्त व अपील) नियम १९७९ चे तरतुदीनुसार यास सर्वस्वी आपणास जबाबदार धरुन आपणा विरुद्ध शिस्तभंगाची कारवाई चे प्रस्ताव वरीष्ठ कार्यालयात सादर करण्यात येईल असे पत्रात नमूद केले असून अशा अधिकाऱ्यांनर खरोखर कारवाई होणार का औसुख्याचा विषय जनतेसमोर उभा ठाकला आहे
*महसूल विभागातील*अव्वल कारकून व मंडळ अधिकारी बणनार नायब तहसिलदार*
*३०६ जणांना पदोन्नतीने पदस्थापना*
मुंबई,
एकीकडे राज्याच्या महसूल विभागात आधुनिकता आणत असताना विभागातील अधिकाऱ्यांनाही पदोन्नतीने पदस्थापना देत सुंदर मेळ साधला आहे. आज महसुल विभागामध्ये अव्वल कारकून व मंडळ अधिकारी या पदावर कार्यरत असलेल्या एकूण 306 कर्मचाऱ्यांना नायब तहसिलदार (राजपत्रीत, गट -ब) या संवर्गात पदोन्नतीने पदस्थापना देण्यात आली आहे., अशी माहिती महसूल मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील यांनी दिली.
राज्याच्या कोकण, नाशिक, छत्रपती संभाजीनगर, अमरावती व नागपुर या महसुल विभागामध्ये अव्वल कारकून व मंडळ अधिकारी या पदावर कार्यरत असलेल्या एकूण 306 कर्मचाऱ्यांना नायब तहसिलदार (राजपत्रीत, गट -ब) या संवर्गात पदोन्नतीने पदस्थापना देण्यात आली आहे.
छत्रपती संभाजीनगर विभागात (छत्रपती संभाजीनगर 8, जालना 5, परभणी16, हिंगोली4 , बीड 5, लातूर 5 , धाराशिव 8, नांदेड 8) एकूण 59.
अमरावती विभागात (अमरावती 14, अकोला 10, बुलडाणा 14, वाशिम 7, यवतमाळ 6) एकूण 52
नागपुर विभागात (नागपुर 12, भंडारा 4, गोंदिया 6, चंद्रपुर 18, गडचिरोली 13, वर्धा 4) एकूण 57
नाशिक विभागात(नाशिक 9, अहमदनगर 10, जळगाव.9, धुळे 4, नंदुरबार4) एकूण 36
कोकण विभागात (मुंबई शहर 13, मुंबई उपनगर 22, ठाणे 17, पालघर 9, रायगड 19, रत्नागिरी 13, सिंधुदुर्ग 6, विभागीय आयुक्त कोंकण यांचे कार्यालय 2, राज्य निवडणूक आयोग 1) एकूण 102
०००००
*जनसंपर्क विभाग (महसूल, पशुसंवर्धन व दुग्धव्यवसाय विकास मंत्री कार्यालय, मंत्रालय, मुंबई)*
Orange Orchard Management :
शेतकरी नियोजन
पीक : संत्रा
शेतकरी नाव : नीलेश विश्वासराव बनसोड
गाव : कांडली, ता. अचलपूर, जि. अमरावती
शेती : १३ एकर
संत्रा लागवड : ११ एकर
कांडली, (ता. अचलपूर, जि. अमरावती) शिवारात निलेश बनसोड यांची १३ एकरापैकी ११ एकरांत संत्रा बाग आहे. उर्वरित शेतीमध्ये कोरडवाहू पिकांच्या लागवडीवर भर दिला आहे. खरीप हंगामात ज्वारीची लागवड केली होती. सध्या या शिवारात गव्हाची लागवड केली आहे.
अकरा एकरांतील संत्रा बागेत सुमारे १८५० झाडे आहेत. त्यातील सहा एकरांतील झाडे १५ वर्षे वयाची, तर उर्वरित पाच एकरांतील झाडे साडेतीन वर्षे वयाची आहेत. जुनी संत्रा लागवड ही १८ बाय १८ फूट अंतरावर आहे. तर नवीन लागवडीपैकी काही झाडे २० बाय १० फूट, तर काही १५ बाय १५ फूट अंतरावर लागवड केली आहेत.
मागील दोन वर्षांपासून संत्रा बागेत कोणत्याही रासायनिक खतांचा वापर केला जात नाही. सेंद्रिय निविष्ठांच्या वापरावर भर दिला जातो. पुढील वर्षी नवीन लागवडीला साडेचार वर्षांचा कालावधी पूर्ण होईल. त्या वेळी या बागेतून उत्पादन घेण्यास सुरुवात केली जाईल. झाडे अपेक्षित वयाची झाल्यावर नवतीचे (नवीन पालवी) प्रमाण अपेक्षेप्रमाणे मिळते, असा त्यांचा अनुभव आहे.
कोरोना व त्यानंतरच्या काळात संत्रा फळांना अपेक्षित उठाव नव्हता. बाजारपेठा गडगडल्याने फळांना अपेक्षित दर मिळत नव्हता. परिणामी संत्रा बाग व्यवस्थापनावर अधिकचा खर्च करणे शक्य होत नव्हते. त्यामुळे गेली तीन वर्षे छाटणी कामे करून त्यावर खर्च करणे शक्य नव्हते. कांडली भागात छाटणीसाठी यंत्राची उपलब्धता नसल्यामुळे छाटणी कामांसाठी मजुरांवर अवलंबून राहावे लागते.
मागील काही वर्षांत मजुरी दरांत मोठी वाढ झाली आहे. त्यामुळे उत्पादन खर्चावर अतिरिक्त ताण पडत होता. परिणामी, उत्पादन खर्च कमी करण्याच्या अनुषंगाने मागील तीन वर्षे बागेत छाटणीची कामे झाली नाहीत. या वर्षी मात्र सल काढणे आवश्यक होते. त्यासाठी मजूर लावून झाडाची सल काढणीची कामे करून घेतली.
मृग बहरातील कामे
मृग बहराच्या नियोजनानुसार मे महिन्यामध्ये बाग ताणावर सोडली होती. हा ताण पावसाच्या पाण्यावर तोडण्याचे नियोजन असते. या वर्षी पाऊस लांबल्यामुळे जुलै महिन्याच्या पावसामध्ये बागेचा ताण तुटला.
तत्पूर्वी बागेस निंबोळी पावडर १ किलो आणि सूक्ष्म अन्नद्रव्ये १०० ग्रॅम प्रति झाड या प्रमाणे मात्रा देण्यात आल्या.
नवती फुटण्यास सुरुवात झाल्यावर कीड, रोगांचा प्रादुर्भाव टाळण्यासाठी रासायनिक फवारणीचे नियोजन केले. या काळात प्रामुख्याने मावा, तुडतुडे यांचा प्रादुर्भाव अधिक दिसून येतो. त्यासाठी आवश्यकतेनुसार रासायनिक फवारण्यावर करण्यावर भर दिला जातो.
यावर्षी पावसाचे प्रमाण तुलनेने कमी होते. त्यामुळे आवश्यकतेनुसार मोकळे पाणी आणि ठिबकद्वारे सिंचन करण्यात आले.
सप्टेंबर महिन्यात सूक्ष्म अन्नद्रव्यांची फवारणी आणि आवश्यकतेनुसार रासायनिक कीडनाशकांच्या फवारण्या घेण्यात आल्या.
ऑक्टोबर महिन्यात बागेत उगवलेले गवत ग्रासकटरने काढून घेतले. त्यानंतर सेंद्रिय खतांच्या मात्रा वरीलप्रमाणे देण्यात आल्या.
आगामी व्यवस्थापन
सध्या बागेतील सुमारे ३५० झाडांवर मृग बहर धरलेला आहे. झाडांवर सध्या ९१ आणि ७१ या आकाराची फळे लगडलेली आहेत.
साधारण फेब्रुवारी अखेर किंवा मार्च महिन्याच्या पहिल्या आठवड्यात फळे तोडणीस येतील. वातावरणाची स्थिती लक्षात घेऊन व्यवस्थापनामध्ये आवश्यक बदल केला जाईल.
फळांचा दर्जा राखण्यासाठी सिलीकॉनयुक्त खताचा वापर करणार आहे.
नियोजनानुसार निंबोळी पावडर आणि त्यासोबतच सूक्ष्म अन्नद्रव्यांच्या मात्रा दिल्या जातील. त्यानंतर झाडांजवळ काढलेल्या सऱ्यांमधून मोकळे पाणी दिले जाईल.
आवश्यकतेनुसार कीड-रोगांचा प्रादुर्भाव पाहून रासायनिक फवारणीचे नियोजन आहे.
सुमारे ३५० झाडांवर मृग बहार धरलेला आहे. त्या माध्यमातून साधारण ३० टन संत्रा उत्पादन मिळणे अपेक्षित आहे. विक्री नियोजनामध्ये संपूर्ण बाग व्यापाऱ्यांना दिली जाते.
अन्नद्रव्य व्यवस्थापन
बागेत मागील दोन वर्षांपासून सेंद्रिय खतांच्या वापरावर अधिक भर दिला आहे. त्यामुळे जमिनीचे आरोग्य राखण्यासह झाडांवर देखील चांगले परिणाम दिसून येत असल्याचा अनुभव आहे.
बागेत बहर धरण्याच्या नियोजनानुसार निंबोळी पावडर, सूक्ष्म अन्नद्रव्यांच्या वापर केला जातो.
- नीलेश बनसोड, ९८६०६१९३७२ (शब्दांकन : विनोद इंगोले )
हे भारतीय पेय जगातील दुसरे सर्वोत्तम नॉन-अल्कोहोलिक पेय असल्याचे म्हटले जाते
रँकिंगचे अनावरण TasteAtlas या प्रसिद्ध खाद्यपदार्थ आणि प्रवास मार्गदर्शकाने केले आहे ज्यात जगभरातील पारंपारिक पाककृती, स्थानिक पदार्थ आणि अस्सल रेस्टॉरंट्स आहेत.
जगभरात दोन प्रकारचे लोक आहेत: जे चहाच्या समृद्ध चवचा आनंद घेतात आणि जे चहा घेत नाहीत. चहा, जागतिक लोकसंख्येच्या मोठ्या वर्गाने उपभोगलेले पेय, अनेक लोकांच्या हृदयात एक विशेष स्थान आहे. चहाचा कप तयार करताना लोकांची वेगवेगळी प्राधान्ये असतात – काहींना तो कडक आवडतो, तर काहींना सौम्य, गोड चव आवडते. भिन्नता असूनही, एक निर्विवाद सत्य राहते: चहा किंवा चाय ही एक भावना आहे.
मसाला चाहा हे २०२३ साठी जागतिक स्तरावर 2nd world most drinking drink दुसरे सर्वोत्कृष्ट नॉन-अल्कोहोल पेय म्हणून घोषित करण्यात आल्याने सर्व चहा प्रेमींसाठी आनंददायी बातमी वाट पाहत आहे. रँकिंगचे अनावरण TasteAtlas या प्रसिद्ध खाद्यपदार्थ आणि प्रवास मार्गदर्शकाने केले आहे ज्यात जगभरातील पारंपारिक पाककृती, स्थानिक पदार्थ आणि अस्सल रेस्टॉरंट्स आहेत.
या प्रतिष्ठित यादीत सर्वात वरचे स्थान आहे मेक्सिकोचे अगुआस फ्रेस्कस, ज्याचे वर्णन "फळे, काकडी, फुले, बिया आणि धान्ये यांचे साखर आणि पाणी मिसळून बनवलेले पेय" असे केले आहे. दरम्यान, लवंग, काळी मिरी, आले आणि वेलची यांसारख्या घटकांसह मसालेदार दुधाच्या चहाचे मिश्रण असलेल्या मसाला चायला मानाचे दुसरे स्थान मिळाले आहे. हा एक उत्कृष्ट पर्याय म्हणून बाहेर येतो, विशेषत: थंड हिवाळ्याच्या महिन्यांत.
" मसाला चहा हे एक सुगंधित पेय आहे जे भारतातून जगात आले आहे. चाहा गोड, काळा, चहा आणि दुधाच्या मिश्रणातून बनवले जातो, मसाल्याच्या मिश्रणाने तयार केले जाते - ज्यामध्ये सामान्यत: वेलची, आले, लवंगा, दालचिनी आणि काळी मिरी यांचा समावेश होतो. असे घडते," भोजन म्हणाला.
त्याच्या उत्पत्तीच्या सभोवतालच्या विविध सिद्धांतांना मान्यता देताना, TasteAtlas नोंदवतात की मसाला चाहाची मुळे प्रामुख्याने ब्रिटिश चहाच्या व्यापाराशी जोडलेली आहेत. १९ व्या शतकात, चहाच्या व्यापारावर चीनच्या मक्तेदारीचा सामना करत, ब्रिटीशांनी युरोपमधील काळ्या चहाची उच्च मागणी पूर्ण करण्यासाठी पर्यायी बाजारपेठांचा शोध घेतला. असा विश्वास आहे की याच काळात मसाला चहाचा उदय झाला, ज्याने २० व्या शतकात लोकप्रियता मिळवली जेव्हा इंडियन टी असोसिएशनने कामगारांसाठी आरामदायी विश्रांती म्हणून चहाच्या ब्रेकला प्रोत्साहन दिले, जे चहा अधिक परवडण्याजोगे झाले तेव्हाच्या काळाशी जुळले.
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नागपूर :
अयोध्यात राम मंदिर अभिषेक सोहळ्याच्या निमित्त महाराष्ट्राचे लाडके 'विश्वविक्रमी' शेफ विष्णू मनोहर येत्या, 22 तारखेला श्री जगदंबा संस्थान कोराडी येथे 6 हजार किलोचा महाप्रसाद तर अयोध्येत 26 जानेवारीनंतर 7 हजार किलाचा 'श्रीराम शिरा' तयार करून दोन नवे जागतिक विक्रम प्रस्थापित करणार आहेत.त्याकरीता जगातील सर्वात मोठी 'हनुमान' कढई तयार करण्यात आली आहे. ही कढई विष्णू मनोहर अयोध्येतील श्रीराम मंदिराला अर्पण करणार आहेत.
अशी आहे 'हनुमान' कढई
ही हनुमान कढई 15 हजार लिटर क्षमतेची असून 1800 किलो वजन व 15 फूट व्यासाची आहे. ही कढई तयार करण्यासाठी 6 मीमी जाडीचा स्टीलचा पत्रा वापरला गेला असून हा पत्रा धरणाची दारे किंवा जहाज बांधणीसाठी उपयोगात आणला जातो. कढईचा तळभाग लोखंड व तांबे या धातूंपासून तयार करण्यात आला आहे. तो 10 फूट आकाराचा आहे. दोन धातूंचे पत्रे एकावर एक तळाशी लावल्यामुळे ते उष्णता शोषून घेतील आणि शिरा जळणार नाही. या कढईत वापरला जाणारा एक सराटा हा 24 इंच रुंदीचा असून 32 किलो वजनाचा आहे.
ही कढई विश्वकर्मा फॅब्रिकेशन वर्क्स, एमआयडीसी, नागपूर येथे नागेंद्र विश्वकर्मा व त्यांचे वडील अनिरूद्ध विश्वकर्मा यांच्या देखरेखीखाली तयार करण्यात आली आहे. ही कढई घडवायला 15 ते 20 कारागीराची मदत घेण्यात आली. हे आव्हानात्मक कार्य करायला जवळपास एक महिन्याचा कालावधी लागतो. परंतु, विश्वकर्मा पिता-पुत्र आणि कारागीर यांची कौशल्यबुद्धी, मेहनत, रामभक्ती यांच्या जोरावर हे कार्य एक आठवड्यातच पूर्ण झाले आहे.
येत्या, 22 जानेवारी अयोध्येत श्रीरामाची प्राणप्रतिष्ठा होत असताना कोराडी येथील श्रीजगदंबा देवस्थानमध्ये 6 हजार किलोचा 'श्रीराम शिरा' तयार केला जाणार आहे. हा एक विश्वविक्रम ठरणार असून तो विष्णू मनोहर श्री जगदंबा संस्थान कोराडीच्या नावे समर्पित करणार आहेत. त्यानंतर ही 'हनुमान' कढई क्रेनच्या सहायाने मोठ्या ट्रेलरवर चढवून अयोध्येला रवाना केला जाईल. अयोध्येत पोहोचायला या कढईला दोन दिवस लागतील.
मी प्रभू श्रीरामांचा भक्त असून वयाच्या 22 व्या वर्षी 'कार सेवा' केली होती. आता अयोध्येत राममंदिर साकार होत असताना प्रभू श्रीरामाच्या चरणी 'पाक सेवा' देण्याच्या उद्देशाने या उपक्रमाला 'कार सेवा ते पाक सेवा' असे नाव देण्यात आले आहे. 'हनुमान' कढई अयोध्येत पोहोचल्यानंतर येत्या, 26 जानेवारीनंतर तेथे 7 हजार किलो 'श्रीराम शिरा' तयार केला जाणार आहे. हा देखील एक विश्वविक्रम ठरणार असून तो श्रीराम मंदिर न्यासच्या नावे नोंदवला जाईल. त्यानंतर ही 'हनुमान' कढई श्रीराम चरणी अर्पण केली जाणार आहे, असे ते विष्णू मनोहर म्हणाले.